भाई बहन से प्रेमी प्रेमिका बन गए -1

(Bhai Bahan Se Premi Premika Ban Gaye -1)

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मेरा नाम विनय गुप्ता है। मैं अम्बिकापुर, छत्तीसगढ़ में रहता हूँ। मेरा घर अम्बिकापुर से कुछ दूर गांव में है। मेरी यहाँ अभी अभी नौकरी लगी है, इसलिए मैं यहाँ किराये के घर में रहता हूँ। मेरे माता पिता गांव में रहते हैं।

मैंने आठवीं तक की पढ़ाई गांव के स्कूल से की। इसके बाद मैं पढ़ने के लिए अम्बिकापुर आ गया। अम्बिकापुर में मेरी बुआ का घर था, जो खाली पड़ा था इसलिए फूफाजी ने पापा से कहा कि विनय मेरे घर में रहेगा। इससे घर की देखभाल भी हो जाएगी और हम लोग अम्बिकापुर में कभी आयेंगे तो कुछ दिन साथ में रह भी लेंगे। तो मैं वहीं रहकर पढ़ने लगा।

मेरी बुआ की एक लड़की है ममता, जो बुआ के साथ कभी कभी अम्बिकापुर आती थी और हम सब लोग एक साथ रहते थे।
उसका शुरू से ही मुझसे बहुत लगाव था और मैं भी उसको बहुत चाहता था। उस समय हम दोनों के मन में कोई और भावना नहीं थी। वो जब आती तो मेरे साथ ही रहती थी, हम लोग साथ खाते और साथ में ही सोते थे।

स्कूल के बाद मेरा सिलेक्शन इंजिनियरिंग कॉलेज में रायपुर में हो गया और मैं वहाँ पढ़ने लगा। उस समय भी मेरी ममता से बात होती थी। हमारा प्यार बढ़ता गया और उसका रूप भी बदलता गया और हम भाई बहन से प्रेमी प्रेमिका बन गए।
इसकी शुरुआत भी ममता की तरफ से ही हुई थी, उसने ही मुझसे कहा कि वो अब मुझसे प्यार करती है, जिसे मैंने स्वीकार कर लिया।

फिर ममता का चयन मेडिकल कॉलेज इंदौर में हो गया। वहाँ जाने के बाद भी वह मुझसे बात करती थी, हम दोनों का प्यार बढ़ता गया, हम मोबाइल पर घंटों प्यार भरी बातें करते, वो फ़ोन पर ही मुझे किस करती और बहुत प्यार करती।
हमारी बातें फ़ोन सेक्स तक पहुँच गईं, लेकिन हमारा मिलना नहीं हो पाता था, इसलिए हम आगे कुछ नहीं कर पाते थे।

पिछले साल से मेरी नौकरी लगने के बाद मैं अम्बिकापुर में रहने लगा। अब हम दोनों मिलने का प्लान बनाने लगे, उसे दिवाली की छुट्टी में घर आना था, तो हमने सोचा कि वह घर में जो दिन बताएगी उससे एक दिन पहले आ जाये और एक दिन अम्बिकापुर में मेरे साथ रह कर गांव चली जाएगी।

उसके बाद की सारी रातें हमने प्यार की बातें करते और आने वाली रात की कल्पना में बिता दीं। वो पूछती आप मुझसे कैसे प्यार करोगे और मैं उसे अपने होने वाले प्यार के कल्पना में डूबा देता।

हमारे मिलन का दिन आ गया

आखिर हमारे मिलन का दिन भी आ गया, उसकी ट्रेन रत को आठ बजे अम्बिकापुर पहुंची, मैं पहले से वहाँ उसे लेने के लिए गया हुआ था।
वो आई तो मैं उसे देखता ही रह गया… नीली जींस और सफ़ेद टॉप में क़यामत लग रही थी, मेरा मन तो हो रहा था कि उसे देखता ही रहूँ लेकिन मैंने सोचा कि अब तो सारी रात देखना ही है, तो मैं उसको लेकर अपने कमरे में आ गया।

कमरे में आते ही वो मुझसे ऐसे लिपट गई जैसे कभी अलग नहीं होगी।
मैं उसके नाजुक होठों को चूमने लगा, थोड़ी देर चूमने के बाद मैंने कहा कि पहले खाना खा लेते हैं फिर तो हमारे पास पूरी रात और दिन है।

खाना खाने के बाद हम वापस कमरे में आये और बैठ कर प्यार भरी बातें करने लगे।
ममता ने कहा- जान, आज मुझे इतना प्यार करो कि मैं हमेशा के लिए तुम्हारी बन जाऊँ और यह रात हमारे लिए यादगार बन जाये।
मैं उसे अपनी बाँहों में लेकर चूमने लगा, उसके होंठ ऐसे लग रहे थे कि मैं रात भर उनका रस पीता ही रहूँ।

वो भी मुझे ऐसे चूम रही थी कि मुझसे भी अधिक प्यासी है।
ममता की बड़ी बड़ी कोमल चूचियाँ मेरे सीने में गड़ सी गईं और मुझे बहुत मज़ा आने लगा। अपने होंठ मैंने उसके गले पर टिका दिए और हाथ उसकी चूचियों पर…
उसकी सांसें भी तेज होने लगीं और वो मुझे चूमे जा रही थी।

मैं मस्त होकर उसकी चूचियों का मर्दन करने लगा। क्या चूचियाँ थीं… जैसा मैं सोच रहा था उससे भी कहीं ज्यादा मस्त!
मैंने उसकी एक चूची को बाहर निकाल लिया और दबाने लगा।

‘प्लीज जानू, लाइट बंद कर दो… मुझे शर्म आएगी… प्लीज बंद कर दो !’ ममता जोर जोर से सांस लेते हुए मुझसे कहने लगी।

‘नहीं मेरी जान, प्लीज ऐसा मत करो… मुझे तुम्हारी पूरी खूबसूरती देखनी है… मैं तुम्हारे जवान जिस्म को जी भर के देखना चाहता हूँ।’ मैंने ममता को वापस अपनी तरफ खींचते हुए कहा।

उसकी आँखों में देखते हुए उसके टॉप को अपने दोनों हाथों से ऊपर करने लगा और उतार दिया, फिर मैंने उसकी जींस भी उतार दी।
काली ब्रा और पैंटी में वो इतनी सेक्सी लग रही थी कि मत पूछो… मैं उसे फिर से चूमने लगा और चूमते चूमते मैंने उसकी ब्रा का हुक खोलकर उसे उतार दिया।
उसकी चूचियाँ मेरे दबाने की वजह से लाल हो गईं थीं और उसके निप्पल एकदम तन से गए थे। मेरी जुबान अपने आप बाहर आ गई और मैंने अपनी जुबान उसकी निप्पल पर रख दिया।
मैंने अपनी जुबान बारी बारी से उसके दोनों निप्पल पर फिराई और फिर उसे अपने होठों के बीच ले लिया और किसी चॉकलेट की तरह चूसने लगा।

मैं अपने पूरे जोश में भर कर उसकी एक चूची को अपने हाथों से मसलने लगा और एक हाथ नीचे ले गया। मैंने अपनी एक हथेली से उसकी चूत को पैंटी के अन्दर से ही सहलाना शुरू किया।
उसने मज़े में अपनी टाँगें थोड़ी चौड़ी कर लीं ताकि मैं अच्छे से उसकी चूत को सहला सकूँ।

अब मेरे दोनों हाथों में मज़े ही मज़े थे। एक हाथ उसकी चूचियों को सहला रहा था तो दूसरा उसकी योनि के गीलेपन को महसूस कर रहा था और मुँह में तो उसका चुचूक था ही। कुल मिलाकर मैं अपने होश खोकर पूरा मज़ा ले रहा था।
अब मैंने उसकी दूसरी चूची को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा, पहले वाली चूची को अब हाथों से मसल रहा था, उसकी चूचियाँ अब अपना रंग बदल रही थीं, मतलब और भी ज्यादा लाल हो गई थीं।

मैंने अब अपना ध्यान पूरी तरह से उसकी चूत पर लगाया और उसकी पैंटी को उतार दिया। कमरे की दूधिया रोशनी ने उसकी चूत को और भी हसीन बना दिया था। मैंने अपने होठों पर अपनी जुबान फिराई और अपने होठों को उसकी चूत के दाने के ऊपर रख दिया।

‘आऊऊऊ… हम्मम्म… जानू… ये क्या कर रहे हो, मैं मर जाऊँगी… प्लीज ऐसा मत करो… ह्म्म्म…’ ममता की हालत एक बिन पानी की मछली की तरह हो गई और उसके पाँव कांपने लगे।
उसने अपना हाथ मेरे सर पर रखा और मेरे सर को अपनी चूत पर दबा दिया मानो वो मुझे पूरा अन्दर घुसा लेना चाहती हो।

मैंने अपनी जुबान निकाल कर ऊपर से नीचे तक उसकी चूत को चाटना शुरू किया।
‘हाँ…बस ऐसे ही जानू .. ह्म्म तुमने मुझे पागल कर दिया है…हाँ… ऐसे ही चाटो… उफफ्फ… और अन्दर तक चाटो… घुस जाओ पूरा मेरी चूत में… आज मुझे ज़न्नत दिखा दो…’
‘ह्म्म…ह्म्म… ह्ह्मम्म्म… और और और… हाँ…चाटो…’ममता की आवाज़ तेज़ हो गई और उसके पाँव और ज्यादा कांपने लगे।
उसने अपना हाथ मेरे हाथों से छुड़ा कर मेरा सर पकड़ लिया और जोर जोर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी…
‘आआअह्ह ह्ह… हम्मम्म म्म… बस जानू …अब बस…’ इतना कहते कहते उसने अपनी चूत से ढेर सारा पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया।

मैंने एक एक बूँद अपनी जुबान से चाट कर पी लिया लेकिन मैंने अब भी उसकी चूत को चाटना छोड़ा नहीं था।
ममता ने मेरा मुँह हटा कर अपने हाथों से अपनी चूत को ढक लिया और अचानक से नीचे बैठ गई।

मैं अचानक उसे बैठा हुआ छोड़ कर खड़ा हो गया। मेरे खड़ा होते ही मेरा विकराल लण्ड जिसने की पैंट में तम्बू बना रखा था, उसके सामने ठीक उसके मुँह के पास आ गया।
ममता ने देरी न करते हुए उसे पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया और दबाने लगी।
उसने मेरी पेंट और अंडर वियर उतर दी और मेरे खड़े लंड को दबाने लगी। मेरा लण्ड लोहे की तरह कड़क हो चुका था और उसकी नसें साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थीं।
तभी ममता ने अपने होठों से मेरे लण्ड के सुपारे पर आई बूँद को चूम लिया और दनादन उस पर पप्पियाँ देने लगी। मैं इस अदा से इतने जोश में आगे कि मेरे लण्ड ने दो तीन और बूँदें बाहर निकाल दी जिसे उसने प्यार से चाट लिया।

उसने धीरे धीरे मेरा लण्ड अपने होठों पर रगड़ना शुरू किया और कभी कभी अपना मुँह खोलकर अन्दर लेने की कोशिश भी करने लगी। लण्ड का आकार बड़ा था इसलिए उसे थोड़ी परेशानी हो रही थी लेकिन उसने अपना काम जरी रखा और चाटते सहलाते हुए लण्ड थोड़ा सा अपने मुँह के अन्दर डाल लिया। मेरा सुपारा अब उसके मुँह में था और वो हल्की हल्की ह्म्म की आवाज़ के साथ आगे पीछे करने लगी।
‘इसे तो आज मैं चूस चूस कर खा ही जाऊँगी। बहुत दिन से तड़प रही थी तुम्हारा लण्ड खाने के लिए। लेकिन मुझे डर लग रहा है, तुम्हारा यह मोटा लम्बा लण्ड मेरी छोटी सी मुनिया को फाड़ ही डालेगा…कैसे झेल पाऊँगी इसको…?’

‘अरे मेरी जान तू एक बार इसे चूस चूस कर चिकना तो कर फिर देखना तेरी चूत कैसे इसे अपने अन्दर ले लेती है।’ मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में फ़िर से ठूंस दिया और धक्के मारने लगा।

‘हाँ मेरी जान…हाँ…ऊह्ह …हह्मम्म… और चूसो…और चूसो… मैं आ रहा हूँ…हम्म्म!’ मैंने उसका सर अपने लण्ड पर दबाते हुए कहा। उसने अपने दोनों हाथों से मेरा लण्ड जोर जोर से हिलाना शुरू कर दिया और मेरे लण्ड को चूमने लगी।

‘आःह्ह्ह… ह्म्म्म… आःह्ह्ह…’ और मैंने ढेर सारा माल एक जोरदार पिचकारी के साथ उसके पूरे मुँह पर छोड़ दिया।

ममता ने अपनी आँखें बंद कर लीं और तब तक लण्ड हिलाती रही जब तक उसमें से एक एक बूँद बाहर नहीं आ गई। मैं पूरी तरह से निढाल हो गया और धम्म से पीठ के बल बिस्तर पर गिर पड़ा।
कहानी जारी रहेगी।

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