मेरा गुप्त जीवन- 160
(Mera Gupt Jeewan- part 160 Chandanpur Ki Chudakkad Bhabhi)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left मेरा गुप्त जीवन- 159
-
keyboard_arrow_right मेरा गुप्त जीवन- 161
-
View all stories in series
चंदनपुर की चुदक्कड़ भाभी
सिनेमा हाल से बाहर आने पर पूनम ने यह सब भांप लिया ओर झट से मेरे और उन लड़कियों के बीच में आ गई ताकि किसी भी लड़की का कोई भी अंग मुझ से ना छुए.
इसको कहते हैं मित्रव्रता (पतिव्रता) नारी!
शाम को जब फिल्म देख कर हम सब लौटे तो सब औरतों ने मेरी तारीफों के पुल बाँधने शुरू कर दिए।
तीनों भाभियों ने तो मुझको घेर ही लिया और कुंवारी लड़कियों ने भी फरमाइश कर दी कि रात को हमा सबके साथ चिपको डांस करना ही पड़ेगा।
सिर्फ पूनम की भाभी चुप रही लेकिन मैंने ग़ौर किया कि वो भी एकटक मुझको ही देख रही थी।
जैसे ही मैंने उनकी तरफ देखा तो उन्होंने अपनी नज़रें हटा ली और अपनी निगाहें झुका ली लेकिन उनके चेहरे पर साफ़ तौर से काफी उदासी झलक रही थी जिसका कारण मैं समझ नहीं पाया।
वायदे के मुताबिक सब लड़कियों और भाभियों के साथ मुझको उस गाने के म्यूजिक पर चिपको डांस करना पड़ा।
पर डांस शुरू होने से पहले मैंने कहा- यह डांस जब फिल्माया गया था तो कम्मो वहाँ ही थी और वो इस डांस के सारे स्टेप्स जानती है, पहले मैं यह डांस कम्मो के साथ करके आपको दिखाता हूँ ताकि आपको स्टेप्स समझ आ जाएँ।
फिर कम्मो और मैंने चिपको डांस जो ओरिजिनल में किया गया था, वो करके दिखाया और सबके मुंह से उफ़ माँ का शब्द निकल ही गया।
रश्मि और चंचल भाभी तो मेरे साथ आनंदित हो चुकी थी और हमने एक दूसरे को अच्छी तरह से देख रखा था तो उनके साथ थोड़ी देर और तीनों कुंवारियों के साथ बड़ा ही सेक्सी डांस करना पड़ा क्यूंकि वो तीनों ही अपने चूतड़ों को मेरे लौड़े के साथ रगड़ रही थी।
आखिर में शन्नो भाभी की बारी आई तो वो बहुत ही माशूकाना अंदाज़ से डांस करने लगी और अपने चूतड़ों को मेरे लंड के साथ पूरी तरह से जोड़ कर डांस कर रही थी और कभी कभी तो मेरा खड़ा लंड उसकी गांड की दरार में घुस जाता हुआ महसूस होता था।
खैर बैठक में कम्मो ने कम लाइट्स जलाई हुई थी तो कोई भी साफ़ तौर से हमारी हरकतें नहीं देख सकता था।
शन्नो के बाद पूनम अपनी जवान भाभी को ले आई हालाँकि वो काफी नानुकर कर रही थी।
शुरू शुरू में तो भाभी काफी हट हट कर डांस कर रही थी लेकिन शीघ्र ही वो काफी पास आ कर डांस करने लगी और मेरा खड़ा लंड उसके चूतड़ों से बार बार टकरा रहा था।
डांस के खत्म होने से कुछ देर पहले भाभी मेरे लंड से बिल्कुल चिपक कर डांस करने लगी और मैं समझ गया कि भाभी भी सेक्स की प्यासी है।
पारो ने बड़ा ही अच्छा खाना बनाया हुआ था जिसमें लखनऊ के खास कलोटी कवाब और मटन की चापें खास डिश थी और सब्ज़ी में उसने शाही पनीर और दाल मखनी बनाई हुई थी।
पारो के हाथ के बनाए हुए तंदूरी नान सबको बहुत ही भाये।
पूनम के भैया तब तक आ गए थे अपने काम से तो उन्होंने भी बड़े आनंद से खाना खाया।
उसके बाद काफी देर तक बैठक में हम सब गपशप मारते रहे और काफी देर रात हम सोने के लिए अपने कमरों में चले गए।
मैंने कम्मो को आज रात अपने कमरे में सोने के लिए कहा था क्यूंकि मुझको उम्मीद थी कि पूनम शन्नो भाभी को शायद मेरे पास लाये और वो कोई प्रॉब्लम ना खड़ी करे इसलिए कम्मो का साथ होना ज़रूरी समझा।
कोई 11 बजे पूनम शन्नो भाभी को मेरे पास लाई और उसको छोड़ कर वो स्वयं जाने वाली ही थी कि शन्नो भाभी ने उसे रोक लिया और बोली- पूनम यह क्या? इस लौंडे के पास मुझको क्यों लाई हो? यह क्या कर पायेगा मेरे साथ?
पूनम हँसते हुए बोली- शन्नो भाभी, हर चीज़ को सिर्फ ऊपर से मत देखो उसको परखो, चखो और फिर उसका स्वाद लो! तुम शायद सोमू के कारनामों से वाकिफ नहीं हो, इसीलिए यह सब कह रही हो?
शन्नो भाभी बोली- पूनम, तुम तो जानती हो मेरे लिए यह लौंडे लपाड़े किसी काम के नहीं। मुझको तो बड़े बड़े तगड़े शहसवार ही सवारी कर के आखिर तक ले जा सकते हैं।
अब मुझ से रहा नहीं गया और मैं थोड़ा अपने गुस्से पर काबू कर के थोड़ी हंसने की कोशिश करते हुए बोला- पूनम रहने दो अगर भाभी को तुम पर भरोसा नहीं तो जाने दो, तुम अपनी शन्नो भाभी को साथ ही वापस ले जाओ।
पूनम को अब शन्नो भाभी पर बहुत गुस्सा आया और वो गुस्से को काबू करने की कोशिश करते हुए बोली- चलो भाभी, तुम सोमू के लायक नहीं हो, मुझसे गलती हुई जो मैं तुमको यहाँ लेकर आई! वैसे ही तुम्हारा नाम सारे शहर में मशहूर है- चन्दनपुर की चुदक्कड़ भाभी? तुम इस नाम के लायक नहीं हो!
शन्नो भाभी को अब अपनी गलती का एहसास हुआ और वो बिस्तर पर बैठ गई और बोली- सॉरी पूनम मैं तो सोमू की भोली भाली शक्ल सूरत को देख कर यह कह रही थी।
पूनम अब मुस्करा कर बोली- भाभी, ये भोली सूरत वाले ही अक्सर बड़े शातिर तीरंदाज़ होते हैं। अगर मुझको जल्दी जाना ना होता तो मैं तेरे को इस भोले भाले लौंडे की करामात दिखाती। बोल भाभी? 100 रूपए की शरत लगाती है कि सोमू तेरे सारे बखिए उधेड़ देगा और तू ही चिल्लाएगी और कहेगी कि बस अब और नहीं मेरे आका! बोल शर्त लग गई क्या?
शन्नो भाभी- शरत क्या लगानी है खामखाह में सोमू हार जाएगा।
पूनम बोली- मैं चंचल और रश्मि भाभी को भेजती हूँ वो दोनों तुम दोनों की लंड चूत की लड़ाई की जज बनेगी और यह फैसला करेंगी कि कौन जीता इस लड़ाई में! मंज़ूर है सोमू और शन्नो भाभी?
मेरी तरफ से कम्मो ने हाँ कह दी और शन्नो ने भी हामी में सर हला दिया।
थोड़ी देर में पूनम, रश्मि और चंचल भाभी को भी ले आई और उनको सारे खेल के बारे में समझा दिया।
कम्मो ने शन्नो भाभी को समझा दिया कि वो खुद भी यहाँ रहेगी और वो हम दोनों को चुदाई में हर प्रकार से मदद करेगी।
शन्नो भाभी ने कोई ऐतराज़ नहीं जताया तो हम अगला कार्यक्रम करने की तैयारी में लग गए।
कम्मो ने शन्नो भाभी के कपड़े उतारने शुरू कर दिए, पहले उतरी उसकी झीनी सी साड़ी, फिर कम्मो ने उसका ब्लाउज उतार दिया जिस में छिपे हुए भाभी के गोल और काफी मोटे स्तन ब्रा में से उछल कर बाहर आ गए।
शन्नो भाभी की उम्र तो ज़्यादा नहीं थी, यही कोई 24-25 की रही होंगी लेकिन उनका शरीर एकदम मस्त और अच्छे रख रखाव के कारण काफी छोटी उम्र वाली औरत के समान था।
कम्मो ने पूछा- क्यों भाभी, आपने क्या शर्त रखी है चुदाई के मामले में?
भाभी जो मुझको घूर रही थी बोली- पहले सोमू को तो नंगा करो ना कम्मो रानी! हम भी तो देखें अपने दुश्मन के दम-खम?
कम्मो बोली- सुनो भाभी, हमारे छोटे मालिक के कपड़े वो स्वयं नहीं उतारते वो तो सिर्फ उन से चुदवाने वाली औरत या फिर लड़की ही उतारती है, आप उतार सकती हैं अगर आप चाहें तो?
शन्नो ही थोड़ी मुस्कराई और फिर वो बड़ी तन्मयता से मेरे कपड़े उतारने लगी।
कुर्ता और पजामा उतारने के बाद जब भाभी बैठ कर मेरा अंडरवियर उतारने लगी तो कम्मो और मेरी नज़रें चार हुई तो उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान खेल गई।
मैं अपना अंडरवियर ख़ास तरह का इम्पोर्टेड ही खरीदता था, वो इस लिए कि मेरे लंड का बिल्कुल भरोसा नहीं था कि वो कब खड़ा हो जाए। इस लिए टाइट अंडरवियर को उतारने में काफी परिश्रम करना पड़ता था।
अब भाभी ने जब जोर लगा कर उसको नीचे किया तो मेरा लौड़ा जो एक छिपे हुए नाग के समान था, आज़ाद होने पर एकदम उछला और सीधा भाभी के नाक पर जा लगा।
भाभी एकदम हतप्रभ हुई, पीछे की तरफ गिर गई और कम्मो भाग कर गई और उसको उठा कर बिठा दिया।
रश्मि और चंचल भाभी ज़ोर से हंस पड़ी।
भाभी भी नकली गुस्से का प्रदर्शन करते हुए बोली- मुझको मारता है साले? तुझको चूत में ऐसी मार मारूंगी और इस बुरी तरह चूसूंगी कि तेरी सारी हेकड़ी निकल जायेगी।
मैंने रश्मि और चंचल भाभी को बोला- आप भी अपनी नाइटी उतार दो ताकि एक हमाम में हम सब नंगे हो जाएंगे!
तब कम्मो भाभियों के लिये फर्श पर गद्दा बिछा कर खुद भी कपड़े उतार कर उनके साथ लेट गई। वो तीनों भी आपस में खूब गरमागरम चूमा चाटी और चूत मम्मों के साथ छेड़छाड़ करने लगी।
शन्नो भाभी की नज़रें उधर गई क्षण भर के लिए फिर वो मेरे लंड को चूमने और चूसने में लग गई।
मैं भी भाभी के मुम्मों को चूसने और उसके निप्पलों के साथ खेलने लग गया।
फिर मैंने उसको पलंग पर चित लिटा दिया और खुद उसकी जांघों को चौड़ी कर के उसकी चूत को चूसने लगा और जल्दी ही मैं उसकी भग को मुंह ले कर चूसने लगा।
शन्नो भाभी ने शायद कभी भी मुखमैथुन नहीं करवाया था तो वो मेरे चूत को चूसने से एकदम बहुत ही ज़्यादा कामुक हो गई और अपने चूतड़ों को उठा उठा कर मेरे मुंह से चिपका रही थी।
थोड़ी देर के मुखमैथुन से ही शन्नो भाभी का एक ज़ोरदार स्खलन हुआ जिसको सब जजों ने देखा और महसूस किया।
शन्नो के छूटने के वक्त उसकी सॉलिड जांघें मेरे सर को दबा कर खूब कम्पन करने लगी।
दूसरी तरफ चंचल भाभी को कम्मो मुख मैथुन का स्वाद चखा रही थी और रश्मि उसके मम्मे चूस रही थी।
चंचल भाभी का शरीर भी कम्मो द्वारा मुख मैथुन से एकदम कंपकंपी के आलम में आ गया था और वो भी कम्मो को एक ज़ोरदार जफ्फी मार कर उसके मम्मों को चूस रही थी।
मेरी तरफ शन्नो भाभी का कम्पन काफी कुछ कम हो गया था लेकिन उसकी चूत से काफी पानी निकल रहा था।
अब मैंने शन्नो भाभी की गांड पकड़ कर ऊपर उठाई और उसको घोड़ी की पोजीशन में ले आया और फिर मैंने एक ही धक्के में मेरा 8 इंच लम्बा लंड जड़ तक उसकी चूत में घुसेड़ दिया।
इतना बड़ा लंड शन्नो भाभी ने कभी पहले महसूस नहीं किया था अपनी चूत में तो वो बिगड़े घोड़े की तरह बिदक रही थी।
मैंने उसके चूतड़ सख्ती से अपने हाथों में पकड़े और फुल स्पीड से उसकी धुआंधार चुदाई शुरू दी।
इस धुआंधार चुदाई को मैंने काफी देर तक जारी रखा और तब मैंने एक अजीब सी हरकत शन्नो भाभी की चूत में महसूस की।
मुझको ऐसा महसूस हुआ कि शन्नो भाभी की चूत में कोई मेरे लंड को गाय के थन की तरह से दुह रहा हो।
उसकी चूत की सिकुड़न बिल्कुल वैसी ही फीलिंग दे रही थी और वो मैं ही था जो अपने लंड को काबू में रख सका और अपना स्खलन नहीं होने दिया।
लेकिन इस चूत की सिकुड़न को जजों ने दोबारा छूटना माना गया क्यूंकि इस सिकुड़न के साथ शन्नो भाभी के शरीर में तेज़ कम्पन भी होने लगी और कुछ पानी भी चूत से निकला था।
मेरी टीम 2-0 से अभी तक आगे चल रही थी।
मैंने शन्नो भाभी को अब खड़ा कर के बिस्तर के किनारे को पकड़ कर और थोड़ा उसको झुका कर पीछे से चूत में लंड को डाल दिया और थोड़ी तेज़ और थोड़ी आहिस्ता चुदाई का सिलसिला शुरू कर दिया।
शन्नो भाभी की सबसे बड़ी कमज़ोरी थी उसकी भग को दबाना या सहलाना… और यही करते हुए मैं भाभी को पुनः स्खलन के निकट ले आया और शेष 5-6 धक्कों में भाभी का पानी छूट गया और इस समय उसके मुंह से बड़ी ज़ोर से ‘हाय मैं मरी रे…’ जैसे अस्फुट शब्द निकल रहे थे।
रश्मि भाभी ने शन्नो से पूछा- और चुदवाना है क्या या फिर बस करें?
जब भाभी कुछ बोली नहीं तो मैंने उसको बिस्तर पर चित लिटा दिया और उसकी जांघों में बैठ कर बड़ी तेज़ चुदाई शुरू कर दी।
मैं भाभी के मम्मों को अपनी चौड़ी छाती से पूरी तरह दबा कर बड़ी गहरी और तेज़ लंडगिरी में लग गया।
कमरे में मौजूद तीनों औरतें मेरे पलंग को घेर कर मेरी यह तूफानी चुदाई का नज़ारा देख रही थी।
शन्नो भाभी की आँखें बंद थी और होंठ खुले हुए थे और वो बड़ी मुश्किल से सांस ले पा रही थी लेकिन उसके चूतड़ हर मेरे धक्के का जवाब ऊपर उठ कर दे रहे थे और मेरा लौड़ा हर बार भाभी की गर्भदानी को छूता हुआ अंदर बाहर हो रहा था।
शन्नो भाभी जल्दी ही फिर झड़ गई और इस बार वो झड़ते हुए बड़ी ज़ोर से कांपी और मुझको अपनी बाहों में जकड़ लिया और मुझको ऐसा लगा कि वो मुझको अपनी फौलादी बाहों में दबा कर कुचल देगी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
एक क्षण में मेरे लंड के तोते उड़ गये और मुझको लगा भाभी मुझको वाकई में अपनी बाहों में जकड़ कर मेरा कचूमर निकाल देगी।
फिर धीरे धीरे से भाभी की गिरफ़्त कुछ ढीली पड़ी और मैं झट से उसकी बाहों के घेरे से निकल भागा।
रश्मि भाभी, चंचल भाभी और कम्मो रानी ने मुझको मिल कर उठा लिया और कमरे के दो तीन चक्कर काट आई।
मेरा लौड़ा अभी भी अकड़ा खड़ा था और शन्नो भाभी बेसुध नंगी पड़ी थी पलंग पर!
उसकी चूत से सफ़ेद झाग वाला पदार्थ निकल रहा था धीरे धीरे और कम्मो ने बताया कि शन्नो भाभी तो पूरी तरह से स्खलित हो चुकी थी।
दोनों भाभियों ने मिल कर शन्नो भाभी को जगाने की कोशिश की लेकिन वो तो मस्त सोई हुई थी अपनी टांगें फैला कर…
मुझको कोई खास ख़ुशी नहीं हुई थी लेकिन कम्मो तो बहुत ही ज़्यादा प्रसन्न थी जैसे कि यह जीत उसकी अपनी खुद की जीत हो!
चंचल भाभी मेरी आँखों में आँखें डाल कर अपनी चूत की तरफ इशारा कर रही थी और मैंने भी जोश में कहा- चलो तीनो जजों को भी चोद देते हैं अगर उनकी मर्ज़ी हो तो?
दोनों भाभियों ने फ़ौरन हाँ कर दी और कम्मो ने भी हाँ में अपनी गर्दन हिला दी।
तीनों नंगी ही खड़ी थी तो पहले चंचल भाभी को घोड़ी बना कर चोदा और फिर रश्मि को अपनी गोद में बिठा कर चोदा और आखिर में कम्मो को बड़े प्रेम से उसको अपने ऊपर बिठा कर चोदा या उससे चुदवाया।
तकरीबन 10 दिन की चुदाई के बाद आज मेरा वीर्य कम्मो की चूत के अंदर छुटाने की इच्छा पूर्ण हुई।
मिनटों में ही शन्नो भाभी की लण्ड- चूत की लड़ाई में करारी हार की खबर सारी कोठी में आई हुए मेहमानों में फ़ैल गई।
पूनम ने अगले दिन शन्नो भाभी से शर्त के 100 रूपए की उगराही कर ली लेकिन मैंने पैसे लेने से इंकार कर दिया।
लेकिन जब पूनम यह कह कर मुझे पैसे लेने पर मजबूर करने लगी कि ये पैसे मेरे हक की कमाई के हैं तब मैंने वो पैसे ले कर सब लड़कियों को लखनऊ की मशहूर चाट पकौड़ी खाने के लिए दे दिए।
कहानी जारी रहेगी।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments