आपा ने मुझे चुदाई का मजा दिया

(Behenchod Bro Sex Kahani)

आलम अलवर 2024-11-11 Comments

बेहेनचोद ब्रो सेक्स कहानी में पहले तो मेरी बीवी को ठेकेदार और मिस्तरी ने छत पर दिनदिहाड़े खुले में चोदा. उसकी हालत ख़राब हो गयी. उसे देखने मेरी बड़ी बहन आई तो उसने मेरा लंड पकड़ लिया.

नमस्कार दोस्तो, मैं आलम अलवर से एक नई सेक्स कहानी के साथ हाजिर हूँ.

मेरे परिवार का परिचय करवा देता हूँ।

मेरी बड़ी बहन अमीरा, उम्र 32 साल रंग गोरा, पतली कमर और दिखने में कटरीना कैफ.

मेरी मंझली बहन महजबीं उम्र 28 साल है. उसका रंग हल्का सा सांवला है, वह भरे हुए शरीर की मालकिन है और एकदम राखी सावंत जैसी दिखती है.

मेरी भानजी आसमां की उम्र 18 साल है, उसका रंग भी हल्का सांवला है. वह पतले शरीर की है, उसकी आंखें कजरारी हैं … नई नई जवानी चढ़ती हुई वह एक कमसिन माल जैसी है.
उसके बूब्स निम्बू के आकार के हैं और गांड ऐसी लगती है, जैसे पिछवाड़े में छोटे साइज़ के दो गोल तरबूज बाँध लिए हों.

यह मेरी बहन अमीरा की बेटी है.
मेरी अम्मी का अभी कुछ समय पहले ही इंतक़ाल हो चुका है.

पिछली कहानी
अम्मी ने भाई बहन का निकाह करवा दिया
में आपने पढ़ा था कि अम्मी ने हम भाई बहन का निकाह करवा दिया था.

आपने इस सेक्स कहानी में पढ़ा था कि हमारे घर में किस तरह का चुदाई का माहौल है.

अब आगे बेहेनचोद ब्रो सेक्स कहानी:

अम्मी के इंतकाल के बाद घर में हम दो ही रह गए थे.

अमीरा आपा अपने ससुराल चली गईं और मामा हाफ़िज़ सब कुछ बेच कर अपने घर चले गए.

मैं भी अब काम पर जाने लगा था.

हम सुबह दोनों मियां बीवी एक साइट पर काम पर लगे हुए थे.
उस साइट पर ठेकेदार बालम जी थे और कारीगर फत्तन मियां थे.

मैं मसाला बना रहा था और मेरी बहन महजबीं कारीगर के पास मसाला पकड़ा रही थी.
मैं चुपके चुपके सब देख रहा था.

बालम जी मेरी बहन को बार बार छूने की कोशिश कर रहे थे.
मेरी बहन तो पहले से खेली खायी थी; साली एक नंबर की चुदक्कड़ थी.

ठेकेदार बालम जी के छूने पर वह मुस्करा देती और हल्की सी आंखें मटका देती थी.
बालम जी मेरी बहन का इशारा समझ गए और उसको छत पर सफाई के लिए ले गए.

अब आगे क्या हुआ वह सब महजबीं ने मुझे बताया था.
यह आप उसी की जुबानी सुनें.

मैं छत पर जाकर सफाई करने लगी.

कुछ देर बाद बालम जी ऊपर आ गए और मेरे पीछे पीछे घूमने लगे.
वे मेरी गांड को खा जाने वाली नज़र से देख रहे थे.

मुझे भी उनको तड़फाने में मजा आ रहा था.
अब वे सीढ़ी पर बैठ गए और मैं उनकी तरफ मुँह करके सफाई करने लगी.

मैं अपना पल्लू बार बार गिराने लगी.
मैंने आज ब्लाउज के नीचे कुछ नहीं पहना था तो मैं जानबूझ कर बालम जी को अपने कबूतरों के दीदार करवा रही थी.

वे भी सीढ़ी पर पैर चौड़ा कर बैठे थे और मुझे देखते हुए अपना लंड मसल रहे थे.

मैंने भी देख लिया था कि उनका लंड पैंट के अन्दर तन गया था.
ऐसा लग रहा था जैसे अभी पैंट को फाड़ कर बाहर आ जाएगा.

उनका तना हुआ लंड देख कर मेरा मन मचलने लगा था.
अब मैं भी उनको वासना भरी नज़रों से देख रही थी.

बालम जी- महजबीं, तुमको एक बात कहूं अगर बुरा ना मानो तो?
मैं- हां कहो ठेकेदार साहब, क्या कहना है?

बालम जी- मुझे पता है तू भी तड़फ रही है चुदने के लिए … और मैं भी तुझे पाने के लिए मरा जा रहा हूं.
मैं- ठेकेदार साहब में पाक लड़की हूं … आज तक अपने शौहर के अलावा किसी को अपना जिस्म नहीं दिया है.

बालम जी- नाटक मत कर, चुदना है तो बोल कितना पैसा चाहिए … वरना जा और आज की दिहाड़ी कर ले … कल से काम पर मत आना!

एक तो मेरी भी चुदास बढ़ गई थी उनका लंड देख कर … और दूसरा काम मिलना भी मुश्किल था.
मैंने बालम जी का हाथ पकड़ कर रोक लिया और नज़रें झुका कर ‘5000 रूपये’ बोलती हुई चुप हो गई.

वे समझ गए और मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे चूमने लगे.

मैं भी जल्दी ही गर्म हो गई थी तो मेरा हाथ उनके लंड पर चला गया और पैंट के ऊपर से ही मैं उनके लंड को मसलने लगी.
उनका लंड कम से कम 7 इंच का होगा.

बालम जी- साली छिनाल … कुछ देर पहले बड़े नखरे कर रही थी. अब सीधा लंड पकड़ लिया मेरा?
मैं- अब ज्यादा टाइम खोटी मत करो और चोदो … वरना मेरा खसम आ गया तो हम दोनों की गांड मार लेगा!

बालम जी न यह सुना तो झट से मुझे नीचे लिटा दिया और मेरा घाघरा उठा कर सिनेमा देखने लगे.

मैंने नीचे कुछ नहीं पहना था … उन्हें मेरी रस टपकाती चूत दिख गई.
वे मेरी चूत पर अपना हाथ फेरने लगे.

एक गैर मर्द का हाथ अपनी चूत पर पाते ही मेरे शरीर में मानो करंट दौड़ने लगा था.
मेरी चूत गीली हो रही थी तो उनका पूरा हाथ गीला हो गया था.

वे अपना हाथ को मेरे मुँह में डाल कर बोले- ले चूस ले रंडी अपना रस!
मैं अपने मुँह से उनकी उंगलियों को चाट कर साफ करने लगी.

अब बालम जी ने अपनी पैंट उतार दी.
उनका खूँखार सा दिखने वाला लंड मेरे अंदाजे के जितना ही था.

वे आगे को आए और मुझे बिठा कर अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया.
‘ले चूस ले लौड़े को …’ कहते हुए बालम जी अपने लंड को मेरे मुँह में आगे पीछे करने लगे.

उनके मोटे लंड से मेरा मुँह पूरा भर गया था और मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी.

ठेकेदार का लंड किसी सांप की तरह मेरे मुँह को बिल समझ कर अन्दर घुस रहा था.
मेरे मुँह से गों गों की आवाज़ आ रही थी और आँखों से आंसू बह रहे थे.

कुछ देर बाद ठेकेदार को मुझ पर तरस आ गया और उसने लंड को मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया.
फिर मुझे वापस लिटा दिया और मेरी चूत में अपना मुँह डाल दिया.

मेरे पूरे शरीर में सिरहन सी होने लगी थी- ऐईई अम्मीईई आह अम्मीईई साले ठेकेदार भोसड़ी के अब तड़फा मत … फाड़ दे मेरी चूत को … आह आह … साले मेरी चूत में आग लगी है और तू तड़फा रहा है … आईह अम्मीईई में गयीईई ठेकेदार भोसड़ी के ईईया!

मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, जिसको ठेकेदार साहब मजे से पी गए और उन्होंने मेरी चूत को चाट चाट कर मुझे फिर से गर्म कर दिया.
वे अब भी मेरी चूत को चाट रहे थे.

कुछ पल बाद वे मेरी चूत को छोड़ कर ऊपर आए और मेरे मम्मों को चूसने चाटने लगे.

बीच बीच में वे मेरे एक दूध को काट देते, जिससे मैं चिहुंक जाती और मेरी चुदास बढ़ने लगती.

मेरे मुँह से गाली निकली- भोसड़ी के … चाटेगा खाली या चोदेगा भी … साले ये लंड कपड़े टांगने के लिए है क्या! अब जल्दी से चोद ले वरना मैं तेरी माँ चोद दूंगी!

यह सुनकर ठेकेदार हंस दिया और उसने मेरी दोनों टांगें उठा दीं और अपने कंधों पर रख लीं.
उस पोजीशन में ठेकेदार का लंड मेरी चूत पर जम गया था.

उसने मेरी नजरों से नजरें मिलाईं और एक जोरदार झटका मार दिया.
खचाक से उसका हल्लबी लंड सीधा मेरी बच्चेदानी से जा टकराया और मेरी चीख निकल गई- ‘ऐईईय्यय्या मेरी मांआआ … मैं मर गगईई … साले हब्शी ने मेरी चूत फाड़ दी … हाआय मर गई अम्मी रे … साले भड़वे के जने ने फाड़ दी मेरी चूत को आज तो आह हाय हाय फट गई मेरी चूत आह साले ने भोसड़ा बना दिया!

वह मेरी गालियां सुनता रहा और धीरे से बोला- बहन की लौड़ी रंडी, पांच हजार के नोट गिनेगी … तब तेरी चूत को ठंडक न मिल जाएगी!

“साले रंडी समझ कर मत मार चूत में लंड … अब आराम आराम से करना!”

ठेकेदार मेरी चूत में आराम आराम से धक्के मारने लगा.
इतने में फत्तन कारीगर भी छत पर आ गया.

मैं- फत्तन जी, आलम कहां हैं और आप ऊपर क्यों आए हो?
फत्तन जी- आलम को मैंने दूसरी साइड भेज दिया है. अब आज शाम तक सिर्फ मजे करने हैं.

मैं- फत्तन जी, मैं कोई रंडी नहीं हूं … आप तो जानते हो कि मुझे मज़बूरी में इस हरामी से चुदना पड़ रहा है.
फत्तन जी- साली रंडी की जनी … नखरे मत कर … मैंने सब देखा है कैसे मजे से चुद रही है ठेकेदार से!

यह सुनकर ठेकेदार साहब नीचे लेट गए और मुझे ऊपर आने को बोल दिया.

मैं अपने घाघरे को समेटती हुई उनके बड़े औजार के ऊपर चूत फंसा कर बैठ गई और उनके लंड पर बैठ कर उछलने लगी.

तब तक फत्तन जी कपड़े उतार कर मेरे पास आ गए और मैंने देखा तो उनका लंड बालम जी के लौड़े से तो छोटा था … पर उसके लंड का टोपा कटा हुआ था इसलिए वह टोपा बालम जी के लंड से ज्यादा मस्त था.

फत्तन ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया और जोर जोर से मेरे मुँह को चोदने लगे.

कुछ देर बाद फत्तन जी मेरी गांड के पास आ गए और मेरी गांड चाटने लगे.
वे अपनी जीभ को नुकीली करके मेरी गांड के छेद में डालने लगे.
मुझे अपनी गांड में हेनू हेनू होने लगा.

फिर जब मेरी गांड गीली हो गई तो फत्तन मियां ने अपना लंड मेरी गांड के अन्दर डाल दिया.
उनका लंड अन्दर घुसते ही मेरा पूरा शरीर झनझना गया.

अब आगे से ठेकेदार का लंड मेरी चूत को बजा रहा था और पीछे से फत्तन मियां मेरी गांड फाड़ रहे थे.

मेरी आहें और कराहें निकलने लगीं.
मेरी कामुक आवाजों से उन दोनों को जोश आने लगा.

अब फत्तन मियां और बालम जी मेरे दोनों छेदों को ताबड़तोड़ चोद रहे थे.
जल्द ही मेरा शरीर अकड़ने लगा.

कुछ देर बाद मैं एक बार फिर से स्खलित हो गई.
उन दोनों के लंड बदस्तूर आगे पीछे मेरी गांड और चूत का मलीदा बनाते रहे

फिर कुछ देर बाद वे दोनों भी झड़ गए और उन दोनों ने अपना अपना रस मेरी चूत और मेरी गांड में छोड़ दिया.
उस पूरे दिन में उन दोनों ने मुझे जबरदस्त रगड़ा.

बाद में ठेकेदार और फत्तन जी मुझे 8000 रूपए पकड़ा दिए.

अपने दो छेदों की कमाई आठ हजार रुपए पाकर मेरा सारा दर्द जाता रहा, दिल खुश हो गया और मैं झटपट अपने कपड़े ठीक किये और घर आ गई.

शाम को आलम घर आ गया.

अब आगे की कहानी आलम की जुबानी सुनें.

मैं और महजबीं घर पर बैठे थे.
महजबीं ने मुझे 8000 रूपये दे दिए.

मैं उसकी तरफ देखने लगा तो वह बोली- आज मैं बहुत थक गई हूं, आप खाना बना लो!
मैं- हां देखने से ही लग रहा है कि आज आप बहुत थक गई हो आपा, उन दोनों ने आज आपकी चूत का कबाड़ा कर दिया होगा!

महजबीं- हां भाई जान, आज तो दोनों ही सुबह से चोद रहे हैं. अगर ये गरीबी ना होती तो कभी आपके अलावा किसी से चुदाई नहीं करवाती!
मैं- कोई बात नहीं आपा, आपका जब मन हो तब किसी से भी चुदवा सकती हो. मैं आपको कभी नहीं रोकूंगा, वैसे आपको भी तो चुदवाने में मजा आता होगा?
महजबीं- हां यार मजा तो आता है, पर मजे के साथ पैसे मिलते हैं न तो काफी अच्छा भी लगता है!

फिर मैंने हम दोनों के लिए खाना बना लिया और खाना लेकर मैं महजबीं के पास आ गया.

मैं- लो आपा, खाना खा लो!
महजबीं- अब आप मुझे आपा मत कहा करो यार, मैं आपकी बीवी हूं. अम्मी ने हम दोनों का निकाह करवा दिया है. अब आप ही मेरे खसम हो.

मैंने कहा- अरे वह सब छोड़ो और खाना खाओ.
“मेरी तबियत ख़राब है. मुझे भूख नहीं है.”

फिर मैंने जबरन महजबीं को थोड़ा बहुत खिला दिया.
मैं भी खाना खाकर उसके पास आ गया.

मेरा मन उसको चोदने के लिए था.
पर महजबीं ने चुदवाने से मना कर दिया.

महजबीं- आप आज के लिए माफ़ कर दो, मेरी चूत में जलन और दर्द हो रही है. सालों ने सुबह से शाम तक रगड़ रगड़ कर चोदा है.
मैं कुछ नहीं बोला.

कुछ देर में हम दोनों सो गए.

सुबह महजबीं की तबियत और बिगड़ गई थी.
मैं उसको डॉक्टर के पास ले गया.

डॉक्टर ने उसको कुछ दिन आराम करने को कहा, कुछ बदन दर्द आदि की दवा दे दीं.

फिर हम दोनों घर आ गए.
कुछ देर बाद अमीरा आपा का फोन आया.

महजबीं- हैलो कौन, अमीरा आपा?
गगन (अमीरा का खसम)- साली साहिबा, हम आपके जीजाजी बोल रहे हैं.
महजबीं- जी जीजाजी, कैसे हैं आप … और आपा कहां हैं?

गगन- मैं अच्छा हूं, बस आपकी याद आ रही है साली साहिबा … लो आप अपनी बहन से बात करो!
अमीरा- हां महजबीं तबियत कैसी है और डॉक्टर ने क्या कहा है?
महजबीं- डॉक्टर ने कुछ दिन आराम के लिए बोला है.

अमीरा- ठीक है, कल हम दोनों आ रहे हैं.
महजबीं- ठीक है आपा आ जाओ.

फिर फोन काट दिया और सो गए.

दोपहर तक अमीरा आपा, गगन जीजू और मेरी भानजी आसमां घर पर आ गए.

मैंने जब आसमां को देखा तो देखता रह गया.

मेरी भानजी तो मेरी बहन से भी सुन्दर लग रही थी.
उसका खिला खिला रंग और उभरते हुए बूब्स मुझे मदहोश कर रहे थे.

फिर जीजू और बहन मुझसे गले लग कर मिले.
जब अमीरा मेरे गले मिलने आई तो वह मेरे लंड को मसलने लगी.

उसके बाद मेरी भानजी मेरे गले से लग कर मिली तो मैंने उसको कसके जकड़ लिया.

तभी मुझे जीजू का ख्याल आया तो मैंने उसको छोड़ दिया.

वह पूरा दिन मस्ती से निकल गया और शाम को जीजू अपने घर निकल गए.
वे जाते जाते अमीरा आपा को कह कर गए कि तुम और आसमां कल आ जाना!

महजबीं- क्यों जीजू, आपा के बिना दिल नहीं लगता क्या?
गगन- अरे साली साहिबा मेरा क्या, बस अब्बू और काली तो इनके बिना जी नहीं सकते. इन्होंने तो पूरे घर को अपना बना लिया है.

महजबीं- हां जीजू, आपा के पास तो जादू की पुड़िया है.
फिर सब हंसने लगे.

अमीरा आपा- ठीक है आप जाओ, मैं और आसमां कल आ जाएंगी.

महजबीं- जीजू, मेरी तबियत ख़राब है और डॉक्टर ने आराम करने को बोला है, तो कुछ दिन तक आसमां को यहीं रहने दो न?
गगन- ठीक है जैसी आपकी मर्जी, अब आपको कौन मना कर सकता है भला!

फिर जीजू चले गए.

रात को आपा और आसमां और अमीरा आपा एक रूम में सो गए और मुझे दूसरे कमरे में भेज़ दिया.

अमीरा आपा ने आंख दबाते हुए कहा- आलम, आधी रात को आ जाना, आज पुरानी यादें ताजा करेंगे.

फिर आधी रात को मैं अमीरा आपा के पास चला गया और उनके पास लेट गया.

मैं आपा की चोली के ऊपर से उनके बूब्स मसलने लगा और उनके होंठों को चूमने लगा.

अमीरा आपा जाग गईं और मेरे लंड को मसलने लगीं- भाईजान, आप कमरे पर चलो, मैं पीछे पीछे आ रही हूं.

फिर मैं दूसरे कमरे में चला गया.
कुछ देर बाद आपा भी आ गईं.

वे अन्दर आते ही मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर चूमने लगीं.
मैं- क्या बात है आपा, जीजाजी चोदते नहीं हैं क्या?

अमीरा- वे तो रोज चोदते हैं. उनके अलावा घर में 3-3 लंड और भी हैं जो मुझे दिन रात चोदते हैं … पर आपके लंड की तो बात ही कुछ और है.

फिर आपा ने मेरा पजामा उतार दिया और घुटनों के बल बैठ कर मेरे लंड को चूसने लगीं.
बेहेनचोद ब्रो सेक्स का मजा लेते हुए मैंने भी उनके मम्मों को आज़ाद कर दिया.

“आह आपा … मजा आ गया, महजबीं तो कुछ दिन से चोदने भी नहीं दे रही थी … और सच में आपको लंड चूसने का गजब अनुभव है.”
अमीरा- हां हां … मैं तो रंडी हूं न … और तेरी लुगाई तो दूध की धुली है भाई जान … समझ लो … महजबीं मुझसे बड़ी रांड है!

मैंने उनकी बात से सहमत होते हुए आपा को चित लिटा दिया और उनकी गुलाबी चूत और मस्त रानों को चूमने लगा.

अमीरा आपा उठ कर बैठ गईं और कहने लगीं- आआह भाई जान … कसम से क्या मस्त चूसते हो … आह मजा आ जाता है … मस्त चूस रहे होऊऊ … आह भाई जान मजा आ गया.

मैंने उनको वापस सीधा लिटा दिया और उनका घाघरा उतार कर आपा की गांड के नीचे तकिया लगा दिया.

फिर मैं आपा के ऊपर चढ़ गया और अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा.
उसकी चूत से मस्त महक आ रही थी.

अमीरा- साले भड़वे … रंडी के जने … अब तड़फा मत … जल्दी से अपना लौड़ा घुसा दे न … मेरी चूत में आग लगी हुई है!

फिर मैं भी जोश में आ गया और पूरा लंड एक ही झटके में डाल दिया.
मेरा लंड सीधा उनकी बच्चेदानी से टकरा गया.

आपा की जोर से चीख निकल गई- आह भाई जान … आराम से डालो … मैं कोई सड़क छाप रंडी नहीं हूं हाय अम्मी से मार दिया बहनचोद ने … आह अम्मीईई फाड़ दी मेरी चूत रंडी के जने ने!

उनकी चीख सुन कर महजबीं भी आ गई और दरवाजा खुला होने के कारण वह सीधी अन्दर आ गई.

दोस्तो, बेहेनचोद ब्रो सेक्स कहानी के अगले भाग में आपको मेरी भानजी की चुदाई की कहानी का मजा मिलेगा.
आप सब कमेंट्स जरूर करें.
लेखक के आग्रह पर मेल आईडी नहीं दी जा रही है.

बेहेनचोद ब्रो सेक्स कहानी से आगे की कहानी:

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