बहन की चूत की सील तोड़ने में दर्द
(Bahan Ki Chut Ki Seal Todne me Dard)
मेरा नाम सागर है, मैं राजस्थान के कोटा का रहने वाला हूँ। मैंने antarvasna3.com पर बहुत सारी कहानियाँ पढ़ी हैं। आज मैं मेरी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।
बात उन दिनों की है.. जब मैं पढ़ाई पूरी करके अपनी बुआ के यहाँ घूमने के लिए जयपुर गया था।
आप लोगों को बता दूँ कि मेरी बुआ के घर में चार सदस्य हैं.. जिसमें सबसे छोटी मेरी बुआ की लड़की लक्ष्मी है। मेरी बुआ का लड़का बाहर पढ़ाई करता था।
जब मैं अपनी बुआ के घर पहुँचा.. तो सभी मुझे देख कर बहुत खुश हुए, मैं पहली बार अपनी बुआ के यहाँ आया था।
उन दिनों मेरी बुआ की लड़की लक्ष्मी ने 12वीं कक्षा पास की थी.. इस कारण सभी घर के सदस्य खुश थे।
जब मैं मेरी बुआ के घर गया.. तो मेरी लक्ष्मी मेरे पास आकर बोली- भैया आप तो हमारे यहाँ आते ही नहीं..
तो मैं बोला- मैं अब आ गया ना.. अब यहाँ से मैं बहुत जल्दी जाने वाला नहीं हूँ।
लक्ष्मी बोली- मैं तुम्हें यहाँ से जाने ही नहीं दूँगी।
इस बात को सुनकर सभी हँसने लगे। आप लोगों को यह बता दूँ कि लक्ष्मी दिखने में बहुत सुंदर थी। उसकी आंखें एकदम नीली थीं और उसके स्तन नए-नए बाहर को निकल आए थे। वह उम्र में मुझसे कुछ साल ही छोटी थी। देखा जाए तो एकदम कमाल की थी।
इस तरह शाम हुई और लक्ष्मी मुझसे बोली- भैया.. चलो हम कहीं घूमने चलते हैं।
तो मैंने भी कहा- अच्छा तो चलो..
हम घर के पास ही कहीं एक गार्डन में चले गए।
लक्ष्मी ने नीले रंग की जींस और टी-शर्ट पहन रखी थी.. जिससे उसके स्तन उभरे हुए दिख रहे थे।
हम गार्डन में जाकर कहीं एक जगह पर बैठ गए और मैं अपना मोबाइल निकाल कर चलाने लगा.. तो लक्ष्मी भी मेरे कंधे पर हाथ रख कर मोबाइल देखने लगी।
इस तरह उसके स्तन मेरे दाहिने हाथ को छूने लगे.. इससे मेरे शरीर मे अजीब सा होने लगा और मेरा लण्ड़ खड़ा होने लगा। मैं भी धीरे-धीरे से उसके स्तन को छूने लगा।
इस तरह होता रहा.. फिर लक्ष्मी बोली- चलो भैया.. अब घर चलते हैं.. बहुत देर हो गई है।
मैंने बोला- ठीक है.. चलो चलते हैं।
घर पर जाकर हम सभी ने खाना खाया और टीवी देखने लगे। मैं सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगा.. तो लक्ष्मी भी मेरे पास आकर बैठ गई और टीवी देखने लगी।
इस वक्त वो मेरे इतने पास बैठी थी कि उसका कोमल शरीर मेरे शरीर को छू रहा था और मेरा लण्ड वापस खड़ा हो गया था।
मैंने भी धीरे-धीरे हिम्मत करके उसके कंधे पर हाथ रखा.. उसकी पीछे से कमर को छूने लगा। मैं लक्ष्मी के कमरे में ही टीवी देख रहा था.. इस तरह ज्यादा डर नहीं लग रहा था। कुछ देर में मेरी बुआ ने लक्ष्मी को आवाज लगाई.. तो मैंने झट से अपना हाथ हटा लिया।
मेरे इस तरह करने से लक्ष्मी को भी कुछ शक हुआ।
वह बोली- क्या हुआ भैया?
मैंने बोला- नहीं.. कुछ नहीं!
इस तरह बोल कर वह बाहर चली गई और अब मेरे मन में उसे चोदने की इच्छा होने लगी।
कुछ देर में वह वापस आकर मेरे पास बैठ गई और अब वो मुझसे कुछ नहीं बोली.. तो मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो वह बोली- कुछ नहीं..
मैंने फिर से अपना हाथ उसके पीछे कमर पर रख दिया और हाथ को ऊपर-नीचे करने लगा।
लक्ष्मी मेरी तरफ देखने लगी.. मैंने भी उसकी तरफ देखा और मुस्करा दिया, वह भी मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी।
इस तरह मेरी हिम्मत और बढ़ गई और अब मैंने अपना हाथ उसकी कमर से हटा कर उसकी जाँघों पर रख दिया और हाथ को ऊपर नीचे फेरने लगा।
लक्ष्मी चुपचाप टीवी की तरफ देख रही थी और अब मेरा हाथ धीरे-धीरे उसके चूचों की तरफ जाने लगा.. तो लक्ष्मी बोली- भैया.. यह क्या कर रहे हो आप?
मैं बोला- तुम चुपचाप मजे लेती रहो।
तो वह बोली- मैं मम्मी से बोल दूँगी।
यह कहकर वह बाहर चली गई..
मैं भी डर गया, मैंने सोचा कि वह बुआ से सच में ना बोल दे।
कुछ देर बाद वह वापस आकर अपने बिस्तर पर लेट गई और मैं भी कुछ देर के बाद बाहर गया।
मेरी बुआ मुझसे बोलीं- बेटा सागर तुम लक्ष्मी के कमरे में सो जाना..
मेरी बुआ के घर में दो कमरे और एक रसोई है इसलिए एक कमरे में मेरी बुआ और फूफा जी सो गए।
वैसे तो लक्ष्मी का बिस्तर लंबा-चौड़ा था इसलिए हम दोनों को सोने में कोई दिक्कत नहीं थी। मैं अपनी बुआ को ‘गुड नाइट’ बोलकर वापस कमरे में चला आया और मैं भी बिस्तर पर जाकर लेट गया।
अब करीब रात के 10 बज चुके थे और मैं भी सोने का नाटक करने लगा.. लेकिन मुझे नींद आ कहाँ रही थी, मेरे मन में तो उसे चोदने के बारे में ख्याल आ रहे थे।
मैंने तब तक किसी लड़की की चुदाई नहीं की थी।
कुछ देर बाद लक्ष्मी ने उठकर टीवी बंद किया और वह कमरे का दरवाजा बंद करके वापस सो गई।
वह मेरी तरफ कमर करके सोई थी.. उसने ढीले कपड़े पहन रखे थे.. जिससे उसके पीछे का आकार काफी खतरनाक लग रहा था। उसका पिछवाड़ा देखते ही लण्ड मेरा तन गया।
अब मुझे रहा नहीं जा रहा था.. मैं भी उसके समीप चला गया और उसे पीछे से छूने लगा। इस बार वह कुछ नहीं बोली और मैंने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया और उसकी एक चूची को दबाने लगा।
अब भी वो चुप थी.. तो मैं बिना हिचक दूसरा हाथ उसकी जाँघों पर फेरने लगा।
वह कुछ नहीं बोल रही थी.. उसे भी धीरे-धीरे मजा आने लग गया था।
वह भी सीधी होकर अपनी आँखें बंद किए लेटी थी.. तो मैंने भी देर नहीं की और अपना हाथ उसके पजामे में डाल दिया। उसने नीचे कुछ नहीं पहना था.. तो मेरा हाथ उसकी चिकनी चूत पर चला गया, उसकी चूत पर हल्के-हल्के रेशमी बाल थे, मैं एक हाथ से उसकी चूचियां दबाता और एक हाथ से उसकी चूत को सहलाता।
इस तरह धीरे-धीरे वह भी गरम होने लगी और मेरा साथ देने लगी।
मैंने भी कोई देरी नहीं की और हम दोनों के कपड़े उतर गए, हम दोनों एक बिस्तर पर पूरे नंगे थे।
मैं उसके ऊपर आ गया और उसकी चूचियों को चूसने लगा।
इसी तरह हम थोड़ी कुछ देर रोमांस करने लगे। वह पूरी तरह गरम हो चुकी थी.. उसकी सांसें तेज चल रही थीं।
मेरा लण्ड अब 8 इंच का हो चुका था। मैंने उससे बोला- मेरे लण्ड को चूस..
पहले तो उसने मना किया.. लेकिन मैंने दुबारा कहा तो उसने ‘हाँ’ कर दी।
वह मेरे लण्ड को एक रन्डी की तरह चूस रही थी, मुझे भी मजा आ रहा था, पहली बार कोई लड़की मेरे लण्ड को चूस रही थी।
मैं अब झड़ने वाला था, मैंने बोला- कहाँ निकालूँ..?
तो वह बोली- तुम मेरी चूचियों के ऊपर निकालो।
मैंने पूरा अपना माल उसके ऊपर निकाल दिया।
कुछ पलों बाद मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी.. अब वह भी झड़ने वाली थी, उसने भी अपना पानी निकाल दिया।
फिर हम दोनों कुछ देर के लिए बिस्तर पर लेटे रहे और फिर मेरा लण्ड खड़ा हो गया। अब मैंने उसकी दोनों टांगो को चौड़ा कर दिया और अपने लण्ड को उसकी चूत पर रख दिया।
जैसे ही मैंने एक धक्का लगाया.. तो मेरा लण्ड का सुपारा अन्दर चला गया.. तो वह चिल्लाने लगी- भैया दर्द होता है.. रहने दो..
मैं थोड़ी देर रुक गया.. उसका दर्द भी अब कम हो चुका था। अब मैंने जोर का धक्का लगाया.. तो वह फिर चिल्लाने लगी.. पर अब तक मेरा आधा लण्ड उसकी टाइट चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया था।
उसकी आँखों में आंसू और चूत पर खून आ चुका था, वह दर्द से चिल्ला उठी- भैया रहने दो.. आह्ह.. मर गई।
मैंने उसकी एक ना सुनी ओर अपना पूरा 8 इन्च का लण्ड उसकी चूत में डाल दिया, उसकी चूत पूरी खून में सन चुकी थी।
अब मैं कुछ देर के लिए रुक गया.. जिससे उसका दर्द कम हो जाए और धीरे-धीरे उसका दर्द कम होता गया।
अब फिर से मेरे लण्ड की रफ्तार तेज हो गई.. उसे भी मजा आने लगा और अब वह भी बोल रही थी- भैया और चोदो जोर-जोर से.. चोदो.. मेरी प्यासी चूत की प्यास बुझा दो।
मैं भी अब जोर-जोर से धक्के मार रहा था। मैंने करीब आधे घंटे तक उसकी चूत चुदाई की.. और वह अब तक दो बार झड़ चुकी थी।
मैं भी अब झड़ने ही वाला था और मैंने अपना पूरा माल उसकी चूत में ही निकाल दिया।
इस तरह उस रात उसकी मैंने चार बार चुदाई की.. वह भी अलग-अलग तरीकों से..
मैं अपनी बुआ के यहाँ एक महीने तक रहा और लक्ष्मी की चूत की प्यास बुझाता रहा।
अब जब भी मौका मिलता मैं अपनी बुआ के यहाँ चला जाता हूँ।
आप अपने ईमेल मुझे जरूर लिखियेगा।
[email protected]
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