आग और फूस का बैर- 2
(Xxxx Sex Relation Story)
Xxxx सेक्स रिलेशन स्टोरी में एक परिवार में देवर भाभी को अपने जीवन साथी से सेक्स नहीं मिला तो वे दोनों एक दूसरे की तरफ आकर्षित हो गए और एक दिन दोनों ने आपस में चुदाई कर ली.
कहानी के पहले भाग
गर्म बीवी को मिला ठण्डा पति
में आपने पढ़ा कि रिया की शादी एक ऐसे लड़के से हुई जिसे सेक्स में कम रूचि थी. जबकि वह हर रोज चुदाई का मजा लेना चाहती थी. वह हर रोज अपना मन मार कर रह जाती थी. ऐसे में उसकी दोस्ती उसके देवर से हो गयी. देवर को सेक्स का शौक था पर उसकी बीवी को मायके जाने की लगी रहती थी. तो देवर को पूरा सेक्स नहीं मिल रहा था.
अब आगे Xxxx सेक्स रिलेशन स्टोरी:
अभी तक दोनों के मन में वासना नहीं थी.
अचानक रिया को क्या हुआ, उसने अपने होठ जड़ दिए विजय के होठों से.
अब तो बाँध टूट ही गया.
दोनों एक दूसरे को ताबड़तोड़ चूमने लगे.
दोनों की जीभें आपस में टकरा रहीं थी.
रिया ने विजय की गर्दन में बाहें डाल दीं. वह चिपके जा रही थी विजय से.
तूफ़ान कुछ थमा तो विजय ने रिया को अलग किया और कहा- रिया, हम यह क्या कर रहे हैं.
रिया बोली- मैं जानती हूँ कि यह गलत है. पर मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ और फिर घर की बात घर में ही रहे तो इसके अलावा और रास्ता ही क्या है हमारे पास?
विजय ने फिर चिपटा लिया रिया को अपने से. विजय के लंड का तनाव रिया की मिडी पर दबाब बना रहा था.
रिया भी बेकाबू थी, उसे अपने जज्बातों पर कोई काबू नहीं था.
इससे पहले की सैलाब सब कुछ बहा ले जाता … अजय का फोन विजय के फोन पर आ गया.
अजय को जाना था और वह विजय को तुरंत बुला रहा था.
विजय ने रिया को चूमते हुए उससे कहा- रात को डिनर तुम्हारे साथ ही करूंगा. अच्छे से तैयारी करना.
कहकर विजय शॉप पर चला गया.
दिन में रिया बहुत बेचैन रही.
उसे भी लग रहा था कि चाहे उसकी जिन्दगी कैसी भी चल रही हो … पर प्रिया की जिन्दगी में उसे नहीं घुसना चाहिए.
वह तय नहीं कर पा रही थी कि आखिर वो करे तो करे क्या!
उससे अपने जज्बातों पर काबू भी नहीं हो रहा था.
एक और उसे विजय का साथ बहुत अच्छा लगता था, दूसरी और आज की इस बढ़त में उसे भी वासना नजर आ रही थी.
आखिर उसने ये तय किया कि वह विजय से दोस्ती रखेगी पर एक दूरी के साथ.
पर दोस्ती बहुत बेबाकी से रखेगी बिना किसी की परवाह किये.
क्योंकि दोनों का साथ दोनों की ही जरूरत था.
रिया ने आज विजय की मनपसंद डिश बनायीं और बहुत दिनों बाद अपने को आईने में निहारा.
वह शाम को सावित्री देवी से बाजार जाने की कह कर पार्लर गयी और फेशियल करवा कर आई.
कितने दिनों से उसने नेल पेंट भी नहीं बदला था, आज उसने हाथ और पैर दोनों के पेंट साफ़ करके नए लगाए.
शाम को जब वह नीचे गयी तो खुद सावित्री देवी ने उससे कहा- आज भी तो तू पहले की तरह सुंदर लग रही है, रोज़ तो थकी हारी सी रहती थी.
रिया बोली- आज इनके बाहर जाने से कुछ काम तो था नहीं … तो थोड़ा समय अपने को दे दिया.
सावित्री देवी ने पूछा- विजय खाना खायेगा न?
तो रिया ने दिखावे को कह दिया कि समझाया तो बहुत है, पर आप जानती ही हैं कितना गुस्सा है वो आज! तो अगर आज वह घर पर खाना नहीं खायेगा तो मैं उसे बाहर कुछ खिला दूँगी. आप निश्चिन्त रहें, भूखा नहीं सोने दूँगी. सावित्री देवी मुस्कुरा दीं.
रात को विजय अपने पिताजी के साथ घर आया.
मंगल दास तो नीचे खाना खाने बैठ गए पर विजय सीधा ऊपर चला गया.
सावित्री देवी ने रिया की ओर देखा.
रिया ने मुस्कुरा कर कहा- आप परेशान मत होइए, मैं संभाल लूंगी.
रिया अपने फ्लैट में न जाकर सीधे ऊपर विजय के फ्लैट में चली गयी.
उसने मुस्कुरा कर विजय से कहा- क्या बच्चों की तरह नाराज हो जाते हो. चलो घूमने चलते हैं. तैयार हो जाओ. मैं भी तैयार होती हूँ. पहले डिनर करेंगे, फिर बाइक पर घूमने चलेंगे. बता देना कि क्या पहनना है.
विजय खुश हो गया, बोला- जो कहूँगा पहनोगी?
रिया बोली- हाँ बिल्कुल. पर नीचे मां अभी जाग रही हैं. तुम मुंह हाथ धोकर पहले डिनर कर लो, फिर तय करेंगे क्या करना है.
विजय ख़ुशी ख़ुशी नीचे आ गया.
डिनर देखकर उसके मुंह में पानी आ गया.
रिया और विजय ने साथ साथ डिनर लिया.
विजय तो कपड़े चेंज करके आया था.
रिया बोली- मैं तैयार होकर आती हूँ.
विजय ने पूछा- क्या पहनोगी?
रिया बोली- बताओ क्या पहनूं?
विजय बोला- फ्रॉक पहन लो.
रिया ने उसे मुक्का दिखाते हुए कहा- पिटवाओगे मुझे? अगर वन परसेंट मम्मी ज़ी बाहर आ गयीं तो? फ्लैट में कुछ भी पहन सकती हूँ बाहर नहीं.
खैर रिया ने एक टाइट जींस और टाइट टॉप पहना और उसके ऊपर से एक ढीला सा स्कार्फ डाल लिया.
जाने से पहले रिया ने नीचे फोन करके बता दिया कि विजय ने खाना खा लिया है और वे लोग बस ऐसे ही बाहर तक घूमने जा रहे हैं. आप लोग सो जाइये.
विजय की बाइक उड़ चली.
रिया चिपक कर बैठी थी उससे! रिया के मांसल मम्मे विजय की पीठ से टकरा रहे थे.
विजय ने एक दो बार सर पीछे घुमा कर रिया को चूम लिया.
रिया ने प्यार से एक धौल लगा दी उसके- ज्यादा बदमाशी नहीं, चुपचाप बाइक चलाओ.
दोनों ने रास्ते से एक कोन आइसक्रीम की ली और लेक किनारे बाइक खड़ी करके चिपट कर खड़े हो गए और एक ही कोन से आइसक्रीम खाते रहे.
रिया ने विजय की बाहें थाम रखी थीं.
विजय ने रिया की आँखों में झाँका.
रिया कुछ कहना चाह रही थी पर बोल नहीं पा रही थी.
आसपास काफी लोग थे … वरना विजय इस मौके को नहीं खोता और चूम लेता रिया को!
अब दोनों वापिस घर को चल दिए.
शायद अंदर उठते तूफ़ान ने उन्हें मजबूर कर दिया था घर लौटने को!
बिल्डिंग में आकर दोनों रिया के फ्लैट में आ गए.
विजय रिया को चूमना चाहता था.
तो रिया मना नहीं कर पायी.
एक लंबा फ्रंच किस देने के बाद रिया ने प्यार से विजय से कहा- यह गलत है. मैं खुद तुम्हारे बिना नहीं रह सकती. मुझे ख़ुशी मिलती है तुम्हारे साथ से, पर आखिर हम एक परिवार हैं और अपने साथियों को धोखा कैसे दें.
विजय बोला- फिर ऐसे ही घुट घुट कर मरते रहें? मैं तो सुसाइड कर लूंगा ऐसे!
रिया हक्की बक्की रह गयी कि विजय क्या कह रहा है.
उसने विजय से चिपटना चाहा.
पर विजय ने उसे धक्का दे दिया.
विजय तो स्वभाव से जल्दी रूठ जाता था.
तो वह तेज कदम चलता हुआ अंदर वाले जीने से ऊपर चला गया.
पर उसने डोर लॉक नहीं किया.
रिया उसे रोकती रही- कॉफ़ी पिएंगे, रुक जाओ.
पर विजय नहीं रुका.
उसके जाने के बाद रिया असमंजस में खड़ी रही, फिर थके कदमों से अपने बेडरूम में गयी और कपड़े बदल कर केवल एक फ्रॉक डाल ली.
अंदर वह कुछ नहीं पहनती थी रात को.
बेड पर लेटी रिया विजय के बारे में सोचती रही.
उसे नींद नहीं आ रही थी, वह करवटें बदलती रही.
तभी उसके बेडरूम के गेट पर कुछ आहट हुई.
विजय था.
उसने कपड़े बदल लिए थे. वह नाईट सूट में था.
रिया कुछ असहज हुई अपने कपड़ों को लेकर!
उसे ध्यान ही नहीं रहा था कि नीचे के जीने का डोर खुला है.
उसने चादर डाल ली अपने ऊपर और विजय से बोली- कैसे आये?
विजय बोला- नींद नहीं आ रही थी. मुझे एक ड्रिंक बना दो.
रिया हंस पड़ी- क्यों नाटक कर रहे हो? कॉफ़ी बनाती हूँ, अभी बाहर जाओ, मैं कपड़े बदल कर आती हूँ.
विजय बेड पर आ गया और बोला- नहीं कुछ नहीं चाहिए.
वह वहीं बेड पर बैठ गया, धीरे से बोला- मेरा तो कोई नहीं है. प्रिया को बहुत प्यार दिया पर उसे परवाह ही नहीं है मेरी! तुमसे दिल मिलता है तो तुम भी पास नहीं आने देती.
रिया बोली- क्या चाहते हो मुझसे? मेरी स्थिति देखो, अजय तो मेरे बारे में सोचता ही नहीं. अब कैसे तुम्हारे पास चली जाऊं? आखिर देवर हो तुम मेरे. प्रिया मेरी बहन है.
विजय भड़क गया- इसका मतलब हम ऐसे ही घुट घुट कर जियें.
रिया ने अपने घुटनों के बीच सर कर लिया.
उसकी रुलाई छूट रही थी.
विजय उसके और नजदीक चला गया.
रिया की चादर नीचे गिर पड़ी थी.
विजय ने आहिस्ता से उसका सर ऊपर किया और उसे चूम लिया.
रिया की अब सहनशीलता खत्म हो गयी थी … वह लिपट गयी विजय से!
दोनों के होंठ मिल गए और पागलपन की सीमा तक दोनों एक दूसरे को चूमने लगे.
विजय ने चूमते चूमते रिया की फ्रॉक पीछे से ऊपर की तो उसके हाथ रिया की नंगी पीठ तक आ गए.
रिया ने कुछ नहीं पहना था नीचे.
विजय ने एक झटके में उसकी फ्रॉक और अपनी टी शर्ट उतार दी.
अब दोनों लिपट गए एक दूसरे से.
रिया ने हबड़-धबड़ में विजय का बरमूडा भी नीचे कर दिया.
उसके हाथ में विजय का तना हुआ लंड था और विजय उसके मम्मे चूम रहा था.
रिया के मम्मे तने हुए थे.
विजय उन्हें किसी बच्चे की तरह बारी बारी से चूम चूस रहा था.
रिया को हँसी आ गयी, वह बोली- आराम से चूसो, मैं कहीं भागे थोड़े ही जा रही हूँ.
अब रिया उसका लंड मसल रही थी.
विजय का लंड अजय के मुकाबले कुछ ज्यादा ही मजबूत लगा रिया को.
असल में अजय जब कभी सेक्स करता भी था तो वह रिया के उकसाने पर करता … तो उसकी कामाग्नि पूरी जली नहीं होती थी.
यह सब उसकी बॉडी लैंग्वेज से मालूम पड़ता था कि वह चुदाई बेमन से करता था.
आज रिया को एक दमदार चुदाई का आभास हो रहा था.
एक ऐसी चुदाई जिसका उसने सपना संजो रखा था.
रिया ने अब शर्म को उतार फेंका और नीचे होकर विजय का लंड मुंह में ले लिया.
वह बार बार लंड को पूरा अंदर लेती, फिर बाहर निकलती.
उसने गोटियों को भी थूक से मलना शुरू कर दिया था.
Xxxx सेक्स रिलेशन में विजय की आहें निकलने लगीं.
जब बेचैनी ज्यादा बढ़ी तो उसने अपने को रिया से छुड़ाया और उसकी टांगें फैलाकर अपनी जीभ उसकी चूत में कर दी.
विजय को गुलाबी मखमली चिकनी चूत मिली.
उसको अहसास हुआ कि रिया ने आज रात की तैयारी दिन में की थी.
अब रिया ने अपनी उँगलियों से अपनी फांकों को चौड़ाया ताकि विजय की जीभ अंदर तक उसकी चूत में घुस जाए.
उसके नाखूनों पर लगे ताजे नेल पेंट की खुशबू विजय को महसूस हो रही थी और उसे मदमस्त कर रही थी.
रिया उससे बोली- 69 हो जाओ, मुझे भी चूसने दो अपने साथ!
विजय पलट गया.
अब दोनों की जीभें बिजी हो गयीं.
विजय रिया के ऊपर था और रिया नीचे से उसके लंड को पकड़ कर चूस रही थी.
अब विजय ने रिया को छोड़ा और बिना वक्त गंवाए सीधा अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा.
रिया मचल गयी और बोली- मत तड़पाओ और अंदर कर दो इसे! आज मेरी दूसरी सुहागरात है; मैं इसे जीना चाहती हूँ.
विजय हल्के से रिया के ऊपर आते हुए उसके मम्मे चूमने लगा और फिर थोड़ा और ऊपर हुआ और उसके होंठ से होंठ भिड़ा कर अपनी जीभ उसके मुंह में कर दी.
रिया ने अपनी जीभ से उसकी जीभ को चूमते हुए अपना एक हाथ नीचे किया और विजय का लंड अपनी चूत के मुंहाने पर रख दिया.
विजय का लंड मचल रहा था अपनी प्रियतमा से मिलने के लिए … तो उसने अपना रास्ता खुद बना लिया और सरक गया रिया की पानी बहाती चूत में.
रिया की चूत को भी न जाने कबसे इतना मांसल लंड नहीं मिला था.
उसने पूरा रास्ता खोल दिया उसके स्वागत में.
अब तो जैसे ही विजय के मूसल को गुफा का रास्ता मिला वह पूरा दरक गया अंदर.
विजय ने पूरी ताकत से पेला था अपने औज़ार को.
रिया की चीख निकल गयी, उसे लगा कि आज तो उसकी चूत फट जायेगी.
उसने विजय से कहा- धीरे धीरे शुरुआत करो.
पर विजय सुन कहाँ रहा था उसकी … उसने तो रेलम पेल मचा दी.
उसके धक्के बढ़ते गए.
अब रिया भी मदमस्त होकर उसका साथ दे रही थी.
वह नीचे से उछलती तो ऊपर से विजय पेल लगाता.
दोनों की वासनामयी आहें निकल रही थीं.
रिया को खुमार ज्यादा ही चढ़ा था, उसने विजय को नीचे पलटा और उसके ऊपर चढ़ गयी और लगी उछल उछल कर चुदाई करने.
विजय उसके मम्मे मसल रहा था.
पूरे कमरे में वसना की आग लगी हुई थी.
दोनों पता नहीं क्या क्या अनाप शनाप बोल रहे थे- और जोर से, और अंदर आ जाओ, मेरी प्यास बुझा दो …
पता नहीं क्या क्या रिया बोल रही थी.
थोड़ी देर के धमाल में दोनों का होने का समय आ गया.
रिया के मुंह से झाग सा निकल रहा था.
उसने विजय की छाती पर कई जगह अपने नाखूनों से निशान बना दिए थे.
विजय को लगने लगा कि अब होने वाला है.
तो उसने एक झटके से रिया को नीचे पलटा और बिना लंड बाहर निकाले फाइनल राउंड की चुदाई शुरू कर दी और हांफते हुए एक झटके में सारा माल रिया की चूत में कर दिया.
विजय और रिया ऐसे ही नंगे बेसुध होकर पड़ गए और नींद में खो गए.
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