भाभी के साथ होटल में प्यार की चक्की- 1

(Xxx Play With Hot Bhabhi)

Xxx प्ले विद हॉट भाभी कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने दूर के रिश्ते में भाभी से नजदीकी बढ़ाई, दोस्ती बढ़ाई और उन्हें सेक्स के लिए राजी किया, होटल में उनकी चूत मारी.

मेरे प्यारे चोदू दोस्तो और गर्मागर्म चुदक्कड़ भाभियो, आप सभी को मेरा और मेरे खलबली लण्ड का चुदाई भरा नमस्कार।

आशा है आप सभी मेरी कहानियों का भरपूर आनंद ले रहे हैं।

मेरी पिछली कहानी
मेरे दोस्त की गर्लफ़्रेंड की चूत
के बाद मुझे आप लोगों के ढेरों ईमेल आए जिसके लिए मैं सभी का धन्यवाद करता हूँ।
आपसे अनुरोध है कि आप अपने अपने लण्ड और चूत को मुठिया और मसोड़ कर कहानी पड़ने को तैयार हो जायें क्यूँकि आज आपका ख़ूब सारा पानी गिरने वाला है।

बहुत समय ना लगाते हुए सीधे Xxx प्ले विद हॉट भाभी कहानी पे आते हैं।
आज की मेरी कहानी है मेरी एक भाभी के बारे में जिनका नाम है चिक्की।

यूँ तो चिक्की मेरी बहुत दूर के रिश्ते की भाभी है.
पर दोस्तो, भाभी तो भाभी होती है … ना पास की होती है और ना दूर की!
और जब वह हरी भरी हो, जवान हो और आपके लण्ड को परेशान करती हो, तब तो बात ही कुछ और होती है।

यहाँ चिक्की के बारे में बताता चलूँ … चिक्की की उम्र 35 वर्ष, रंग सांवला, क़द 5’ 3”, स्तन औसत, गांड – भरी और गदरायी … जिसको देख के किसी का भी लण्ड मचल जाए।

चिक्की से मिलना कभी कभी सामाजिक कार्यक्रम में हुआ करता था और कुछ ख़ास बात नहीं होती थी।
बात शुरू तब हुई जब हम आए दिन अपनी दिनचर्या के कारण मिलने लगे।

मैं रोज़ जिम जाता था और वह मंदिर!
और हम दोनों का गंतव्य बिलकुल आस पास था।

मैं एक बार चिक्की से क्या टकराया, मैंने रोज़ उसी समय जिम जाना शुरू कर दिया जिससे मेरी और चिक्की की अक्सर मुलाक़ात होने लगी.
और मुलाक़ातें बढ़ीं तो बातें भी बढ़नी शुरू हुई और फ़ोन नम्बर भी साझा हो गए.

रिश्तेदारी अब दोस्ती में बदल गयी और मैं चिक्की की चुदाई के बारे में सोच के मुट्ठी मारने लगा।
बातों के दौरान चिक्की के बारे में बहुत कुछ पता चला और यह भी कि वह एक स्कूल में प्रधान अध्यापिका है।

मेरी शुरू से एक फ़ैंटसी ये भी रही है कि किसी अध्यापिका के साथ सम्भोग करूँ तो चिक्की हो गयी सोने पे सुहागा!

चिक्की थोड़े खुले मिज़ाज की थी तो बातों बातों में एक दिन मैंने उसको पुच्ची दे दी.
और यहाँ से शुरू हुई करीबी दोस्ती।
फ़ोटो अदला बदली करना आम बात हो गयी।

एक दिन मैंने उससे कहा- मुझे तुमको तौलिये में देखना है.
तो वह शर्मा गयी और उसने फ़ोन काट दिया।

मुझे लगा कि दोबारा बात करूँ.
पर उसने फ़ोन नहीं उठाया।

कई दिनों तक बात नहीं हुई तो एक दिन मैंने उसको जिम के बाहर ही पकड़ लिया और उसको अपनी नाराज़गी बता के आगे बढ़ गया।

अब इंतज़ार करने का नम्बर चिक्की का था।
जब उसने कई दिन तक फ़ोन किया और मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो उसने एक दिन मुझे सिर्फ़ तौलिये की फ़ोटो भेजी।

रास्ता साफ़ नज़र आने लगा तो मैंने उदासी वाली स्माइली भेज दी और कोई जवाब नहीं दिया।
चिक्की का जवाब आया- कल सुबह 6:30 पर मेरे बस स्टाप पर आ कर मिलो।

मैं तय समय से पहले ही स्टाप पर पहुँच के इंतज़ार करने लगा।
चिक्की आकर मेरी गाड़ी में बैठ गयी और मुझे चलने का इशारा किया।

मैंने गाड़ी उसके स्कूल की तरफ़ बढ़ाई और उससे कोई बात नहीं की।
चिक्की ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और सहलाने लगी।

मैंने कोई प्रति उत्तर नहीं दिया तो चिक्की ने बढ़ कर मेरे गाल पे एक हल्का सा चुम्बन जड़ दिया और बोली- अब तो मान जाओ प्लीज़! एक ज़रा सी बात पे मुँह बनाए बैठे हो।

राहुल- ज़रा सी बात थी तो पूरी क्यूँ नहीं की?
चिक्की- हर चीज़ का एक समय होता है … सही मौक़ा होता है!

राहुल- मुझे भी तो बताओ कि तुम्हारा वो सही समय कब आएगा?
चिक्की- क्या पता अभी वो सही समय हो!

और इतना कह कर चिक्की ने मुझे अपने फ़ोन में उसकी एक फ़ोटो दिखायी जिसमें वो तौलिए में लिपटी थी।

मैंने गाड़ी साइड में लगाई और उसके फ़ोटो को जी भर निहारा।

चिक्की ने तौलिया अपने चुचों के ज़रा ऊपर बाँधा था जिससे उसके चुचों का मनमोहक ढाल और उनके बीच की खूबसूरत खाई दिख रही थी।

मैं तो जैसे उस फ़ोटो में ही खो गया।
मैंने अपना हाथ चिक्की की जाँघ पर रख दिया और उसका मर्दन करने लगा।

इसी बीच मैंने अपने लोअर से लण्ड बाहर निकाला और चिक्की के हाथ में थमा दिया।
चिक्की को जैसे ही आभास हुआ कि मेरा लण्ड उसके हाथ में है तो उसने पहले नीचे देखा, फिर मेरी आँखों में देखा और फिर अपना हाथ हटाना चाहा.
पर मैंने उसके हाथ को वहीं थाम लिया और उसको एक हल्की सी पप्पी दे कर गाड़ी आगे बढ़ा दी।

अचम्भे की बात ये थी कि अब, जबकि मैंने चिक्की का हाथ भी नहीं पकड़ा था फिर भी चिक्की मेरा लण्ड थामे मुझे देखे जा रही थी।

कुछ ही देर में हम चिक्की के स्कूल के बाहर थे।
चिक्की गाड़ी से उतर के स्कूल की तरफ़ बढ़ी तो मैंने उसको बाई बोला और गाड़ी वापस घर की तरफ़ घुमा दी।

अब इंतज़ार था तो सही दिन का जब मैं चिक्की की चूत की चुदाई कर सकूँ।

मैंने चिक्की को थैंक्यू का मेसज भेजा और उसके फ़ोन का इंतज़ार करने लगा।

दोपहर बाद चिक्की का फ़ोन आया तो वह कुछ बोल नहीं पा रही थी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- तुमने ये क्या कर दिया राहुल … एक अजीब सी घुटन महसूस हो रही है सुबह से!
राहुल- मैंने क्या किया?

चिक्की- इतने भोले मत बनो। सब जानते हो तुम। मेरे हाथ में वो …
और इतना कहकर चिक्की चुप हो गयी.

राहुल- पूरी बात कहो … वो क्या?
चिक्की- कुछ नहीं!

राहुल- मुँह में बात आ गयी तो बोल भी दो. वरना मुँह में तो रखना ही है.
और इतना कहकर मैं हंस दिया।

चिक्की- तुम क्या चाहते हो मेरे से?
राहुल- तुमको चाहता हूँ चिक्की … सिर्फ़ तुम और कुछ नहीं … इस बार तो तौलिया भी नहीं।
चिक्की- पगला गए हो क्या? कुछ भी बक रहे हो!

राहुल- कहीं चलते हैं यार … 2-4 घंटों का समय निकालो ना मेरे लिए!
चिक्की- मैं शादीशुदा हूँ। जवाब देना होता है घर पर … चलो देर हो रही है। बाक़ी बातें फिर करेंगे.

राहुल- फ़ोन काटने से पहले सुनती जाओ कि मुझे एक फ़ोटो सिर्फ़ तुम्हारी चाहिए … बिना तौलिये के … और वो भी बहुत जल्दी!
और इसके बाद चिक्की की तरफ़ से सिर्फ़ ‘हम्म …’ की आवाज़ आयी तो फ़ोन कट गया।

गाड़ी सही दिशा में दौड़ रही थी और सही मौक़े का इंतज़ार करना था।
फ़ोन पे बातें रोज़ होने लगीं और फ़ोटो का आदान प्रदान भी ज़ोरों पर रहा।

हम दोनों का सुबह को मिलना जैसे आम हो गया और मैं हर बार उसको अपना लण्ड थमा देता।

कुछ दिनों में चिक्की ने अपने नंगे चूचों की फोटो भी मुझसे साझा की।
अब इंतज़ार था एक ऐसे मौक़े का जब हम दोनों एक दूसरे के साथ हमबदन हो सकते थे.

और इसीलिए मैं उससे कहीं और मिलने के लिए रोज़ कहता।

फिर एक दिन जब मेरी ज़िद के आगे चिक्की कि एक ना चली.
उसने बताया कि वह कोई कोर्स कर रही है जिसकी क्लास के बहाने से वह नॉएडा जाने को घर पर बता सकती है.
और हमने अगले संडे का प्लान किया।

प्लान के हिसाब से मैंने एक अच्छे होटल में कमरा बुक किया और चिक्की को सुबह CP से पिक करके सीधा होटल पहुँचा जहां मैं पहले ही चेक-इन कर चुका था।

हमने सीधे कमरे की तरफ़ रुख़ किया और कुछ ही देर में मैं और चिक्की होटेल के कमरे में थे।

आज चिक्की की ताबड़तोड़ चुदाई तय थी और मेरा लण्ड इस ख़ुशी में फुले ना समा रहा था।
चिक्की थोड़ी असहज थी और शर्मा रही थी.

हमने थोड़ी देर इधर उधर की बातें की और मैंने मौक़ा देख के उसके होंठों पे अपने होंठ रख दिए।
उसको थोड़ा समय लगा खुलने में … पर कुछ ही समय में मैंने उसको बिस्तर पर खिंच लिया।

चिक्की के कपड़े उतारने को मैं प्रयास कर रहा था पर जाने क्यूँ आज वो इतना शर्मा रही थी जितना आज तक नहीं शर्मायी थी.

इतने में उसके पति का फ़ोन आ गया और उसको फ़ोन उठाना पड़ा।
मैंने उस फ़ोन का फ़ायदा उठाते हुए उसकी जींस की बेल्ट खोल दी जिसका उसने विरोध तो किया पर उसको फ़ोन के दौरान पीछे से कोई आवाज़ नहीं चाहिए थी तो मुझे समझने में देर नहीं लगी कि इस समय उसकी जींस उतारना मेरे लिए बहुत आसान था।

मैंने भी मौक़ा देख के उसकी जींस और पैंटी दोनों को एक साथ एक ही झटके में उसके बदन से अलग कर दिया।
अब चिक्की मेरे सामने उस कमरे में नीचे से बिलकुल नग्न थी और मेरी आँखों की चमक ज़ोरों पे थी।

चिक्की ने फ़ोन काटा और सबसे पहले ख़ुद को छिपाने को कुछ खोजने लगी।
जब कुछ नहीं मिला तो उसने अपने पैरों पे तकिया रखा और अपनी प्यारी सवालिया निगाहों से मुझे देखने लगी।

राहुल- ऐसे क्या देख रही हो?
चिक्की- क्या करते हो यार? घर से फ़ोन था और तुम …
राहुल- क्या तुम … ख़ुद को तो देखो … कब से शर्मा रही हो?

चिक्की- मुझे बहुत घबराहट हो रही है राहुल!
राहुल- वो क्यूँ?
चिक्की- मैंने कभी अपने पति के अलावा किसी से कोई सम्बंध नहीं बनाया. और पता नहीं तुम्हारे साथ भी यहाँ तक कैसे …
फिर उसने अपनी आँखें झुका लीं.

राहुल- इतना क्यूँ सोच रही हो जान … मैं सब जानता हूँ और तुम्हारे यहाँ होने का मतलब यह नहीं कि तुम कुछ ग़लत कर रही हो. कभी कभी ज़िंदगी में कोई कमी ज़रूर होती है कि हमें उसको पूरा करने के लिए कुछ नहीं तरीक़े, कुछ नए रिश्ते बनाने ज़रूरी हो जाते हैं।

चिक्की- तुमने इतना कहकर मेरे ऊपर से बोझ कम कर दिया। बस मैं इतना चाहती हूँ कि तुम मुझे कोई ऐसी वैसी ना समझने लगो। मैंने बहुत सोच समझ कर तुम्हारे पास आने का फ़ैसला लिया है.

और फिर मैंने अपने होंठ चिक्की के होंठों पे रख उनको चूमना चूसना शुरू कर दिया।
चिक्की मेरा पूरा साथ दे रही थी और मैं एक हाथ से उसके चूचों का मर्दन कर रहा था।

कुछ ही देर में मैंने चिक्की की टॉप और ब्रा भी उतार फेंकी और अब वो मेरे सामने जन्मजात नग्न अवस्था में थी।
मैंने चिक्की को बिस्तर पे लिटा दिया और उसको ऊपर से नीचे तक अपनी हवस भरी आँखों से देखते हुए उसके पूरे बदन पर हाथ फ़ेरा … जैसे कोई मुआयना कर रहा हो।

चिक्की ने शर्म के मारे अपनी आँखें ज़ोर से बंद कर रखी थी.
और मैं इतने जोश में था कि मेरे लण्ड में खून की टक्कर को महसूस कर सकता था।

मैंने कोई देर ना करते हुए चिक्की के जिस्म पे जैसे हमला कर दिया और उसके चूचों को बारी बारी पीते हुए उसकी चूत पे चाँटे लगाने लगा।
चिक्की ने अपनी दोनों टांगें खोल के मुझे पूरी जगह दी और मैंने उसकी चूत का मर्दन शुरू कर दिया।

मैं कभी उसकी चूत को थप लगाता तो कभी उसके चूचों को मसोड़ देता।
चिक्की की बढ़ती हुई उत्तेजना उसकी आहों से महसूस की जा सकती थी।

मैंने जल्दी से अपने कपड़ों को ख़ुद उतारा और दोबारा चिक्की के ऊपर छा गया।

इस बार मैं चिक्की के होठों से शुरू होकर, उसकी गर्दन को चूमते हुए उसके चूचों पर पहुँचा।
मैंने एक चूचे को चूसना – काटना शुरू किया और दूसरे को हाथ से सहलाना।

उसके निप्पल को मैंने एक एक करके अपने मुँह में भर कर उनका स्वाद लिया।
बीच बीच में मैं चिक्की के चूचों पे लव बाईट भी दे देता जिससे वह और मचल जाती।

चूचों के साथ जितने क्रियाकलाप हो सकते हैं, मैंने सब चिक्की के चूचों के साथ किये और उसकी चूत का मर्दन भी करता रहा जिससे वह बहुत कामुक हो गई थी।

चूचों पे थोड़ा समय बिताता हुआ उसकी नाभि को चूमता, उसकी चूत पे जा पहुँचा।
मैंने चिक्की की चूत के होठों को अपने हाथों से खोला और अपनी जीभ को उसकी चूत में रगड़ने लगा।

मेरी जीभ के स्पर्श होने की देर थी कि चिक्की ने उत्तेजनावश रोना शुरू कर दिया।
मैंने चिक्की की चूत में एक उंगली डाल के उसका घर्षण शुरू किया और साथ ही उसकी चूत को चाटना जारी रखा।

चिक्की अपनी गांड बार बार ऊपर उठा रही थी और हाथ से मेरे सिर को अपनी चूत में धकेल रही थी।
उसके व्यवहार से यह साफ़ था कि उसने ऐसी अनुभूति पहले कभी महसूस नहीं की थी।

क़रीब 10-12 मिनट के इस खेल के बाद चिक्की गुर्राते हुए अपने कामरस को बहाने लगी जिसको मैंने अपनी लपलपाती जीभ से चाट के पी लिया।

चिक्की बिस्तर पे ऐसे पड़ी थी जैसे चारों खाने चित्त।
किसी भी बंदी को हमेशा के लिए अपना बनाने के लिए, उसको अपना चस्का लगाने के लिए यह बहुत ज़रूरी होता है कि वह आपके साथ इतनी उत्तेजित हो, इतनी संतुष्ट हो कि उसको समय समय पर आपके साथ बिताया समय याद आए जिससे वह स्वयं पलट के आपके पास वापस आए.
और आज के लिए मैं अपने लक्ष्य को प्राप्त कर चुका था।

इससे पहले चिक्की की उत्तेजना शांत होती, उसकी आग को दोबारा भड़काना ज़रूरी था.
और इसलिए मैंने चिक्की की चूत को छोड़, उसकी टांगों के बीच में जगह बनायी और अपने लण्ड को उसकी चूत पे रगड़ने लगा।

मुझे लगा कि बाक़ी सब काम बाद में भी हो सकते हैं … पहले इसकी चूत को भोग लिया जाए जिससे दोबारा के सारे रास्ते हमेशा के लिए खुले रहें.
और इसी सोच के साथ मैंने चिक्की की चूत में अपना लण्ड पेल दिया।

मेरे लण्ड को चिक्की की चूत में समाने के लिए बहुत मेहनत नहीं करनी पड़ी और वो थोड़े प्रयास से ही चिक्की की चूत में उतरता चला गया।
चिक्की के चेहरे से और उसकी कराहटों से उसकी असहजता का अनुमान लगाना कोई मुश्किल नहीं था।
उसकी आँखें बंद थीं और उसकी आहें बढ़ती जा रही थीं।

चिक्की चादर को मुट्ठियों में भींचे, जीभ को दांतों को दबाए, आँखों को मींचे इस शुरुआती मीठे दर्द से से जूझ रही थी।
उसकी कनखियों से आंसू हल्के से बहते मुझे दिख रहे थे।

इस सबके बाद भी उसके चेहरे पर संतुष्टि थी और मैंने चिक्की की चूत में धक्के लगाने जारी रखे।
साथ ही मैंने चिक्की के होंठों को पीना शुरू किया जिससे उसकी आवाज़ें कमरे से बाहर ना जाएँ।

मैं धक्के लगाता रहा और चिक्की की टांगें हवा में उठती गयीं।
“ओह राहुल … थोड़ा धीरे … मेरे लिए तुम्हारा बहुत कड़क है … आह … दर्द हो रहा है यार … थोड़ा धीरे करो ना प्लीज़ …” यही सब बातें करते करते कुछ ही देर में चिक्की सहज हो गई और मेरी हर ठाप का पलट के जवाब देने लगी।

अब चिक्की ने मुझे बेहताशा चूमना और चाटना शुरू कर दिया और बीच बीच में काट भी लेती।
जाने उस पर क्या फ़ितूर चढ़ा था कि उसने मेरे पूरे सीने पे अपने दांतों और होठों के निशान छोड़ दिए थे।

उसके हाथ मेरी पीठ पे कोई जादू बिखेर रहे थे और जब उसका मौक़ा लगता तो वह मेरी पीठ में अपने नाखून गाड़ने से पीछे नहीं रहती।
मुझे उसके नाखून गाड़ने से कुछ ज़ख़्म हुए थे शायद जिसके कारण मुझे पीठ पर चीस लग रही थी।
एक मीठा सा दर्द था जो हम दोनों के बदनों की आग के आगे अनदेखा हो रहा था।

मुझे चिक्की की चूत पेलते हुए 15-20 मिनट हो चुके थे कि मैंने अपने लण्ड को थोड़ा अंदर खींचते महसूस किया।
मैं समझ गया कि चिक्की की चूत मेरा लण्ड अंदर निगल रही है … मतलब उसकी मांसपेशियाँ खींच रही थीं और वह कभी भी अपने चरम को प्राप्त कर सकती थी।

मैंने भी अपने धक्कों की गति बढ़ा दी।
चिक्की ने अपने पैरों में मेरी कमर को ऐसे जकड़ लिया जैसे कोई हथकड़ी।
मुझे धक्के लगाने को मेहनत करनी पड़ रही थी और वह मुझे पूर्णतः ख़ुद में समाने की कोशिश कर रही थी।

नीचे उसकी चूत मेरा लण्ड निगलने को उतावली थी और ऊपर से वो अपने पैरों से मुझे ख़ुद के अंदर धकेल रही थी।

बस फिर कुछ ही देर में चिल्लाते हुए चिक्की एक बार फिर झड़ने लगी.

मगर मैं अभी अपने चरम पर पहुँचने से कोसों दूर था।
मुझे चिक्की को देर तक भोगना था।

चिक्की की पकड़ मुझ पर ढीली पड़ने लगी और उसने अपने पैर खोल के मुझे आज़ाद किया।
मैं थोड़ी देर के लिए चिक्की के ऊपर ही लेट गया और हल्के धक्के लगाता हुआ मैंने अपना काम जारी रखा।

चिक्की ने अपनी आँखें खोली और मुझे प्यार भरी निगाहों से देखते हुए मेरे होठों को चूमने लगी।

चिक्की की चूत से सारा रस निचोड़ने के कुछ समय बाद मुझे कुछ सूखापन महसूस हुआ तो मैंने चिक्की को मेरा लण्ड चूसने का इशारा किया.

और मेरे अचम्भे की सीमा नहीं रही जब उसने बिना कुछ कहे नीचे जा कर मेरे लण्ड को हाथ में थामा, मुझे एक बार नज़र उठा कर देखा और मेरे लण्ड से खेलने लगी।
पहले उसने मेरे लण्ड को चूमा और फिर जीभ निकाल कर मेरा लण्ड चाटना शुरू कर दिया।

उसने मेरा पूरा लण्ड चाट के साफ़ कर दिया और अब उस पर चिक्की के कामरस का कोई नाम-ओ-निशान बाक़ी नहीं था। चिक्की ने मेरे लण्ड की खाल को पीछे किया और मेरे लण्ड के टोपे पर जीभ गोल गोल घुमाने लगी। ये मुझे बहुत ज़्यादा उत्तेजित कर देता है और मुझसे कंट्रोल नहीं होता। एक अजीब अनुभूति होती है और लगता है कि पूरे जिस्म में चींटियाँ सी रेंग रही हैं।

कुछ ही देर में चिक्की मेरे लण्ड को लॉलीपॉप की तरह किसी एक्स्पर्ट की तरह चूस रही थी।
चिक्की बीच बीच में मेरे लण्ड को पूरा निगल रही थी और मेरा लण्ड उसके हल्क़ तक दस्तक दे रहा था।

लण्ड चूसने में तो जैसे चिक्की को महारत हासिल थी।
जब चिक्की मेरे लण्ड के टोपे से खाल पूछे खींच कर उसपे जीभ फेरती तो जैसे मेरी साँसें अटक ही जाती और मुझे उसके मुँह से लण्ड को बाहर निकालना पड़ता.
जिस पर वह मुझे देख कर मुस्कुरा देती।

वह मेरा कमज़ोर भाग समझ गई थी और जैसे मुझे बता रही थी कि जैसे तुमने मुझे अपने लण्ड से परेशान किया था अब वैसे ही मैं भी तुमको तुम्हारे ही लण्ड के माध्यम से परेशान करने वाली हूँ।

अगर चिक्की थोड़ी देर और मेरा लण्ड पीती रहती तो शायद मैं ख़ुद को रोक नहीं पाता.
Xxx प्ले विद हॉट भाभी कहानी अगले भाग में चलेगी.
अभी तक की कहानी पर अपनी राय अवश्य दें.
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Xxx प्ले विद हॉट भाभी कहानी का अगला भाग: भाभी के साथ होटल में प्यार की चक्की- 2

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