जेठ जी ने मेरा काण्ड कर दिया- 1

(Jeth Bahu Sex Kahani)

प्रदीप 2020-08-29 Comments

जेठ बहू सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरे पति अममून दौरे पर रहते हैं. मैं चुदाई को तरसती हूँ. एक रात मैं मूतने गयी तो अधनंगी बाहर आ गयी. जेठ जी ने मुझे देखा तो …

लेखक की पिछली कहानी: बाप ने नशे में मुझे ही चोद दिया

मेरे प्यारे दोस्तो, वैसे तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपने दिल की बात किसी को भी बताऊंगी.
पर जब से मैंने अन्तर्वासना सेक्स कहानियां पढ़नी शुरू की हैं, मुझे न जाने क्यों लगा कि मुझे अपनी आपबीती सभी को बतानी चाहिए.

पहलेपहल जब मैंने अन्तर्वासना पर प्रकाशित सेक्स कहानियों को पढ़ा तो उन्हें झूठा और काल्पनिक समझा. क्योंकि वो बेहद ही गंदी भाषा में लिखी हुई होती थीं. फिर एक दो कहानियों में मैंने पढ़ा कि उनका विषय तो सच पर आधारित होता था, मगर सेक्स कहानी को रोचक और कामुक बनाने के नजरिये से कुछ मसाला मिलाया जाता होगा.

बस तब से मुझे लगने लगा कि अपनी सच्ची जेठ बहू सेक्स कहानी बताने में कोई बुराई नहीं है. क्योंकि जो कुछ कहानियां मैंने पढ़ी थीं, उनको पढ़ कर मैं समझ सकती थी कि हां उस समय ऐसा होता होगा, जब दो जवान जिस्म मिलते होंगे. ये मुझे अपनी अनुभव के आधार पर लगा था.

यह अभी सिर्फ तीन साल पहले की बात है जब मेरी शादी एक देहात में हुई थी. मेरे पति एक सेल्स एक्सिक्यूटिव हैं तो वे ज्यादातर दूसरे शहरों में दौरे पर ही रहते हैं.

घर में हम तीन लोग रहते हैं, मेरी सास, मेरा कुंवारा जेठ और मैं.

मेरी शादी काफी धूमधाम से हुई थी. मैं अपने जेठ की पसंद हूँ. मेरे जेठ पहलवान रहे हैं तो उन्होंने शादी नहीं की थी.

मेरी शादी जब हुई मैं 24 साल की थी, मेरे पति अभिषेक 30 साल के थे. पर मेरे जेठ मेरे पति से करीब 4 साल बड़े हैं. यानि कि इस समय वो 34 साल के हैं.

हमारा घर गांव के एक कोने पर बना हुआ है और घर का सिर्फ एक मुख्य दरवाजा है. हमारा घर एल L शेप में बना हुआ है और हमारी करीब 30 बीघा खेती की जमीन हैं.

मेरे जेठ जी मेरी बहुत इज्जत करते हैं … क्योंकि मेरे संस्कार आजकल की लड़कियों की तरह नहीं हैं.

मेरे कमरे के बगल में एक स्टोर है. फिर सास का कमरा और फिर ड्राइंग रूम है, उसके बाद जेठ जी का कमरा है. उसके साथ ही लगता हुआ एक बाथरूम और टॉयलेट है.

करीब डेढ़ साल पहले की बात है. जुलाई का महीना था और दूसरा सप्ताह लग गया था.

मेरे पति अभिषेक 3 दिन पहले ही अपनी ड्यूटी पर गए थे और वो इस बार करीब 12 दिन के लिए इंदौर गए थे.

चूंकि जाती हुई गर्मी और आती हुई बारिश का महीना था. बाहर काफी बारिश हो रही थी. कमरों के बाहर एल शेप में बरामदे के ऊपर टीन की चादरें थीं, जिस पर बारिश की बूंदें गिर रही थीं और टीन के बजने की आवाजें आ रही थी.

मैं गर्मी के कारण सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज़ में थी.

मैंने पहले सीरियल देखा और रात 11.30 बजे टीवी ऑफ कर दिया.

बाहर घना अंधेरा था, बस टॉयलेट में एक नाईट बल्ब रहा था. सास और जेठ जी करीब साढ़े दस बजे सो जाया करते थे.

हम तीनों रात को अपने कमरे में दरवाजा बंद नहीं किया करते थे, सिर्फ परदा खींच दिया करते थे.

टीवी देखने के बाद मैं पेशाब करने के लिए पहले सास के कमरे और फिर जेठ जी के कमरे के आगे से होती हुई टॉयलेट में चली गयी.

बाहर गहन अंधकार था इसलिए मैंने टॉयलेट का दरवाजा सिर्फ आधा बंद किया और पेटीकोट उठा कर खड़े खड़े दोनों पैर चौड़े करके मूतने लगी.

पेशाब की कुछ बूंदें मेरी झांटों के बालों को गीला कर चुकी थीं.
मैं अब झांटें कम ही साफ करती थी … क्योंकि अभिषेक मुझमें रूचि ही नहीं लेते थे.

मूतने के बाद जैसे ही मैं बाहर निकली, मेरे जेठ सामने सिर्फ लठ्ठे के कच्छे में खड़े थे.
उन्हें सामने देखकर मैं एकदम सकपका गयी. मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि बाहर वो खड़े होंगे.

मैं सर झुकाए उनकी बगल से जाने के लिए निकली, पर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया. मैंने हाथ छुड़ाने की भरपूर कोशिश की, पर नाकाम रही.

उन्होंने कहा- बहू, आज तेरा गोरा सुन्दर जवान बदन देख कर मन काबू नहीं हो पा रहा है. चल कमरे में चल.

मेरे पति घर में नहीं थे और मेरे जिस्म में काम की अगन जल रही थी फिर भी मैंने लोक लाज और संस्कारों से प्रेरित होकर मद्धम आवाज में उन्हें समझाने की कोशिश की- जेठ जी, ये पाप है और मेरे पति घर पर नहीं हैं. प्लीज मुझे छोड़ दो.

उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर हुए कहा- तू ऐसे मत शर्मा … मुझे पता है कि तू मेरी बात मानेगी.

ये कह कर वो नीचे झुके और अपने दाएं हाथ से मेरी पिंडलियों का घेरा बना कर मुझे इस तरह से ऊपर उठा लिया.
मेरा पेटीकोट इस तरह ऊपर उठ गया कि मेरी जांघों के पीछे वाला हिस्सा उनकी भुजाओं की गर्मी को महसूस करने लगा.

मैं उनके कंधे पर थी और मेरे पैरों की पाजेबें आवाज करने लगी थीं.

उन्होंने मुझे कमरे में ले जाकर फर्श पर खड़ा कर दिया.

मैं अंधेरे में ही उनके सामने चुप खड़ी थी.

उन्होंने सबसे पहले कमरे की कुण्डी लगायी और मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया.
वो मेरे गाल चूमने लगे.

मैं पीछे की तरफ झुकी, तो जेठ जी भी मेरे ऊपर झुक गए. उनका लंड मेरे नंगे पेट पर मचल रहा था.

मैं उनकी बांहों के घेरे में थी.

मैंने फिर से उन्हें कहा- जेठ जी, सास जी जग रही होंगी तो बहुत अनर्थ हो जाएगा.
उन्होंने कहा- अम्मा गहरी नींद में हैं, मैंने चैक कर लिया था.

बस ये कह कर वो मेरे चूचे दबाने लगे.
मुझे अजीब नशा सा होने लगा. उनके मजबूत हाथ मेरी पीठ पर मचलने लगे … और फिर धीरे धीरे मेरे नितम्बों पर उनके हाथ मेरे दिल में खलबली मचाने लगे.

उन्होंने मुझे चूमते हुए कहा- बहू, तू डेढ़ साल में अब तक मां नहीं बन सकी, पर आज जरूर तेरी कोख में मेरा बीज पड़ जाएगा.

उनकी बात का मैं मतलब समझ गयी.
वो मेरे साथ हमबिस्तर होना चाह रहे थे.

उन्होंने मेरा चेहरा घुमाया और मुझे पीछे से अपनी बांहों में फिर से कस लिया.

वो मेरे होंठों का रसपान करने लगे और फिर अपने हाथों से मेरे ब्लाउज़ के तीनों बटन खोल दिए.
मैं चिल्ला भी नहीं सकती थी … क्योंकि सास यही समझती कि चुदने के बाद बहू नाटक कर रही है. मेरी स्थिति बहुत अजीब हो गयी थी.

उनकी हथेलियां मेरे चुच्चों पर फिसलने लगी थीं.
मेरे स्तन टाइट होने लगे थे.

फिर अपने बाएं हाथ से जेठ जी मेरे चुच्चे मसलने लगे और उनका दायां हाथ मेरे पेटीकोट के अन्दर घुस गया था.

मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा. लेकिन इससे पहले कि मैं उन्हें फिर से मना करती, मेरी भरपूर जवानी की उठान उनकी हथेली में कैद होकर रह गयी थी. और वो उसे स्पंज की तरह धीरे धीरे दबाने लगे.

मेरी हालत उस मेंढकी की तरह हो गयी थी जो हथेली से छूटने के बार बार फुदकती है.

मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया. जेठ जी की मोटी उंगली के चलने से मेरी चूत में मचलने लगी थी. मेरी चूचियां बार बार उठने और गिरने लगी थीं. सांसें धौंकनी सी चलने लगी थीं.

मुझ पर वासना सवार होने लगी थी. अब मुझे भी बहुत मजा आने लगा था.

ये देखकर जेठ जी ने मुझे गोद में उठाकर बिस्तर पर धकेल दिया और अगले ही उन्होंने एक हाथ से अपना कच्छा उतार दिया. वो नंगे होकर मेरे ऊपर चढ़ गए और अपने घुटनों से उन्होंने मेरी जांघें चौड़ी कर दीं.

फिर जेठ बहू सेक्स के लिए मेरी छोटी सी प्यासी चूत पर जैसे ही जेठ जी ने अपना मोटा गुल्ला रखा, मेरी चूत का मांस फैलता चला गया.
उन्होंने दाब दे दी और तभी मेरी हिचकी निकल गयी.
असल में उनका बड़ा सुपारा मेरी चूत में धंस चुका था.

मेरी चुत काफी दिन बाद चुद रही थी और इतना मोटा सुपारा मेरे पति का नहीं था तो मेरी सीत्कार निकल गई और मुझे हल्के से दर्द होने लगा.
मगर जेठ जी ने मेरी चुत का दर्द नजरअंदाज किया और वे अन्दर धंसाते चले गए.

उनका पूरा लौड़ा मेरी चुत को चीरता हुआ जड़ में समा गया था.

मेरी आंखें बंद हो गई थीं. मगर कुछ पल के बाद ही मेरी चुत ने लंड को सहन कर लिया था.

बस इसके बाद तो जेठ जी अपनी गांड आगे पीछे करते हुए धीरे धीरे धक्के मारने लगे. मैं भी उनके हर धक्के में असीम आनन्द प्राप्त करने लगी.

मेरी चूत का फैलना और सिकुड़ना मेरे शरीर को अत्यधिक आनन्द दे रहा था.

जब जब वो अपने मजबूत चूतड़ों के दबाव से मेरी चूत में धक्के मार रहे थे, तो मेरी बच्चेदानी सहम कर रह जाती थी.
मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि मेरे जेठ का लंड इतना मोटा और कड़क होगा.

कुछ ही पलों बाद मेरी टांगें हवा में उठ गईं और बहू सेक्स के लिए उन्हें अपने अन्दर आने के लिए खुद से कोशिश करने लगी.

अब मेरी चूत और उनके लंड के मिलन की फक फक फक की आवाजें आ रही थीं. मेरी चूत ने झाग उगलना शुरू कर दिया था. मेरी जांघें ऊपर उठ गयी थीं.

जेठ जी मस्ती में आकर मेरी हवा में उठी हुई मेरी टांगों के तलुवे चाटने लगे.

मेरे पति ने आज तक कभी भी मेरे तलुवे कभी नहीं चाटे थे क्योंकि वो दस बारह धक्के पेल कर झड़ जाते थे.

पर इधर तो जेठ जी ने मेरी हवा निकाल कर रख दी थी.

मैंने अपनी जांघ के नीचे से दायां हाथ निकाल कर उनका लंड पकड़ने की कोशिश की, पर वो मेरी मुट्ठी में नहीं आ सका.

तब उन्होंने मुझे चूमते हुए कहा- बहू, इसकी मोटाई नाप कर क्या करेगी, बस मजे लेती रह!
मैं शर्म के मारे पानी पानी हो गयी.
पर कमरे में घोर अंधेरा था तो मेरी हिम्मत बनी रही.

मेरी नन्ही सी चूत में जेठ जी का मोटा गुल्ला लगातार मार कर रहा था.
दस बारह मिनट से मेरी जम कर चुदाई हो रही थी. ऐसा मजा शादी के बाद मैंने पहली बार लिया था.

कमरे में मेरे पैरों की पायल की झनझनाहट गूंज रही थी, बस शुक्र यही था कि मेरी सास सो रही थीं. मेरा नीचे का सारा हिस्सा जेठ जी ने हिला कर रख दिया था.

तभी उनके चूतड़ों की रफ़्तार अचानक काफी बढ़ गयी.
मेरे हलक से मजे और मीठे दर्द के कारण हिचकियां निकलने लगीं और कुछ ही सेकंड बाद जेठ जी के गले से सांड की तरह आवाज निकलने लगी.
मेरी चूत में उनके लंड की गर्म गर्म धारें पड़ने लगीं.

आनन्द के मारे मेरा बुरा हाल था. मेरी बच्चेदानी में मुँह पर जेठ जी के लंड ने करीब 9-10 बार रह रह कर धारें मारीं और वो मेरी छाती के ऊपर फैलते चले गए.

दो तीन मिनट तक हम दोनों जेठ बहू ऐसे ही पड़े रहे.

अब मेरे कानों में टीन पर बारिश के गिरते पानी की आवाजें आने लगी थीं.

मैं जैसे ही सचेत हुई, मैंने उन्हें कहा- जेठ जी जल्दी उठो न … मां जी कभी भी आ सकती हैं.

उन्होंने तभी बेडस्विच दबा दिया और नाईट बल्ब जल उठा. फिर जैसे ही उन्होंने अपना मोटा, पर मुरझाया लंड मेरी चूत से बाहर निकाला, उनकी मर्दानगी देख कर मैं मस्त हो गयी. क्योंकि लंड भी उन्होंने लगभग खींच कर ही निकाला था.

वाह क्या गजब की मोटाई थी, करीब सवा दो इंच मोटा लंड मेरी चूत की सैर करके बाहर आ गया था.
अभी मुरझाई हालत में भी उनका लंड लगभग साढ़े छह इंच का था.
इसका मतलब जेठ जी का लंड करीब सात साढ़े सात इंच लम्बा था.

उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा- बहू, तू तो बहुत मस्त है री … तेरी चूत ने तो मेरे जैसे पहलवान का भी पानी सोख लिया.

जेठ जी ने कहा- बहू. आज पूर्णिमा की रात है … और तू जवान है. मैंने इससे पहले कभी किसी परायी स्त्री की तरफ नजर उठा कर नहीं देखा. अब तू समझ कि नौ महीने बाद सवा शर्तिया मां बन जाएगी. आगे मिलने की तेरी इच्छा पर है. तेरा पति अभिषेक शायद लायक नहीं है.

मैं चुप रही, वो शायद मेरे मन की बात समझ चुके थे.

मुझे दुबारा चुदने के लिए भी उन्होंने मेरे ऊपर ही छोड़ दिया था.

मैंने शर्म के मारे अपनी कुहनी से आंखें ढक ली.
पर उन्होंने कहा- तू शरमा क्यों रही है, हम दोनों तो इस बिस्तर पर आज की रात के साथी हैं.

मैंने उनकी ये बात सुनकर आंखें खोल दीं.

उन्होंने कहा- बहू तू रुक, मुझे पेशाब लग रही है. मैं अभी आता हूँ.

ये कह कर वो बिस्तर से उठे. उन्होंने एक चादर अपने सिर पर डाल ली और कुण्डी खोल कर बाहर निकल गए.

वाह क्या चौड़ी छाती, चौड़े कंधे, छाती पर घने काले घुंघराले बाल … और मस्त साढ़े सात इंच लम्बा और सवा दो इंच मोटा कड़क लंड. उनकी मजबूत गांड देख कर मुझे उनसे प्यार होने लगा था. मैं अपने जेठ जी से चुद कर मस्ता गयी थी.

मेरे पति अभिषेक की तो छोटी सी 3 इंच की कमजोर सी लुल्ली थी, उसने बड़ी मुश्किल से सुहागरात को मेरी सील तोड़ सकी थी. पर मुझे वो न तो वो मजा दे पाया, जो मैंने उम्मीद की थी … और न ही मैं पिछले डेढ़ सालों में मां नहीं बन सकी थी.

अब जेठ जी के वापस आने का मुझे बेसब्री से इन्तजार था. मैं उनके लंड से दुबारा चुदने के लिए एकदम से मन बना चुकी थी.

अगली बार अपनी चुत में जेठ जी का साढ़े सात इंच का लंड कैसे लिया और मेरी चुदाई के बाद मेरी क्या हालत हुई. इस सबको मैं पूरे विस्तार से कहानी के अगले भाग में लिखूंगी.
मेरी इस जेठ बहू सेक्स कहानी को लेकर आप मुझे मेल कर सकते हैं. बस शब्दों की मर्यादा का ख्याल कीजिएगा.
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जेठ बहू सेक्स कहानी का अगला भाग: जेठ जी ने मेरा काण्ड कर दिया- 2

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