हमउम्र भाभी की चुदाई करके भाभी को मजा दिया
(Hum Umar Bhabhi Ki Chudai Karke Bhabhi Ko Maja Diya)
नमस्कार दोस्तो, मैं राज जबलपुर (म.प्र.) से हूँ। मेरी उम्र अभी 40 साल की है, मैं एक शादीशुदा मर्द हूँ।
यह कहानी लगभग 5 साल पहले की है.. जब मैं 35 साल का था।
मेरा ऑफिस जहाँ है.. वो एक पॉश एरिया है। वहाँ पर ज़्यादातर बड़े घर के लोग रहते हैं.. हमारा ऑफिस भी एक बिल्डिंग में था। उस बिल्डिंग में वैसे तो बहुत सारी लेडीज थीं, मगर सब अपने अपने काम से मतलब रखती थीं।
हम लोग भी बिल्डिंग वाले लोगों से ज़्यादा मतलब नहीं रखते थे।
लेकिन एक दिन एक ऐसी घटना हुई कि मेरी और उस लेडी की दोस्ती हो गई।
माफ़ करना मैं उस लेडी का नाम नहीं बता पा रहा हूँ क्योंकि वो भी किसी सभ्रान्त घर की लेडी है। उसका बदला हुआ नाम राखी मान लेते हैं।
दिसम्बर का महीना था, बहुत ठंड पड़ रही थी, मैं उस दिन ऑफिस जल्दी चला गया।
मैंने देखा कि राखी अपनी कार से कहीं से आ रही हैं। मैंने भी अपनी बाइक पार्क की और चलने लगा।
तभी मुझे पीछे से एक आवाज़ आई जैसे किसी ने मुझे पुकारा हो।
मैंने पीछे देखा कि राखी थी।
उसने मुझे बुलाया और बोला- क्या आप मेरी मदद करेंगे.. मुझे बहुत बुखार है.. मुझसे चला नहीं जा रहा है। मुझे मेरे अपने फ्लैट तक छोड़ देंगे?
मैं थोड़ा संकोच में था कि क्या करूँ तो वो बोली- मैं आपको जानती हूँ आपका ऑफिस सेकंड फ्लोर पर है ना!
तो मैंने बोला- मैडम, वो तो ठीक है… पर मैं यह सोच रहा हूँ कि अगर मेरे ऑफिस का कोई बन्दा या आपका कोई जानने वाला देख लेगा तो क्या बोलेगा?
वो बोली- इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।
मैंने उसको सहारा देने के नजरिए से उसकी कमर में हाथ डालकर उसके फ्लैट तक छोड़ने चला गया।
उसे सच में बहुत बुखार था.. वो इसी हालत में अपने पति को रेलवे स्टेशन छोड़ने गई थी।
जब मैं उसके फ्लैट के बाहर पहुँचा तो मैंने उसके फ्लैट की चाभी ली और फ्लैट खोल कर हम दोनों अन्दर चले गए। मैंने उसको सहारा देकर बेडरूम में लेटा दिया।
मैंने उसको बोला- मैं आपके लिए दवा ले कर आता हूँ।
उसने मूक सहमति दे दी।
मैंने मेडिकल स्टोर से बुखार की दवा लाकर उसको खिला दी और कहा- आप थोड़ा सो जाओ.. मैं बाद में आता हूँ।
वो बोली- आप ज़रूर आना, मुझे आपसे बड़ी उम्मीद है इस वक्त मुझे आपकी जरूरत भी है।
मैं हामी भर के अपने ऑफिस चला गया और अपने काम में लग गया।
लगभग 3 बजे मुझे याद आई तो मैं उन मैडम के घर उनकी तबियत पूछने के लिए गया।
मैंने घर की घंटी बजाई, दरवाज़ा खुला तो वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई और बड़ी ही कामुक नज़रों से देखते हुए मुस्कुरा कर बोली- आपका इंतजार ही कर रही थी।
मैंने उसका हाल-चाल पूछा- अब आपकी तबियत कैसी है?
उसका हाथ पकड़ कर देखा कि बुखार तो नहीं है।
मेरे द्वारा हाथ पकड़ने से वो थोड़ा सा शरमाई।
मैं सोफे में बैठ गया, वो चाय बना कर लाई।
हम दोनों चाय पी रहे थी.. तब उसने बोला- आप जैसे लोग बहुत कम मिलते हैं। जैसे आपने मेरी मदद की, मुझे घर तक लाए और मेरे लिए दवा भी लाए। आपका दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया।
मैंने हल्की सी मुस्कराहट बिखेरी।
वो बोली- क्या आप मुझसे दोस्ती करोगे?
मैं उसकी तरफ देखने लगा और पूछा- दोस्ती तो कर ही ली ना, पर आपका बुखार कैसा है?
तो वो बोली- अन्दर का बुखार तो ठीक हो गया है.. बस कुछ और चीज़ का बुखार चढ़ गया है।
मैं उसकी कातिल मुस्कराहट से समझ गया कि उसको किस चीज़ का बुखार है। क्योंकि जब मैं उसको सहारा देकर उसके घर ले जा रहा था.. तब उसका एक हाथ बार-बार मेरे लंड को छू रहा था और मेरा लंड उस समय तुनके मारने लगा था। मैंने उस समय भी अपने आपको सम्भाला था।
फिर मैंने उससे पूछा- आपको किस चीज़ का बुखार है?
तो उसने एक कटीली सी मुस्कान देकर बोला- वो बुखार आपने दिया है।
मैं कुछ नहीं बोला और वो मेरे लिए कुछ लेने किचन में चली गई। जब वो किचन से चाय के दो कप लेकर आई और बिल्कुल मेरे साथ चिपक कर बैठ गई और चाय पीने लगी। वो अपने पैरों को मेरे पैरों से रगड़ने लगी।
मैंने उसकी तरफ देखकर बोला- मैडम, क्या यह सब ठीक है?
तो उसने बोला- मुझे तो ठीक लग रहा है..!
शायद वो मुझसे प्यार करने लगी थी।
मैंने उससे बोला- मैं मैरिड हूँ।
तो बोली- क्या मैं मैरिड नहीं हूँ.. कोई मैरिड औरत किसी और से प्यार नहीं कर सकती क्या?
इतना सुनकर मैं समझ गया कि भाभी की चुदाई की इच्छा हो रही है, मैंने उसके माथे पर एक किस ले लिया तो उसने भी मेरे गाल पर एक बहुत अच्छे से किस किया।
फिर मेरे हाथ पकड़ कर वो मुझे अपने बेडरूम में ले गई.. और बेडरूम में जाते ही मैं उसके चेहरे को पकड़ कर उसके होंठों पर किस करने लगा। मेरे ऐसा करने से वो और जोश में आ गई क्योंकि वो बहुत दिनों से चुदी नहीं थी।
वो मेरे साथ किस करने लगी। हम दोनों 15 मिनट तक किस करते रहे।
फिर मैं बोला- मुझे आपको बिना कपड़े के देखना है।
तो उसने बोला- मैं तो आपकी हो गई हूँ.. जो भी देखना है.. देख लो।
मैंने उसकी साड़ी को खोल दिया, पेटीकोट ब्लाउज में उसकी मादक और कामुक देह मुझे जंगली बना रही थी, मैंने झपटते हुए उसके ब्लाउज को उतारा। उसके ब्लाउज के आखिरी हुक को जैसे ही खोला तो उनके दूध एकदम से बाहर आ गए.. उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी।
वो बोली- मेरे मम्मे कब से तुम से चुसवाने के लिए मचल रहे थे।
मैंने उसके दूध को एक-एक करके दबाना शुरू किया। गर्म मम्मों पर मेरे हाथों के अहसास से वो तो अपनी आँखें बंद किए बस कहे जा रही थी- अह.. राज और जोर से दबाओ.. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा.. ओह.. पी लो न..!
मैंने होंठ लगा दिए।
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फिर वो मुझसे बोली- राज मुझे क्या अपना लंड नहीं दिखाओगे?
मैंने बोला- जानेमन, जब तुम मेरी हो तो मेरा सब कुछ तुम्हारा ही तो है।
यह सुन कर उसने मेरी पैंट उतार दी, उसके बाद मेरा अंडरवियर उतारा और मेरे लंड के साथ खेलने लगी।
मैंने भी उसका पेटीकोट उतार दिया, अन्दर उसने एक बहुत छोटी सी और टाइट पेंटी पहन रखी थी।
उसकी गांड बहुत बड़ी थी.. जब मैंने पूछा- किसकी पेंटी पहनी है, बड़ी छोटी सी है?
तो बोली- यह मेरी बेटी की है.. जब आप आने वाले थे.. तब ही पहनी.. नहीं तो मैं पेंटी पहनती ही नहीं हूँ.. क्योंकि मुझे पेंटी फंसती सी लगती है।
इस पेंटी में वो बहुत मस्त लग रही थी। मैंने बहुत जल्दी उसकी पेंटी को उतार दिया। उसकी चूत पर बालों का एक जंगल था। मैंने पूछा- झांटों को क्या कभी साफ नहीं करती हो?
तो बोली- किस के लिए करूँ?
मैंने बोला- मेरे लिए?
तो बोली- हाँ.. अब से साफ करूँगी।
फिर मुझे उसकी रस टपकाती चूत देख कर रुका नहीं गया.. क्योंकि दोस्तों शादीशुदा मर्द खुली चूत देख कर उस पर टूट पड़ता है। मैं भी उसकी चूत पर मुँह लगा कर चूसने लगा।
वो भी मस्त हो गई और मेरे बाल पकड़ कर अपनी चूत में मेरे सर को दबाए जा रही थी।
फिर कुछ मिनट बाद वो झड़ गई और बोली- ऐसा मजा तो पहली बार आया है।
मैं बोला- लेकिन मुझे तो मजा आया ही नहीं है।
बोली- अभी आएगा..!
मैंने उसको लंड चूसने के लिए बोला.. तो बोली- जान आज नहीं चूसूँगी.. इसका काम फिर कभी.. अभी तो तुम बस मुझे चोद दो।
भाभी की चुदाई इच्छा बढ़ती जा रही थी तो मैंने उसे चित लिटाया और लंड पेल कर चुदाई शुरू कर दी।
लंड घुसा.. तो पहले तो वो बोली- ओई.. मुझे बहुत दर्द हो रहा.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… धीरे चोदो.. क्योंकि मैं कई साल बाद चुद रही हूँ।
5 मिनट बाद वो अपनी गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी.. धकापेल चुदाई होने लगी।
कुछ ही देर में वो एक बार झड़ गई थी। इसके बाद जब मेरा झड़ने का टाइम आया… तो मैंने उससे बोला- कहाँ निकालूँ?
तो बोली- मेरी चूत में ही.. क्योंकि मैंने नसबन्दी करा ली थी।
फिर मैंने कुछ बमपिलाट धक्के लगा कर अपने लंड का पानी उसकी चूत में निकाल दिया।
जब हम दोनों बाथरूम में गए, तब उसने बोला- सच में तुम्हारे लंड से बहुत शान्ति मिली है।
फिर मैंने उससे बोला- मुझे तुमको मूतते हुए देखना है।
वो बोली- चल पागल.. यह भी देखने वाली बात है?
मेरे ज़िद करने पर वो मेरे सामने चूत उठा कर मूतने लगी।
सच कहूँ दोस्तो.. आप भी कभी किसी उम्र दराज लेडी को मूतते हुए देखना.. उसकी चूत से एक बहुत मस्त आवाज़ निकलती है.. जो मुझे बहुत पसंद है।
फिर हम बाथरूम से बेड पर आ गए, मैंने बोला- मैडम, अब मुझे जाना है।
तो बोली- अरे यार मैडम नहीं.. मैं तो तेरी रानी हूँ।
फिर मैंने उसके होंठों पर किस किया। उसने भी एक लंबा किस किया.. और मुझे बाहर तक छोड़ने आई। मैं अगले दिन आकर भाभी की चुदाई करने का वादा करके अपने घर चला गया।
तो दोस्तो यह मेरी भाभी की चुदाई की सच्ची कहानी आपको कैसी लगी.. मुझे मेल ज़रूर करना।
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