ममेरी बहन की और भाभी की चूत की चुदाई-3
(Mameri Bahan aur Bhabhi Ki Choot ki Chudai- Part 3)
ममेरी बहन की और भाभी की चूत की चुदाई-2
अभी तक आपने पढ़ा कि कैसे पायल, मेरी ममेरी बहन, और नेहा भाभी, मेरे ममेरे भाई की बीवी के आपस में प्यार ने मुझे मस्त कर रखा था। मैं भी उनके साथ प्यार में डूब गया और दोनों के साथ एक दूसरे के सामने ही मस्ती और प्यार का मजा ले रहा था।
पिछली रात को पायल मेरे कमरे में आकर मस्त चुदाई का आनन्द लेकर खूब मस्त हो गई थी।
अब आगे:
आज जब मैं ऑफिस से आया तो घर में सब कुछ सामान्य था, मेरे आते ही नेहा भाभी रसोई में चाय बनाने चली गई, मामी डाइनिंग टेबल पर बैठी चाय का इंतज़ार कर रही थी।
पायल अभी नहीं आई थी।
मैं अपने कमरे में जा कर कपड़े बदल कर पजामा कुरता पहन रसोई में आया तो भाभी मजाक में बोली- तू बाहर बैठ ना राजू, मैं अभी चाय लेकर आती हूँ।
वो बदमाशी से अपना पल्लू हटा कर दिखा रही थी कि उसने आज ब्रा नहीं पहनी है।
मुझे उसकी यह बदमाशी देख कर बहुत अच्छा लगा और बोला- क्या भाभी, तू तो रोज़ चाय बनाती है, चल आज मैं चाय बनाता हूँ।
मैं साइड से उसकी नंगी कमर सहला रहा था।
भाभी मस्ती में मेरा हाथ ब्लाउज के ऊपर अपने बूब्स पर रख कर बोली- नहीं तू रुक, मैं बना रही हूँ ना!
मैंने नीचे झुक कर भाभी की चुची को चूम लिया और पीछे चूतड़ों को सहलाने लगा।
हम धींगा मस्ती कर रहे थे- नहीं आज चाय मैं बनाऊँगा।
मैंने साड़ी के ऊपर से उसकी जांघों के बीच हाथ से दबाया, उसने पेंटी भी नहीं पहनी थी, वो मस्ती में मुस्करा रही थी।
‘अरे तुम लोग बाद में लड़ लेना, मुझे चाय दे दे नेहा…’ मामी ने बाहर से कहा।
‘अभी ला रही हूँ मम्मी जी, यह राजू काम ही नहीं करने दे रहा है।’ भाभी ने हंस कर जवाब दिया और मजाक में मेरा लंड पजामे में मसल कर चाय लेकर रसोई के बाहर आ गई।
हम दोनों मस्ती में प्यार में हंस रहे थे। भाभी के चूतड़ों का हिलना बहुत मस्त लग रहा था। भाभी मामी के बराबर में बैठी थी और मैं उसके सामने! उसने अपना पल्लू ठीक से लपेट लिया था ताकि मामी को पता ना चले कि उसने ब्रा नहीं पहनी है और निप्पल खड़े हो रहे हैं।
बदमाश नेहा मामी की तरफ मुड़ कर आगे झुक कर बात कर रही थी, मैं उसकी मस्त गोरी चिकनी सुन्दर चुची का मजा ले रहा था और टेबल के नीचे अपना पांव उसके पांव से छू रहा था।
वो भी इस खेल का मजा ले रही थी और मंद-मंद बदमाशी से मुस्करा रही थी।
थोड़ी देर में मामी अपनी चाय ख़त्म करके उठ गई- मैं चलती हूँ अपनी पूजा करने… तुम लोग ताश खेलो। आज पायल अभी तक नहीं आई?
और वो चली गई।
मैं थोड़ी देर इंतज़ार करके उठ कर भाभी के पीछे खड़ा हो कर अपना हाथ सीधा उसके ब्लाउज में घुसा कर निप्पल पकड़ कर मसल दिया- क्यों भाभी, बहुत मस्ती चढ़ रही थी?
‘हाई… सी… ई… उम्म्ह… अहह… हय… याह… धीरे राजू… धीरे.. उफ़.. मसल डाला!’ वो फुसफुसा रही थी- मस्ती तो तुझे कल रात को चढ़ी थी। बेचारी पायल को इतनी जोर से दो-दो बार रगड़ डाला कि सुबह ठीक से चल भी नहीं पा रही थी! तू बहुत जालिम चोदू है राजा, क्या मस्त पानी पिलाता है, जान भी निकल जाती है और मजा भी बहुत आता है।
उसने पाजामे में खड़ा लंड पकड़ लिया, मैंने आगे झुक कर उसको चूम लिया- सच तो यह है भाभी कि यह मस्ती तेरे कारण ही चढ़ी है। अभी रसोई में क्यों अपनी मस्त जवानी दिखाई। अब कुछ तो इस मस्त गबरू जवान को होगा ना! और जब कुछ होगा तो कुछ करना भी पड़ेगा। बोल आज देती है कि बस ऐसे ही मस्ती में है?
‘हाय ऐसे क्यों बोल रहा है राजा… कल से जब से तूने अपना पानी मेरे अंदर निकाला है, उफ़… बहुत चुदास लगी है। अभी तू अपने कमरे में चल.. मैं अभी आती हूँ। पर इस मस्त राम को खड़ा करके रखना!’
‘मैं क्यों खड़ा करूँ, तुझे मजा लेना है तो तू खड़ा करना!’
मैं भाभी के सामने आ गया और कुर्ते के नीचे पजामा नीचे खिसका कर लंड बाहर निकाल, नेहा का हाथ पकड़ कर अपने नंगे लंड पर रख दिया।
भाभी ने झट से मुट्ठी में पकड़ लिया और फुसफुसा कर बोली- हाय कितना कड़क और गर्म हो रहा है। उफ़ बहुत जालिम है तू कमल राजा! मेरी कमजोरी का फायदा उठा रहा है। एक तो तेरा यह कड़क मोटा तगड़ा मस्त राम, ऊपर से तेरा यह निप्पल को इस तरह गोल गोल मसलना, मेरी तो जान निकल रही है। आज पेंटी भी नहीं पहनी है, सारा रस जांघों पर बह रहा है।
‘भाभी तेरा बहुत माल निकलता है.. कल भी एकदम छप छप हो गई थी।’
‘यह तो तेरी मस्त चुदाई का कमाल है मेरे राजा, पर मेरा माल निकलने से क्या… माल तो तेरा खूब सारा निकल कर मेरी मुनिया में भरना चाहिए… तभी तो असली मजा है।’ उसने मेरा लंड दबा दिया।
‘हाय भाभी क्या बोल रही है… अगर मेरा माल घुस गया तो मालूम है ना क्या होगा?’
‘हां, खूब अच्छी तरह मालूम है और मस्ती में साथ यही तो मैं चाहती हूँ।’ भाभी ने प्यार से अपना हाथ मेरी कमर में लपेट कर अपना सर मेरे पेट से लगा दिया।
कड़क लंड उसकी चुची को छूने लगा। मुझे उसके इस प्यार से बहुत अच्छा लग रहा था।
हम दोनों ने अपनी चाय ख़त्म कर ली थी।
नेहा भाभी अब खूब मस्ती और चुदास से भर रही थी, वो बोली- कमल अब तू जल्दी से अपने कमरे में चल, मैं अभी मम्मी को देख कर आती हूँ।’ उसने लंड को दबाते हुए कहा।
‘ठीक है भाभी जल्दी आना, नहीं तो बहुत गड़बड़ हो जायगी।’
‘हाय राम, देख अब कुछ गड़बड़ मत करना, नहीं तो फड़कती चूत पर धोखा हो जाएगा।’ वो हंस कर उठ गई और मैं ऊपर अपने कमरे में आ गया।
पजामे में खड़े लंड को मुट्ठी में पकड़ कर सोच रहा था कि जब नेहा भाभी जैसी चुदासी औरत के दिल में जवान लौड़े के साथ मजा लेने की चाहत होती है तो वो अपनी चाहत पूरी करने का रास्ता और तरीके अपने आप निकाल लेती है।
थोड़ी देर में भाभी हंसती हुई मेरे कमरे में आ गई और दरवाज़ा बंद करके मुझ से लिपट गई- सच में राजू, तूने तो जादू कर दिया है, दिल बहुत बेचैन हो रहा है तेरे मस्त राम का मजा लेने के लिए।
उसने पाजामे में खड़ा लंड अपनी मुठी में पकड़ लिया- मन करता है तुझसे पूरी नंगी होकर अपना नंगा जिस्म तेरे मजबूत तगड़े बदन से रगड़ लूँ, पर उसके लिए समय नहीं है राजा.. अभी तो ऐसे ही कर ले।’ उसने अपना ब्लाउज खोल मखमली चुची को आजाद कर दिया और मेरे सीने से रगड़ने लगी।
हम दोनों के होंठ जुड़े थे और हम फुसफुसा कर बात कर रहे थे- क्या भाभी, तेरी बात तो सही है, पर मेरा क्या.. मैं भी तो तुझे नंगी करके तेरी इस मस्त गदराई जवानी को निचोड़ना चाहता हूँ।
मैंने उसकी साड़ी ऊपर उठा कर उसके चूतड़ों को मसलते हुए चुची पर चूम कर निप्पल को काट कर कहा।
‘हाय… सी… हाई… उफ़… काट लिया जालिम.. उफ़… नंगी करके भी कर लेना राजा… जब मौका मिलेगा। मैं खुद आ जाऊँगी राजा तुझे मजा देने के लिए.. अभी तो बस आधा घंटा है.. जल्दी से अपने इस मस्त राम का पानी पीला दे मेरी इस गर्म मुनिया को!’ नेहा ने उसका लंड का सुपारा अपनी चूत पर घिस कर सिसकारी लेते हुए कहा।
मुझे धकेल कर दीवार से चिपका दिया और खुद एक टाँग उठा कर पास रही कुर्सी पर रख कर अपनी मस्त गीली गीली बड़ी सी चुदासी चूत को पूरा खोल दिया और सुपारे को चूत के होंठों के बीच और दाने पर रगड़ने लगी।
‘यी… सी… उफ़… बहुत गर्म है तेरा राजू… ऐसे ही निकाल देगा यह तो…’ नेहा ने अपनी जांघों को दूर तक खोल कर चूतड़ों से झटका मारा।
मोटा गीला सुपारा चूत खोल कर अंदर घुस गया।
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नेहा मस्ती में नाच उठी- हाय राजू, यह तो घुस गया! अब पूरा अंदर पेल कर चोट मार दे राजा… उफ़… तेरे कड़क लंड की चोट बहुत जालिम है, ऐसा लगता है जैसे हथौड़ा पड़ रहा हो!
वो अपने चूतड़ों को दबा कर लंड को और अंदर घुसाने की कोशिश कर रही थी।
मुझे उसकी चुलबुलाहट देख कर बहुत मजा आ रहा था।
‘मैं कैसे ठोकूँ भाभी, तूने घुसाया है अब तू ही ठोक…’ मैंने एक हाथ से उसके चूतड़ों को पकड़ा और दूसरे से कमर और नेहा को घुमा दिया और उसको दीवार के साथ चिप का दिया।
उसने खुद ही अपनी टाँग फिर से उठा कर कुर्सी पर रख ली। मैंने एक चुची को मुँह में लेकर जोर से चूसा और एक जोरदार धक्का लगा दिया।
उसके चूतड़ दीवार से सटे थे, कड़क लंड रसीली चूत में सरसराता हुए अंदर तक घुस गया और जोरदार चोट मार दी।
भाभी तड़फ उठी और उसके मुँह से ‘हाई… हाई..’ निकल गया- ‘हां… हां… राजू… हां… ऐसे ही लगा दे दो चार और… अपनी तो गई… हां…’
जैसे ही तीन चार बार जोर से ठोका, नेहा आँखें बंद करके टाँग नीचे कर चूत भींच कर चूतड़ों को झटका मारते हुए झड़ गई और मेरे कंधे पर सर रख कर सांसों को काबू करने की कोशिश कर रही थी और प्यार भरी आँखों से मुझे देख कर मुस्करा कर बोली- तेरा ठोकू ही है राजू, जो ऐसे झटके से निकाल सकता है। क्या मजा आ रहा था झड़ने में… पर तू तो अपना माल निकाल अंदर!
‘अभी करता हूँ भाभी, तू साँस तो ले ले!’ मैंने उसको घुमा कर दीवार की तरफ मुँह कर दिया।
उसने अपनी टांगों को खोल कर चूतड़ों को पीछे को उठा दिया.. और मैंने झट से गीला लंड उसकी झड़ी हुई चूत में घुसा कर दनादन दस बारह धक्के लगा दिए।
उसके मस्त चूतड़ों का डांस देख कर और उसकी सिसकारियाँ सुन कर बहुत जोश चढ़ गया था। मैंने चूत की जड़ में लंड को दबा कर जोर से चूची भींच कर पिचकारी मार दी।
नेहा चिल्ला पड़ी- हाई…मसल डाला जालिम राजू… उफ़… सी… हाई पिला दे अपना रस.. बहुत सारा है यार… मजा आ गया। तुझे कैसा लगा? कुछ हुआ या बस ऐसे ही निकल गया?
वो मुझे चूम कर प्यार कर रही थी।
‘सच बोलूँ भाभी तो आपकी बिना कपड़े निकाले भी चुदाई में बहुत अच्छा लगता है क्योंकि आपकी चूत में बहुत रस निकलता है और लंड आसानी से अंदर बाहर होता है। आपका चूतड़ों को धकेलना और सिसकारी ले कर मचलना… सच में लंड में और भी जान डाल देता है।’
‘अच्छा तो यह बात है!’ अब भाभी मजाक के मूड में आ गई और मुझे पीछे धकेलते हुए अपने कपड़े ठीक करने लगी।
‘राजू, अब मैं नीचे चलती हूँ… पायल भी आने वाली होगी और मम्मी की पूजा भी ख़त्म हो गई होगी। तू भी नीचे आ जा, काम के साथ बात भी करेंगे।’
‘ठीक है भाभी, आप चलें, मैं अभी जरा सफाई करके आता हूँ… आपने तो सब गीला कर डाला।’
‘अच्छा जी, मैंने कर डाला या तूने, इतना सारा अंदर भर दिया। पर मुझे तो तेरा माल अंदर भर कर बहुत अच्छा लग रहा है।’ भाभी ने अपनी जांघों को भींच कर कहा और हंसती हुई चली गई।
कहानी जारी रहेगी।
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