भाई बहन की चुदाई के सफर की शुरुआत-5
(Bhai Behan Ki Chudai Ke Safar Ki Shuruat- Part 5)
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दोस्तो, मेरी कहानी के चार भाग आ चुके हैं और अभी आप पांचवां भाग पढ़ने जा रहे हैं. पर मैं आपको बता दूँ कि यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है।
अब कहानी पर आते हैं:
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपनी बहन को चोदा पहली बार और मेरी बहन अगली सुबह जल्दी उठ कर चुदाई करने को कह गई.
अगले दिन सुबह मेरी नींद जल्दी ही खुल गई और मैंने जब छेद से ऋतु के रूम में देखा तो वहाँ अँधेरा था. मैं दबे पांव उसके रूम में गया और उसके बेड के किनारे जाकर खड़ा हो गया. थोड़ी देर बाद अँधेरे में अपनी आँखें जमाने के बाद मैंने देखा कि ऋतु अपनी चादर से बाहर निकल कर सो रही थी. https://www.antarvasna3.com/bhai-bahan/ghar-me-behan-ke-sath-rangin-raten/मेरी बहन एकदम नंगी थी, उसकी दोनों टांगें फैली हुई थी जिसकी वजह से मेरी बहन की चूत अलग ही चमक रही थी.
मेरा लंड यह नजारा देख कर फुफकारने लगा. मैंने फुर्ती में अपने कपड़े उतारे और उसकी खुली हुई टांगों के बीच कूद गया.
मैंने अपना मुंह जैसे ही उसकी चूत पर टिकाया, उसके शरीर में एक सिहरन सी हुई और उसकी नींद खुल गई.
जब उसने मुझे अपनी चूत चाटते हुए देखा तो वो सब समझ गई और उसके मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी. ऋतु सिसकारती हुई बोली- म्म्म्म म्म्म… आआ आआआह आआ… गुड मोर्निंग.. रोहन!
मैंने उसकी रसीली चूत से अपना मुंह ऊपर उठाया और बोला- गुड मोर्निंग!
हमेशा की तरह उसकी चूत में से ढेर सारा रस बहने लगा और मैं चटखारे लेकर उसे पीने लगा. ऋतु ने मेरे बाल पकड़ लिए और मुझे ऊपर की तरफ खींचने लगी. मैं ऊपर खिसकते हुए उसकी नाभि, पेट और फिर मोटे-मोटे चूचों पर किस करता चला गया और अंत में उसके होठों ने मुझे ऐसे जकड़ा कि मेरे मुंह से भी आह निकल गई.
मैंने अपने दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़ लिया और चूम चूमकर उसे गीला कर दिया. उसने अपना हाथ हम दोनों के बीच डाला और मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत के मुहाने पर रख दिया. बाकी काम मैं जानता था और एक तेज धक्के से मैंने अपना सात इंच लम्बा लंड उसकी गर्म चूत में डाल दिया. उसकी आँखें उबल कर बाहर आने को होने लगी पर फिर कुछ झटकों के बाद वही आँखें मदहोश होने लगी और उसके मुंह से तरह तरह की आवाजें आने लगी- आअअ अअहह… चोदो… मुझए… मुझे तुम्हारा लंड रोज चाहिए…. आअहहह… जोर से और जोऊर से!
मैंने अपना मुंह ऋतु के मुंह से जोड़ दिया और उसकी जीभ चूसने लगा. कुछ देर बाद मैं झड़ने के करीब था. मेरे मुंह से एक भारी हुंकार निकली, ऋतु समझ गई और उसने हमारी किस तोड़ते हुए मेरा लंड बाहर निकाला और बेड के किनारे पर लेट कर मेरा गीला लंड अपने मुंह में ले लिया.
मैं अब तेजी से अपना लंड उसके मुंह में आगे पीछे करने लगा और अब मैं उसका मुंह चोद रहा था.
वो भी मेरे लंड को अन्दर तक ले जा रही थी जो उसके गले के अंत तक जाकर उसकी दीवारों से टकरा रहा था. मैंने जल्दी ही झड़ना शुरू कर दिया और अपने गर्म वीर्य की धारें ऋतु के गले में छोड़ने लगा.
वो मेरे वीर्य की हर बूँद चटखारे लेकर पी गई.
फिर ऋतु ने मुझे धक्का दिया और मेरे मुंह के ऊपर आकर बैठ गई. उसकी चूत ने मेरे होंठों को ढक लिया. मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाली और उसे चूसना शुरू कर दिया और जल्दी ही उसका रस बहकर मेरे मुंह में आने लगा और वो हल्के से चिल्ला कर झड़ने लगी.
झड़ने के बाद ऋतु उठी और फिर हम दोनों ने काफी देर तक एक दूसरे की किस ली. फिर उसने किस तोड़ी और बोली- अब तुम जल्दी से अपने रूम में जाओ. इससे पहले कि मम्मी पापा उठ जाएँ… और कॉलेज भी तो जाना है ना तुम्हें, मुझे भी स्कूल के लिए तैयार होना है.
मैं- ओह्ह मैं तो भूल ही गया था… मुझे तो बस आज रात का इन्तजार है.
ऋतु- मुझे भी!
फिर मैंने अपने कपड़े पहने और रूम में जाकर तैयार हुआ.
नाश्ता करते हुए ऋतु ने सबको बता दिया कि आज रात उसकी फ्रेंड पूजा रात को यहीं रुकेगी.
कॉलेज जाकर मेरा मन सारा दिन कहीं नहीं लगा, मुझे तो बस शाम का इन्तजार था.
मैं कॉलेज से जल्दी घर आ गया. घड़ी देखी तो तीन बजने वाले थे और ऋतु साढ़े तीन बजे तक स्कूल से आती थी. मैं अपने रूम में जाकर उसका इन्तजार करने लगा.
कुछ देर बाद ऋतु और पूजा घर आ गई. मैंने छेद से देखा तो दोनों अपने रूम में बैठकर बातें कर रही थी. वो पूजा को बता रही थी कि कैसे वो रोज मुझे छेद के जरिये मुठ मारते हुए देखती है और अगर वो भी देखना चाहती है तो उसे एक हजार रूपए देने होंगे.
पैसों का नाम सुनकर पूजा ऋतु को हैरानी से देखने लगी.
पर जब ऋतु बोली- अगर तुम्हें लगे कि यह ‘शो’ अच्छा नहीं हैं तो तुम पैसे मत देना.
कुछ सोचने के बाद वो मान गई क्योंकि उसने भी आज तक कोई असली लंड नहीं देखा था.
मैंने घड़ी की तरफ देखा तो चार बजने वाले थे. मैं अपने बेड पर आकर बैठ गया और संकुचाते हुए अपनी जींस और चड्डी को उतार दिया और मुठ मारना शुरू किया.
दूसरे रूम में से जब ऋतु ने देखा कि मैंने अपनी जींस उतार दी है और मुठ मारना चालू कर दिया है तो उसने पूजा को बुलाया और उसे छेद में से देखने को कहा.
छेद से झाँकने के बाद पूजा ने धीरे से कहा- वाव… ऋतु, तुम्हारे https://www.antarvasna3.com/koi-mil-gaya/koi-mil-gaya-bhai-ka-karnama/भाई का लंड तो काफी बड़ा है और सुन्दर भी!
ऋतु- हाँ शायद… क्योंकि मैंने कभी और किसी का लंड तो देखा नहीं है… ले दे के सिर्फ अपना डिल्डो ही है जिससे हम भाई के लंड को तौल सकते हैं.
और दोनों हंसने लगी.
मुझे इस बात का आभास हो गया था कि छेद से मेरी बहन और और उसकी सहेली बारी-बारी से मुझे देख रही हैं.
पूजा ने गहरी सांस लेते हुए कहा- ये सच में डिल्डो के मुकाबले कुछ ज्यादा ही है और इसे देखने में भी कितना मजा आ रहा है. लंड के ऊपर की नसें कैसे चमक रही हैं. सच में यह बहुत सुंदर है.
मैं भी अपने रूम में बैठा उत्तेजित होता जा रहा था यह सोच कर कि पूजा और ऋतु मुझे दूसरे रूम से देख रही हैं. मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जब मैं झड़ने वाला था तो थोड़ा सा घूम कर अलमारी की तरफ हो गया और खड़े होकर अपनी धारें मारनी शुरू कर दी.
यह देखकर दूसरे रूम में पूजा आश्चर्यचकित रह गई और वो बोली- हाय… वो तो खड़ा हो गया है और अब उसका लंड मेरे बिल्कुल सामने है… वाव… अब उसके लंड में से रस निकल रहा है… कितना सुन्दर दृश्य है… मजा आ गया.
मैंने गहरी साँसें लेते हुए झड़ना बंद किया और बेड पर लेट गया और सोचने लगा ‘काश पूजा मेरे सामने होती तो मैं उसके चेहरे के भाव देख सकता!’
दूसरे रूम में पूजा ने उछलते हुए ऋतु को गले से लगा लिया और उसके होंठों को चूम लिया और बोली- मैंने इससे ज्यादा सुन्दर चीज आज तक नहीं देखी, मेरी तो चूत से पानी निकलने लगा है, निप्पल खड़े हो गए हैं… ये देख!
और उसने ऋतु का एक हाथ अपनी चूची पर और दूसरा सीधे अपनी चूत पर टिका दिया।
ऋतु दोनों चीजें अपने हाथ में लेकर दबाने लगी और पूजा से पूछा- मतलब तुम मानती हो न कि यह शो एक हजार रूपए का था.
पूजा कुछ नहीं बोली और सीधे अपने पर्स में से एक हजार रूपए निकाल कर ऋतु को दे दिए और बोली- बिल्कुल था… ये लो!
और आगे बोली- काश! ये सब मुझे बिल्कुल मेरे सामने देखने को मिल जाए तो मजा ही आ जाए.
आगे की कहानी अगले भाग में… आप अपने विचार मुझे मेल कर सकते हैं साथ ही इंस्टाग्राम पर भी जोड़ सकते हैं.
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