मस्त देसी भाभी की चुदास-3

(Mast desi Bhabhi Ki Chudas- Part 3)

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अब तक आपने पढ़ा..

सुनीता भाभी अपने गाँव वापस चली गईं और मेरे लिए कंचन भाभी की चूत का जुगाड़ फिट कर गई थीं। मुझे कंचन भाभी को चोदने का मौका नहीं मिल रहा था।

अब आगे..

ऐसे ही एक रात को मैं पेशाब करने कमरे से बाहर आया और मूत कर वापस कमरे में जाने लगा.. तो कंचन भी तुरंत मेरे कमरे में आ गई।

मैं- अरे आप कहाँ से आ गईं और मेरे कमरे में क्या कर रही हो? किसी ने तुम्हें यहाँ देख लिया तो?

भाभी- राज अब सहन नहीं होता। पिछले एक महीने से तुमसे चुदने का इन्तजार कर रही हूँ। मेरे पति आज रात बाहर हैं। कल दिन में वापस आएंगे। मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैंने जब दरवाजा खुलने की आवाज सुनी तो बाहर आ गई, देखा तुम्हारे कमरे की लाइट जल रही है.. तो मैं खुद पर कन्ट्रोल नहीं कर पाई। अभी बच्चा गहरी नींद में सोया है। सो बस दरवाजा भेड़ कर यहाँ पहुँच गई हूँ और हाँ सभी सोये हुए हैं.. मुझे यहाँ आते किसी ने नहीं देखा। बस और ना तड़फाओ और जल्दी से मेरी प्यास बुझा दो।

मैंने भी एक बार बाहर का नजारा देखा, चारों तरफ सन्नाटा छाया था। तो मैंने अपना दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया।
भाभी- राज लाइट बंद करो जल्दी से.. और मुझे जम कर प्यार करो। मेरी हालत बहुत खराब हो रही है।

वो मुझसे लिपट गईं, मैंने भी उन्हें बाहों में भर लिया।
मुझे भी चूत ना मारे हुए बहुत दिन हो गए थे। यहाँ तो आज चूत खुद चुदने आई थी.. तो कैसे मना कर देता।

मैंने उन्हें चूमना शुरू किया, वो भी मेरा साथ दे रही थीं।
मैंने उनकी चूचियों को जोर से मसला, चूत तो पानी बहा रही थी।

मैं- यार तुम तो पहले से ही गीली हो। रूम में अकेले-अकेले क्या कर रही थीं।
भाभी- हाँ आज बहुत मन कर रहा था। चूत में उंगली डाल कर हिला रही थी, पर अब आज इसे असली मजा मिलेगा।

मैं- यही हाल मेरा भी है भाभी… भाभी के जाने के बाद आजकल मुट्ठ मार-मार कर गुजारा चल रहा था। चलो अच्छा किया आप आ गईं। चलो, अब फटाफट कपड़े उतारो।

भाभी- राज नहीं.. बच्चा कभी भी जाग सकता है। फटाफट ऐसे ही मेरी मैक्सी ऊपर उठाकर मेरी चूत मार लो। अब जल्दी करो राज। डालो इसे मेरी चूत के अन्दर।
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मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और मैक्सी को ऊपर उठाकर उनकी चूत चाटनी चाही।

भाभी- नहीं राज चूत आज नहीं चाटनी.. सीधा अन्दर डालो.. सहा नहीं जा रहा है अब.. देखो मेरी चूत लण्ड के लिए कैसे आंसू बहा रही है.. बस अब मुझे फटाफट चोद डालो।

सचमुच उनकी पैन्टी उनके पानी से पूरी भीग गई थी।
मैंने उसे उतार कर साइड में रखा और लण्ड को सुराख में रखा, पर मेरा लण्ड तो सूखा हुआ था।

मैं- भाभी इसे थोड़ा गीला तो कर दो।
उन्होंने उसे जल्दी से अपने मुँह में ले लिया और थोड़ी देर चूसने के बाद जैसे ही लौड़ा गीला हुआ वो फिर से चूत फैला कर लेट गईं।

‘चलो आ जाओ ऊपर मेरे.. और डाल दो अपना मूसल मेरे अन्दर..’

मैंने भी चूत पर लण्ड रखा और एक ही धक्के में अन्दर कर दिया.. वो चीखने ही वाली थी.. उससे पहले मेरे हाथ ने उनका मुँह ढक दिया।

मैं- क्या कर रही हो भाभी.. चिल्लाकर क्या अपनी चुदाई सारे मोहल्ले को बताओगी?

वो बोलीं- तुमने इतनी जोर से डाला क्यों.. मेरी चीख निकाल दी.. कहा था ना मेरे पति बहुत कम चोदते हैं। एक महीने से तो चुदी भी नहीं हूँ। थोड़ा धीरे-धीरे धक्के लगाओ न।

मैं- भाभी तुम्हीं ने तो कहा था.. सहा नहीं जा रहा डाल दो अपना मूसल.. अब इसने घुसते ही तुम्हारी चीख निकाल दी।

मैंने भाभी को धीरे-धीरे चोदना शुरू किया। कुछ ही देर में सारा दर्द चला गया और वो मजा लेने लगीं और मेरा साथ देने लगीं।

हम दोनों को ही एक-दूसरे की लेने की जल्दी थी, उन्हें भी बहुत इन्तजार के बाद मेरा लण्ड मिला था, तो नीचे से जोर-जोर से उछल कर पूरा लण्ड अपने अन्दर लेना चाह रही थीं।
वही हाल मेरा भी था, नई चूत मिलने का मजा तो वो ही समझ सकता है.. जिसने नई चूत मारी हो।

भाभी ज्यादा देर टिक नहीं पाईं- ‘आहहह राज.. मैं गई रे.. जरा जोर से रगड़ो न.. आहह आहह.. बस ऐसे ही हाययय.. क्या मजा दिया तुमने..
कुछ ही देर में भाभी पिघल गईं और ढीली पड़ गईं।

मैं- भाभी मेरा भी होने वाला है, कहो तो चूत के अन्दर निकाल दूँ।
भाभी- नहीं अन्दर मत डालना.. एक महीने से तो चुदी भी नहीं हूँ अपने पति से.. मुझे तुम्हारा पानी पीना है। मेरे मुँह में गिरा दो।

मैंने भी कुछ तेज-तेज धक्के उनकी चूत में मारे, उनकी चूचियां जोर से मसलीं और होंठों को थोड़ी देर चूसने के बाद लण्ड निकालकर मुँह में दे दिया।
मुँह में जाते ही उन्होंने भी पिचकारी छोड़ दी।

पूरा वीर्य मुँह में भरने के बाद वो उस माल को गटक गईं और मेरे लण्ड को चाट-चाट कर साफ कर दिया।

मैं उनके बगल में लेट गया और उन्हें फिर से गरम करने लगा। उनकी चूचियां दबाने लगा.. वो उठ कर बैठ गईं।
भाभी- नहीं राज.. आज अब और नहीं। बाक़ी कल देखेंगे.. रूम में बच्चा कभी भी उठ सकता है, पर तुमने आज मजा बहुत दिया। सब्र का फल मीठा होता है। एक महीने बाद ही सही पर आज मैं तुमसे चुद कर निहाल हो गई।

मेरा भाभी को और एक बार चोदने का मन था, वो मानी नहीं और आराम से दरवाजा खोलकर वापस अपने कमरे में चली गईं।
मैंने उनके रस से भीगी हुई पैन्टी से ही मुट्ठ मारी और फिर दुबारा सो गया।

फिर कुछ दिन तो मौका नहीं मिला, पर एक दिन सुबह-सुबह बात बन गई।
अगले दिन मेरी छुट्टी थी, पर मैं रात को अलार्म बंद करना भूल गया था। सुबह 5 बजे अर्लाम बजा, मेरी नींद खुल गई।

सुबह-सुबह लण्ड पेशाब भरने की वजह से पूरा खड़ा था, मैं पेशाब करने गया और जैसे ही लाइट बंद करके लेटा.. बाहर किसी के पायल के बजने की आवाज आ रही थी।
शायद कोई टायलेट करने आया था।

बाहर गलियारे की लाइट जल रही थी। इसलिए परछाई दरवाजे के नीचे से जाती दिखाई दे रही थी। वह पेशाब करके आई और मैंने देखा कि वो थोड़ी देर मेरे दरवाजे के सामने खड़ी हो गई।

जैसे ही मैंने अपने कमरे की लाईट जलाई तो वो अपने कमरे में भाग गई।
मैं समझ गया कि वह भाभी ही हैं।

मैं रात को निक्कर व बनियान पहन कर सोया था। वैसे ही उठा और ब्रश करने के बहाने से बाहर आया।

बाहर आया तो देखा कि अभी तो अंधेरा है और सभी सो रहे हैं। पर कोने में भाभी के कमरे की लाईट जल रही थी। मैं थोड़ा सा खांसा पर कोई जबाब नहीं आया।

तब मैंने जानबूझ कर पानी से भरा मग नीचे गिराया.. जिसकी आवाज सुनकर भाभी ने अपना दरवाजा खोला।
वो मैक्सी में थीं व दरवाजे में खड़ी थीं, सुबह-सुबह भी वो कयामत ढा रही थीं।

मैंने हाथ हिलाया तो वो मुस्कुराने लगीं।
मैंने अपना एक हाथ लण्ड पर ले जाकर उसे ऊपर से हिलाने लगा, वो भी चूत के पास हाथ ले जाकर सहलाने लगीं।

मैंने उन्हें अपने कमरे में आने का इशारा किया.. तो उन्होंने मना कर दिया।
मैंने खुद वहाँ आने का इशारा किया तो उन्होंने गर्दन हिला दी।

मैंने अपने कमरे की लाईट बंद की और दरवाजे को ऐसे ही उड़का दिया.. जैसे वह अन्दर से बंद हो और मैं उनके कमरे में चला गया।

वो बोलीं- राज सुबह-सुबह क्या कर रहे हो?
मैं- दांतों की सफाई.. आपको भी करानी है।
भाभी- मैं कब की कर चुकी हूँ।

मैं- दांतों की नहीं भाभी.. कहीं और की सफाई जो एक महीने से गंदी है। वहाँ मशीन को जंग लग गया है।
वो समझ गईं और बोलीं- हट बदमाश कहीं के..

मैं- उस दिन तो आप मुझे आधा मजा देकर भाग गईं और आधे मजे मैंने आपकी एक चीज से पूरे किए। याद करो भाभी आपकी कोई चीज आपके पास कुछ कम तो नहीं हो गई है।

भाभी- कुछ कम नहीं है.. चलो अब जाओ यहाँ से।
मैं- अच्छा.. तो फिर बुलाया क्यों था। मेरे कमरे के आगे क्यों खड़ी थीं आप?
भाभी- वो तो मुझे तुम्हारी उस रात की हरकतें याद आ रही थीं।

मैं- अच्छा मुझे भी आपकी बहुत याद आ रही थी। इसलिए हर रात आपका नाम लेकर मुठ मारता हूँ.. वो भी आपकी उस रात उतारी हुई पैन्टी पर, जो आपके रस से लबालब भरी थी। तब जाके कहीं नींद आती है मुझे।

भाभी- अच्छा.. वो तुम्हारे पास है, मैं सोच रही थी मैंने सोते समय उतार दी। तुम बहुत शैतान हो। पर तुमने मुठ क्यों मारी, मैं नाराज हूँ। जब मन करे मेरी मार लिया करो। चलो मेरी पैन्टी वापस करो।

मैं- वो तो मैंने संभाल कर रखी है। उसमें आपकी चूत की खुशबू जो आती है।

यह कहकर मैंने भाभी के मम्मे जोर से मसल दिए और उन्हें बाहों में भर लिया।
भाभी- अभी नहीं.. कोई भी उठ सकता है।
मैं- सब सोये हैं, वैसे भी मैं कौन सा कह रहा हूँ.. बस थोड़ा सफाई कर देता हूँ।

मैंने उनकी नाइटी पीछे से उठाई और उन्हें झुकने को बोला।
वो मना करने लगीं।
मैंने अपना लिंग उनके हाथ पर दिया व उनके होंठों के अन्दर अपनी जीभ घुसा दी जिसे वो चूसने लगीं और मैं उनकी चूत सहलाने लगा।

फिर उन्हें उन्हीं की चारपाई पर हाथ रखकर झुकने को कहा, वो गर्म हो चुकी थीं.. इसलिए मना नहीं कर पाईं और झुक गईं।

मैंने फटाफट अपना लिंग उनकी चूत की गहराइयों में उतार दिया व दोनों हाथों से उनकी चूचियाँ मसलने लगा और धक्के लगाने लगा।
भाभी को भी मजा आ रहा था, वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं।

मैं पूरी स्पीड से उन्हें चोद रहा था और वो कामुक आवाजें निकाल रही थीं। थोड़ी ही देर में उनका झरना बह निकला।

भाभी- राज अब बस.. मैं थक गई हूँ अब और नहीं कर सकती।
मैं- भाभी तुम चूत को थोड़ा आराम दो और मेरा लण्ड चूसो।

उन्होंने चूसना शुरू कर दिया और मैंने उनकी चूचियां फिर मसलनी शुरू कर दीं।
थोड़ी ही देर में वो फिर गर्म हो गईं।

मैं- भाभी आप मेरी गोद में आ जाओ और अपने दोनों हाथ मेरे गले में पिरो लो।

मैंने उनकी दोनों टांगों को कंधे पर रखा, उन्होंने हाथों से गर्दन पकड़ ली, मैंने उनकी चूत में अपना लण्ड फिट किया और गोद में उठाकर उन्हें चोदने लगा।

भाभी तो जैसे पागल ही हो गईं और मेरे लण्ड पर जोर-जोर से उछलने लगीं, बोलीं- मेरे पति ने कभी मुझे ऐसे नहीं चोदा.. तुमने ये सब सीखा कहाँ से?
मैं- भाभी.. क्या हुआ कि मैं घोड़ी नहीं चढ़ा.. पर बारातें तो मैंने बहुत देखी हैं।

वो समझ गईं और मुझे जोर से चूमने लगीं। मैंने स्पीड बढ़ा दी, वो भी मस्त होकर उछल-उछल कर चुदा रही थीं।

कुछ मिनट बाद उन्होंने कहा- राज मैं फिर गई।

मैंने भी धक्के तेज कर दिए और अपने वीर्य की सात-आठ पिचकारी उनकी चूत में छोड़ दीं, उनकी चूत लबालब भर गई।
उनके मुँह से ‘आह..’ निकली।

अचानक भाभी को कुछ याद आया और बोलीं- उतारो मुझे नीचे.. ये तुमने क्या कर दिया.. अन्दर ही गिरा दिया।

मैं- भाभी बहुत गंदा था वहाँ.. बिना फिनायल के साफ ही नहीं हो सकता था.. अब देखो कितनी गंदगी बाहर निकलती है।

मैंने उन्हें उतार दिया। उनकी चूत से मेरे व उनके माल की धार बहने लगी व टागों से चिपक कर नीचे आने लगी।

मैं- भाभी देखो वहाँ की मशीनों का काम न होने से वहाँ अन्दर जंग लग गया था। मैंने ग्रीस अच्छे से लगा दिया है, देखना अब मशीन बिल्कुल ठीक चलेगी।

उनका गुस्सा शान्त हो गया और वो हँसने लगीं। बोलीं- बड़े शैतान हो, चलो कोई बात नहीं। अब जल्दी से निकलो यहाँ से.. तुमने अपने दांतों के साथ-साथ मेरी चूत की भी सफाई कर दी है।

मैं भी मुस्कुराया और उनकी गांड में एक हल्की सी चपत लगाई, उन्हें एक किस किया और जल्दी से बाहर आ गया।

मैंने कैसे भाभी को पूरा नंगा कर चोदा अगली आगे इसी को लिखूंगा। मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिये।

आपको कहानी कैसी लगी। अपनी राय मेल कर जरूर बताईएगा। आप इसी आईडी से मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं। आपकी अमूल्य राय एवं सुझाओं की आशा में आपका राज शर्मा

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कहानी जारी रहेगी।

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