भाई बहन की चुदाई के सफर की शुरुआत-1

(Bhai Behan Ki Chudai Ke Safar Ki Shuruat- Part 1)

This story is part of a series:

मेरा नाम रोहन है और मेरी उम्र बीस साल की है। मेरे घर में मेरे अलावा मेरी मम्मी पापा और मेरी छोटी बहन ऋतु रहते हैं। मेरे पापा का अपना बिज़नेस है और हम मिडल क्लास में आते हैं।

मैंने आज कॉलेज से घर पहुँच कर जल्दी से अपनी अलमारी का दरवाजा खोला और उसमे बनाये हुए छेद के जरिये अपनी छोटी बहन के कमरे में झाँकने लगा।
यह छेद मैंने काफी मेहनत से बनाया था और इसका मेरे अलावा किसी और को पता नहीं था।

ऋतु अपने स्कूल से अभी अभी आई थी और अपनी ड्रेस बदल रही थी।
उसने अपनी शर्ट उतार दी और फिर गौर से अपने फिगर को आईने में देखने लगी, फिर उसने अपने दोनों हाथ पीछे ले जा कर अपनी ब्रा खोल दी।

ऋतु की ब्रा किसी बेजान पत्ते के समान जमीन की ओर लहरा गई और उसके 32 के बूब्स किसी अमृत कलश के समान उजागर हो गए… बिल्कुल तने हुए और उनके ऊपर गुलाबी रंग के दो छोटे छोटे निप्पल तन कर खड़े हो गए।

मैं ऋतु से दो साल बड़ा हूँ पर मेरे अन्दर सेक्स के प्रति काफी जिज्ञासा है और मैं घर पर अपनी जवान होती बहन को देख कर उत्तेजित हो जाता हूँ। इसलिए तक़रीबन दो महीने पहले मैंने ये छेद अपनी अलमारी में किया था जो उसके रूम की दूसरी अलमारी में खुलता था जिस पर कोई दरवाजा नहीं था और ऋतु उसमें कपड़े और किताबें रखती थी।

मैंने यह नोट किया कि ऋतु रोज़ अपने कपड़े चेंज करते हुए अपने शरीर से खेलती है, अपने स्तनों को दबाती है, अपने निप्पल को उमेठती है और फिर अपनी चूत में उंगली डाल कर सिसकारी भरते हुए मुठ मारती है।
यह सब देखते वक्त मैं भी अपना लंड अपनी पैंट से निकाल कर हिलाने लगता हूँ और ये ध्यान रखता हूँ कि मैं तभी झडूं जब ऋतु झड़ती है।

आज फिर मैं अपनी नंगी बहन को देख रहा था, ऋतु अपने जिस्म को बड़े गौर से देख रही थी… अपने चुचे अपने हाथ में लेकर उनका वजन तय करने की कोशिश कर रही थी और धीरे-धीरे अपनी लम्बी उंगलियों से निप्पल को उमेठ रही थी।
ऋतु के बूब्स फूलकर ऐसे हो रहे थे जैसे अन्दर से कोई उनमें हवा भर रहा हो, किसी बड़े मोती के आकार में आने में उनको कोई समय नहीं लगा।

फिर उसने अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर अपने दायें निप्पल को अपने मुंह में लेने की असफल कोशिश की पर बात बनी नहीं और ऋतु उन्हें फिर से मसलने लगी. उसने फिर से अपनी जीभ निकाली और इस बार वह सफल हो ही गई।

अब उसने अपनी स्कूल पैंट को अपने सांचे में ढले हुए चूतड़ों से आज़ाद किया और उसको उतार कर साइड में रख दिया। उसने अन्दर कोई पेंटी नहीं पहनी हुई थी।
यह मैं पिछले कई हफ्ते से नोटिस कर रहा था कि मेरी बहन हमेशा बिना पेंटी के घूमती रहती थी… यह सोच कर मेरा पप्पू तन कर खड़ा हो जाता था।

खैर पैंट उतारने के बाद वो बेड के किनारे पर अलमारी की तरफ मुंह करके बैठ गई और अपनी टाँगें चौड़ी करके फैला दी और अपनी चूत को मसलने लगी।

फिर उसने जो किया… उसे देख कर मेरा कलेजा मुंह को आ गया…
उसने अपनी चूत में से एक ब्लैक डिल्डो निकाला।

मैं उसे देख कर हैरान रह गया… ऋतु सारा दिन उसे अपनी चूत में रख कर घूम रही थी… स्कूल में… घर पर… सभी के साथ खाना खाते हुए भी ये डिल्डो उसकी चूत में था।

मुझे इस बात की भी हैरानी हो रही थी कि यह उसके पास आया कहाँ से… लेकिन हैरानी से ज्यादा मुझे उत्तेजना हो रही थी और उस डिल्डो से जलन भी… जो उस गुलाबी चूत में सारा दिन रहने के बाद… चूत के रस में नहाने के बाद चमकीला और तरोताजा लग रहा था।

फिर ऋतु ने उस डिल्डो को चाटना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से अपनी क्लिट को मसलना जारी रखा… कभी वो डिल्डो चूत में डालती और अन्दर बाहर करती… फिर अपने ही रस को चाट कर साफ़ करती।

मेरे लिए अब सहन करना मुश्किल हो रहा था और मैं जोर जोर से अपने लंड को आगे पीछे करने लगा, फिर मैंने वही अलमारी में जोर से पिचकारी मारी और झड़ने लगा।

वहाँ ऋतु की स्पीड भी बढ़ गई और एक आखिरी बार उसने अपनी पूरी ताकत से वो काला लंड अपनी चूत में अन्दर तक डाल दिया… वो भी अपने चरम स्तर पर पहुँच गई और निढाल हो कर वही पसर गई।

अब उसकी चूत में वो साला काला लंड अन्दर तक घुसा हुआ था और साइड में से चूत का रस बह कर बाहर रिस रहा था… फिर वो उठी और लाइट बंद करके नंगी ही अपने बिस्तर में घुस गई और इस तरह मेरा शो भी ख़त्म हो गया।

मैं भी अनमने मन से अपने बिस्तर पर लौट आया और ऋतु के बारे में सोचते हुए सोने की कोशिश करने लगा… मेरे मन में विचार आ रहे थे कि… क्या ऋतु का किसी लड़के के साथ चक्कर चल रहा है… या फिर वो चुद चुकी है?

लेकिन अगर ऐसा होता तो वो डिल्डो का सहारा क्यों लेती… ये सब सोचते सोचते कब मुझे नींद आ गई, मुझे पता ही नहीं चला।

अगली सुबह मैं जल्दी से उठ कर छेद में देखने लगा… ऋतु ने एक अंगड़ाई ली और सफ़ेद चादर उसके उरोजों से सरकती हुई निप्पलों के सहारे अटक गई पर उसने एक झटके से चादर साइड करके अपने चमकते जिस्म के दीदार मुझे करा दिए।

फिर अपनी टाँगें चौड़ी करके एक के बाद एक तीन उंगलियाँ अपनी चूत में डाल दी और अपना दाना मसलने लगी.
मेरा लंड ये मोर्निंग शो देखकर अपने विकराल रूप में आ गया और मैं उसे जोर से हिलाने लगा।

ऋतु के मुंह से एक आनन्दमयी सीत्कार निकली और उसने पानी छोड़ दिया। मैंने भी अपने लंड को हिलाकर अपना वीर्य अपने हाथ में लेकर अपने लंद पर वापिस रगड़ दिया और वीर्य से लंड को नहला दिया।

ऋतु उठी और टॉवेल लेकर बाथरूम में चली गई। मैं भी जल्दी से तैयार होने लगा… वो नीचे मुझे डाइनिंग टेबल पर मिली और हमेशा की तरह मुस्कुराते हुए ऋतु ने मुझे ‘गुड मोर्निंग’ कहा और इधर उधर की बातें करने लगी।

उसे देखकर ये अंदाजा लगाना मुश्किल था की ये मासूम सी दिखने वाली… अपने फ्रेंड्स से घिरी रहने वाली… टीचर्स की चहेती और क्लास में अव्वल आने वाली लड़की इतनी कामुक और उत्तेजक भी हो सकती है जो रात दिन अपनी मुठ मारती है और काला डिल्डो चूत में लेकर घूमती है।

मेरी माँ पूर्णिमा… किचन में कुक के साथ खड़े होकर नाश्ता बनवा रही थी… वो एक आकर्षक शरीर की मालकिन है… चालीस की उम्र में भी उनके बाल बिल्कुल काले और घने हैं… जो उनकी कमर से नीचे तक आते हैं।

मेरे पिता भी जो डाइनिंग टेबल पर बैठे थे… सभी को हंसा-हंसा कर लोट पोट करने में लगे हुए थे… कुल मिला कर उनकी केमिस्ट्री मेरी मम्मी के साथ देखते ही बनती थी।
वो लोग साल में एक बार अपने फ्रेंड्स के साथ पहाड़ी इलाके में जाते थे और कैंप लगाकर खूब एन्जॉय करते थे।

मैंने कॉलेज जाते हुए ऋतु को अपनी बाइक पर स्कूल छोड़ा और आगे निकल गया। रास्ते में मेरे दिमाग में एक नई तरकीब आने लगी… मुझे और मेरी बहन को हमेशा एक लिमिटेड जेब खर्ची मिलती थी।
हमें मेरे दोस्तों की तरह ऐश करने के लिए कोई एक्स्ट्रा पैसे नहीं मिलते थे… जबकि मेरे दोस्त हमेशा ग्रुप पार्टी करते, मूवी जाते… पर कम पैसों की वजह से मैं इन सबसे वंचित रह जाता था।

मैंने अपनी बहन के बारे में कभी भी अपने फ्रेंड्स को नहीं बताया था। वो कभी भी ये यकीन नहीं करते कि ऋतु इतनी कामुक और वासना की आग में जलने वाली एक लड़की हो सकती है. उनकी नजर में तो वो एक चुलबुल और स्वीट सी लड़की थी।

मैं कॉलेज पहुंचा और अपने दो सबसे करीबी फ्रेंड्स विशाल और सन्नी को एक कोने में लेकर उनसे पूछा कि क्या उन्होंने कभी नंगी लड़की देखी है?
उनके चेहरे के आश्चर्य वाले भाव देखकर ही मैं उनका उत्तर समझ गया।

मैंने आगे कहा- तुम मुझे क्या दोगे… अगर मैं तुम्हें कुछ दूरी से एक नंगी लड़की दिखा दूँ तो?
विशाल- मैं तुम्हें सारी उम्र अपनी कमाई देता रहूँगा… पर ये मुमकिन नहीं है तो इस टोपिक को यहीं छोड़ दो।
मैंने कहा- लेकिन अगर मैं कहूँ कि जो मैं कह रहा हूँ… वो कर के भी दिखा सकता हूँ… तब तुम मुझे कितने पैसे दे सकते हो?
सन्नी बोला- अगर तुम मुझे नंगी लड़की दिखा सकते हो तो मैं तुम्हें एक हज़ार रूपए दे सकता हूँ।
‘मैं भी एक हज़ार दे सकता हूँ!’ विशाल बोला- पर हमें ये कितनी देर देखने को मिलेगा?
मैंने कहा- दस से पंद्रह मिनट!

‘अबे चुतिया तो नहीं बना रहा, कहीं कोई बच्ची तो नहीं दिखा देगा गली में नंगी घूमती हुई? हा… हा… हा…’ दोनों हंसने लगे।
मैं बोला- अरे नहीं… वो उन्नीस साल की है, गोरी, मोटे चुचे और तुम्हारी किस्मत अच्छी रही तो शायद वो तुम्हें मुठ भी मारते हुए दिख जाए।
सन्नी ने कहा- अगर ऐसा है तो ये ले!
और अपनी पॉकेट से एक हज़ार रूपए निकाल कर मुझे दिए और कहा- अगर तू ये ना कर पाया तो तुझे डबल वापिस देने होंगे, मंजूर है?
‘हाँ मंजूर है!’ मैंने कहा।

सन्नी को देखकर विशाल ने भी पैसे देते हुए कहा- कब दिखा सकता है?
‘कल… तुम दोनों अपने घर पर बोल देना कि मेरे घर पर रात को ग्रुप स्टडी करनी है और रात को वहीं रहोगे।’
‘ठीक है!’ दोनों एक साथ बोले।

अगले दिन दोनों मेरे साथ ही कॉलेज से घर आ गए, हमने खाना खाया और वहीं पढ़ने बैठ गए… शाम होते होते… पढ़ते और बात करते हुए हमने टाइम पास किया ओर फिर रात को जल्दी खाना खा कर मेरे रूम में चले गए।

वहाँ पहुँचते ही सन्नी बोला- अबे कब तक इन्तजार करवाएगा, कब देखने को मिलेगी हमें नंगी लड़की… सुबह से मेरा लंड नंगी लड़की के बारे मैं सोच सोचकर खड़ा हुआ है।
विशाल भी साथ हो लिया- हाँ यार, अब सब्र नहीं होता… जल्दी चल कहाँ है नंगी लड़की?
‘यहीं है…’ मैंने कहा।

वो दोनों मेरा मुंह ताकने लगे… मैंने अपनी अलमारी खोली और छेद में से देखा, ऋतु अभी अभी अपने रूम में आई थी और अपने कपड़े उतार रही थी… यह देखकर मैं मंद मंद मुस्कुराया और सन्नी से बोला- ले देख ले यहाँ आकर!
सन्नी थोड़ा आश्चर्य चकित हुआ पर जब उसने अपनी आँख छेद पर लगाई तो वो हैरान ही रह गया और बोला- अबे तेरी ऐसी की तैसी… ये तो तेरी बहन ऋतु है।

ऋतु का नाम सुनते ही विशाल सन्नी को धक्का देते हुए छेद से देखने लगा और बोला- हाँ यार, ये तो इसकी बहन ऋतु है और ये क्या… ये तो अपने कपड़े उतार रही है।
दोनों के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ रही थी और मेरे चेहरे पर विजयी।

विशाल- तो तू अपनी बहन के बारे में बात कर रहा था? तू तो बड़ा ही हरामी है।
विशाल बोला- अबे सन्नी, देख तो साली की चुची कैसी तनी हुई हैं।
सन्नी बोला- मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि तू अपनी बहन को छेद के जरिये रोज़ नंगी देखता है और पैसे लेकर हमें भी दिखा रहा है… तू सही में भेनचोद टाइप का इंसान है… कमीना कहीं ही…

मैंने कहा- तो क्या हुआ… मैं सिर्फ देख और दिखा ही तो रहा हूँ, और मुझे इसके लिए पैसे भी तो मिल रहे हैं और ऋतु को तो इसके बारे में कुछ पता ही नहीं है और अगर हम उसको नंगी देखते हैं… तो उसे कोई नुक्सान नहीं है… तो मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई बुराई है।

‘अरे वो तो अपने निप्पल चूस रही है!’ विशाल बोला और अपना लंड मसलने लगा।
‘मुझे भी देखने दे?’ सन्नी ने कहा।

फिर तो वो दोनों बारी बारी छेद पर आँख लगाकर देखने लगे।
विशाल बोला- यार, क्या माल छुपा रखा था तूने अपने घर पर अभी तक… क्या बॉडी है।
‘वो अपनी पैंट उतार रही है… अरे ये क्या, उसने पेंटी भी नहीं पहनी हुई… ओह माय माय…’ और उसने एक लम्बी सिसकारी भरते हुए अपना लंड बाहर निकाल लिया और हिलाने लगा।

‘क्या चूत है… हल्के-2 बाल और पिंक कलर की चूत… अब वो अपनी चूत में उंगलियाँ घुसा कर सिसकारियाँ ले रही थी… और अपना सर इधर उधर पटक रही है…’

विशाल और सन्नी के लिए ये सब नया था… वो दोनों ये देखकर पागल हो रहे थे और ऋतु के बारे में गन्दी बातें बोल कर अपनी मुठ मारते हुए झड़ने लगे।
तभी ऋतु झड़ गई और थोड़ी देर बाद वो उठी और लाइट बंद करके सो गई।

विशाल और सन्नी अचंभित थे और मेरी तरफ देखकर बोले- यार मज़ा आ गया… सारे पैसे वसूल हो गए।
‘मुझे तो अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है… कि तूने अपनी मुठ मारती हुई बहन हमें दिखाई.’ सन्नी बोला।
‘चलो अब सो जाते हैं.’ मैंने कहा।

विशाल- यार… वो साथ वाले कमरे में नंगी सो रही है, यह सोचकर तो मुझे नींद ही नहीं आएगी।
मैं बोला- अगर तुम्हें ये सब दोबारा देखना है तो जल्दी सो जाओ और सुबह देखना… वो रोज़ सुबह उठकर सबसे पहले अपनी मुठ मारती है फिर नहाने जाती है. लेकिन उसके लिए तुम्हें पांच सौ रूपए और देने होंगे।

‘हमें मंजूर है!’ दोनों एक साथ बोले।
मैं अपनी अक्ल और किस्मत पर होले होले मुस्करा रहा था।

सुबह उठते ही हम तीनों फिर से छेद पर अपनी नज़र लगा कर बैठ गए… हमें ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा… दस मिनट बाद ही ऋतु उठी रोज़ की तरह पूरी नंगी पुंगी।
उसने अपने सीने के उभारों को प्यार किया, दुलार किया, चाटा, चूसा और अपनी उंगलियों से अपनी चूत तो गुड मोर्निंग बोला।

विशाल- यार क्या सीन है, सुबह सुबह कितनी हसीं लग रही है तेरी बहन!
फिर सन्नी बोला- अरे ये क्या, इसके पास तो नकली लंड भी है… और वो अब उसको चूस भी रही है… अपनी ही चूत का रस चाट रही है… बड़ी गर्मी है तेरी बहन में यार!

और फिर ऋतु डिल्डो को अपनी चूत में डाल कर जोर जोर से हिलाने लगी।

हम तीनों ने अपने लंड बाहर निकाल कर मुठ मारनी शुरू कर दी, हम सभी लगभग एक साथ झड़ने लगे… दूसरे कमरे में ऋतु का भी वो ही हाल था, फिर वो उठी और नहाने के लिए अपने बाथरूम में चली गई।

फिर तो ये हफ्ते में दो तीन बार का नियम हो गया… वो मुझे हर बार तीन हज़ार रूपए देते और इस तरह से धीरे धीरे मेरे पास लगभग साठ हज़ार रूपए हो गए।

अब मेरा दिमाग इस बिज़नेस को नेक्स्ट लेवल पर ले जाने के लिए सोचने लगा। एक दिन मैंने सब सोच समझ कर रात को करीब आठ बजे ऋतु का दरवाजा खटकाया।
मैं अन्दर जाने से पहले काफी नर्वस था, पर फिर भी मैंने हिम्मत करी और जाने से पहले छेद मैं से देख लिया कि वो स्कूल होमवर्क कर रही है और बात करने के लिए यह समय उपयुक्त है।
मैंने दरवाज़ा खटखटाया… अन्दर से आवाज आई- कौन है?
‘मैं हूँ ऋतु’ मैंने बोला।
‘अरे रोहन तुम… आ जाओ!’

‘आज अपनी बहन की कैसे याद आ गई… काफी दिनों से तुम बिजी लग रहे हो… जब देखो अपने रूम में पढ़ते रहते हो, अपने दोस्तों के साथ ग्रुप स्टडी करते हो!’ ऋतु ने कहा।
‘बस ऐसे ही… तुम बताओ लाइफ कैसी चल रही है?’
‘ऋतु आज मैं तुमसे कुछ ख़ास बात करने आया हूँ!’ मैंने झिझकते हुए कहा।
‘हाँ हाँ बोलो, किस बारे में?’ ऋतु ने कहा।
‘पैसो के बारे में!’ मैं बोला.

ऋतु बोली- देखो रोहन… इस बारे मैं तो मैं तुम्हारी कोई हेल्प नहीं कर पाऊँगी, मेरी जेब खर्ची तो तुमसे भी कम है।
‘एक रास्ता है… जिससे हमें पैसों की कोई कमी नहीं होगी!’

मेरे कहते ही ऋतु मेरा मुंह देखने लगी… बोली- ये तुम किस बारे में बात कर रहे हो, ये कैसे मुमकिन है?
‘मैं इस बारे में बात कर रहा हूँ!’ और मैंने उसके टेबल के अन्दर हाथ डाल के उसका ब्लैक डिल्डो निकाल दिया और बेड पर रख दिया।

‘ओह माई गॉड!’ वो चिल्लाई और उसका चेहरा शर्म और गुस्से के मारे लाल हो गया और उसने अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया… उसकी आँखों से आंसू बहने लगे।
‘ये तुम्हें कैसे पता चला, तुम्हें इसके बारे में कैसे पता चल सकता है… इट्स नोट पोस्सीबल!’ वो रोती जा रही थी।
‘प्लीज रोओ मत ऋतु!’ मैं उसको रोता देखकर घबरा गया।

‘तुम मेरे साथ ये कैसे कर सकते हो, तुम मम्मी पापा को तो नहीं बताओगे न? वो कभी ये सब समझ नहीं पांएगे!’ ऋतु रोते रोते बोल रही थी, उसकी आवाज में एक याचना थी।
‘अरे नहीं बाबा, मैं मम्मी पापा को कुछ नहीं बताऊंगा… मैं तुम्हें किसी परेशानी में नहीं डालना चाहता… बल्कि मैं तो तुम्हारी मदद करने आया हूँ… जिससे हम दोनों को कभी भी पैसों की कोई कमी नहीं होगी.’ मैं बोला।

ऋतु ने पूछा- लेकिन पैसों का इन सबसे क्या मतलब है?’ उसने डिल्डो की तरफ इशारा करके कहा।

मैंने डिल्डो को उठाया और हवा में उछालते हुए कहा- मैं जानता हूँ… तुम इससे क्या करती हो, मैंने तुम्हें देखा है।
‘तुमने देखा है?’ वो लगभग चिल्ला उठी- ये कैसे मुमकिन है?
‘यहाँ से…’ मैं उसकी अलमारी के पास गया और उसे वो छेद दिखाया और बोला- मैं तुम्हें यहाँ से देखता हूँ।

‘हे भगवान्… ये क्या हो रहा है, ये सब मेरे साथ नहीं हो सकता…’ और उसकी आँखों से फिर से अश्रु की धारा बह निकली।
‘देखो ऋतु… मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है, मैं सिर्फ तुम्हें देखता हूँ… मेरे हिसाब से इसमें कोई बुराई नहीं है, और सच कहूं तो ये मुझे अच्छा भी लगता है।’

ऋतु थोड़ी देर के लिए रोना भूल गई और बोली- अच्छा ! तो तुम अब क्या चाहते हो।’
‘तुम मेरे फ्रेंड्स को तो जानती ही हो… विशाल और सन्नी, मैं उनसे तुमको ये सब करते हुए देखने के तीन हज़ार रूपए चार्ज करता हूँ।’
‘ओह नो…’ वो फिर से रोने लगी- ये तुमने क्या किया, वो मेरे स्कूल में सब को बता देंगे… मेरी कितनी बदनामी होगी… तुमने ऐसा क्यों किया… अपनी बहन के साथ कोई ऐसा करता है क्या… मैं तो किसी को अपना मुंह दिखाने के काबिल नहीं रही!
ऋतु रोती जा रही थी और बोलती जा रही थी।

‘नहीं वो ऐसा हरगिज नहीं करेंगे, अगर करें तो उनका कोई विश्वास नहीं करेगा, मेरा मतलब है तुम्हारे बारे में कोई ऐसा सोच भी नहीं सकता!’ मैंने जोर देते हुए कहा- और उन्हें मालूम है कि अगर वो ऐसा करेंगे तो मैं उन्हें कभी भी तुमको ये सब करते हुए नहीं देखने दूंगा।
‘और तुमने उनका विश्वास कर लिया?’ ऋतु रोती जा रही थी- तुमने मुझे बर्बाद कर दिया।

‘हाँ… मैंने उन पर विश्वास कर लिया और नहीं, मैंने तुम्हें बर्बाद नहीं किया… ये देखो!’
और मैंने पांच पांच सौ के नोटों का बण्डल उसको दिखाया… ‘ये साठ हजार रूपए हैं, जो मैंने विशाल और सन्नी से चार्ज करें हैं तुम्हें छेद में से देखने के!’

‘और मैं उन दोनों से इससे भी ज्यादा चार्ज कर सकता हूँ अगर तुम मेरी मदद करो तो?’ मैं अब लाइन पर आ रहा था।
‘तुम्हें मेरी हेल्प चाहिए?’वो गुर्राई- तुम पागल हो गए हो क्या?
‘नहीं, मैं पागल नहीं हुआ हूँ… तुम मेरी बात ध्यान से सुनो और फिर ठंडे दिमाग से सोचना… देखो मैं तुमसे सब पैसे बांटने के लिए तैयार हूँ और इनमे से भी आधे तुम ले सकती हो।’ ये कहते हुए मैंने बण्डल में से लगभग तीस हजार रूपए अलग करके उसके सामने रख दिए।

‘लेकिन मेरे पास एक ऐसा आइडिया है जिससे हम दोनों काफी पैसे बना सकते हैं.’ मैं दबे स्वर में बोला।
‘अच्छा… मैं भी तो सुनूँ कि क्या आइडिया है?’ वो कटु स्वर में बोली।
फिर मैं बोला- क्या तुम्हारी कोई फ्रेंड है जो ये सब जानती है कि तुम क्या करती हो? तुम्हें मुझे उसका नाम बताने की कोई जरुरत नहीं है, सिर्फ हाँ या ना बोलो?
‘हाँ… है… मेरी एक फ्रेंड जो ये सब जानती है और ये डिल्डो भी उसी ने दिया है मुझे!’

‘अगर तुम अपनी फ्रेंड को यहाँ पर बुला कर उससे ये सब करवा सकती हो… तो मैं अपने फ्रेंडस से ज्यादा पैसे चार्ज कर सकता हूँ, और तुम्हारी फ्रेंड को कुछ भी पता नहीं चलेगा.’ मैंने उसे अपनी योजना बताई।

‘लेकिन मुझे तो मालूम रहेगा ना… और वो ही सिर्फ मेरी एक फ्रेंड है जिसके साथ मैं सब कुछ शेयर करती हूँ… अपने दिल की बात, अपनी अन्तरंग बातें सभी कुछ… मैं उसके साथ ऐसा नहीं कर सकती.’ ऋतु ने जवाब दिया।
‘तुम्हें तो अब मालूम चल ही गया है और हम दोनों इसके बारे में बातें भी कर रहे हैं… है ना…?’
‘मैं तो तुम्हें सिर्फ पैसे बनाने का तरीका बता रहा हूँ… जरा सोचो… छुट्टियाँ आने वाली हैं… मम्मी पापा तो अपने दोस्तों के साथ हमेशा की तरह पहाड़ों में कैंप लगाने चले जायेंगे और पीछे हम दोनों घर पर बिना पैसो के रहेंगे… अगर ये पैसे होंगे तो हम भी मौज कर सकते हैं, लेट नाईट पार्टी, और अगर चाहो तो कही बाहर भी जा सकते हैं। छुट्टियों के बाद अपने दोस्तों से ये तो सुनना नहीं पड़ेगा कि वो कहाँ कहाँ गए और मजे किये, हम भी ये सब कर सकते हैं… हम भी अपनी छुट्टियों को यादगार बना सकते हैं, जरा सोचो…’

‘अगर मैं मना कर दूँ तो?’ ऋतु बोली- तो तुम क्या करोगे?
‘नहीं तुम ऐसा नहीं करोगी,’ मैंने कहा- ये एक अच्छा आईडिया है, और इससे किसी का कोई नुक्सान भी नहीं हो रहा है, विशाल और सन्नी तो तुम्हें देख देखकर पागल हो जाते हैं… वो ये सब बाहर बताकर अपना मजा खराब नहीं करेंगे… मेरे और उनके लिए ये सब देखने का ये पहला और नया अनुभव है।

‘और अगर मैंने मना कर दिया तो मैं ये सब नहीं करूंगी और ये छेद भी बंद कर दूँगी और आगे से कभी भी अपने रूम में ये सब नहीं करूंगी… फिर देखते रहना मेरे सपने…’ ऋतु बोली।

‘प्लीज ऋतु…’ मैं गिड़गिड़ाया- ये तो साबित हो ही गया है कि तुम काफी उत्तेजना फील करती हो और अपनी उत्तेजना को शांत करने के लिए अपनी मुठ मारती हो और इस डिल्डो से मजे भी लेती हो। अगर तुम्हें और कोई ये सब करते देखकर उत्तेजना में अपनी मुठ मारता है तो इसमें बुराई ही क्या है… तुम भी तो ये सब करती हो और तुम्हें देखकर कोई और भी मुठ मारे तो इसमें तुम्हें क्या परेशानी है?’

‘मेरे कारण वो मुठ मारते हैं, मतलब विशाल और सन्नी…’ वो आश्चर्य से बोली।
‘मेरे सामने तो नहीं, पर मुझे विश्वास है घर पहुँचते ही वो सबसे पहले अपनी मुठ ही मारते होंगे.’ मैंने कुछ बात छिपा ली।
‘और तुम? क्या तुम भी मुझे देखकर मुठ मारते हो?’
‘हाँ… मैं भी मारता हूँ!’ मैंने धीरे से कहा- मुझे लगता है कि तुम इस दुनिया की सबसे खूबसूरत और आकर्षक जिस्म की मलिका हो।

‘तुम क्या करते हो?’ उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी।
‘मैं तुम्हें नंगी मुठ मारते हुए देखता हूँ और अपने ल… से खेलता हूँ.’ मैं बुदबुदाया।
‘और क्या तुम…’ उसने पूछा- क्या तुम्हारा निकलता भी है जब तुम मुठ मारते हो?
‘हाँ, हमेशा… मैं कोशिश करता हूँ कि मेरा तब तक ना निकले जब तक तुम अपनी चरम सीमा तक नहीं पहुँच जाओ… पर ज्यादातर मैं तुम्हारी उत्तेजना देखकर पहले ही झड़ जाता हूँ.’

‘मुझे इस सब पर विश्वास नहीं हो रहा है.’ ऋतु ने अपना डिल्डो उठाया और उसको वापिस ड्रावर में रख दिया।

‘देखो ऋतु… मैं तुम्हें इसमें से आधे पैसे दे सकता हूँ, बस जरा सोच कर देखो, वैसे भी मेरे हिसाब से ये रूपए तुमने ही कमाए हैं।’
‘हाँ ये काफी ज्यादा पैसे हैं, मैंने तो इतने कभी सपने में भी नहीं सोचे थे।’
‘तुम ये आधे रूपए रख लो और बस मुझे ये बोल दो कि… तुम इस बारे में सोचोगी?’ मैंने कहा।
‘लेकिन सिर्फ एक शर्त पर?’ ऋतु बोली।
‘तुम कुछ भी बोलो?’ मैं ख़ुशी से उछल पड़ा- मैं तुम्हारी कोई भी शर्त मानने को तैयार हूँ।

‘तुम मुझे देखते रहे हो, ठीक!’ ऋतु ने कहा।
‘हाँ तो?’
‘मैं भी तुम्हें हस्तमैथुन करते देखना चाहती हूँ.’ ऋतु बोली- तुम अभी हस्तमैथुन करो… मेरे सामने!’

मैंने कहा- नहीं, ये मैं नहीं कर सकता… मुझे शर्म आएगी…
ऋतु बोली- तो फिर भूल जाओ, मैं इस बारे में सोचूंगी भी नहीं!
मैंने कहा- अगर मैंने करा तो तुम्हारी तरफ से हाँ होगा?
‘हाँ! बिल्कुल’- ऋतु ने अपनी गर्दन हाँ में हिलाई।

मैंने एक और शर्त रखी… कि कभी कुछ भी हो जाए, तुम ये अलमारी का छेद कभी बंद नहीं करोगी।
ऋतु ने कहा- अगर तुम मुझे बिना बताये अपने दोस्तों को यहाँ लाये तो कभी नहीं…
मुझे तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ.

फिर ऋतु ने पूछा- तो क्या तुम अभी मेरे सामने हस्तमैथुन करोगे?
मैंने ‘हाँ’ कह दिया तो ऋतु ने मुस्कुराते हुए कहा- तो ठीक है… फिर शुरू हो जाओ।

आगे की कहानी अगले भाग में। अपने सुझाव मुझे मेल अवश्य कीजिये।
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भाई बहन की चुदाई के सफर की शुरुआत-2

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