तेरा लंड टेड़ा है पर अब मेरा है-2
(Tera Lund Teda Hai Par Mera Hai Part-2)
तेरा लंड टेड़ा है पर अब मेरा है-1
अब तक आपने इस चुदाई की कहानी में पढ़ा कि मैंने भाभी से उनकी विवाहित जिन्दगी के बारे में जानना चाहा।
अब आगे..
भाभी ने कहा- नहीं दीप.. जाने दो मैं तुम्हें बोर नहीं करना चाहती हूँ।
मैंने कहा- मैं बोर नहीं होने वाला.. उल्टा मुझे भी अच्छा लगेगा।
भाभी ने कहा- मेरी सहेलियों से मैं जब भी इस बारे में बात करती हूँ.. तो वो बोर हो जाती हैं।
इतना कहकर उनकी आँख में थोड़ा सा पानी आ गया।
मुझे भी थोड़ा बुरा लगा तो मैंने भी थोड़ा मजाक करने के लिए कहा- मैं तुम्हारी सहेली नहीं हूँ.. सहेला हूँ।
इस पर भाभी भी हँसने लगीं और उन्होंने कहा- तुम तो पागल हो.. कुछ भी बोलते हो।
इसके बाद भाभी ने मुझसे खुल के बात की।
आगे उनकी बात में पूरी कहानी सामने पेश है।
‘मेरे पति बहुत अच्छे इंसान हैं.. वो जहाँ भी आते हैं तो मेरे सिवा और किसी को भी नहीं मिलते। वो जितना ज्यादा टाईम मुझे दे सकते हैं.. उतना टाईम देने की कोशिश करते हैं और मेरे से ज्यादा वो खुद भी दुःखी रहते हैं। वो हमेशा मेरे ही बारे में सोचते हैं। हर रोज उनके दिन में कम से कम 30 कॉल आते हैं, जब भी वापस आते हैं.. तब उनके आँख में पानी होता है।’
‘हम्म..’
‘वो पहले आते ही मुझे अपनी बांहों में लेते हैं.. बहुत देर तक इमोशनल होते हैं। हर बार इतनी दूर का ट्रैवल करने के बाद भी जल्दी फ्रेश होकर मुझे मूवी दिखाने लेकर जाते हैं। फिर हम शॉपिंग करने जाते हैं। साथ ही किसी अच्छे से रेस्तरां में जाकर खाना खाकर हम लोग घर वापस आते हैं। फिर पूरी रात वो सोते भी नहीं..
सेक्स करने के बाद कोई भी इंसान थक जाता है.. पर वो थके हुए आते हैं तो भी मुझे खुश रखने के लिए अपनी थकान दिखाते भी नहीं हैं। ऐसे लगता है कि वो सेक्स के बाद भी पूरे जोश हैं। मेरे कितना भी कहने पर वो एक ही बात कहते हैं कि जब भी तुम्हारे पास आता हूँ तो तुझे देखकर मेरी पूरी थकान चली जाती है। ये कहते हुए पूरी रात मेरे से इधर-उधर की बात करते हैं।
मैं ये देखकर हैरान हो जाती हूँ कि इतना प्यार वो मुझे करते हैं। सच कह रही हूँ दीप.. वो पूरी ताकत पूरी जोश के साथ मेरे साथ सेक्स करते हैं और उनकी इसी बात पर आज तक मैंने उनके सिवाए किसी और को मेरी लाईफ में नहीं आने दिया। मेरी सहेलियां मुझे हमेशा कहती थीं कि तुम बॉयफ्रेंड बना लो, पर मैं जब भी उनके बारे में सोचती हूँ तो मुझे ये करने का दिल नहीं मानता। सच कहूँ दीप आय एम सॉरी आज मैं बहुत सोच कर आई थी कि तुम्हें अपने साथ..’
इतना ही बोल कर भाभी रोने लगीं।
मैंने उनसे कहा- इट्स ओके.. तुम क्या कोई भी होता तो ये गलती कर लेता। मैंने तुम्हारी आँखों में सेक्स की भूख देखी.. इसीलिए मैं भी अपनी हवस के लिए तुमसे दोस्ती बनाना चला था, पर तुम्हारे बारे में जानकर मेरी हवस चली गई और तुमसे बात करने के बाद तो मुझे भी ये सब अच्छा नहीं लग रहा था।
फिर सुनयना भाभी मेरे पास आकर मुझे गले लगा के और रोने लगीं। मैंने उन्हें चुप करवाया और मजाक में कहा- कोई देखेगा तो सोचेगा कि मैंने ही तुझको रुलाया है और इसी वजह से मुझे पब्लिक मारेगी।
इस बात पर भाभी हंसने लगीं और उन्होंने कहा- तुम भी ना..
तभी सामने से पुलिस की गाड़ी आई तो मैंने भाभी से जल्दी से कहा- वो कुछ पूछें तो कहना कि हम दोनों पति-पत्नी हैं.. नहीं तो अपुन दोनों को वो चौकी लेकर जाएंगे।
उतने में एक हवालदार पास आया और तभी मैंने सुनयना भाभी के कंधे पर हाथ रखा और भाभी ने भी मेरी कमर पर पीछे से डाला।
उसने पूछा- क्या कर रहे हो?
तो मैंने कहा- सर मैं जॉब के सिलसिले से ज्यादातर घर के बाहर ही रहता हूँ। आज ही घर वापस आया हूँ तो पत्नी को घुमाने बाहर लाया हूँ।
तो उसने कहा- अरे हाँ.. वो सब ठीक है.. पर घड़ी देखो एक बज गए हैं।
मैंने भी कहा- सॉरी बात करते-करते टाईम पर ध्यान नहीं गया।
उसने कहा- ओके अब जल्दी जाओ।
फिर मैंने भी जल्दी बाइक स्टार्ट की और हम दोनों पति-पत्नी की तरह बैठ कर उनके सामने से गए।
यह देख कर उसको भी डाउट नहीं हुआ।
फिर थोड़े आगे जाकर हम दोनों हँसने लगे। तभी मैंने देखा कि अचानक से सामने स्पीड ब्रेकर आ गया तो मैंने डिस्क ब्रेक लगाए और इस पर सुनयना भाभी मेरे ऊपर जोर से पीछे से चिपक गईं। इससे उनके चूचे मुझे पीठ पर गड़ते हुए महसूस हुए। साथ ही भाभी का जो हाथ मेरे आगे पेट पर था.. वो मेरे लंड पर आ गिरा।
इस सबसे मुझे अजीब करंट सा लगा और उन्हें भी कुछ ऐसा ही लगा।
भाभी ने जल्दी से मेरे लंड से हाथ हटाया और पीछे को होकर बैठ गईं।
मैंने भी भाभी से सॉरी कहा..
उन्होंने कहा- ठीक है.. अब जल्दी चलो.. मुझे ठंड लग रही है।
तो मैंने उनसे कहा- थोड़ी चिपक कर बैठो तो तुम्हें भी थोड़ी गर्मी लगेगी और मुझे भी।
फिर थोड़ी देर के बाद भाभी को ज्यादा ही ठंड लगने लगी थी तो वो मुझसे और अधिक चिपक गईं और इससे मुझे भी अच्छा लग रहा था क्योंकि उनसे जो गर्मी मिल रही थी.. उससे मेरा लंड बहुत ही टाइट हो रहा था।
थोड़ी देर के बाद मैंने जानबूझ कर ब्रेक लगाया क्योंकि भाभी के चूचे जब मेरी पीठ पर टकराते थे तभी मुझे मजा आता था.. पर थोड़ी देर बाद मुझे उसकी बातें याद आईं.. तो मैंने खुद को संभाला और ठीक से बाईक चलाने लगा।
तभी थोड़ी देर शायद उन्हें भी बाद महसूस हुआ तो वो भी थोड़ी पीछे होके बैठ गईं.. और हम दोनों घर पहुँचते ही उन्हें मैंने उनके घर पर छोड़ दिया।
अब मैं वहां से निकलने लगा और उनको सॉरी कहा तो भाभी ने कहा- दो मिनट घर पर चलो।
तो मैं भाभी के घर में अन्दर गया। वो मेरे सामने बैठ गईं और मेरा हाथ पकड़ के कहा- मैंने तुम्हारे बारे में जितना सोचा था, तुम उससे भी कहीं अधिक अच्छे निकले, जब तुमने खुद को कंट्रोल किया.. उस वक्त मुझे अच्छा लगा, इसलिए तुम खुद को गिल्टी फील मत करो, अब सोने जाओ.. बहुत देर हो गई है गुडनाईट।
और मैं भी भाभी से ‘गुडनाईट’ कह कर घर जाकर उनके बारे में सोचते हुए ही सो गया। फिर सुबह जल्दी उठकर मैं अपने काम पर लग गया। शाम को जल्दी घर पर आ रहा था.. तभी सुनयना मुझे बिल्डिंग के पास ही मिलीं और कहा- क्या बात है इतने लेट सोने के बाद भी सुबह जल्दी निकल गए।
मैंने पूछा- तुम्हें कैसे पता मैं सुबह जल्दी उठ कर चला गया हूँ।
भाभी ने कहा- मैं तुम्हें सुबह 8 बजे नाश्ता लेकर आई थी। मैंने सोचा तुम लेट सोए होगे तो तुम लेट उठोगे.. तो मैंने सोचा कि तुम जॉब पर जाने के लिए लेट न हो जाओ इससे अच्छा है कि तुम्हें जल्दी जाकर उठा दूँ। लेकिन तुम तो मेरे आने से पहले ही उठ कर चले गए थे.. क्या सोये ही नहीं थे?
मैंने भाभी से कहा- अरे यार.. मेरी तो आदत ही है क्योंकि काम मेरा फेवरेट हे और मैं जॉब नहीं करता हूँ.. मेरा फैमिली बिजनेस है.. इसलिए मुझे खुद ही टाईम पर जाना पड़ता है।
भाभी ने खुश होकर कहा- आर यू ग्रेट यार।
मैंने शरमाते हुए कहा- तुम भी ना भाभी.. हमेशा तारीफ ही करती रहती हो।
भाभी हंसने लगीं।
मैंने कहा- चलो अब निकलूँ क्या अभी?
भाभी ने कहा- रुको ना यार.. मैं चाय बनाती हूँ.. चलो तब तक किचन में ही बातें करते हैं।
और हम दोनों किचन में आ गए। इधर बहुत देर बात करने के बाद भाभी ने कहा- तुम्हारी फैमिली यहीं पुणे में है ना?
तो मैंने भी कहा- हाँ।
भाभी ने पूछा- तो तुम खाना रहना बाहर ही क्यों खाते हो.. तुम्हारी घर वालों से बनती नहीं क्या.. पर तुम तो इतने कूल हो?
मैंने हंस कर कहा- अरे यार ऐसे कुछ भी नहीं है.. मेरी फैमिली के साथ अच्छी बनती है.. पर मुझे रात को घर पर सोने की आदत नहीं है.. और घर में भी रात को रहना ज्यादा पसंद नहीं है।
भाभी ने पूछा- ऐसा क्यों?
मैंने कहा- मुझे घर पर नींद नहीं आती.. तो मैं हॉल में बैठ कर टीवी देखता हूँ.. इससे रात को उसकी आवाज घर में गूंजती है.. तो सबको डिस्टर्ब होता है। फिर कभी फैक्टरी से भी देर रात को कॉल आता है, तो मुझे ही जाना पड़ता है।
फिर भाभी ने और एक सवाल पूछा- पर रात को फैक्टरी से कॉल क्यों आता है?
मैंने उनसे कहा- फैक्टरी पर नाइट शिफ्ट भी चलती है ना।
भाभी फिर सवाल पूछने लगीं तो मैंने उनसे कहा- तुम कितने सवाल पूछती हो?
वो हंसने लगीं और कहा- क्या करूँ बहुत दिनों बाद किसी से बात कर रही हूँ इस लिए.. तुम एक काम करो ना.. जल्दी से अपने कमरे से फ्रेश होकर और कपड़े चेंज करके आओ ना.. फिर हम दोनों साथ ही खाना खाते हुए बात करेंगे।
तो मैं भी राजी हो गया और जल्दी से फ्रेश होकर भाभी के घर पर आ गया।
उस वक्त वो अपने पति से फोन पर बात कर रही थीं। भाभी ने पूरा खाना बनाकर टेबल पर रख दिया था। फिर 20 मिनट के बाद भाभी ने फोन रखा और मुझसे कहा- उनके पति 3 दिनों बाद आने वाले थे.. पर उनका और 2 हफ्तों तक आना पॉसिबल नहीं है.. उनके सीनियर छुट्टी पर हैं.. इसलिए वो थोड़ा सैड फील कर रहे थे और फिर 5 दिनों बाद मेरा बर्थ-डे है न.. तो उनको थोड़ा बुरा लग रहा था।
मैंने कहा- हाँ बुरा तो लगेगा ना उनको।
ऐसे ही बातें चलती रही और हम दोनों खाना खाने लगे।
तो मैंने भाभी से कहा- तुम खाना अच्छा बनाती हो?
तो भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा- थैंक्स।
खाना खाने के बाद डोरबेल बजी.. तो मुझे लगा इसका पति आ गया क्या?
मेरी तो फटी हुई थी.. तो भाभी ने कहा- डोन्ट वरी मैं देखती हूँ.. तुम अन्दर ही बैठो, मैं अभी आती हूँ।
अब कहानी में ट्विस्ट आने वाला है दोस्तों तो जल्दी से मुझे इस चुदाई की कहानी पर मेल लिखो।
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कहानी जारी है।
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