मेरा गुप्त जीवन-63
(Mera Gupt Jeewan-63 Bhabhi Ki Mast Chut Chudai)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left मेरा गुप्त जीवन -62
-
keyboard_arrow_right मेरा गुप्त जीवन-64
-
View all stories in series
भाभी की मस्त चूत चुदाई
शाम को मम्मी का फ़ोन आया कि दूर के रिश्ते में पापा के मौसेरे भाई के बेटे और उसकी पत्नी कुछ दिनों के लिए लखनऊ आ रहे हैं और वो हमारी कोठी में ही ठहरेंगे, उनके लिए कमरा तैयार करवा दूँ, उनके आराम का पूरा ख्याल रखना और उनकी पूरी खातिरदारी करना, वो कल दोपहर पहुँचेगे तब तक तुम कॉलेज से वापस आ जाओगे। उनका नाम है रोशन और रश्मि, वो बहुत अच्छे स्वभाव के हैं।
मम्मी ने यह भी बताया कि पापा मेरे लिए मेरे अगले जन्मदिन पर एक मोटर साइकिल देने की सोच रहे हैं मैं उनको जल्दी बताओ कि कौन सी मोटर साइकिल मुझको पसंद है।
मैंने बेहद ख़ुशी से कहा- थैंक यू मम्मी जी, पापा जी को भी मेरा थैंक्स कहना। मैं जल्दी ही मोटर साइकिल के बारे में बताऊँगा। रोशन भाई और भाभी का आप फ़िक्र ना करें, उनका पूरा ध्यान रखा जाएगा।
मैंने कम्मो को बुलाया और उसको बताया कि भैया और भाभी आ रहे हैं और उनके लिए बड़ा वाला कमरा तैयार कर देना।
अगले दिन कॉलेज से लौटने पर जब घर पहुँचा तो भैया भाभी तब तक नहीं आये थे, मैं भी खाने पर उनके आने का इंतज़ार कर रहा था।
कोई आधे घंटे बाद उनकी कार पहुँची और मैंने उनका स्वागत किया।
कम्मो उनके लिए कोल्ड ड्रिंक्स ले आई, फिर दोनों को फ्रेश होने के लिए उनको उनके कमरे में छोड़ आया।
खाना खाकर जब हम फारिग हुए तो बातें शुरू कर दी। तब मैंने भैया भाभी को ध्यान से देखा, भैया की आयु होगी कोई 30 के लगभग और भाभी होगी 27-28 की… दोनों काफी मॉडर्न लगे।
भाभी देखने में काफी सुन्दर लग रही थी और भैया भी स्मार्ट दिख दिख रहे थे। भैया किसी कम्पनी में काम करते थे और अक्सर टूर पर रहते थे।
भाभी ने बताया कि कल सवेरे से वो फिर दो दिन के लिए पास के शहरों में जाने वाले थे टूर पर लेकिन भाभी यहीं लखनऊ में ही रहने का प्रोग्राम बना कर आई थी।
भैया और भाभी शाम को लखनऊ घूमने के लिए निकल गए और मुझको भी कहा लेकिन में पढ़ाई का बहाना बना कर उनको टाल दिया।
उनके जाने के बाद मैंने कम्मो और पारो को बुलाया और कहा कि रात की चुदाई तो मुमकिन नहीं तो अभी क्यों ना कमरा बंद करके चुदाई का एक दौर शुरू कर दें।
दोनों मान गई और फिर मैंने दोनों को बारी बारी से उनकी साड़ी ऊपर उठा कर जम कर चोदा और जब तक दोनों ने कान पकड़ कर बस और नहीं कहा तो तब तक उनको नहीं छोड़ा।
पारो तो साड़ी नीचे करके अपने किचन में चली गई क्योंकि उसको आज कुछ ख़ास चीज़ें बनानी थी।
कम्मो और मैं बातें करने लगे, कम्मो का कहना था कि भाभी को भैया से पूरी यौन तसल्ली नहीं मिल रही थी इसीलिए वो बार बार मेरे लंड को आँखों से टटोल रही थी.
मैंने कहा- हो सकता है लेकिन भाभी है सुंदर ! अगर उनकी चूत चोदने को मिल जाए तो मज़ा ही आ जाए!
कम्मो बोली- छोटे मालिक, क्या भाभी की लेनी है आपको?
मैं बोला- दिलवा सकती हो क्या?
कम्मो बोली- हाँ कोशिश कर सकते हैं। वैसे भी भाभी भैया की शादी को कम से कम 7-8 साल हो चुके होंगे लेकिन भाभी की आँखों से काफ़ी चुदाई की भूख झलक रही है।
मैं बोला- वो तो ठीक है लेकिन मुझको कब और कैसे मिल पायेगी वो? यह सोचो न!
कम्मो बोली- मैं एक तरीका बताती हूँ अगर कर सको तो?
मैं बोला- बोलो कम्मो रानी? क्या तरीका है?
कम्मो बोली- तुम जब रात को सोओ तो पायजामा लंड के ऊपर से हटा कर सोना, वो शायद तुम्हारे कमरे में आएगी रात को तो खड़ा लंड देख कर शायद वो तैयार हो जाए!
मैं बोला- चलो ऐसा भी कर के देख लेते हैं, शायद तुम्हारा जादू चल जाए!
खैर खाना बहुत ही स्वादिष्ट बनाया था पारो ने! दोनों ने खाने की बहुत तारीफ की थी, फिर भैया बोले- कोकाकोला पीने की बड़ी इच्छा हो रही है सोमू क्या घर में है?
मैं बोला- ज़रूर भैया।
कम्मो को बोला तो वो झट से ठंडी कोकाकोला की 4 बोतलें ले आई जो एकदम से ठंडी हो रखी थी और खोल कर सबको पकड़ा दी।
भैया बोतल पीते हुए बोले- वाह सोमू, यार कोका पी कर दिल खुश हो जाता है, सच में 1954 में कोकाकोला ही एक ऐसी ड्रिंक है जिस ने सारे देश में धूम मचा रखी है, अभी गाँव खेड़ा में नहीं पहुँची, हम बेचारे सब इस अमृत से अभी वंचित हैं।
खाना खाकर मैं भैया भाभी को उनके कमरे तक छोड़ आया और कम्मो भी मुझको एक गर्म चुम्मी देकर अपनी कोठरी में चली गई।
मैं आज काफी अरसे के बाद अपने कमरे में अकेला सो रहा था, बिस्तर पर लेटते ही मेरी आँख लग गई और कम्मो की बताई तरकीब याद ही नहीं रही।
आधी रात को मुझको लगा कि कोई मेरे ऊपर बैठा हुआ है, मैंने आधी आँख खोल कर नाईट बल्ब की रोशनी में देखा कि शायद भाभी जैसी ही कोई औरत थी।
फिर मैं सोने का बहाना बना कर लेटा रहा और देखता रहा।
भाभी ने मेरे खड़े लंड को अपनी सफाचट चूत में डाल रखा था और वो ऊपर चढ़ कर मुझको बड़े मज़े से चोद रही थी। धीरे धीरे वो ऊपर नीचे हो रही थी और मेरे होटों को भी झुक कर चूस रही थी।
भाभी पूरी कोशिश कर रही थी कि वो मुझ को जगाये बिना चोद डाले लेकिन अब मैं भी सोये रहने का बहाना करते हुए भी नीचे से धक्के मारने लगा, कभी हल्का कभी तेज़!
मुझको मेरे पेट पर सुगन्धित पानी के गिरे होने के आसार मिल रहे थे, जिसका मतलब था कि भाभी कई बार छूट चुकी थी।
मैं अंदाजा नहीं लगा पा रहा था कि भाभी कब से मुझ को चोद रही थी, अब मुझ से रहा नहीं गया और मैंने आँखें खोल कर भाभी को पलट दिया।
अब भाभी मेरे नीचे और मैं उसके ऊपर हो गया था, अब लंड को पूरा अंदर डाल कर मैंने तेज़ रफ्तार से चोदना शुरू किया और भाभी की आँखों में अपनी आँखें डाल कर उसके होटों को चूमना और उसके मोटे उरोजों को चूसना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर में भाभी फिर एक बार छूट गई और मुझको अपनी बाहों के घेरे में ले कर उसने मुझको अपनी छातियों से चिपका लिया और अपनी टांगों में मेरी पतली कमर को जकड़ लिया।
मैं अभी भी भाभी के ऊपर लेटा हुआ था और मेरा खड़ा लंड अभी भी उसकी चूत में ही था।
तब भाभी ने मुझको होटों पर चूमते हुए कहा- सॉरी सोमू, मैंने तुमको रात में डिस्टर्ब किया! वेरी सॉरी!
मैं बोला- पर भाभी आपने यह रिस्क कैसे उठा लिया? भैया कभी भी आ सकते हैं।
भाभी हंस दी- सोमु, भैया आ नहीं सकते क्योंकि उन्होंने नींद की गोली खा रखी है और वो रात को कभी नहीं उठते।
मैं हैरानगी से बोला- तो फिर भाभी आपका काम कैसे होता है?
भाभी बोली- मेरा कोई भी काम नहीं होता है सोमू। तुम्हारे भैया कुछ भी करने के काबिल नहीं हैं।
मैं बोला- उफ़्फ़, भाभी आप इतनी सुंदर और भैया भी स्मार्ट हैं फिर भी कुछ नहीं हो पा रहा है।
भाभी उदास हो कर बोली- पिछले सात साल से यही कुछ हो रहा है। चलो छोड़ो यह बातें और मुझको घोड़ी बना कर चोदो ना प्लीज सोमू?
भाभी जल्दी से घोड़ी बन गई और मैंने अपनी तुरुप चाल शुरू कर दी, मतलब पूरा लंड अंदर और फिर पूरा बाहर और फिर अंदर और बाहर और फिर धीरे धीरे स्पीड बढ़ा देना।
यह चुदाई कोई 15 मिन्ट तक चली और भाभी कोई 3 बार स्खलित हुई, हर बार छूटने पर वो मुझको किस और मम्मों को चुसाई का इनाम देती थी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब भाभी नीचे लेट गई और मुझको भी साथ लेटने का इशारा करने लगी।
मैं लेटा नहीं बल्कि उठ कर खड़ा हो गया और भाभी को भी खड़ा कर दिया।
भाभी मुझ को हैरानगी से देखने लगी, जब भाभी खड़ी हो गई तब मैंने उनको गौर से देखा, भाभी भी ख़ूबसूरती का मुजस्मा लग रही थी।
मैं एकदम झुक गया और उनकी सफाचट चूत में अपना सर डाल दिया और उसकी खुशबू दारचूत का आनन्द लेने लगा।
भाभी ने मेरा सर अपनी चूत के अंदर और धकेल दिया और में उसकी चूत के लबों को चूसने लगा और उसके भग को भी चूसा, भाभी आनन्द विभोर हो गई और मुझको उठा कर अपनी मोटे मम्मों से भरी छाती में चिपका लिया।
मैंने भाभी के मोटे चूतड़ों पर अपने हाथ फेरने लगा बार बार उसकी चूत को लंड से जोड़ने लगा।
थोड़ी देर में भाभी फिर चुदाई के लिए तैयार हो गई और अब मैंने उसको पलंग पर लिटा कर उनकी टांगें अपने कन्धों पर रख कर अपने मोटे लौड़े को चूत के अंदर डाल कर ज़ोरदार चुदाई शुरू कर दी।
भाभी का मुँह खुला का खुला ही रह गया और वो मेरी चुदाई की स्पीड से विस्मित हो कर खूब आनन्द लेने लगी।
जब वो 3 बार छूट गई तो उसने मुझको हाथ जोड़ कर कहा- अब और नहीं सोमू यार!
मैंने भी कहा- भाभी आप कमाल की हो, कल मुझको लगा था क आप सेक्स की भूखी हो लेकिन इतनी भूखी हो, यह अंदाजा नहीं था। आप सुबह कम्मो से बात कर लेना वो आपकी सब समस्याओं क हल ढूंढ देगी।
फिर भाभी ने अपनी नाइटी पहन ली और मैं सिर्फ पयज़ामे में उनको कमरे में छोड़ आया, अंदर झाँक कर देखा तो भैया पूरी तरह से नींद में मग्न थे।
अगले दिन जब कम्मो सुबह की चाय लेकर आई तो मैंने उसको रात की सारी कहानी सुना दी।
कम्मो बड़ी खुश हुई कि उसका प्लान ठीक ही था और भाभी वाकयी में लंड की प्यासी है।
मैं अपने टाइम पर कॉलेज चला गया और भैया अपने काम पर दो दिन के लिए कार लेकर चले गए, घर में सिर्फ भाभी कम्मो और पारो ही थी।
कॉलेज से वापस आया तो कम्मो मेरे कमरे में मेरा खाना लेकर आई, पारो के हाथ का स्वादिष्ट खाना खाकर मन तृप्ति से भर गया।
कम्मो ने भाभी के साथ हुई बात का खुलासा दिया- भैया का लंड थोड़ा कम ही खड़ा होता है यानि काफी टाइम लगता है और वो जल्दी ही झड़ भी जाते हैं, भाभी बेचारी कुछ भी आनन्द नहीं ले पाती।
ऐसी हालत में भाभी को पहली बार सोमू एक शरीफ और समझदार लड़का लगा, उसने कल रात में सोमू के कमरे में आने का रिस्क लिया लेकिन सोमू उसकी उम्मीदों से कहीं आगे बढ़ कर निकला और उसकी सालों की यौन भूख को सोमू ने मिटा दिया। भाभी सोमु की पूरी तरह से आशिक हो गई।
कहानी जारी रहेगी।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments