भाई बहन की चुदाई के सफर की शुरुआत-7

(Bhai Behan Ki Chudai Ke Safar Ki Shuruat- Part 7)

This story is part of a series:

दोस्तो, मेरी कहानी जिसमें मैंने अपनी सगी बहन को चोदा, के छः भाग आ चुके हैं, मुझे काफी मेल आ रहे हैं, सभी ने मेरी सेक्स कहानी की तारीफ की है पर मैं आपको बता दूं कि यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है.

मेरी बहन और उसकी सहेली मेरे सामने बिल्कुल नंगी बैठी थी. दो नंगी स्कूल गर्ल्स को देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया. मैंने ऋतु की तरफ देखा, उसके चूचों का तो मैं वैसे ही दीवाना था. मुझे अपनी तरफ देखते पाकर उसकी आँखें बंद सी होने लगी और अपनी एक उंगली अपने मुंह में डालकर वो बोली- चलो अब तुम्हारी बारी है.

मैंने एक गहरी सांस लेकर अपना पायजामा और चड्डी नीचे गिरा दी और अपनी टी-शर्ट भी उतार दी. फिर मैंने अपना तना हुआ लंड हाथ में लिया और उसे आगे पीछे करने लगा.
ऋतु ने कहा- इतना दूर नहीं… यहाँ हमारे पास आकर खड़े हो जाओ और फिर हिलाओ.
मैं खिसककर आगे आ गया और अब मेरे पैर बेड से टकरा रहे थे और उन दोनों के नंगे जिस्म आपस में रगड़ खा रहे थे और उन दोनों का चेहरा मेरे लंड से सिर्फ चार या पांच इंच की दूरी पर ही था.

मैं लंड हिलाने लगा. पूजा ने ऋतु की तरफ देखा और वो मुस्कुरा दी. जवाब में पूजा भी मुस्कुरा दी और वो अब अपने सामने के नज़ारे के मजे लेने लगी.

मेरा पूरा ध्यान अब पूजा की तरफ था. वो अपनी आँखें फाड़े मेरे लंड को देख रही थी, उसका होंठ थोड़े से खुले हुए थे, चूचे तन कर खड़े हो गए थे, लगता था वो अपनी सुध बुध खो चुकी है.

मैंने ऋतु की तरफ देखा तो वो बड़े ही कामुक स्टाइल से मेरी ही तरफ देख रही थी. उसका एक हाथ अपनी चूत की मालिश कर रहा था और वो अपने होंठों पर अपनी लाल जीभ फिरा रही थी जैसे वो मेरा लंड चूसना चाहती हो.
पर वो पूजा के सामने मेरा लंड कैसे चूस लेगी.

यही सब सोच सोच कर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मैं छुटने के बिल्कुल करीब पहुँच गया. ऋतु को शायद इस बात का अंदाजा हो गया था, वो थोड़ी और आगे खिसक आई.
साली मेरे रस की भूखी!
और मेरे लंड ने अपना रस उबाल कर बाहर उड़ेलना शुरू कर दिया.

मेरी पहली धार सीधे ऋतु के चेहरे से टकराई और वो थोड़ा पीछे हटी और फिर दूसरी धार सीधे पूजा के खुले हुए मुंह के अन्दर और तीसरी और चोथी उसके गालों और माथे पर जा लगी.
फिर मैंने थोड़ा लेफ्ट टर्न लिया और बाकी की बची हुई पिचकारी अपनी बहन के चेहरे पर खाली कर दी.

पूजा तो अवाक रह गई.. जब मैंने अपना वीर्य उसके मुंह में डाला पर जब उसने अपना मुंह बंद करके स्वाद चखा तो उसे साल्टी सा लगा और वो उसे निगल गई.

पूजा ने शायद सोचा की इसका स्वाद ऋतु के रस से थोड़ा अलग है पर टेस्टी है तो फिर उसने अपने चेहरे से बहते हुए रस को अपनी उँगलियों से समेटा और निगल गई. पूजा ने देखा कि ऋतु बड़े मजे से अपना मुंह खोलकर मेरी धारें अपने चेहरे और मुंह पर मरवा रही है और बड़े मजे से पी भी रही है.

मेरा लंड धीरे से मुरझाने लगा और ऋतु ने पूजा की तरफ देखा और उसे गले से लगा लिया और बोली- देखा कितना मजा आया… कितना उत्तेजक था.
यह बोल कर ऋतु अपने चेहरे पर बचा हुआ रस चाटने लगी.
पूजा- हाँ… बड़ा ही मजेदार था, मुझे भी देखने में काफी अच्छा लगा.
ऋतु- क्या तुम्हें इसके रस का स्वाद पसंद आया?
पूजा शर्माते हुए- हाँ… ठीक था.

ऋतु- चलो फिर मेरे चेहरे से सारा रस चाट कर इसे साफ़ कर दो… जल्दी!
पूजा ने सकुचाते हुए कहा- ठीक है.
और अपनी लम्बी जीभ निकालकर ऋतु का चेहरा चाटना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर में वो बिल्कुल साफ़ हो गया और पूजा चटखारे लेते हुए पीछे हो गई.

मैंने अपने मुरझाये हुए लंड को निचोड़ कर आगे किया और उसके सिरे पर बड़ी सी वीर्य की बूंद चमकने लगी तो मैंने दोनों से कहा- अब इसका क्या होगा?
ऋतु- पूजा तुम चाट लो इसे!
पूजा घबराते हुए बोली- मैं… नहीं मैं कैसे!?!
मैं- जल्दी करो… नहीं तो मैं जा रहा हूँ.

ऋतु- अरे चलो भी पूजा, अब क्यों शरमा रही हो… चूस लो.
पूजा- नहीं मैं नहीं कर सकती.
ऋतु- बिल्कुल कर सकती हो!
और उसने पूजा का चेहरा पकड़ कर आगे किया और दूसरे हाथ से मेरा लंड पकड़ कर उसके मुंह में डाल दिया.

मैंने महसूस किया कि पूजा के होंठ मेरा लंड मुंह में लेते ही बंद हो गए और उसकी जीभ मेरे लंड के सिरे को कुरेदने लगी. एक दो बार चाटने के बाद उसने मेरे लंड को बाहर निकाल दिया.
ऋतु ने पूछा- कैसा लगा?

पूजा बोली- मजेदार… काफी नर्म और गर्म है ये तो… मुझे नहीं लगता ये जल्दी पहले जैसा कड़ा हो सकेगा.
मैंने कहा- थोड़ा और चूसो… तब बोलना!
ऋतु ने भी उसे उकसाते हुए कहा- हाँ हाँ चलो थोड़ा और चूसो पूजा… देखते हैं क्या होता है.

पूजा ने अपना मुंह जल्दी से खोला और मैंने आगे बढ़कर उसका मुख अपने लंड से भर दिया. वो उसे अब पहले से ज्यादा तेजी से चूसने लगी और अपनी जीभ का भी इस्तेमाल कर रही थी और अपने दूसरे हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर हलके से दबा भी रही थी.

मेरे लंड ने विशाल रूप लेना शुरू कर दिया. मैंने पूजा को धक्का देकर बेड पर लिटा दिया. मेरा लंड अभी भी उसके मुंह में था और मैं उसके सख्त और गद्देदार चूचों पर हल्के भार से बैठ गया.
पीछे से ऋतु ने बिना कोई वक़्त गवाएं झुक कर अपना चेहरा उसकी काली चूत पर टिका दिया और चूसने लगी.

मैं अपने लंड से पूजा का मुंह चोद रहा था और ऋतु अपनी जीभ से उसकी चूत.
पूजा के लिए ये बहुत था, वो बेड पर लेटी हुई मचलने लगी और अपने एक हाथ से मुझे और दूसरे से ऋतु को धक्का देने लगी पर ऋतु ने उसकी दोनों टांगों को इस तरह से जकड़ रखा था कि वो छुड़ा ही नहीं पाई और मैं तो उसके चेहरे पर बैठा था और मेरे वजन को हटा पाना उसके बस का नहीं था.

पूजा सिसकार उठी… उसके शरीर में तरंगें उठने लगी और फिर उसे ऐसा लगा कि पूरे शरीर में करंट लग गया है. वो अकड़ गई और उसकी चूत हवा में उठ गई और वो झड़ने लगी और उसकी चूत में से रस दनादन बहकर बाहर आने लगा.

ऋतु ने उसे फिर भी नहीं छोड़ा और पूजा के उठते हुए चूतड़ों के साथ वो भी उठ गई और रसपान जारी रखा. ऋतु ने पीछे से एक हाथ आगे करके मेरी गांड में उंगली डाल दी. मेरे लिए यह काफी था, मेरा भी लंड अपना रस छोड़ने लगा और पूजा ने भी कोई गलती नहीं की और वो भी मेरा सारा रस पी गई.

जब सब कुछ शांत हो गया तो मैं उसके ऊपर से हट गया. ऋतु ने भी उसकी चूत से अपना मुंह हटा लिया और खड़ी हो गई.

ऋतु का पूरा चेहरा पूजा के रस से भीगा हुआ था. पूजा का चेहरा भी लाल सुर्ख हुआ पड़ गया था पर उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी.
मैंने कहा- वाह… ये तो बहुत ही मजेदार था, मुझे तो काफी अच्छा लगा.
पूजा ने भी खुश होते हुए कहा- मुझे तो ये विश्वास ही नहीं हो रहा है कि हमने ये सब किया.

मैंने कहा- हाँ… बहुत मजेदार था.
और आगे बढ़ कर पूजा के होंठों को चूम लिया.

मेरे चूमते ही पूजा ने अपने हाथ मेरी गर्दन के चारों तरफ लपेट दिए और मुझे फ्रेंच किस करने लगी. उसके अधीर होठों ने मेरे होंठ पकड़ लिए और चूसने लगी. पूजा के होंठ काफी गर्म थे और उसकी जीभ मेरे मुंह के अन्दर जाकर मेरी जीभ को चाटने लगी.

पूजा के कठोर चूचे मेरे नंगे सीने से टकरा रहे थे. मेरा एक हाथ अपने आप उन पर चला गया. वो थोड़ा पीछे हुई और हम दोनों बेड पर गिर पड़े और उसका नाजुक सा शरीर मेरे नीचे मचलने लगा.

ये सब देखकर ऋतु आगे आई और हमें अलग करते हुए कहा- चलो चलो, बहुत हो गया. आज के लिए इतना ही काफी है. और भैया तुम अपने रूम में जाओ अब!
मैंने अनमने मन से अपने कपड़े पहने और अपने रूम में आ गया और छेद से देखने लगा.

ऋतु ने एक छलांग लगाकर अपना चेहरा पूजा की चूत पर टिका दिया था और अपनी चूत उसके चेहरे पर और फिर दोनों 69 के आसन में एक दूसरे की चूत को चूसने लगी.
मैंने भी अपना लंड निकालकर हिलाना शुरू कर दिया और सोचने लगा कि काश मैं भी वहीं पर होता!

पर जल्दी ही सभी झड़ गए और सोने चले गए.

अगली सुबह जब मैं उठा तो मैंने भाग कर अपनी आँख छेद पर लगा दी. मैंने देखा कि वो दोनों उठ चुकी हैं और दोनों के मुंह एक दूसरी की चूत में चिपके हुए हैं.
मैं अपने रूम से निकला और चुपके से उनके रूम में दाखिल हो गया.

ऋतु का चेहरा दरवाजे की तरफ था और वो पूजा के ऊपर लेटी हुई थी. पूजा का चेहरा ऋतु की मांसल जांघों के बीच पिस रहा था. ऋतु बड़ी बेरहमी से अपनी चूत पूजा के मुंह पर रगड़ रही थी. पूजा भी उसकी चूत चाटने में और अपनी चटवाने में व्यस्त थी.

मैं थोड़ा आगे आया और बेड के पास आकर खड़ा हो गया. ऋतु को मेरे आने का आभास हो गया और उसने चेहरा उठाकर मुझे देखा और मुस्कुरा दी. मैंने भी मुस्कुराते हुए अपना पायजामा नीचे गिरा दिया और अपना खड़ा हुआ लंड उसे दिखाया.

मैं अपने घुटनों के बल बैठ गया और अपना मुंह पूजा की चूत पर टिका दिया. ऋतु अपने एक हाथ से पूजा की चूत का दाना मसल रही थी और मैं पूजा की रसीली चूत को साफ़ करने में लग गया.
अपनी चूत पर हुए अलग तरह के हमले से पूजा सिहर उठी और उसने भी ऋतु की चूत पर दोगुने जोश से हमला बोल दिया और फिर दोनों झड़ने लगी.

मैंने अपने मुंह पर पूजा के रस का सैलाब महसूस किया और उसे पीने में जुट गया. पूजा भी ऋतु के रस से नहा चुकी थी और अपने मुंह से उसकी चूत को चाटने में लगी हुई थी. ऋतु झड़ कर साइड में हो गई पर मैंने पूजा की चूत को नहीं छोड़ा.

पूजा ने नोट किया कि ऋतु तो उसके ऊपर से उतर चुकी है फिर भी उसकी चूत पर किसी का मुंह लगा हुआ है तो वो झटके से उठी और मुझे देखकर उछल पड़ी और बोली- अरे तुम… तुम्म कब आये? और ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- नाश्ता!

तभी ऋतु ने पूजा की तरफ देखकर कहा- चलो भैया का लंड चूसती हैं.
और मेरे सामने आकर बैठ गई, अपना मुंह खोलकर मेरे फड़कते हुए लंड को अपने मुँह के अन्दर ले लिया और उसे चूसने और चाटने लगी.

पूजा बड़ी हैरानी से ये सब देख रही थी, उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ऋतु अपने सगे भाई का लंड इतने मजे से अन्दर ले रही है और वो अपना मुंह फाड़े ये सब अनहोनी होते देख रही थी.

ऋतु ने मेरे लंड के सिरे पर अपनी जीभ फिराते हुए पूजा से कहा- अरे देख क्या रही हो… इधर आओ और मेरी मदद करो.
पूजा थोड़ी हिचकिचाई पर मेरे लम्बे लंड को देखकर उसके मुंह में भी पानी आ गया और वो भी नंगी उठ कर ऋतु के साथ ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गई और दोनों ने एक साथ मेरे लंड को सताना शुरू कर दिया.
दोनों बारी-बारी से मेरे पप्पू को अपने मुंह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी. फिर उन्होंने दोनों तरफ से मेरे लंड के चारों तरफ अपने रसीले होंठ फेरने शुरू कर दिए. उनके गीले होंठों के बीच मेरा लंड पिस कर रह गया.

वो दोनों मेरे लंड को बाँसुरी की तरह बजा रही थी और मेरे लंड को अपने मुंह में रखकर दोनों ने फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया. मेरी तो टांगें ही कांपने लगी क्योंकि जिस तरह का इलाज वो दोनों मेरे लंड को दे रही थी… वो मुझसे सहन नहीं हुआ और मेरे लौड़े ने अपना गर्म लावा उगलना शुरू कर दिया.

दोनो में होड़ लग गई कि कौन ज्यादा से ज्यादा मेरा रस पीती है और इस तरह मेरी एक-एक बूंद निचोड़ ली कमीनियों ने… मेरा लंड मुरझा कर उनके होंठों से निकल कर बाहर आ गया पर फिर भी दोनों ने अपनी किस नहीं तोड़ी. वो शायद एक दूसरे के मुंह में मेरा रस ढूंढ रही थी.

मैंने धीरे से कहा- मैं चलता हूं अब!
और अपना पायजामा ऊपर करके बाहर निकल गया पर वो दोनों अभी भी एक दूसरी में व्यस्त थी.

नीचे नाश्ते पर दोनों बच्चों की तरह व्यवहार कर रही थी, बात बात पर हंस रही थी पर कुछ भी ऐसा बर्ताव नहीं कर रही थी कि हम सबके बीच रात को और सुबह में क्या-क्या हुआ.
मैं मन ही मन मुस्कुरा रहा था कि जैसा हमने सोचा था, सब वैसा ही हुआ बल्कि उससे भी अच्छा हुआ क्योंकि पैसों के साथ साथ पूजा ने मेरा लंड भी चूसा और अपनी चूत भी चुसवाई.
मुझे आज अपने आप पर गर्व हो रहा था.

शाम को मैं और ऋतु अपने कमरे में बैठ कर आगे के बारे में बातें कर रहे थे. मैंने ऋतु से कहा- मैं अपने दोस्तों को तुम्हारा और पूजा का शो दिखाने के ज्यादा पैसे चार्ज कर सकता हूँ या फिर दूसरा आप्शन यह है कि ऋतु अपनी चूत मेरे दोस्तों से चटवा ले.
ऋतु ने भी कहा कि क्यों न वो अपनी दूसरी सहेलियों को भी मेरा हस्तमैथुन करता हुआ शो दिखाए या फिर मैं उसकी सहेलियों की चूत चाटूं!
मैंने कहा- मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है.

ऋतु बोली- या फिर मुझे लगता है कि हमें दोनों काम करने चाहियें… हमें तो पैसों से मतलब है फिर जहाँ से मर्जी आयें… है न?
मैंने सोचते हुए कहा- ह्म्म्म… हाँ!
मैंने ऋतु से पूछा- पर क्या पूजा इन सबके लिए राजी होगी?
ऋतु ने हंसते हुए कहा- अगर तुम उसकी चूत फ्री में चाट कर झाड़ दो तो जरूर राजी हो जाएगी.

रात को डिनर के टाइम पापा ने एलान किया कि इस बार वो दोनों हमें भी अपने साथ जंगल कैंप पर ले जायेंगे क्योंकि पिछले साल भी कुछ लोग अपने बच्चों को लेकर आये थे. तो वो भी अपने बच्चों को अपने साथ लेकर जाना चाहते हैं.
साथ ही उन्होंने बताया कि उनका छोटा भाई अजय और उनकी पत्नी आरती, अपनी बेटी नेहा को भी साथ ला रहे हैं.

चाची के बारे में सुनकर मैं खुश हो गया. हम काफी समय से उनसे नहीं मिले थे, वो काफी आकर्षक थी… खासकर उनकी चूचियाँ बड़ी-बड़ी और उठी हुई थी. नेहा भी जवान हो गई थी. मैंने उसे भी काफी समय से नहीं देखा था. मैं मन ही मन उन दोनों को सोचकर खुश होने लगा.
ऋतु ने ख़ुशी के मारे उछलते हुए कहा- अरे वाह… क्या सच में आप हम दोनों को अपने साथ लेकर चलोगे?
पापा (संदीप) ने अपनी पत्नी यानि कि हमारी मम्मी पूर्णिमा की तरफ देखते हुए कहा- हाँ… बिल्कुल!
मैंने उठ कर पापा के गले लग गया- ओह्ह पापा यू आर ग्रेट!

ऋतु भी उठी और हम दोनों से लिपट गई. मेरा हाथ सीधा ऋतु की गांड से टकराया और मैं उसे दबाने लगा. मम्मी भी आकर हमारे साथ बीच में घुस गई. अब मेरे दूसरी तरफ मम्मी थी और मेरा हाथ सीधा उनकी नंगी कमर पर था. उन्होंने साड़ी पहन रखी थी. मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई अपनी माँ की नंगी कमर को पकड़ने मात्र से!

उस रात मैंने और ऋतु ने कुछ नहीं किया और सो गए.

अगले दिन ऋतु को स्कूल छोड़ने जाते समय मैंने उससे आगे के लिए बात की. हम सोच रहे थे कि जाने से पहले कैसे ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाए जाएँ. हम दोनों ने निष्कर्ष निकाला कि हम अपने दोस्तों से बात करेंगे और देखेंगे कि क्या हो सकता है.

शाम को मैंने ऋतु को बताया कि मैंने सन्नी और विकास से बात कर ली है और वो ऋतु और पूजा को एक साथ नंगी देखने के लिए ढाई हजार देने को तैयार हैं यानी एक शो के पांच हजार रूपए! और साथ ही साथ ये भी कहा है कि अगर वो ऋतु की चूत भी चाटना चाहते हैं तो उसके पांच हजार रूपए अलग लगेंगे.

उन दोनो ने पहली बात तो झट से मान ली पर पाँच हजार का नाम सुनकर बोले कि ये तो बहुत ज्यादा है, वो फिर कभी कर लेंगे. अभी तो सिर्फ दो नंगी लड़कियों को नंगी देखना चाहते हैं.
ऋतु बोली कि उसने भी एक-दो लड़कियों से बात की है पर किसी ने अभी तक पक्का नहीं किया है.

हमने तय किया कि अगले दिन दोपहर को स्कूल से आने के बाद हम ये शो करेंगे… मम्मी पापा के आने से पहले.

ये सब बातें करते करते हम दोनों काफी उत्तेजित हो चुके थे. मैंने उसकी स्कर्ट को उठाया और उसे डायनिंग टेबल के ऊपर झुकाकर उसकी कच्छी उतार दी और अपना मुंह उसकी रस टपकती चूत पर टिका दिया.
ऋतु मचल पड़ी और उसके मुंह से सिसकारी फूट पड़ी- आआह… म्म्म्म ममम… जोऊऊर… से ए ए… आआहहह!

मेरी लम्बी जीभ ऋतु की चूत कुरेदने में लग गई. मैंने हाथ ऊपर करके उसकी शर्ट के बटन खोल दिए और झटके से उसके कंधों से शर्ट के साथ साथ उसकी ब्रा के स्ट्रेप भी उतार दिए. उसके गोरे चूचे बाहर उछल पड़े.

फिर ऋतु आगे की तरफ झुक कर टेबल पर आधी लेट गई. टेबल का ठंडा कांच उसके चूचों को मसल रहा था और उसके शरीर में सिहरन दौड़ा रहा था. उसकी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि मैं सारा रस पी ही नहीं पा रहा था. उसका रस बहकर जांघों से होता हुआ नीचे तक जा रहा था.

मैंने उसका रस टांहों के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया. उसकी टाँगें रस से भीगकर लसीली हो चुकी थी. फिर मैंने अपनी जीभ से उसकी टाँगें चाटना शुरू कर दिया तो वो पागल ही हो गई, उसे गुदगुदी भी हो रही थी. उसने पलटकर मेरी तरफ मुंह किया और मेरा सर पकड़ कर जोर से चीख मारने लगी- ईईईई… क्याआआ… कर.. रहे होओ?

मैंने टाँगे चाटते हुए उसका पैर उठाकर अपने चेहरे के सामने किया और उसकी पैर की छोटी-छोटी उँगलियों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा. वो उत्तेजना के मारे दोहरी हो गई और उसने उसी पैर को मेरे सीने पर दबाव देते हुए मुझे नीचे जमीन पर लिटा दिया और उछल कर मेरे मुंह पर बैठ गई और दूसरी तरफ झुककर मेरे लंड को आजाद किया और चूसने लगी.

मेरे लिए अब सहन करना मुश्किल हो रहा था, मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया.. वो समझ गई और अपने होंठ मेरे मुंह में देते हुए अपनी चूत मेरे लंड पर टिका दी और फिर जोरदार धक्कों के साथ मैंने अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया.

हम दोनों के मुंह से ‘गूंन्न… गूंन…’ की आवाज निकली और मैंने नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए. जल्दी ही मैं झड़ने के कगार पर आ गया, मैंने अपना चुम्बन तोड़ा और ऋतु से कहा- मैं झड़ने वाला हूँ ऋतु, अपना मुँह खोलो!

ऋतु फिर पहली जैसे अवस्था में आ गई और अपनी गीली चूत मेरे मुंह में डालते हुए मेरा रसीला और अपने ही रस में डूबा लंड चूसने और चाटने लगी. मेरे लंड ने जल्दी ही फायरिंग करनी शुरू कर दी.
‘माआआआ… आआ आआआह…’ और वो सब कुछ निगलती चली गई.
मेरा मुंह भी उसके काम रस से लबालब भर गया और हम गहरी साँसें लेते हुए वहीं आधे नंगे लेटे रहे.
इस तरह मैंने अपनी बहन को चोदा.

तभी मैंने मम्मी की कार की आवाज सुनी और हमने जल्दी से अपने कपड़े समेटे और ऊपर की तरफ भाग गए.

बेल की आवाज सुनकर मैं सिर्फ अपनी शोर्ट्स जल्दी से पहन कर नीचे आया और दरवाजा खोला. मैंने ऊपर कुछ नहीं पहन रखा था. मम्मी ने मेरा गठीला शरीर देखा और बोली- ऐसे क्यों घूम रहे हो?
तो मैंने कहा- मम्मी, अपने रूम में कसरत कर रहा था.

मम्मी ने ऋतु के बारे में पूछा तो मैंने कहा शायद वो अपने रूम में पढ़ाई कर रही है.
और फिर भाग कर ऊपर अपने कमरे में आ गया, छेद में से झांक कर देखा तो ऋतु कपड़े बदल रही थी नीचे जाने के लिए.

आगे की कहानी अगले भाग में.

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