मेरी मम्मी की जिस्म की चाह-2

(Meri Mummi Ki Jism Ki Chah- Part 2)

राज राजा 2016-10-22 Comments

This story is part of a series:

आपने अब तक अन्तर्वासना पर मेरी हिन्दी सेक्स कहानी के पहले भाग में पढ़ा..

मेरी मम्मी और मेरे चाचा के शारीरिक सम्बन्ध थे और मुझे उन दोनों की चुदाई देखने का अवसर मिलने वाला था।

अब आगे..

चाचा बोले- भाभी, मैं एक बार पाईप दूसरे खेत में करके आता हूँ.. जिससे पानी खेत में जाता रहेगा।
यह कह कर चाचा पाईप बदलने चले गए।

मम्मी अन्दर कोठरी में थीं.. अब मैं अन्दर देखने का जुगाड़ देखने लगा.. तो पाया कि एक छोटी सी खिड़की जैसी लगी थी.. जिसमें पीछे खेतों की तरफ देखा करते थे।

मैं वहाँ पर जम गया और देखने लगा कि मम्मी अपना पेटीकोट ऊपर करके जाँघों के बीच थोड़ा पानी लेकर लगा रही थीं।
मैंने देखा कि मम्मी जहाँ पानी लगा रही थीं.. वहाँ पर घने गहरे काले बाल थे।

कुछ देर में ही चाचा भी आ गए और कोठरी का दरवाजा बंद कर लिया।
मेरा दिल धड़ाक-धड़ाक धड़कने लगा।

तभी चाचा भी मम्मी के पास ही बिस्तर में आ गए और मम्मी को अपनी बांहों में भर कर गालों को चूमने लगे- मेरी रानी.. आज कितने दिनों के बाद ऐसा मौका मिला है।

फिर चाचा ने मम्मी के ब्लाउज के ऊपर ही चूचियां दबाना शुरू कर दीं..

मेरा तो बुरा हाल होता जा रहा था। मैं यह क्या देख रहा हूँ कि मम्मी को चाचा ऐसे रौंद रहे हैं।
लेकिन मम्मी तो खुद ही यही चाहती हैं तो मैं क्या करूँ।

अब चाचा ने मम्मी के ब्लाउज के बटन खोल डाले.. तो मैंने देखा कि मम्मी ने अन्दर आसमानी रंग की ब्रा पहनी है.. जिसमें से दोनों गोलाइयां स्पष्ट दिख रही हैं।

चाचा ने अब ब्रा भी खोली.. तो मैंने देखा कि मम्मी के दोनों चूचे आजाद हो गए जिन्हें चाचा मस्ती से दबा रहे थे।

क्या मस्त चूचे थे.. एकदम गोरे.. उनके ऊपर भूरे रंग के निप्पल थे जिन्हें चाचा मींज रहे थे।
इस समय मम्मी कमर से ऊपर नंगी थीं, चाचा ने मम्मी की दोनों टांगों को अपनी टांगों में जकड़ रखा था।

चाचा- मेरी रानी.. तू क्या मस्त माल है.. हाय.. जी करता है इन्हें रात भर यूं ही मसलता रहूँ।
मम्मी- मेरे राजा, रात भर इन्हें ही मसलते रहोगे या कुछ और भी करोगे।

फिर चाचा बच्चों की तरह एक निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे और दूसरे को एक हाथ से दबाने लगे।
मम्मी मस्त होने लगीं और चाचा की छाती पर हाथ फिराने लगीं।

चाचा काफी देर तक चूची को चूसते रहे फिर उन्होंने मम्मी को अपने पैरों से चौड़ा किया और उनका हाथ सीधा मम्मी के पेटीकोट के नाड़े पर गया।
नाड़ा सर्र से खुल गया तो मम्मी ने खुद ही उसे अपने जिस्म से अलग कर दिया।

मैं आज पहली बार मम्मी को नंगी देख रहा था। एकदम गोरा छरहरा बदन.. पतली कमर.. भरावदार कूल्हे और उनके सीने पर लटक रहे दो मस्त मुसम्मियाँ तो गजब ढा रही थीं.. जिसे देख कर कोई हिजड़ा आदमी भी एक बार तो गर्म हो जाए।

भगवान ने जैसे मम्मी की कमर की मिट्टी उठा कर छाती पर ही लगा दी है।

अब मैंने देखा कि मम्मी की जांघों के बीच जो बाल दिख रहे थे.. वो काफी काले और घने थे।

मम्मी बोलीं- राजा पहले मेरी झांटें काट दो.. मैंने इन्हें भिगो कर तैयार कर रखा है।
चाचा बोले- भाभी पहले एक बार चोद लेते हैं फिर काटेंगे।
मम्मी बोलीं- नहीं मेरे राजा.. मैं जानती हूँ.. तुम्हारा यह हथियार मेरे बालों को उखाड़ कर फेंक देगा।

लेकिन चाचा नहीं माने और मम्मी के साथ ही चाचा ने भी अपने कपड़े उतार कर एक तरफ डाल दिए। मेरी नजर जब चाचा पर गई.. तो मेरी आँखों को विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं इस समय जो देख रहा हूँ.. वो सही है।

चाचा एकदम काले.. चौड़ी छाती जिस पर घुंघराले बाल.. बाजुओं पर मछली उभरी हुईं और सबसे ज्यादा तो उनका लंड क्या भंयकर लंड.. जो काले नाग की तरह फनफना रहा था।

पूरा खीरे जैसा मोटा और लम्बा लंड था उसके मुहाने पर लाल रंग का टमाटर के आकार का गोल सुपारा।
मुझे लग रहा था जैसे किसी आदमी का लंड ना होकर किसी गधे का हो।

चाचा के विशाल शरीर के सामने तो मम्मी एक बच्ची के समान लग रही थीं। मेरी समझ में अब आया कि कल क्या चुभ रहा था।

अब देवर भाभी दोनों नंगे थे।

चाचा ने मम्मी को अपनी गोद में उठाकर चूमने लगे।
कुछ देर चूमने के बाद चाचा ने मम्मी को बिस्तर पर लिटाया.. तो मैंने देखा कि मम्मी की जाँघों के बीच जो बाल हैं.. वहाँ पर कुछ तरल पदार्थ चमक रहा है।

मम्मी का आँखें मुंद गईं और वे चाचा से ज्यादा से ज्यादा लिपटने लगीं।
अब चाचा का हाथ मम्मी की जाँघों के बीच आ गया और मम्मी की चूत को सहलाने लगा, मम्मी ने अपनी टांगें और चौड़ा दीं।

मैंने देखा कि उन काले बालों के बीच एक लाल रंग की दरार है.. जहाँ पर चाचा ने अपनी एक उंगली डाल दी.. तो मम्मी के मुँह से मस्ती भरी सिसकारी निकल गई ‘सीईईयह..

यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मम्मी मस्त हो रही थीं।

जब चाचा ने दोनों हाथों से मेरी मां की चूत के होंठों को फैलाया तो उसमें एक लाल रंग का दाना दिखा.. जिसे चाचा ने उंगली से मसला, तो मम्मी अब बर्दाश्त नहीं कर सकीं और उनके मुँह से एक जोरदार सिसकारी निकल गई- उह्ह.. सीईइ.. उईइ.. हायय.. देवर जी, क्या कर रहे हो.. मैं तो मर जाऊँगी।

जब चाचा चूत को रगड़ रहे थे.. तो मम्मी भी चाचा के हथियार को हाथ से सहला रही थीं।

फिर चाचा ने अपनी एक उंगली चूत के छेद में डाली तो मम्मी गनगना उठीं- इस्स हाय राजा सीइई..
मम्मी अपने चूतड़ों को हिलाने लगीं और चूत को लंड के पास लाने लगीं।

चाचा समझ गए कि अब लोहा गर्म है.. चोट करनी चाहिए।
चाचा ने अपनी उंगली बाहर निकाली तो मैंने देखा कि उनकी उंगली लिसलिसे पदार्थ में भीग रही थी।

कोठरी का माहौल बहुत गर्म था, मेरा दिल भी धड़क-धड़क कर रहा था लेकिन मैं भी अपनी साँसों पर पूरा कन्ट्रोल किए अन्दर का नजारा ले रहा था।

फिर दोनों ने एक दूसरे को बंधन से मुक्त किया।
अब चाचा बोले- भाभी अब तैयार हो जाओ।
मम्मी बोलीं- मेरे देवर राजा, मैं तो कब से तैयार ही हूँ।

चाचा ने सिरहाने रखा कण्डोम फाड़ कर लगाया और उकडूँ बन कर मम्मी की जाँघों के बीच में आ गए और अपना सुपारा मम्मी की चूत पर रगड़ने लगे।

मम्मी फिर गनगना उठीं और अपने हाथों से चूत के दोनों होंठ फैला लिए तो चाचा ने सुपारे को रास्ता दिखाया।

चाचा ने जैसे ही सुपारा छेद पर रखा तो उनके सुपारे ने पूरी चूत को ढक लिया।
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि यह अन्दर चला जाएगा।

फिर चाचा अपने चौड़े सुपारे को मम्मी की चूत के दाने पर थपथपाने लगे।
मम्मी गांड को उठा-उठा कर ‘हाय सी.. सीइइ..’ करने लगी।

अचानक ही मम्मी के मुँह से सिसकारी निकल गई- सीइइ.. क्या कर रहे हो देवर जी.. जरा धीरे मारो ना.. कितना दर्द कर रहे हो।
चाचा- अरे भाभी मेरी जान, आज कितने दिनों बाद मौका मिला है तुम्हें चोदने का।
मम्मी- हाँ देवर जी.. मैं भी तो तुम्हारे लंड की दीवानी कई सालों से हूँ।

जैसे जैसे चाचा का हाथ बार-बार फिसल रहा था, मम्मी मस्त होती जा रही थीं।

कुछ देर बाद मम्मी बोलीं- देवर जी, चलो चुदाई करते हैं.. अब और सहन नहीं हो रहा है। देवर जी कब से तड़प रही हूँ इसे पाने को।

तभी चाचा ने मम्मी की दोनों टांगों को चौड़ा किया.. तो मैंने देखा कि उनके बीच काले बालों के बीच में एक लाल रंग की दरार है.. जिसे मैं अब स्पष्ट देख पा रहा था।

तभी चाचा ने अपने लंड का सुपाड़ा मम्मी की चूत के मुँह पर रगड़ा.. तो मम्मी गनगना उठीं।

चाचा लगातार उसे रगड़ते रहे, थोड़ी देर बाद मम्मी की चूत से चिपचिपा पानी दिखने लगा।
मम्मी- हाय देवर जी क्यों तड़पा रहे हो.. इसे जल्दी से अन्दर डाल दो ना।
चाचा- ठीक है मेरी जान.. अभी इसे तुम्हारे अन्दर करता हूँ।

मुझे बिल्कुल विश्वास नहीं हो रहा था कि मम्मी इतने विशाल लंड को अपने अन्दर ले जाएंगी और अगर चाचा ने जबरदस्ती अन्दर डाल भी दिया तो क्या मम्मी इसे सम्भाल पाएंगी।

तभी चाचा ने मम्मी की टांगों को थोड़ा ऊपर करके लंड का सुपाड़ा मम्मी की चूत के मुँह पर रखा.. तो मम्मी ने अपने दोनों हाथों से चूत के होंठ चौड़ा दिए..

मेरी सांसें गले में अटक रही थीं कि मम्मी का अब क्या होगा.. इतना मोटा कैसे अन्दर जाएगा।
यही सोच कर मेरी आँखों ने झपकना बंद कर दिया था कि कहीं ये अविस्मरणीय पल निकल नहीं जाए।

आपको भी मजा आ रहा होगा दोस्तो इस सेक्स स्टोरी का… मेरी मम्मी की चूत चुदाई का मजा लेने के लिए मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिए।
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कहानी जारी है।

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