देसी भाभी की चूत मेरे लंड की तलबगार
(Xxx Village Sex Kahani)
Xxx विलेज सेक्स कहानी गाँव में रहने वाली मेरी भाभी की है. मेरा परिवार कुछ दिन के लिए गाँव गए थे दादा जी के घर में! वहां ताई की बहू की चूत चुदाई कैसे हुई?
दोस्तो, मैं कुणाल हूँ. (बदला हुआ नाम)
ये Xxx विलेज सेक्स कहानी एक वर्ष पहले उस वक्त की है, जब मैं 19 साल का होने वाला था.
एक बार गर्मियों की छुट्टी मनाने मैं अपने गांव गया था.
मेरे गांव वाले घर में मेरे दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई और भैया भाभी हैं. हम सब एक बड़े से घर में रहते हैं.
मेरे भैया जयपुर में एक बड़ी कम्पनी में काम करते हैं इसलिए उनका घर आना काफी कम ही होता है.
उनकी शादी को तीन साल हो चुके हैं पर वो आज भी पिता नहीं बन सके थे.
मैं पहले आपको अपनी भाभी के बारे में बता देता हूं.
मेरी भाभी की उम्र 31 साल है, पर वो 25 साल की हॉट लड़की जैसी लगती हैं.
उनको देख कर कोई भी मर्द उन पर फिदा हो सकता है.
वो कद में 5 फुट 4 इंच की हैं. उनका फिगर 34-30-36 का है.
जब मैं अपने पिता जी के साथ अपने गांव पहुंचा तो मैं काफी दुःखी था.
मुझे लग रहा था कि मैं वहां काफ़ी बोर हो जाऊंगा.
पर मुझे क्या पता था कि ये मेरे जीवन के सबसे हसीन दिन साबित होंगे.
मेरे ताऊ और दादी बाहर ही बैठे थे.
मैं उनसे मिलकर सीधा घर के अन्दर घुस गया क्योंकि मुझे ज़ोर से टॉयलेट आई थी.
मैं जैसे ही अन्दर गया, मेरी ब्यालीस साल की चाची मुझे देख कर बहुत खुश हो गईं और उन्होंने मुझे गले से लगा लिया.
जब उनके बड़े बड़े बूब्स मेरे सीने से लगे तो मुझे बहुत अच्छा लगा.
मैंने चाची से कहा- चाची, मुझे बहुत ज़ोर से टॉयलेट आई है, पहले मुझे बाथरूम जाने दो.
इससे पहले कि वो कुछ कहतीं, मैं झट से बाथरूम के अन्दर घुस गया और पैंट भी खोल ही दी थी कि तभी मेरे नज़र मेरी हॉट भाभी के सुंदर गीले शरीर पर जा पड़ी.
आह क्या मस्त नज़ारा था वो … उन्होंने पेटीकोट सीने तक चढ़ाया हुआ था, जिस पर से उनके बड़े बड़े चूचे साफ़ झलक रहे थे.
मैंने एकदम से होश संभाला और झट से बाहर भी आ गया.
ये देख कर मेरी चाची बहुत जोर से हंसने लगी थीं.
फिर मैं बाहर जाकर टॉयलेट करके आया.
जब मैं वापस अन्दर आया तो भाभी से नज़रें नहीं मिला पा रहा था.
फिर भाभी मेरे पास आईं और मेरे गाल में प्यार से हाथ लगा कर बोलीं- शैतान … चलो कोई बात नहीं. अब आ जा, अपनी भाभी से नहीं मिलेगा?
उन्होंने अपनी बांहें फैला दीं और मैंने भाभी को गले से लगा लिया.
उफ्फ क्या बदन था उनका … इतना मखमली बदन और मक्खन से मुलायम चूचे … मैं तो मानो अंगार से चिपक गया था.
मैंने भाभी की चिकनी कमर पर भी हाथ फेर कर उनकी कोमलता का अहसास किया.
मेरे इस तरह से हाथ फेरने से भाभी को भी कुछ मजा आया और वो समझ भी गईं.
उन्होंने मुझे हल्की सी स्माइल दी. फिर नाश्ता बनाने चली गईं.
दोपहर में पापा को ज़रूरी कॉल आ गया और वो वापस शहर चले गए.
उस दिन मैंने अपनी भाभी से मजाक मस्ती भरी बातें की.
भाभी खुद भी मुझसे मस्ती कर रही थीं- क्यों लाला जी, अन्दर क्या क्या देखा था?
मुझे भाभी लाला जी कहती थीं. दरअसल गांव में देवर से लाला जी ही कहा जाता था.
मैंने कहा- किधर अन्दर भाभी?
भाभी- उधर गुसलखाने में!
मैंने कहा- क्या भाभी, आप तो मुझे छेड़ रही हो.
भाभी हंसने लगीं और बोलीं- तो मैं कौन सी अकेली भाभी हूँ जो अपने लाला को पहली बार छेड़ रही हूँ. सारे गांव की भौजाइयां अपने लाला को छेड़ती हैं.
मैंने कहा- हां भाभी, बात तो आपकी सही है मगर आपका देवर भी तो आपको छेड़ सकता है न!
भाभी बोलीं- हां हां क्यों नहीं … बताओ कैसे छेड़ना है!
मैंने कहा- वो आप क्या कह रही थीं कि अन्दर मैंने क्या क्या देखा था?
भाभी- हां बताओ क्या क्या देखा था?
मैं- मैंने तो बहुत बड़े बड़े वो देखे थे … जो उसमें अन्दर दबे से थे.
भाभी ने आंखें मटकाईं और बोलीं- क्या बड़े बड़े देखे थे और काहे से दबे थे?
मैंने कहा- अरे भाभी आपका पेटीकोट ऊपर था न.
भाभी- तो पेटीकोट के नीचे से कुछ दिख गया था क्या?
मैंने शर्मा रहा था मगर भाभी थीं कि एकदम से बिंदास हुई जा रही थीं.
मैंने कहा- भाभी नीचे की तो कोई चीज नहीं दिखी मगर ऊपर आपके वो दोनों बहुत मस्त थे.
भाभी- क्या बड़े थे और क्या मस्त थे … उनका कोई नाम तो होता होगा.
मैंने उनके मम्मों की तरफ इशारा करते हुए कहा- भाभी वो कुछ ऐसे ही थे.
भाभी अपने मम्मे तानती हुई बोलीं- ऐसे कैसे थे … अरे तुमको उनका नाम भी नहीं मालूम … कैसे शहरी बाबू हो?
मैंने कहा- भाभी अब आप मेरी ले रही हैं.
भाभी ने हंस कर कहा- लो, ये तो उलटे बांस बरेली वाली बात हो गई. मैं ले रही हूँ कि तुम मेरी ले रहे हो?
मैंने कहा- काश भाभी मैं आपकी ले पाता.
भाभी बोलीं- इसमें इतनी गहरी सांस लेने की क्या बात है … मैं तो तुम्हारी भाभी हूँ, मुझसे कैसा शर्माना … एक बार बोलो तो कि किधर से लेनी है, मैं तुरंत दे दूंगी?
मैं समझ गया कि भाभी पूरी मस्ती में हैं और मुझे अपने ऊपर चढ़ने देंगी या नहीं ये बात जरा और क्लियर हो जाए.
मैंने भाभी को और मस्त करने की कोशिश की.
मैंने कहा- शहर में तो मुझे ये बात कहनी ही नहीं पड़ती है. जिधर से लेना चाहो मिल जाती है.
भाभी ने आंखें मटका कर कहा- ओहो … लाला मतलब तुम्हारी गर्लफ्रेंड चाहे जिधर से दे देती है?
मैं कहा- हां भाभी, आप सही पकड़े हैं.
भाभी बोलीं- लो मैंने तो अभी कुछ पकड़ा ही नहीं है और तुम कह रहे हो कि सही पकड़ा है.
इतने में चाची जी अन्दर आ गईं और बोलने लगीं- क्या पकड़ने की बात हो रही है देवर भाभी में. मुझे भी तो मालूम हो.
भाभी हंसने लगीं और चाची से आंख दबा कर कुछ इशारा करने लगीं.
मैंने देखा कि चाची ने भी अपनी मुंडी हिला कर सहमति दे दी थी.
ये घपला क्या था … मुझे समझ नहीं आया.
फिर चाची चली गईं और मैंने भाभी की फिर से लेनी शुरू कर दी कि भाभी आपकी शादी से पहले कितने ब्वॉयफ्रेंड थे और भैया से शादी होने के बाद क्या क्या किया … वगैरह वगैरह.
उन्होंने भी मुझसे कई सवाल किए.
इन सब बातों से हम दोनों काफी खुल गए थे.
ऐसे ही पूरा दिन बीत गया और अब सोने का समय आ गया था.
ताऊ ताई छत पर, चाचा बरामदे में और मैं भाभी और चाची आंगन में सो रहे थे.
मेरा और भाभी का बिस्तर काफी पास था.
नई जगह होने के कारण मुझे नींद नहीं आ रही थी और अपनी चाची और भाभी की बड़ी चूचियों को देख कर मैं बहुत उत्तेजित हो गया था.
मैं अपने फोन पर पोर्न देखने लगा. इयर फोन घर पर भूल आने के कारण मुझे वीडियो बिना आवाज के देखनी पड़ रही थी.
तभी मुझे किसी के उठने की आहट महसूस हुई और मैंने हड़बड़ी में फोन बंद कर ही रहा था पर गलती से आवाज फुल पर हो गई और उसमें से चुदाई की अहह अह्हह जैसी आवाज़ आने लगी.
हड़बड़ी में मेरा फोन भी जमीन में गिर गया.
मैं जैसे ही उसे उठाने के लिए उठा, मेरे सामने मेरी भाभी खड़ी थीं.
उन्होंने मोबाइल ऑफ कर दिया और मुझे अन्दर कमरे में ले गईं.
उधर लाईट काफी डिम थी, पर हम एक दूसरे को अच्छे से देख सकते थे.
मैं भाभी को सॉरी बोलने लगा.
भाभी- अरे बाबू डरो मत, मैं इस बारे में किसी को नहीं बताऊंगी, लेकिन …
मैं- लेकिन क्या भाभी … प्लीज आप किसी को मत बताइएगा, आप जो कहोगी मैं वो करूंगा!
भाभी हंस कर बोलीं- हां ठीक है, किसी को नहीं बताऊंगी, पर तुम्हें मेरी एक मदद करनी होगी.
मैं- कैसी मदद भाभी!
भाभी ने खुल कर कहना शुरू कर दिया- बाबू, तुम्हारे भैया ने मुझे एक साल से नहीं चोदा हैं, मैं बहुत अकेली हूँ. बच्चा ना होने की वजह से तुम्हारी ताई मुझे बहुत खरी-खोटी सुनाती हैं. तुम मेरी मदद करोगे ना बाबू … तुम मुझे चोदोगे ना?
मैं ये सब भाभी के मुँह से सुन कर एकदम से शॉक्ड हो गया था, पर अन्दर से खुश भी था.
मैंने कहा- हां भाभी में आपकी मदद करूंगा.
ये सुन कर भाभी ने मुझे देख कर स्माइल की और मुझे किस करने लगीं.
मैंने भी समय ना गंवाते हुए उन्हें बांहों में जकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से किस करने लगा.
उफ्फ … क्या रसीले होंठ थे भाभी के!
उनके गुलाबी होंठों का रस आज भी मेरे होंठों पर ताजा है.
मैंने उन्हें बेड पर लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया. एक हाथ से मैं उनकी चूची दबाने लगा और दूसरा हाथ उनकी साड़ी के अन्दर डाल दिया.
मैं अपने हाथ से भाभी की रसीली हो चुकी चूत को तेजी से रगड़ने लगा.
भाभी लगातार आंह आंह की आवाज़ निकाल रही थीं- आह बाबू आज मेरी चूत का सारा पानी निकाल दो. इसे ज़ोर ज़ोर से दबाओ मेरी जान … मुझे अपनी पत्नी बना लो … उम्मम अहहह.
मैं लगातार उनके होंठों को चूस रहा था और उनकी घने बालों वाली चूत को रगड़ रहा था.
अब हम दोनों ही बहुत गर्म हो चुके थे और भाभी भी मेरे 6 इंच के लंड की प्यासी हो रही थीं.
मैंने भाभी को पूरी नंगी कर दिया था.
मुझे जिस दिन का इंतजार था, वो दिन आज आ गया था.
मैंने भाभी की टांगें फैला दीं और उनकी चूत चाटने लगा.
भाभी एकदम से उतावली हो चुकी थीं.
कुछ ही देर में भाभी ने चूत का रस फैंक दिया.
मैंने उनकी चूत में अपनी जीभ डाल रखी थी, इससे उनकी चूत का सारा रस मेरे मुँह में चला गया.
वो मेरा सर अपनी चूत की तरफ दबा रही थीं और आह आह कर रही थीं- अहह उफ्फ मेरे राजा … चाट लो मेरी बालों वाली चूत को … आह मेरी जान उफ्फ रुकना मत!
मैंने भाभी की चूत को एकदम से साफ़ कर दिया था.
अब मेरा नम्बर आ गया था.
भाभी ने मेरा लंड हाथ में लिया और सहलाने लगीं.
मैंने कहा- अब हाथ से क्या सहला रही हो भाभी, मुँह में ले लो न.
भाभी ने अगले ही पल मेरे लंड के सुपारे पर अपनी जीभ फिरा दी.
आह मेरी तो निकल पड़ी थी.
भाभी की गर्म जीभ ने मेरे लौड़े को चूसना चाटना शुरू कर दिया था.
कुछ ही देर बाद भाभी बोलीं- लाला, एक बार अपने लंड का गाढ़ा माल मेरी चूत में टपका दो ताकि मैं तुम्हारे बीज से मां बन जाऊं. फिर दूसरी बार में तुम जैसे चाहोगे, मैं तुम्हारे साथ खेल लूंगी.
मैंने भाभी की बात मान ली और उनकी चूत को चुदाई की पोजीशन में सैट करके लौड़ा चांप दिया.
भाभी की घिग्गी सी बंध गई लेकिन उन्होंने मुझे रोका नहीं.
मैं लंड अन्दर बाहर करने लगा और कुछ ही देर में भाभी को मजा आने लगा.
दस मिनट बाद मैंने तेज तेज शॉट मारे और भाभी से कहा- मेरा रस आने वाला है.
भाभी भी गांड उठाती हुई बोलीं- हां बस मैं भी आ गई.
हम दोनों एक साथ स्खलित हो गए और हांफते हुए एक दूसरे को जकड़ कर लेट गए.
कुछ देर बाद दूसरी बार की चुदाई हुई और भाभी ने इस बार मेरे लंड का रस भी पिया.
उस रात भाभी को तीन बार चोदने के बाद मैंने उनसे कहा- भाभी, एक बात सच सच बताना … चाची ने आपको आंख क्यों मारी थी.
भाभी ने मुझे चूमा और बोलीं- उनको भी तुम्हारा लंड लेना है.
मैं खुश हो गया कि मुझे Xxx विलेज सेक्स का भरपूर मजा मिलने वाला है.
और कुछ देर इसी मुद्दे पर बात करने के बाद सो गए.
सुबह चाची ने मुझसे बात की और उसी रात को चाची की चूत का काम तमाम हो गया.
वो सब कैसे हुआ था, मैं आपको अगली सेक्स कहानी में लिखूंगा.
यह Xxx विलेज सेक्स कहानी आपको कैसी लगी? आप मेल जरूर करें.
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