सविता भाभी का बकरा-4

(Savita Bhabhi ka Bakra-4)

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भैया को भेजने के बाद भाभी नीचे आ गईं।

मैंने इस बीच अपने कपड़े पहन लिए थे।

उन्होंने दरवाज़ा बंद करके मुझे कस कर अपनी बाहों में भरा और बोलीं- बाल बाल बचे, वरना भगवान् जाने क्या होता।

मुझे बाँहों में भींचते हुए बोलीं- पहले खाना खा लेते हैं। अब पूरी दोपहर मेरी और तुम्हारी है।

भाभी ने खाने से पहले मुझे एक गोली और कैप्सूल दिया और बोलीं- इसे खा लो, लौड़ा हथोड़ा हो जाएगा। ये तो रोज सुबह शाम खाते हैं फिर हीरो बनते हैं। तुमने देखा कैसे हैवान की तरह गाण्ड चोदी है। अभी भी दर्द हो रहा है। इतना मोटा लौड़ा है, मज़े मज़े में चार साल से बच्चा नहीं कर रहे हैं, कहते हैं कि बच्चे के बाद और औरतों की तरह बेडौल हो जाओगी और चोदने में मज़ा भी नहीं आएगा।

मैंने भाभी से पूछा- यह प्रोजेक्ट चूत क्या है?

भाभी मेरे लौड़े पर हाथ फेर कर लड़खड़ाती आवाज़ में बोलीं- यह आपस की बात है।
आधे घंटे बाद भाभी और मैंने खाना खाया, इसके बाद भाभी मुझे ऊपर अपने कमरे में ले गईं।

कमरे में आने से पहले हमने सब जगह के दरवाजे बंद हैं या नहीं, यह चेक कर लिया था।

चूत का स्वाद, पहली चुदाई का मज़ा

भाभी ने अपनी मैक्सी एक झटके में उतार दी और अपनी चूत में उंगली घुमाते हुए बोलीं- आह आओ न राजेश, अब देर क्यों कर रहे हो।

मैंने आगे बढ़कर उनकी चूचियाँ अपने हाथों में दबा लीं और उनकी निप्पल उमेठने लगा।

भाभी ने इस बीच मेरी शर्ट और पैंट खोल दी और मेरा लौड़ा पकड़ कर दबाते हुए बोलीं- गाण्ड तो इन्होंने चोद दी लेकिन इस चूत की प्यास तो अब तुमसे ही बुझेगी। जल्दी से अपने नाग राज को मेरी चूत में पेलो न।

हम दोनों अब पूरे नंगे थे।

भाभी टांगें फ़ैलाकर पलंग पर लेट गईं, उनकी चिकनी चूत देखकर मेरा हाथ अपने लोड़े पर चला गया।

भाभी ने मुझे अपनी तरफ बिस्तर पर खींच लिया और मेरा मुँह अपनी चूचियों पर लगा लिया, मेरे लौड़े की मुठ मारते हुए बोलीं- आह… तुम्हारा लौड़ा तो बहुत चिकना है।

मैंने उनकी चूत पर हाथ फेरते हुए कहा- आपकी चूत भी तो मस्त चिकनी हो रही है!

मेरी मुठ दबाते हुए भाभी बोलीं- सच मेरी फ़ुदिया सुंदर है न? इसको चूसो ना… बड़ा मज़ा आएगा, एक बार कोशिश करके देखो ना!

मैंने मुँह उल्टा करके चूत में लगा दिया, बड़ा कसैला सा स्वाद था, मैंने मुँह हटा लिया।

भाभी बोलीं- चूसो न !

तभी भाभी ने मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया।
एक बार मैंने दुबारा चूत पर मुँह लगा दिया, इस बार चूत का दाना मेरे मुँह में था, अब मुझे मज़ा आ गया था।

कुछ देर बाद भाभी और में एक दूसरे के गुप्त अंग अन्दर तक मुँह घुसा के चूसने लगे, बड़ा मज़ा आ रहा था।

उसके बाद भाभी की पहल पर हम हट गए, मेरा लौड़ा पूरा हथोड़ा हो रहा था।

भाभी ने एक तकिया अपने कूल्हों गाण्ड के नीचे रखा और अपनी टांगें चौड़ी कर लीं और बोलीं- आह, अब लौड़ा पेल दो ना।

मैंने अपना लौड़ा उनकी चूत पर लगा दिया और ताकत से अन्दर पेलने लगा, शुरू में लौड़ा घुस नहीं रहा था।
भाभी ने लौड़ा दबाते हुए अपनी चूत में लगाया और बोलीं- अब पेलो।

मैं धीरे धीरे लौड़ा अन्दर घुसाने लगा, लौड़ा अन्दर जाने लगा था।

भाभी की आहें गूंजने लगीं, मेरी साँसें भी तेज हो रही थीं।

उन्होंने अपनी टांगें मेरी पीठ से बाँध लीं और बोलीं- आह… मज़ा आ गया… और पेलो। आह इस कमीनी को फाड़ डालो, चोदो और चोदो।
उनकी आहें मुझमें एक जोश पैदा कर रहीं थी, यह मेरी पहली चुदाई थी।
अब मैं उनकी चूत में धक्के लगा रहा था और चुदाई का मज़ा ले रहा था जो शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता।
भाभी अब मेरे लिए एक औरत थीं।

लौड़ा पूरा अन्दर घुस गया था, मेरी पीठ पर अपनी टांगें लपेटते हुए वो चिल्ला उठीं- राजेश, आह मज़ा आ गया।

मैंने चूत में धक्के मारने शुरू कर दिए, लौड़ा सटासट उनकी चूत मारने लगा था, गज़ब आनन्द आ गया और वो पल भी आ गया जब मेरा लावा बह निकला और उसने भाभी की पूरी चूत भर दी।

भाभी ने मुझे अपने से चिपकाते हुए पूरा वीर्य अन्दर ले लिया।

उसके बाद हम दोनों एक दूसरे में समां गए।
मेरे लौड़ा में दर्द हो रहा था, चूत का स्वाद मैं चख चुका था।

उसके बाद लेट कर मैं और भाभी बातें कर रहे थे।

भाभी मेरी निप्पल नुकीली करते हुए बोलीं- कहीं बाहर चल कर मौज करते हैं, यहाँ तो मौका भी कम मिलेगा और हमेशा डर भी लगा रहेगा। अगले संडे मेरा बी एड का एग्जाम है, लखनऊ चलते हैं, सासू माँ की बहन रंजना के यहाँ रुकेंगे, उनकी बेटी सोनम मेरी अच्छी सहेली है, फ्लैट में माँ बेटी अकेली रहती है। रंजना मौसी आजकल तीर्थ यात्रा पर गई हुई हैं, वहाँ सेक्स करने में मज़ा आ जाएगा। मौका मिले तो सोनम को भी चोद देना, अब तो तुम चोदना सीख ही गए हो।

भाभी की बातों से मेरा हाथ लौड़ा पर जाने लगा, भाभी ने मेरा हाथ हटा दिया और मेरा लौड़ा अपने हाथों से सहलाते हुए बोली- इसकी जगह औरतों की चूत में होती है। अब तुम्हारी उम्र इसे औरतों के छेदों में डालने की है, हाथों से हिलाने की नहीं हैं। मन कर रहा है तो एक बार और मेरी चूत में पेल दो।

उसके बाद एक बार फिर मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और उन्हें चोदने लगा।

समय का पता ही नहीं चला और 6 बज़ गए मैं भाभी को चोद कर हटा ही था कि हमें घंटी की आवाज़ सुनाई दी।

वीर्य से सने लौड़े पर कच्छा चढ़ा कर मैं नीचे भागा।
मैंने दरवाज़ा खोला तो मौसी थीं, मुझसे बोली- पड़ोस का रमेश आ रहा था, उसके साथ आ गई, चल तेरी दौड़ बची। यह सविता तो ऊपर पढ़ रही होगी, बड़ी कामचोर है, दिन भर पढ़ने का नाटक करती है।

मौसी ने आवाज़ देकर सविता भाभी को नीचे बुला लिया और पूछा- ये तेरी पढ़ाई कब पूरी होगी?

भाभी बोलीं- मम्मीजी, अगले संडे को एग्जाम लखनऊ में है, उसके बाद पढ़ाई ख़त्म।
कहानी जारी रहेगी।
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