पड़ोसन ने माँ बनने के लिये चूत के साथ गांड भी मरवाई
(Padosan Ne Maa Banane Ke Liye Choot Ke Sath Gand Bhi Marvai)
दोस्तो, मेरा नाम राज शर्मा है, पहले मैं दिल्ली में रहता था अब जॉब चेन्ज करने के कारण चण्डीगढ़ शिफ्ट हो गया हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। दोस्तो इस बार कहानी लिखने में ज्यादा देर हो गई इसलिए आप सभी से माफी मांगता हूँ। नई जगह नौकरी होने के कारण कुछ ज्यादा ही व्यस्त रहा, जैसे ही समय मिला, आपके सामने नई कहानियां लेकर हाजिर हूँ।
इस बार मैंने कहानी अपने ऊपर न लिख कर कुछ कहानियां अलग अलग किरदारों पर लिखी हैं ताकि आप किसी महिला मित्र का नम्बर मागने की जिद न करें और आप सिर्फ एक कहानी समझ कर ही इसका आनन्द लें।
आप सब लोगों ने मेरी पिछली कहानियों को बहुत सराहा और बहुत ज्यादा संख्या में मेल कर कर अपनी राय मुझे बताई, इसके लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।
अन्तर्वासना से मेरी कहानियों को पढ़ कर बहुत से लोग फेसबुक पर मुझसे जुड़कर मेरे बहुत अच्छे दोस्त बने हैं इस लिए इस साइट का भी बहुत बहुत धन्यवाद।
दोस्तो, कुछ लोगों ने मेरी महिला मित्रों को चोदने की इच्छा जताई है, वो लोग सुन लें, जो भी लड़की, आंटी या भाभी जिससे पटती है उसी को अपनी चूत देती है सबको बांटती नहीं फिरती है। मेरी सभी पुरानी महिला मित्रों से अब मेरा कोई संबंध नहीं है, हमने साथ मिल कर कुछ दिन जिन्दगी का हसीन मजा लिया और अब सभी अपनी शादीशुदा जिन्दगी में खुश हैं। मैंने अपनी किसी भी महिला मित्र की कोई भी जानकारी ना कभी किसी को बताई है ना आगे कभी बताऊँगा।
आप लोग सिर्फ कहानी का मजा लें, किसी की निजी जिन्दगी में घुसने की चाहत ना रखें।
मेरे साथ कोई भी लड़की, आंटी या भाभी आगे भी जो दोस्ती करेंगी उनकी निजता की मेरी पूरी जिम्मेदारी रहेगी।
दोस्तो मैं सभी के भेजे मेल का हरसंभव जल्दी जवाब देने की कोशिश करता हूँ, फिर भी यदि देर होती है तो देर से ही सही पर सभी के मेल का जवाब मैं अवश्य दूँगा इसलिए मुझे ज्यादा से ज्यादा मेल करें या फेसबुक पर मेसेज भेज कर कहानी पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें ताकि मेरा हौसला बढ़े और मैं ज्यादा से ज्यादा कहानियां आप तक भेज सकूँ।
जिन्होंने मेरी पहले की कहानियाँ नहीं पढ़ी, वे मेरी सभी कहानियाँ ऊपर दिए लिन्क से पढ़ सकते हैं।
दोस्तो, यह कहानी दिल्ली के संजय रावत की है, आगे की कहानी उन्हीं की जुबानी सुनिए।
मैं संजय उम्र 35 साल शादीशुदा हूँ। मेरे बच्चे गाँव में रहते हैं और मैं यहां दिल्ली में एक रेस्टोरेंट व बार में वेटर की नौकरी करता हूँ। मेरी कहानी दो साल पहले की है।
मैं साउथ एक्स के एक होटल में नौकरी करता था और मेरा कमरा वहीं पास में ही था। वो पूरा मकान किरायेदारों के लिए ही बना था। नीचे तीन कमरे थे और छत पर सिंगल बने कमरे में मैं रहता था।
होटल की नौकरी की वजह से मेरी ड्यूटी का कोई टाईम नहीं था, कभी रात में आ जाता जो कभी शाम को ड्यूटी जाता। छुट्टी के दिन पूरा दिन कमरे में टीवी देखने में गुजार देता।
मेरी कहानी यहीं से शुरू होती है। नीचे के तीन कमरों में भी किरायेदार ही थे जिनमें आसाम का एक परिवार भी था जिनमें वो मियां बीवी ही रहते थे। दोनों की सादी को चार साल हो गये थे पर कोई बच्चा नहीं था। आदमी ड्राईवर का काम करता था व उसकी बीवी घर पर ही रहती थी।
जब भी मैं घर पर रहता तो देखता उसकी बीवी छत पर कपड़े डालने आती है और मुझे टीवी देखते देख मेरे कमरे में झांकती रहती है। उसका पति शराबी था और शराब पीकर अपनी बीवी को खूब गाली देता और मारता पीटता था, बीवी चुपचाप सब सहन करती रहती थी।
धीरे धीरे मेरी उसके पति से दोस्ती हो गई और कभी कभी हम दानों साथ में बैठ कर पीने लग गये, कभी उसके रूम में तो कभी अपने रूम में पीने का दौर चलने लगा।
इसी बीच उसकी बीवी भी मुझ से घुलमिल गई और हमारी आपस में कभी कभी बातें होने लगी। एक बार उसने कहा- जब आप ड्यूटी जाते हो तो अपने रूम की चाभी मुझे दे जाया करें, मैं घर में बोर हो जाती हूँ। मेरे रूम में टीवी नहीं है। मैं देख लिया करूँगी आपके रूम में।
मैंने भी उसे एक डुप्लीकेट चाभी दे दी और वो मेरे जाने के बाद रोज आकर टीवी देखने लगी। धीरे धीरे वो कुछ ज्यादा ही मुझ से घुलमिल गई।
पहले मेरा भी उसे चोदने का कोई विचार नहीं था। पर उसे देख कर मेरी भी नीयत उस पर डोलने लगी और मेरा मन अब उसे चोदने का करने लगा। वो भी शायद मेरी ओर आकर्षित हो रही थी इसलिए वो कुछ ज्यादा ही मेरा ध्यान रख रही थी।
अब वो मेरे कमरे की सफाई भी करने लगी, अपने पति के साथ साथ वो मेरे भी कपड़े धोने लगी।
छुट्टी के दिन हम दिन में साथ बैठकर ही टीवी देखते और रात को उसके पति के साथ बैठकर खूब दारू पीता।
एक दिन की बात है, उसके पति ने मेरे सामने ही उसे पीट दिया, वो रोने लगी और कमरे से बाहर निकल गई। मैंने उसके पति को समझाया पर वो उस रात कुछ ज्यादा ही पी चुका था और बड़बडाते हुए अपने बिस्तर पर लुढ़क गया।
मैं भी उसे सुलाकर अपने रूम की ओर छत पर आ गया।
जब कमरे में पहुंचा तो देखा उसकी बीवी मेरे कमरे में ही बैठी है और टीवी देख रही थी।
मैंने उससे कहा- आप यहां क्या कर रही हैं?
वो बोली- वो मुझे उन पर बहुत गुस्सा आ रहा था इसलिए मैं कमरे से बाहर आ गई और अब रात में कहां जाती, इसलिए आपके रूम में आ गई।
मैं- ठीक है कोई बात नहीं, अब वो सो चुका है जाओ आप भी सो जाओ।
वो बोली- नहीं, आज रात मुझे यहीं सोने दो, कहीं रात में उठकर वो मुझे और न मार दे। मैं कल सुबह चली जाऊँगी अंधेरे अंधेरे में!
मैं- अरे यह ठीक नहीं है, तुम जाओ न अपने रूम में!
वो बोली- मैं आज रात उसके साथ नहीं सोऊँगी यदि आप मुझे यहां नहीं सोने दोगे तो मैं छत पर ही रात गुजार लूँगी।
यह कह कर वो बाहर जाने लगी।
मैं- अच्छा, चलो यहीं सो जाओ, तुम चारपाई में सो जाओ, मैं नीचे बिस्तर बिछा लेता हूँ।
फिर मैंने अपना बिस्तर नीचे बिछाया और लेट गया।
अरे मैं आपको उसका नाम बताना ही भूल गया, उसका नाम पदमा था, 22 साल की थी, 18वें साल में उसकी शादी हो गई थी, तब से वो अपने पति के साथ ही दिल्ली में रह रही थी।
जवानी उसकी अभी पूरे उफान पर थी जो उसकी बड़ी बड़ी चूचियों से झलकती थी, बड़ी मस्त लगती थी, उसके पति की भी उम्र 26 साल की होगी।
लेटे लेटे मैंने उससे पूछा- पदमा सो गई हो क्या?
पदमा- नहीं जी, नींद नहीं आ रही है।
मैं- तो कुछ देर बातें करें।
पदमा- हाँ हाँ, मैं भी यही सोच रही थी पर आपसे कहा नहीं, सोचा आपको नींद आ रही होगी।
मैं- नहीं, मुझे रात में देर से सोने की आदत है। पदमा ये बताओ, ये तुम्हें रोज मारता है क्या?
पदमा- नहीं, जब दारू ज्यादा पी लेता है। पर हफ़्ते में दो तीन दिन तो हो ही जाते हैं।
मैं- अच्छा क्या यह तुम्हें प्यार नहीं करता?
पदमा- शादी के बाद कुछ साल तो बहुत करता था पर अब तो ढंग से बात भी नहीं करता है।
मैं- तो तुम बच्चा प्लान क्यों नहीं कर रहे हो? हो सकता है बच्चे के साथ साथ उसका प्यार भी बढ़ जाए।
पदमा- कहां जी, चार साल से कोशिश तो कर रहें हैं पर हो ही नहीं रहा है। अब तो ये मुझे कभी कभी ताने भी मारने लगे हैं कि तू मां नहीं बन सकती है।
मैं- तो किसी अच्छे डॉक्टर को दिखा कर चेकअप करवा लो।
पदमा- मैंने तो कब का दिखा भी लिया पर इनसे जब बोलो तो ये मुझ पर चिल्लाने लगते हैं और मुझे बहुत मारते हैं, बोलते हैं तुझे मेरी मर्दानगी पर शक है क्या? मेरे में तो कोई कमी नहीं है। अब तो मुझे भी बच्चा चाहिए। बिना बच्चे के मैं भी नहीं अकेले इनके साथ रह सकती हूँ।
मैं- तो कोशिश करते रहो, हो ही जाएगा।
पदमा- अब मैं आपसे कैसे कहूँ आपसे! कहते हुए मुझे बहुत शर्म आ रही है।
मैं- अरे शरमाओ मत, मैं भी तो तुम्हारे घर का ही सदस्य जैसा हूँ। मुझसे क्या शरमाना, खुल कर कहो ये बात हमारे ही बीच रहेगी। किसी को पता नही चलेगा।
पदमा- वो क्या है कि दो साल तक तो हमारा रिश्ता बहुत अच्छा चला पर अब पहले जैसी बात नहीं रही। जब इनका मन करता है तो मेरे ऊपर चढ़ जाते हैं और अपना काम करके मुंह घुमा कर सो जाते हैं मुझे तड़फती हुई छोड़कर!
मैं- फिर तुम क्या करती हो?
पदमा- धत्त… ये भी कोई पूछता है।
मुझे भी दारू का नशा चढ़ रहा था और पूछने में भी मजा आ रहा था- बताओ ना, यहां और कौन है तुम्हारे और मेरे सिवा?
पदमा- अंगुली डाल कर काम चलाती हूँ।
मैं- पर अंगुली से मजा आता है क्या?
पदमा- नहीं, पर क्या करूँ? और कोई चारा भी तो नहीं है। अच्छा आप भी शादीशुदा हो बिना बीवी के आप कैसे रहते हैं?
मैं- हम भी हाथ से काम चला लेते हैं आपकी तरह!
पदमा- मजा आता है क्या उसमें?
मैं- आता तो नहीं हैं, पर कोई देती भी तो नहीं है शादीशुदा लोगों को, सभी को कुंवारे लड़के ही चाहिए होते हैं मजा लेने के लिए!
पदमा- तुमने कितनों से मांगी है अब तक जो बोल रहे हो कोई देती ही नहीं?
शायद वो भी गर्म हो रही थी और मैं भी, मैंने उसकी तरफ देखा और बोला- मैं तुमसे मांगू तो तुम दे दोगी क्या?
पदमा- हाँ मैं तो दे देती अगर तुम मेरी प्यास बुझा पाओ तो!
मैं- तो आ जाओ ना नीचे फिर… ऊपर क्या कर रही हो? अभी बुझा देता हूँ।
वो थोड़ा घबरा गई- अरे मैं तो मजाक कर रही थी।
मैं- अरे आ भी जाओ, तुम भी क्या याद करोगी। दो महीने में ही तुम्हारे पेट में बच्चा ना डाल दिया तो कहना!
पदमा- क्या तुम मुझे सचमुच में माँ बना सकते हो? सच बताओ!
मैं- हाँ हाँ क्यो नहीं, रोज अपना माल नाली में बहाने से तो अच्छा है किसी के काम आ जाए। कोई औरत माँ बन जाए। यह तो बड़े पुण्य का काम होगा ना?
पदमा- तो फिर मुझे भी जल्दी से माँ बनना है। मुझे भी माँ बना दो अपने बच्चे की, तुम्हारा ये एहसान मैं कभी नहीं भूलूँगी।
मैं- रानी एहसान लेने के लिए पहले चूत देनी पड़ेगी ना, उसके लिए तुम्हें मेरे नीचे आना पड़ेगा। बोलो आ रही हो नीचे?
पदमा- माँ बनने के लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ।
मैं- अच्छा तो मैं भी देखूँ तुम क्या क्या कर सकती हो।
वो झट से नीचे आ गई, मुझे बाहों में भर लिया और पागलों की तरह चूमने लगी। फिर मेरा हाथ अपनी छातियों पर रख कर बोली- दबाओ इन्हें!
मैंने उसे चूमना और उसकी चूचियों को दबाना शुरू किया। उसका हाथ भी मेरे लंड पर आ गया और वह उसे सहलाने लगी। मैंने फटाफट उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिये और उसे नंगी कर दिया।
उसने मेरा हाथ अपनी छातियों से हटाकर चूत पर रख दिया।
पदमा- देखो इसकी हालत क्या हो रही है, पूरी तरह से तप रही है। क्या तुम्हारी बरसात इसकी प्यास बुझा पायेगी?
मैं- अच्छा ये बात है तो देखो मैं कैसे तुम्हारी बंजर जमीन को हरी करता हूँ।
मैंने भी फटाफट अपने कपड़े उतारे और अपना लंड उसके आगे कर दिया। वो उसे लालापॉप की तरह चूसने लगी। मैं भी बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया था मेरा लंड पत्थर जैसा सख्त हो गया था। जैसे ही लंड गीला हुआ, मैंने उसे लिटा कर उसकी चूत पर थूक लगाया और लंड के टोपे को चूत के मुहाने पर रख कर रगड़ने लगा।
वो तो पागल सी हो गयी- राजा अब तड़पाओ मत… बस डाल दो अपने लंड को मेरी दहकती चूत के अन्दर!
मैंने अपने होंठ उसके होठों से मिलाए और धीरे धीरे चूत पर लंड का दबाव देने लगा। उसकी चूत से पानी बह रहा था इसलिए चिकनी चूत में लंड डालने में कोई परेशानी नहीं हुई, थोड़ी ही देर में वो पूरा लंड अपनी चूत में निगल गई।
उसकी सिसकारियां निकलने लगी। उसे रोज लंड खाने की आदत तो थी ही पर मुझे आज बहुत दिनों बाद चूत मिली थी। मैं तो चूत में लंड डालकर अलग ही दुनिया में चला गया और धीरे धीरे उसकी चूत मारने लगा।
फिर मैंने उसकी दोनों चूचियां पकड़ी और स्पीड बढ़ाने लगा।
पदमा को भी मजा आ रहा था। मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो पदमा कराहने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
मैं- पदमा रानी, मजा आ रहा है या नहीं? तुम्हारी जमीन पर मेरा हल चल रहा है तुम्हारी जमीन की जुताई तो ठीक से हो रही है ना?
पदमा- राजा कुछ ना बोलो, बस चोदते जाओ, बहुत मजा आ रहा है… और जोर जोर से धक्के मारो और मेरी चूत को अच्छी तरह से रगड़ डालो।
मैं जोर जोर से उसकी चूचियां मसलने लगा, अब मैं तेज तेज कमर चलाने लगा, पदमा भी गांड उछाल उछाल कर साथ देने लगी। दोनों को बहुत मजा आ रहा था।
फिर मैंने उसे उल्टा लेटने को कहा और उसके ऊपर आकर जोर जोर से लंड अंदर बाहर करने लगा।
यह चुदाई दारू के नशे के कारण कुछ ज्यादा ही लम्बी चल गई। हम दोनों पसीने से पूरी तरह भीग गये।
अब उसने मुझे कस कर पकड़ लिया- राजा, तेज तेज करो मैं आने वाली हूँ।
मेरा लंड भी लावा उगलने को तैयार खड़ा था, मैंने भी उसे कस कर पकड़ लिया और जोर जोर से चोदने लगा।
कुछ ही देर में हम दोनों को पानी एक साथ ही बह निकला, मैंने अपने गर्म गर्म वीर्य से उसकी चूत लबालब भर दी। मैं भी हांफते हुए
उसके बगल में लेट गया, उसकी भी सांसें बड़ी तेज तेज चल रही थी।
मैं- मजा आया मेरी रानी?
पदमा- हाँ बहुत मजा आया। बहुत दिनों के बाद आज जम कर चुदी हूँ और बहुत दिनों बाद मेरा पानी झड़ा है। आज तो तुमने मजे करवा दिये। मेरी चूत तर कर दी तुमने आज तो!
मैं- मैंने कहां रानी, तुमने मेरे मजे करवा दिये। बहुत दिनों से कोई चूत नहीं मारी थी। अब जाके लंड को थोड़ा शान्ति मिली। चल एक राउण्ड और हो जाए?
वो भी तैयार हो गई।
इस बार भी चुदाई घमासान चली। छत पर कमरा होने से सुनने वाला तो कोई था नहीं। मैंने भी उसे हचक हचक कर चोदा, वो भी उछल उछल कर चुदवा रही थी। पूरा लंड उसकी चूत में पिस्टन की तरह चल रहा था।
इस बार वो जल्दी झड़ गई। कुछ देर बाद मैं भी उसकी चूत में ढेर हो गया।
उस रात मैंने उसे 4 बार चोदा और सुबह उजाला होने से पहले वो अपने कमरे में नीचे चली गई।
अब जब भी हमें मौका मिलता हम दोनों चुदाई का खेल खेलने लगे। इसी बीच उसने एक दो बार अपने पति से भी चुदवा लिया।
मैंने उसे हर तरीके से चोदा उसने भी चुदाई के खुलकर पूरे मजे लिए। जो सुख उसका पति उसे नहीं दे पाया वो सुख अब वो मेरे से लेने लगी।
चुदाई जितनी खुल कर और टेंशन मुक्त होकर करी जाए उतना मजा देती है। छत का कमरा होने को हम दोनो ने पूरा मजा उठाया। हमारी चुदाई रंग लाई और अगले ही महीने खुशखबरी भी आ गई वो माँ बनने वाली थी।
जब उसके पति को पता चला कि वो बाप बनने वाला है तो वो भी बड़ा खुश हुआ, उसने अपनी बीवी को मारना बंद कर दिया और उसका ख्याल रखने लगा।
अब तो वो मेरी बीवी ही बन गई, हम दोनों बस चुदाई और चुदाई ही करते रहे।
मैंने उसकी डिलीवरी से एक महीने पहले तक उसकी खूब चुदाई की उसे अपना लंड चुसवाया और उसकी बहुत बार गांड भी मारी।
मेरे लंड का पानी वो बड़े चटकारे लेकर पीती थी, उसने कभी किसी चीज के लिए मना नहीं किया।
मैंने उसे उसके जीवन की सबसे बड़ी खुशी जो दे दी थी अपने वीर्य का दान जो देकर!
ठीक समय पर उसने एक लड़के को जन्म दिया। अब उसका पति भी बहुत ज्यादा खुश था, बाप बनने की उसने मुझे भी दारू की बहुत बड़ी पार्टी दे डाली मैंने भी ले ली आखिर मैं भी फिर से बाप बन गया था।
इस तरह एक परिवार आबाद हो गया।
बच्चा होने के 4 महीने बाद उसने कमरा बदल लिया और दूसरी जगह चले गये।
मैंने भी फिर उसे ढ़ूंढने की कोशिश नहीं की क्योंकि मैं खुद अब उसके परिवार के बीच नहीं आना चाहता था। आजकल फिर मैं अकेला हो गया हूँ। देखो अगली चूत अब कब नसीब में मिलती है।
आपको कहानी कैसी लगी, अपनी राय मेल कर जरूर बताइयेगा। आप इसी आईडी से मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं। आपके अमूल्य राय एवं सुझावों की आशा में!
[email protected]
What did you think of this story??
Comments