अहमदाबाद में मिली प्यारी गुजराती भाभी- 5

(Xxx Luv Sex Story)

आर्णव 1 2025-04-16 Comments

Xxx लव सेक्स स्टोरी में एक भाभी ने अपनी यौनेच्छायें पूरी करने के लिए मुझे चुना. पर धीरे धीरे भाभी को मुझसे प्यार हो गया. वे मुझे खश करने के लिए यत्न करती थी.

कहानी के चौथे भाग
भाभी ने अपनी यौन कामनाएं पूर्ण की
में अपने पढ़ा कि एक भाभी अपने पति की चुदाई से खुश नहीं थी. उसने मुझे दोस्त बनाया और मेरे साथ वो सब किया जो वो चाहती थी.

अब आगे Xxx लव सेक्स स्टोरी:

मैं बोला, “भाभी, आपकी खुशी में ही मेरी खुशी है। पर मेरा अभी तक हुआ नहीं है।”
भाभी बोलीं, “हाँ, मुझे पता है, पर मुझे दो मिनट दे दो।”
मैं बोला, “ठीक है, भाभी।”

भाभी बोलीं, “अभी भी भाभी बोल रहे हो?”
मैं बोला, “ठीक है, मेरी जान।”
भाभी मुस्कुराने लगीं।

मैंने अपने हाथ उनके नितंबों के उभारों पर चलाना शुरू कर दिया, फिर उन्हें मसलने लगा।
ऐसा करते-करते मैंने एक उंगली उनकी गांड की दरार में चलाना शुरू कर दिया।

भाभी थोड़ा कसमसाईं, फिर भी पड़ी रहीं, कुछ नहीं बोलीं।

अब मैंने उनकी गांड के छेद को टटोलना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मैंने एक उंगली अंदर डालने की कोशिश की, तो भाभी थोड़ा उछलकर आगे हो गईं और बोलीं, “तुम बहुत गंदे हो। ऐसा कोई करता है भला? मुझे दर्द होता है, तुम्हें दर्द देने में मज़ा आता है?”
मैंने सॉरी कहा।

भाभी बोलीं, “मुझे पता है तुम्हें क्या चाहिए।”

अब भी वो मेरे ऊपर ही लेटी हुई थीं।
वो थोड़ा हिलीं, लंड पकड़कर चूत पर सेट किया और अंदर-बाहर करने लगीं।
मैं भी नीचे से धक्के देने लगा।

पर मुझे ऊपर आना था, तो मैंने भाभी को इशारा किया।
वो मान गईं।

वो बेड पर लेट गईं।
मैंने उनके पैर घुटनों से मोड़े और फैला दिए।

उन्होंने अपनी गांड के नीचे तकिया रख दिया।
मैं उनके पैरों के बीच बैठ गया और लंड को चूत पर सेट किया।

मैंने धीरे-धीरे दबाव बनाना शुरू किया और साथ ही धीरे-धीरे उनके ऊपर लेट गया पर अपना वजन हाथों से बेड पर टिकाकर उनके ऊपर नहीं आने दिया।

अब मैंने भाभी को चूमते हुए रफ्तार बढ़ा दी।
भाभी भी नीचे से धक्के लगाकर मेरा साथ देने लगीं।

अब मैं कभी उन्हें चूमता, कभी उनके उरोज दबाता, तो कभी निपल चूसता।

ऐसे ही लगातार हम दोनों धक्के पर धक्के दिए जा रहे थे।
हम दोनों पसीने से भीग गए थे।
साँसें भी फूलने लगी थीं।

लगातार बीस मिनट से ज़्यादा हो गया था।

अब भाभी ने फिर से पानी छोड़ दिया।
मैं थोड़ी देर रुक गया लेकिन इस बार भाभी दो मिनट में ही फिर से तैयार हो गईं।

और हम फिर से शुरू हो गए।

अब कुछ दस मिनट हुए होंगे कि मेरा निकलने वाला था।
मैंने भाभी को बताया तो उन्होंने अंदर निकालने से मना कर दिया और लंड बाहर निकालने को कहा।

मैंने बाहर निकाल दिया तो उन्होंने वही नैपकिन उठाकर मुठ मारना शुरू कर दिया।
करीब एक मिनट में मेरा लावा फूट पड़ा और मैं वहीँ बेड पर लेट गया।

दस मिनट बाद भाभी उठकर बाथरूम की ओर जाने लगीं।
मैं भी पीछे-पीछे बाथरूम में चला गया।

भाभी मुझे देखकर बोलीं, “मुझे पेशाब करना है।”
मैं बोला, “तो?”
भाभी बोलीं, “तो तुम बाहर जाओ।”

मैं बोला, “नहीं, मुझे आपको पेशाब करते हुए देखना है।”
भाभी बोलीं, “तुम पागल हो गए हो?”

मैं बोला, “क्यों? हमारे बीच इतना सब कुछ तो हो गया।”
भाभी बोलीं, “नहीं, मुझे शर्म आती है। प्लीज़ बाहर जाओ।”
मैं बोला, “ठीक है, पहले आप मुझे पेशाब करते देख लीजिए, फिर मैं आपको देखूँगा। लेकिन देखूँगा ज़रूर।”

इतना बोलकर मैंने पेशाब करना शुरू कर दिया।
भाभी ने गर्दन झुका ली।

मैंने कहा, “भाभी, प्लीज़ देखो ना।”
भाभी देखने लगीं। वो ध्यान से देख रही थीं।

मेरा हो गया तो मैंने कहा, “अब आपकी बारी।”
भाभी बिना कुछ बोले खड़ी रहीं।

मैंने कहा, “भाभी, मैं बिना देखे तो जाने वाला नहीं। आगे आपकी मर्ज़ी।”
भाभी थोड़ा हिचकिचाते हुए बैठ गईं। उन्होंने पेशाब की धार छोड़ दी।

मुझे ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था, पर आवाज़ आ रही थी।
तो मैंने उनके कंधे पर हाथ रखकर दबाव दिया और कहा, “ऐसे नहीं, पैर फैलाकर पूरी तरह नीचे बैठ जाओ।”
भाभी ने अजीब नज़रों से मुझे देखा, पर नीचे बैठ गईं और पैर फैलाकर पेशाब करने लगीं।

मैं पास जाकर ध्यान से देखने लगा, फिर चूत पर हाथ लगा दिया।

उन्होंने धार रोकने की कोशिश की और धार थोड़ी धीमी हो गई।
उन्होंने मेरा हाथ हटाने की कोशिश की, पर मैंने उनका हाथ पकड़ लिया।
मैंने चूत के दाने पर हाथ लगाया और जल्दी से चूत में उँगली डाल दी।

भाभी की धार मेरे हाथ को भिगोने लगी।
भाभी की हालत खराब थी, वो लगातार मुझे देखे जा रही थीं।

भाभी करीब पंद्रह सेकंड तक धार छोड़ती रहीं।
धार बंद हुई, तो उन्होंने मेरा हाथ हटाया और खड़े होकर चूत धोने लगीं।

मैंने शॉवर चालू कर दिया और भाभी को उसके नीचे ले आया।

वो कुछ बोलने वाली थीं, पर मैंने चुप रहने का इशारा किया।
हम दोनों भीग रहे थे। मैंने साबुन उठाया और भाभी के बूब्स और चूत पर लगाना शुरू कर दिया।

भाभी थोड़ी देर में फिर से गर्म होने लगीं।

अब वो भी मेरे ऊपर साबुन लगाने लगीं।
ऐसे ही हमने बाथरूम में एक राउंड चालू कर दिया।

भाभी का बाथरूम काफी बड़ा था तो हमने कई अलग-अलग पोज़िशन में सेक्स किया … खड़े-खड़े, फिर कमोड पर बैठकर, ज़मीन पर बैठकर, घोड़ी पोज़िशन में और भी कई पोज़िशन में।
ये राउंड करीब पच्चीस मिनट तक चला।

हमने एक बार फिर एक-दूसरे को साफ किया और बाहर निकलकर एक-दूसरे को तौलिए से पोंछा।

अब रात के तीन बज गए थे।
भाभी ने कहा, “काफी देर हो गई है, अब सो जाओ।”

तो मैं भाभी को लेकर बिना कपड़ों के बेड पर बाँहों में डालकर लेट गया।

थोड़ी देर बातें करने के बाद हमारी आँख लग गई।

सुबह उठा, तो आठ बज गए थे।
देखा, तो भाभी वहाँ नहीं थीं।

मुझे साढ़े नौ बजे ऑफिस जाना था।
मैं बिना कपड़ों के बाहर गया, क्योंकि मुझे पता था कि रोहन नहीं होगा, वो स्कूल गया होगा।

भाभी किचन में थीं।
मैं चुपके से गया और पीछे से उनके बूब्स पकड़ लिए, फिर गले पर किस करने लगा।

भाभी बोलीं, “ऑफिस नहीं जाना?”
मैंने कहा, “मूड नहीं है।”

भाभी, “ये सब करने के लिए हमारे पास अभी बहुत दिन हैं। सागर को आने में चार दिन बाकी हैं। तुम अभी ऑफिस जाओ।”
मैं, “ठीक है, एक बार अभी कर लूँ, फिर चला जाऊँगा।”

भाभी, “तुम अब हाथ से निकल रहे हो। जब देखो, तब शुरू हो जाते हो। तुम्हें पता है, मेरा पूरा बदन टूट रहा है।”
मैं, “प्लीज़ एक बार, प्लीज़। तुम मेरी जान हो ना।”

ऐसे कहकर मैंने भाभी को अपनी तरफ करके किस करना शुरू कर दिया।
वो भी मेरा साथ देने लगीं।

अब हमारा एक राउंड किचन में चला।
पर ऑफिस जाना था, तो थोड़ी जल्दी निपटाना पड़ा।

फिर तैयार होकर ऑफिस चला गया।
ऑफिस में मन तो लगना था नहीं।

शाम को घर पहुँचा, तो घर एकदम शांत लगा।
मैं रोहन के कमरे में गया, वो नहीं था।

फिर भाभी के कमरे में गया।
वो सो रही थीं।

मैं उनके ऊपर जा गिरा और किस करने लगा।
भाभी जाग गईं।
उन्होंने मुझे हटाया और बोलीं, “पहले नहा तो लो।”

मैंने कहा, “रोहन कहाँ है?”
भाभी, “वो गाँव गया है, दादा-दादी के पास।”

मैं, “आपने भेजा?”
भाभी नीचे सिर करके हँसने लगीं।

मैंने उनका चेहरा ऊपर उठाया और बोला, “हमारे लिए?”
वो शर्मा गईं और दूसरी तरफ घूमकर बोलीं, “तुम फ्रेश हो जाओ। मुझे भी खाना बनाना है।”

मैंने उन्हें पीछे से बाँहों में ले लिया और कहा, “ओह भाभी, तुम कितनी अच्छी हो। मेरा कितना ख्याल रखती हो। आई लव यू, मेरी जान।”
भाभी, “अब छोड़ो भी, खाना बनाना है।”
मैं, “नहीं, आप तैयार हो जाओ। हम बाहर खाना खाएँगे और मूवी भी देखेंगे।”

मैं जाकर फ्रेश होकर तैयार हो गया और भाभी को बुलाने गया।
वो भी लगभग तैयार हो गई थीं, गुलाबी रंग का सलवार-कमीज़ पहना था।
क्या गज़ब लग रही थीं!

फिर हम दोनों भैया की कार लेकर निकले।
एक अच्छी होटल में खाना खाया।

फिर मैंने रात दस बजे का शो देखा, तो एक फिल्म ‘विलन रिटर्न्स’ लगी थी।
और भी कई फिल्में थीं, पर मैं थोड़ी मज़े वाली मूवी देखने जा रहा था।
ये मूवी इसलिए चुनी क्योंकि इसके रिव्यू अच्छे नहीं थे और इसे लगे दो हफ्ते हो गए थे।

रात के शो में लगभग सारी सीटें खाली थीं, तो मैंने लास्ट रो में कोने वाली सीट बुक कर दी।

हम लोग कोल्ड ड्रिंक और थोड़ा नाश्ता लेकर मूवी देखने चले गए।

अंदर करीब दस लोग होंगे, वो भी जोड़े ही थे।
हम अपनी सीट पर जाकर बैठ गए।

भाभी बोलीं, “सब कुछ खाली-खाली क्यों है?”
मैंने कहा, “शायद बाद में आएँगे।”

मूवी शुरू हुए 15 मिनट हुए थे कि मैंने अपनी हरकतें शुरू कर दीं।

मैंने पीछे से हाथ ले जाकर भाभी के बूब्स पर रख दिया।

भाभी ने मेरा हाथ झटककर कहा, “क्या कर रहे हो? हम घर पर नहीं हैं। किसी ने देख लिया, तो बहुत बदनामी होगी।”
मैं, “कोई नहीं देखेगा। अब कोई नहीं आएगा यहाँ। और जो आए हैं, वो भी यही करने आए हैं।”

भाभी ने चारों ओर नज़र घुमाई और बोलीं, “तो तुम मुझे ये सब करने के लिए यहाँ लाए हो? तुम पागल तो नहीं हो गए?”

मैं, “कुछ नहीं होगा भाभी। और हम यहाँ कपड़े उतारकर सेक्स थोड़ी करेंगे। सिर्फ हाथ से एक-दूसरे का पानी निकालेंगे। ये मेरी कब से इच्छा थी। प्लीज़।”

भाभी कुछ नहीं बोलीं।

मैंने फिर एक हाथ उनके उरोजों पर रखा और उनके गले से दुपट्टा सेट करके अपना हाथ थोड़ा ढक लिया।

भाभी ने दुपट्टा ठीक करके खुद को और मेरे हाथ को अच्छे से ढक दिया।
अब मैं मस्ती से उरोज मसलने लगा।

थोड़ी देर ऐसा करने के बाद कमीज उठाकर निपल मसलने लगा, कभी दुपट्टे में सिर घुसाकर चूस लेता।

ऐसा काफी देर तक चलता रहा।
फिर मैंने सलवार नीचे की।
भाभी ने अच्छे से ऊपर के कपड़े ठीक किए।

तब मैंने भाभी का दुपट्टा लेकर मेरे और उनके पैरों पर अच्छे से कवर कर दिया।
फिर मैंने अपनी ज़िप खोलकर भाभी का हाथ अपने लंड पर रख दिया।

भाभी ने मेरा लंड बाहर निकालकर मसलना शुरू कर दिया।
मैंने भी अपना हाथ भाभी की सलवार के अंदर डाल दिया और चूत सहलाने लगा।
कभी चूत के दाने को सहलाता, तो कभी उसे मसल देता।

ऐसा करने से उन्होंने मेरी बाजू को ज़ोर से पकड़ लिया और एक हाथ से लंड सहला रही थीं।
मुझे मज़ा नहीं आ रहा था तो मैंने सलवार और नीचे करने को कहा।

उन्होंने थोड़ा आसपास देखा, फिर सीट पर थोड़ा ऊपर होकर सलवार और चड्डी थोड़ी नीचे कर दीं।

अब मैंने उनकी चूत में उँगली डाल दी और दूसरे हाथ से कभी चूत के दाने को दबाता, तो कभी उनके बूब्स दबा देता।

धीरे-धीरे मैंने दूसरी उँगली भी डाल दी।

अब मैंने उँगली करना तेज़ कर दिया।
भाभी मेरी बाँह से लिपट गईं और लंड को भी ज़ोर से दबा दिया।

अचानक उन्होंने अपना रुमाल चूत पर लगा दिया और मेरा हाथ रोक दिया।
उनकी चूत ने धार छोड़ दी।

हम थोड़ी देर ऐसे ही रुके रहे।

फिर मैंने अपनी उंगलियाँ निकालीं।
भाभी ने रुमाल से मेरा हाथ साफ किया और सलवार पहन ली।

मैं भी अपनी ज़िप बंद कर रहा था, तो उन्होंने मुझे रोक दिया और लंड फिर से बाहर निकालकर हिलाने लगीं।

दो मिनट भी नहीं हुए होंगे कि लंड फिर से टाइट हो गया।

भाभी जिस तरह से लंड से खेलती हैं, उस तरह से मैं आज तक उनके हाथों में पाँच मिनट से ज़्यादा टिक नहीं पाया।
उनका वो हाथ से ऊपर-नीचे करना, टॉप पर उँगली चलाना, कभी चीरे पर उँगली घुमाना, कभी नाखूनों से चीरे को हल्के से कुरेदना—मेरी तो जान ही निकाल देता।

और आखिर में अंडकोष को सहलाना और हल्के से दबा देना … भला कोई अपने आप को झड़ने से कैसे बचा सकता है?
मैं भी मुश्किल से पाँच मिनट टिका और मेरा निकलने को हुआ।

भाभी ने मेरे चेहरे के भाव देखकर रुमाल लंड पर रख दिया।
मैं झड़ता चला गया।

फिर हम थोड़ी देर बैठे और घर चल पड़े।
घर पर आकर दो बार फिर सेक्स किया।

फिर तो रोज़ रात हम पति-पत्नी की तरह बिना कपड़ों के साथ सोते, Xxx लव सेक्स का मजा लेते।

भैया आने वाले थे तो उसके पहले दिन और रात हमने लगातार सेक्स किया।
उस दिन हमने लगभग पाँच बार किया होगा।

फिर भैया जब भी टूर पर जाते, हम चालू हो जाते।

हमारा ये सब एक साल तक चला।

पर कुछ महीने पहले भाभी को घुटने में दिक्कत हो गई।
दो बार ऑपरेशन हुए।

वो ठीक हैं, लेकिन चलने में उन्हें टाइम लगेगा—शायद एक साल या उससे भी ज़्यादा।

उनका ऑपरेशन होने के बाद मैं ज्यादातर उनके घर पर ही रहने लगा।
उनकी सास भी आ गई थीं।

ऐसे ही दो महीने बीत गए।
फिर भाभी की सास को ज़रूरी काम से गाँव जाना पड़ा।

मैं और भैया बारी-बारी रुककर भाभी का ख्याल रखने लगे।

एक दिन भाभी से मिलने उनके कुछ रिश्तेदार आए हुए थे।

मैं वहीं था, तो भैया मुझे भाभी के पास छोड़कर उन्हें स्टेशन छोड़ने चले गए।

मैं भाभी के पास बैठा था।
भाभी मेरी तरफ देखे जा रही थीं।

मैंने उनके होंठों पर छोटा-सा किस किया।

भाभी मुस्कुराईं और अपना हाथ से लंड छूते हुए बोलीं, “तुम चिंता मत करो, इस जनाब के लिए सहेली का इंतज़ाम कर लिया है मैंने।”
मैंने कहा, “मतलब?”

भाभी, “अरे बुद्धू, तुम्हारे सेक्स के लिए नई औरत ढूँढ ली है मैंने।”
मैं, “पर मैं तो आपसे प्यार करता हूँ। मैं किसी और के साथ नहीं कर सकता।”

भाभी, “तुम पागल हो गए हो। तुम मुझसे शादी थोड़ी कर सकते हो। मैं शादीशुदा हूँ। वैसे भी तुम्हारी शादी किसी और से होगी ना। तब तक तुम क्या करोगे? मैं अभी तो तुम्हारे काम की नहीं हूँ।”
मैं, “नहीं, मैं अकेला रह लूँगा। मुझे आपके अलावा कुछ नहीं चाहिए। मुझे आपका साथ चाहिए, सेक्स नहीं। मैं ऐसे ही ठीक हूँ।”

भाभी, “तुम समझते क्यों नहीं? मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ। मैं कहाँ जाने वाली हूँ? ठीक है, मेरी बात ध्यान से सुनो। मेरी तरह इस दुनिया में कितनी औरतें होंगी, जो बच्चे होने के बाद या फिर किसी और वजह से अपने पति से सेक्स का सुख नहीं ले पातीं। आदमी का तो क्या, वो तो कहीं भी जाकर अपनी आग बुझा सकता है। पर औरत को हर चीज़ के बारे में सोचना पड़ता है। वो अपनी इज़्ज़त के लिए किसी मर्द से बात करने में भी घबराती है। तुम्हें ऐसी औरत को सुख देने का मौका मिल रहा है। और वैसे भी तुम्हारा क्या जाने वाला है?”

मैंने थोड़ी देर सोचा, फिर बोला, “कौन है वो?”
भाभी, “मेरी किट्टी पार्टी वाली फ्रेंड्स। उनमें से एक तो बहुत भोली है, बाकी दो तैयार हो गई हैं।”

मैं, “तो उन्हें भी हमारे बारे में पता है?”
भाभी, “नहीं रे बाबा। मैंने उन्हें बोला है कि तुम प्लेबॉय हो और पैसे लेकर ये सब करते हो। अभी नए हो, तो जो बोलें, जैसे बोलें, वो सब करने को राज़ी हो जाते हो। और औरत को क्या चाहिए? अपनी बात मानने वाला इंसान।”

मैं, “भाभी, ये क्या बोल रही हो? मेरी अभी तक शादी भी नहीं हुई। और गाँव में किसी को पता चल गया, तो कितनी बदनामी होगी कि ऐसा काम करता है?”

भाभी, “तुम्हें कौन-सा पूरे शहर की औरतों के साथ करना है? तुम्हारे बारे में उन दोनों के अलावा किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। मेरी उनसे बात हो गई है। इन सब के बारे में। तुम चिंता मत करो।”

मैं थोड़ी देर सोचता रहा, फिर बोला, “ठीक है। पर पैसे क्यों? मैं तो ऐसे भी करने को तैयार हूँ।”

भाभी, “अगर पैसे लोगे, तो वो तुम पर हक जता पाएँगी। नहीं तो ऐसा समझेंगी, तो खुलकर मज़े नहीं ले पाएँगी। वैसे भी तुम्हें ज़्यादा पैसे नहीं लेने हैं, बहुत कम लेना। और पैसे आएँगे, तो तुम्हें भी फायदा होगा ना।”

मैं सोचते ही रह गया।
ये औरत किस हद तक सोच लेती है।
वो खुद बिस्तर पर पड़ी है, फिर भी मेरे बारे में कितना सोचती है। सिर्फ़ सोचती नहीं, बेड पर पड़े-पड़े मेरे लिए सब कुछ सेट भी कर दिया।

सचमुच, औरत किसी को अपना मान ले, तो उसके लिए कुछ भी कर सकती है।

मैं मुस्कुराया और उन्हें ज़ोरदार किस कर लिया।

मेरी मुस्कुराहट देखकर वो भी खुश हो गईं और उन्होंने भी मुझे किस कर लिया।

भैया कभी भी आ सकते थे, इसलिए हम अलग हो गए।
मैंने थोड़ी देर बाद उनके बूब्स पर हाथ रख दिया।

उन्होंने मेरी ओर देखा, फिर मुस्कुराकर बोलीं, “शैतान।”

आज के लिए इतना ही।
आगे मेरा दो और भाभी की फ्रेंड्स के साथ सेक्स हुआ।
वो कहानी जल्द ही लिखूँगा।

Xxx लव सेक्स स्टोरी पर अपने विचार मुझे भेजें.
[email protected]

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