मेरे दोस्त की बीवी की चिकनी चूत
(Mere Dost Ki Biwi Ki Chikni Choot)
हाय दोस्तो,
आपके लिये एक बार फ़िर मैं यानि नितिन एक और गर्म सेक्स स्टोरी लेकर आया हूं। तो दोस्तो, बात हमारे एक दोस्त की है, नाम था विनोद।
विनोद एक बिजनेसमैन है, अभी कुछ ही दिन पहले विनोद की शादी हुई थी। विनोद की वाइफ़ यानि मेरी भाभी एक मस्त हुस्न की मलिका है. भाभी के हुस्न की तारीफ़ भी क्या करूँ… शब्द ही कम पड़ जाते हैं।
फ़िर भी कोशिश करता हूँ।
रंग- मलाई मार के मतलब एकदम गोरा
हाइट- 5’9″
मम्मे- 34″
कमर- 28″
चूतड़- 34″ के आसपास…
यह फ़ीगर था भाभी का।
अब ऐसी मस्त जवानी को देख कर भला कौन होगा जिसका मन उसको चोदने को न करे… मेरा मन भी बिगड़ गया।
विनोद का रंग सांवला था और उसकी हाइट भी 5’6″ थी। पता नहीं क्या सोच कर उस हुस्न परी ने उस चूतिये से शादी की थी। हम दोस्त मज़ाक में बात करते थे कि ‘अगर ये मोम्मे चूसता होगा तो चूत नहीं मार पाता होगा और अगर चूत मारता होगा तो मोम्मे छूट जाते होंगे।
एक दिन भाभी मेरे घर पर आई, मैं घर पे अकेला था।
भाभी ने मम्मी के बारे में पूछा तो मैंने बताया कि वो 2-3 दिन के लिये दिल्ली गई है और डैड भी साथ गये हैं।
मैंने उनको बैठ कर चाय पीने को कहा।
वो थोड़ा झिझक रही थी, लेकिन सेक्सी भाभी पहली बार मेरे घर पे आई थी तो मैं उनके साथ कुछ पल बिताने का मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। मैंने उन्हें ज़बरदस्ती चाय पीने के बहाने से रोक लिया।
मैं चाय बनाकर भाभी के पास पहुँच गया और भाभी से बात करने लगा।
मैंने भाभी को छेड़ते हुए पूछा- और भाभी, कैसा चल रहा है, विनोद ज़्यादा तंग तो नहीं करता?
भाभी ने कोई जवाब नहीं दिया और मुझे लगा कि मैंने शायद कुछ गलत सवाल कर दिया है। मैंने भाभी से सॉरी कहा।
भाभी ने कहा- सॉरी की कोई बात नहीं है, मैं फ़िर कभी आऊँगी, अभी चलती हूँ।
भाभी की इस बात से मुझे दाल में कुछ काला होने जैसा लग रहा था, खैर मुझे क्या लेना था, मैं जल्दी से अपने बेडरूम में गया और मैंने भाभी के नाम की मुठ मार ली।
अगले दिन भाभी को फ़िर से अपने दरवाज़े पे देख कर मैं हैरान था, भाभी ने पूछा- मम्मी, डैड आ गये या नहीं?
मैंने कहा- आपको बताया तो था कि वो 2-3 दिन में आयेंगे.
भाभी ने पूछा- चाय नहीं पिलाओगे आज़?
मेरी तो लाइफ़ ही बन गई कि जिसे कल मैं ज़बरदस्ती चाय पिला रहा था आज़ वो खुद मेरे पास आई है कुछ वक्त बिताने के लिये।
मैंने जल्दी से चाय बनाई और फ़िर हम दोनों एक साथ बैठ कर चाय पीने लगे।
आज़ मैं चुप था, भाभी ने पूछ लिया- क्या बात है, चुप क्यों हो।
मैंने कहा- कल मैंने आपका दिल दुखाया था तो आज़ मैं कोई ऐसी बात नहीं करना चाहता जिससे आपका दिल दुखी हो।
भाभी के सब्र का बांध टूट गया, अपनी आँखों में आँसू भरती हुई वो बोल पड़ी- नितिन, विनोद बहुत अच्छे हैं लेकिन सिर्फ़ अच्छा होना ही काफ़ी नहीं होता। कुछ और भी होना चाहिये एक औरत को खुश करने के लिये।
मैंने भाभी के आँसू साफ़ करते हुये पूछ लिया- भाभी मुझे ठीक से बताओ कि माज़रा क्या है, शायद मैं आपकी कुछ मदद कर सकूँ!
भाभी ने बताया कि विनोद के साथ रात बिताना मुश्किल हो जाता है, जब तक मैं गर्म होती हूँ, विनोद ठंडा हो जाता है। एक बार विनोद का पानी निकल जाये तो वो सो जाता है और मैं प्यासी तड़पती रहती हूँ। इस जवानी का क्या फ़ायदा अगर कोई इस जवानी को लूट ही न पाये।
मौका अच्छा था, मैंने भाभी से कहा- कोई बात नहीं भाभी, मैं हूँ न!
यह कहते हुये मैंने अपना एक हाथ भाभी के मोम्मों पे रख दिया।
भाभी ने कुछ नहीं कहा तो मैंने भाभी से कहा- भाभी जाने दो, साले विनोद को उस चूतिये को इतनी सेक्सी बीवी मिली है, अगर इस हुस्न को देख कर भी साले का लंड खड़ा नहीं होता तो साले के लंड को काट देना चाहिये।
मैंने इतना कहते हुये अपना हाथ भाभी के ब्लाउज़ में डाल दिया, भाभी सिहर उठी।
मैंने कहा- भाभी, अब आपको प्यासा रहने की ज़रूरत नहीं। जब तक मैं हूँ, आपको नहला दूंगा।
इतना कहते हुये मेरा दूसरा हाथ भाभी की साड़ी के अन्दर जा चुका था। मैं भाभी की चूत को ऊपर से सहलाने लगा और फ़िर मैंने भाभी की पैंटी को साइड में करते हुये अपनी एक उंगली भाभी की चूत में डाल दी, ऊऊह की सी आवाज़ में वो मेरा साथ दे रही थी।
अब मैंने भाभी की साड़ी को अलग कर दिया और उसके मोम्मों को आज़ाद कर दिया। भाभी के मोम्मे देखते ही मेरे मुँह मेँ पानी आ गया। मैंने जल्दी से भाभी के मोम्मे चूसना शुरु कर दिया।
वाह क्या रस था उन मोम्मों का… मैं चूस रहा था और भाभी कह रही थी- धीरे धीरे माई लव!
लेकिन मुझे आराम नहीं था, मैंने अब उसके पेटीकोट और पैंटी को भी भाभी के बदन से अलग कर दिया। अब भाभी मेरे सामने एकदम नंगी पड़ी थी। उसकी चूत पे एक भी बाल नहीं था, टांगें एकदम चिकनी थी।
मैं हैरान था कि ऐसी जवानी को देख कर तो लंड बैठना ही नहीं चाहिये लेकिन साले विनोद का लंड खड़ा ही नहीं होता।
मैंने अब अपने कपड़े भी उतार दिये। मेरे लंड को देखते ही वो बोली- ये तो बहुत मज़बूत लग रहा है… लाओ इसे चख कर तो देखूँ!
और फ़िर भाभी ने मेरा लंड अपने मुँह में डाल लिया और चूसने लगी।
मैं भी 69 पोजिशन में भाभी की चूत को चाटने लगा।
10 मिनट बाद वो बोली- जान, अब नहीं रहा जा रहा है, इस लंड को मेरी चूत में डाल दो और चोद दो मुझे।
मैंने उसकी टांगों को ऊपर उठा दिया और अपना लंड एक ही झटके में उस की चूत में पूरा डाल दिया।
भाभी की चीख निकल गई, लेकिन वो जानती थी कि इस दर्द के बाद ही तो मज़ा है, वो मेरा साथ देने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… चोदो चोदो… मज़ा आ रहा है, तुम्हारा लंड आज़ से मेरी चूत का मालिक है, इस चूत को आज़ इतना चोदो कि अगले कुछ दिन तक ये दोबारा लंड ना मांगे… चोदो चोदो मुझे चोदो!
उसके बोलने के साथ ही मेरी चोदने की स्पीड बढ़ रही थी।
‘आआह ऊऊह… फ़क मी… ऊऊउह… फ़क माई पुस्ससी… फ़क मी फ़क माई पुस्ससी…’ की आवाज़ से मुझे और भी जोश आ रहा था।
काफी देर तक मैं उसे चोदता रहा और फ़िर हम एक दूसरे से लिपट कर लेटे रहे।
15 मिनट में उसकी जवानी की गर्मी ने मेरे लंड को एक बार फ़िर से खड़ा कर दिया, मैंने एक बार फ़िर से अपना लंड भाभी की चूत में डाल दिया।
‘चोदो चोदो… और ज़ोर लगा के चोदो मेरी इस चूत को!’
मैंने भी आज़ उसे इतना चोदा कि वो बोल पड़ी- अब मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि विनोद मुझे चोदे या रात को सो जाये। मुझे मेरी चूत के लिये एक दमदार लंड मिल गया है।
इस के बाद उस ने साड़ी पहनी और अपने घर चली गई।
इस दिन के बाद अब जब भी हमारा मन होता है तो हम ये चुदाई का खेल खेलते हैं, लेकिन दोस्तो आज़ तक मैं भाभी की गांड नहीं मार सका। लेकिन एक दिन मैं उसकी गांड भी ज़रूर मारुंगा।
मैं उस दिन का इन्तज़ार कर रहा हूँ।
तो दोस्तो, चोदो चुदवाओ और अपनी लाइफ़ को खुशहाल बनाओ!
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