भाई ने मेरी चूत चोद कर मेरी अन्तर्वासना जगा दी -2
(Bhai Ne Meri Chut Chod Kar Meri Antarvasna Jaga di-2)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left भाई ने मेरी चूत चोद कर मेरी अन्तर्वासना जगा दी -1
-
keyboard_arrow_right भाई ने मेरी चूत चोद कर मेरी अन्तर्वासना जगा दी -3
-
View all stories in series
हाय मैं ऋतु.. अन्तर्वासना पर मैं आपको अपनी चूत की अनेकों चुदाईयों के बारे में बताने जा रही हूँ.. आनन्द लीजिएगा।
अब तक आपने जाना..
अब मैं एक दुल्हन की तरह बैठ गई लाइट ऑन थी.. तो मैंने कहा- आप इस लाइट को ऑफ कर दो.. मुझे शर्म आ रही है।
तो भाई ने कहा- ऋतु डार्लिंग.. आज हमारी सुहागरात है.. लाइट तो ऑन ही रहेगी.. अब किस बात का शर्माना?
वो मेरे पास आ गए.. पहले बेइंतहा मुझे चूमा.. फिर मेरी साड़ी का पल्लू हटाया.. मैं लेट चुकी थी.. मेरी साँसें तेज हो चुकी थीं। हमें डर कुछ था नहीं.. क्योंकि घर पूरा खाली था।
अब आगे..
चुम्बनों की ‘पुच..पुच..’ की आवाजें आने लगीं.. मेरी सिसकारी छूट रही थी ‘आ.. आ..’
भाई दोनों मम्मों को दबा रहे थे और मेरी ‘आ..आ… आह.. हा..’ की आवाज निकल रही थी।
कई बार भाई ने इतनी तेज दूध दबाए कि मैं चीख पड़ी और रोने लगी।
मैंने भाई से कहा- इतनी तेज नहीं दबाओ.. आराम से दबाओ न.. लगती है।
भाई- ऋतु तुमने कभी किसी के साथ सेक्स किया है?
मैं- नहीं.. आपके साथ पहली बार कर रही हूँ.. आपकी ऋतु अभी तक कुंवारी है.. आज मुझे अपना बना लो।
भाई- ऋतु आज तुम्हें मुझे खुश कर दिया.. तेरी इज़्ज़त मेरी नजरों में और बढ़ गई।
अब भाई फिर से मेरे मम्मों को दबाने लगे। भाई ने साड़ी बिल्कुल अलग कर दी.. अब मेरे जिस्म पर ब्लाउज और पेटीकोट थे।
भाई धीरे-धीरे मेरे ब्लाउज के हुक खोलने लगे.. जैसे ही उन्होंने मेरे ब्लाउज के सारे हुक खोल दिए.. मैंने शर्मा कर अपनी आँखें अपने हाथों से बंद कर लीं।
उन्होंने कहा- ये क्या ऋतु.. क्यों शर्मा रही हो?
मैं- पहली बार किसी मर्द के सामने में इस तरह आई हूँ।
भाई ने कहा- शर्मा ना.. चुदवा लो और मजे लो..
मुझे भाई ने बैठाया और मेरे ब्लाउज को निकाल दिया और फिर ब्रा के ऊपर से ही मेरे कबूतर दबाने लगे, बोले- ऋतु काली ब्रा में तेरे मम्मे बहुत अच्छे लग रहे हैं।
वे ब्रा के ऊपर से ही मुझे दूध पर चुम्बन करने लगे और एक हाथ मेरी कमर के पीछे ले जाकर मेरी ब्रा के हुक को खोल दिया। अब मेरे 34 इंच साइज़ के मम्मे उनके सामने बिल्कुल नंगे उछल पड़े थे।
फिर तो उन्होंने मेरे दाएं तरफ वाले दूध को पकड़ लिए और प्यार से दबाने लगे.. और बाएं वाले दूध को अपने मुँह में लेकर ऐसे चूसने लगे.. जैसे कोई बच्चा मेरा दूध पी रहा हो।
दोस्तो, मैं तो आपको बता नहीं सकती कि किस अद्भुत आनन्द का अनुभव हो रहा था। मैं उस मजे को महसूस कर रही थी। बस मेरे मुँह से सिसकारी ही सिसकारी निकल रही थीं ‘आ…आ.. मम्मी.. आह.. हाहाहा..’
इस पहले सुख में ही मेरा पानी निकल गया। मुझे बहुत अच्छा लगा था किसी मर्द ने मेरे दूध पिया.. और मुझे इतना प्यार कर रहा था। मेरी शर्म कुछ कम हो रही थी.. क्योंकि ऊपर से मैं बिल्कुल नंगी थी।
अब मेरे जिस्म पर बस पेटीकोट और उसके नीचे अभी नहीं बताऊँगी..!
मैं उनके ऊपर थी और भाई मेरे नीचे एक-एक करके मेरा दूध पी रहे थे। उनका हाथ मेरी कमर से मेरी चूतड़ों को दबा रहा था।
वे बोले जा रहे थे- मेरी जान ऋतु, क्या मस्त चूतड़ हैं तेरे.. कब से देख रहा था कि तू कब मुझे मिलेगी.. क्या गर्म जिस्म है तेरा.. पिछले दो साल से तुझे चोदना चाह रहा था मेरी जान.. आज तुझे अपनी रानी बनाना है मुझे..
मैं- आप कितनी गंदी बातें करते हो.. ऐसे कोई अपनी बहन से बातें करता है।
भाई- बहन इतनी खूबसूरत हो.. तो कोई भी भाई उसे चोद सकता है।
मैं- ये तो ग़लत बात है.. मेरे को तो पूरी नंगी कर दिया.. आप अभी भी कपड़े पहने हो.. आप भी इन्हें निकाल दो न..
भाई- ये तुम निकालो.. मैंने तुम्हें नंगी किया.. अब तुम मुझे नंगा करो।
मैं उठी.. सबसे पहले उनकी कॉटन की शर्ट और बनियान निकाल दी। मैंने उनकी पैन्ट निकाल दी। अब वो मेरे सामने सिर्फ़ अंडरवियर में थे और उनका टेंट बना हुआ था यानि की उनका लण्ड खड़ा था..
मैं शर्मा गई।
भाई- क्यों शर्मा रही हो जान.. ये तो तुम्हारा खिलौना है.. आज से तुम इससे ही खेलोगी।
फिर उन्होंने मेरा पेटीकोट भी निकाल दिया। अब मैं और भाई पैन्टी और कच्छे में थे।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मेरी पैन्टी पूरी गीली हो चुकी थी.. भाई ने पूरे जिस्म पर किस करना शुरू कर दिया और मेरी सिसकारी निकलने लगी पूरे बेडरूम में कामरस बहने लगा।
पता नहीं कब मेरी पैन्टी उतर गई और मेरी चिकनी गीली चूत बिल्कुल खुल्ला हो गई। अपनी चूत मैंने कल ही शेव की थी।
भाई ने मेरी चूत में एक उंगली कर दी और मैं चीख उठी ‘उय ईई ईई.. उई.. मम्मी.. मर गई..’
जबकि उनकी उंगली थोड़ी ही अन्दर गई थी.. पर मेरी चूत बहुत टाइट थी.. इसलिए मुझे दर्द होने लगा।
फिर भाई ने मेरे पेट पर किस किया मेरी नाभि के पास.. मैं तो इठ गई और मेरे मुँह से ‘आहें’ निकलने लगीं।
मैंने भाई को रोका- नीचे नहीं.. मेरे से अब बर्दाश्त नहीं होगा।
भाई- मेरी जान मेरा ख़ज़ाना तो नीचे ही है.. अब तुम बस लेटी रहो और मज़े लो.. और मुझे पूरा प्यार करने दो.. और हाँ तू ये क्यों भूल जाती है कि मैंने तुझे मंगल सूत्र पहना दिया है.. अब तू मेरी बीवी है।
मैं- हाँ हाँ.. मैंने कब मना किया..
भाई फिर से उसी पोजीशन में आ गए और मेरी चूत पर उन्होंने पहला किस किया। फिर मेरी चूत को चूसने लगे.. मेरे मुँह से ‘उम्म्म्मम.. उई..मम.. आ आह.. हाहाहा..’ निकली और मैं अपने ही हाथों से अपने मम्मों को दबाने लगी। मेरे मुँह से सिसकारी ही सिसकारी निकल रही थीं ‘आह.. धीरे करो..’
फिर मुझे मजा आने लगा और मैंने अपनी टाँगें खोल दीं। मेरे मुँह से मादक स्वर निकलने लगे- हाँ और चाटो अपनी बीवी की चूत.. और चाटो.. अपनी बहन की चूत.. अब नहीं बर्दाश्त हो रहा राजू.. मेरी जान.. अपना लण्ड डाल दो मेरी इस चूत में.. बहुत प्यासी है..
इतना काम जाग गया कि मैं उनके ही मुँह में अपना रस छोड़ बैठी और वो अमृत उन्होंने पी लिया।
भाई- मेरे जान ऐसी सीलपैक चूत का रस नसीब वाले को ही मिलता है..
वो मुझे किस करने लगे। तभी मैंने उनका खड़ा लौड़ा देखा.. मैंने पहली बार इतना बड़ा लण्ड देखा था। सात इंच लंबा और 3 इंच मोटा सांप सा फुंफकार रहा था।
मैं तो डर गई कि ये इतना मोटा और बड़ा मेरी चूत में कैसे जाएगा?
तो राजू ने कहा- डरो मत.. ये आज से तुम्हारा है और ऋतु.. चूत में तो इससे भी ज्यादा बड़े और मोटे लण्ड चले जाते हैं.. जब ये तुम्हारी चूत में जाएगा.. तो तेरे को बहुत मजा आएगा।
मैंने उनका लण्ड पकड़ा और बोली- ठीक है अब डाल दो मेरी चूत में अपना लण्ड.. जो होगा सो देखा जाएगा।
मैं अपने घुटनों को पेट की तरफ मोड़ लिया और टाँगें हवा में उठा लीं। राजू ने अपना लण्ड मेरी चूत के मुहाने पर लगाया और एक झटका मार दिया।
मेरी चीख निकल गई और मेरी आँखों में आंसू आ गए थे.. मुझे लगा कि जैसे मेरी चूत में कोई गरम लोहे की रॉड घुस गई हो।
मैं दर्द से तड़फ कर राजू से बोलने लगी- ओह्ह.. मर गई रे.. अब इसको निकाल लो.. इससे मुझे नहीं चुदवाना..
पर राजू ने मेरी एक ना सुनी और एक और तगड़ा झटका मार दिया, इस बार सारा का सारा लण्ड मेरी चूत में जड़ तक घुसता चला गया।
मैं छटपटाने लगी कि मुझे दर्द हो रहा है। राजू का लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ.. मेरी बच्चेदानी में लगा.. मैं दर्द से तड़फ रही थी और राजू मुझे किस कर रहा था।
भाई- ऋतु जब लड़की की सील टूटती है तो दर्द होता ही है.. हर लड़की को होता है मेरी जान.. आज तुम कली से फूल बन गई हो।
मैं छटपटाती रही और वो धीरे-धीरे अपने मूसल लवड़े को चूत में आगे-पीछे करने लगा और बोला- अब तुम्हें इतना मजा आएगा कि आज तक कभी नहीं आया होगा।
मैं भी अब सहन कर रही थी वो हचक कर लौड़े को आगे-पीछे करने लगा। करीब 10 मिनट बाद मुझे भी मजा आने लगा और मेरे मुँह से ‘उम्म्म्मम.. आह्ह.. आह्ह..’ की आवाजें आने लगीं।
मैं- आअहह.. और.. जोर से उईईई ईईईईईईई ईईईईई मम्मी.. और तेज राजू.. बहुत मजा आ रहा है.. आज मुझे अपनी रंडी बना ले.. चोद.. और चोद.. मुझमें डाल दे अपना बीज.. मेरे पेट में तेज-तेज कर ना.. भोसड़ी के.. क्या कर रहा है.. आअहह.. आह्ह…’
भाई- ले मेरी छिनाल.. तुझे चोद के रंडी बनाऊँगा.. साली तुझे अपनी रखैल बनाऊँगा.. मैं जब चाहूँगा तुझे चोदूँगा.. बोल रंडी.. चुदेगी मुझसे.. हाँ.. ले कुतिया।
मैं- हाँ मेरे चोदू भाई.. मैं बनूँगी तेरी रंडी.. तेरी रखैल.. सब बनूँगी.. ऐसी चुदाई के लिए तो तेरी जिंदगी भर रंडी बनने को तैयार हूँ.. हाय.. आह्ह.. मजा आ गया.. राजू.. मेरी जान.. मैं अब आ रही हूँ.. आअहह.. उई मम्मी आआअहह.. गई..।
भाई- हाँ मेरी जान.. मैं भी आ रहा हूँ बता कहाँ निकालूँ.. अन्दर ही निकाल दूँ या बाहर निकालूं?
मैं बोली- आज मेरी पहली चुदाई हुई है.. आप अपना अन्दर ही निकाल दो.. मेरी चूत की प्यास बुझ जाएगी।
हम दोनों एक साथ एक-दूसरे की बाँहों सिमट गए और मैंने भाई के माथे पर एक गहरा चुम्मा लिया।
मैं बोली- भाई आज आपने अपनी बहन को चोद कर अपना गुलाम बना लिया और हाँ.. आज आप मुझे बीवी कहेंगे और आज से मैं तुम्हारी हर बात मानूँगी।
भाई- हाँ आज से तू मेरी रंडी है.. मेरे घर की रंडी..
और मुझे वो किस करने लगे।
मैं उठी.. बाथरूम गई.. तो देखा पूरी चादर पर खून ही खून था.. मेरा भाई उठा और मुझे मिठाई खिलाने लगा।
दोस्तो.. मेरी कहानी एकदम सच के आधार पर लिखी हुई है इसके विषय में आपके विचारों का स्वागत है।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments