रूठी भाभी की चूत लंड मांग रही थी
(Garam Bhabhi Ji Ki Chudai)
गरम भाभी जी की चुदाई कहानी में मेरे भाई-भाभी कई सालों बाद हमारे घर आये तो देवर-भाभी के बीच सेक्स की आग जल उठी। भाभी को चूत चटवाने का शौक था.
कैसे हो दोस्तो, मैं आपको अपने जीवन की एक रोचक घटना बताने जा रहा हूं जिसमें मैं अपनी भाभी की चुदाई की बात बताऊंगा।
मेरे और मेरे बड़े भाई के बीच गलतफहमी पैदा हो गई थी।
इस कारण हम लोगों ने 8 साल से एक दूसरे से बात नहीं की थी।
तो ये उस वक्त की बात है जब मेरे बड़े भाई और भाभी उन 8 सालों के बाद घर लौटे थे।
उनके साथ उनके दो बेटे भी थे।
पुनर्मिलन पर कुछ समय के लिए सब रोए।
आपको बता दूं कि मेरी भाभी का नाम उषा है।
यह गरम भाभी जी की चुदाई कहानी इसी उषा की है.
उषा भाभी लाल साड़ी, लाल रंग की लिपिस्टिक, डीप नेक ब्लाउज़ में दमकती हुई दिख रही थीं और उनके सख्त स्तन बाहर झाँक रहे थे। वे सभी लिविंग रूम में बैठे थे।
उस वक्त मेरी पत्नी आराम कर रही थी तो मैं चाय बनाने रसोई में चला गया।
उषा भाभी रसोई में आईं और बोली- इतने सालों में तुम हमें भूल ही गए!
मैंने कहा- तुम सब हमसे बात नहीं कर रहे थे।
वह बोली- अतीत को भूल जाओ।
कहते हुए भाभी ने अचानक मुझे गले लगा लिया और मुझे कसकर पकड़ लिया।
मैं इस अचानक आलिंगन से अचंभित रह गया।
उसने मुझे अपने हाथों से मेरी पीठ और कमर के चारों ओर कसकर पकड़ लिया।
उसके सख्त स्तन मेरी छाती पर दब रहे थे।
भाभी अपने कूल्हों को मेरी तरफ धकेल कर मुझे दबा रही थी।
उसकी कमर और चूत मेरे लंड पर जोर दे रही थी।
मुझे नहीं समझ आ रहा था कि मुझे इस वक्त क्या करना चाहिए।
लेकिन इतनी ही देर में भाभी के शरीर की गंध, मेरी छाती से सटे उसके सख्त स्तन. चूत की गर्मी, और उसकी गर्म सांसों के अहसास ने मेरे लंड को सख्त कर दिया।
भाभी को भी मेरे लंड का तनाव शायद महसूस हो गया।
उसने अपनी चूत को मेरे लंड पर धकेल दिया।
मुझे अहसास हुआ कि वह मुझे से चुदवाना चाहती है।
मैंने फिर अपना एक हाथ उसके ब्लाउज और साड़ी के बीच उसकी नंगी कमर पर रखा और उसे निचोड़ा।
मैंने दूसरा हाथ उसके चिकने, मोटे, मुलायम लेकिन कसे हुए चूतड़ों पर रखकर अपने लौड़े पर दबा दिया।
मैंने उसे खींचकर अपने सख्त लंड को उसके ऊपर से रगड़ दिया।
फिर मैंने अपना हाथ उसकी नंगी पीठ पर रखा जो डीप कट ब्लाउज़ की वजह से नंगी थी।
मैंने उसकी नंगी पीठ को मसलना शुरू कर दिया और उसे अपने पास खींच लिया।
भाभी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और मेरे सिर को अपनी तरफ खींचते हुए मेरे होंठों को गहराई से चूमा।
तब भाभी ने अपनी जीभ को मेरे मुँह में धकेल दिया और मेरे कानों में फुसफुसाते हुए कहा- लंड तन कर खड़ा हो गया तुम्हारा, क्या इरादा है?
मैंने कहा- वही जो आप चाहती हैं। आपकी चूत लेने का!
कहते हुए मैंने भाभी की चूत पर हाथ से दबा दिया।
भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर अच्छे से अपनी चूत पर रगड़वा दिया।
मैं बोला- यह तो भट्टी के जैसे गर्म हो रखी है।
वो बोली- इसकी आग बुझाना अब तुम्हारा ही काम है, मेरी प्यास बुझानी है तुम्हें।
भाभी ने धीरे से कहा- अपना नम्बर मुझे दो जल्दी। फोन पर बात करेंगे।
इतना कहकर भाभी ने मुझे अपनी पकड़ से रिहा कर दिया।
फिर वह जाकर दूसरे रूम में बैठ गई।
मेरा लंड बुरी तरह से तना हुआ था इसलिए मैं रसोई में ही खड़ा रहा और चाय बनाने में समय लिया ताकि मेरा लंड कुछ देर में सो जाए और किसी को दिखाई न दे।
फिर मैं उन लोगों के पास चाय लेकर गया।
भाई और मेरे बीच बातें हुईं।
तब भाई ने मेरा फोन नम्बर मांगा जिसे साथ में भाभी ने भी नोट कर लिया।
हम लोग कुछ देर तक बैठे रहे।
फिर वे सब जाने लगे।
भाई ने मुझे गले लगाया और बच्चों ने पैर छुए।
अगले ही दिन उषा भाभी का फोन आया और बोली- तुम्हें दोबारा शादी कर लेनी चाहिए।
मैंने कहा- नहीं, मुझे जरूरत नहीं है।
वो हँसते हुए बोली- तो फिर रात में क्या करते हो? बीवी तो देती नहीं है शायद!
मैंने भी चिढ़ते हुए कहा- मुट्ठी मारता हूं!
भाभी जोर से ठहाका मारकर हंस पड़ी, फिर बोली- लेकिन उतना मजा नहीं आता होगा जितना कि औरतों के साथ आता है। अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारे लिए कुछ (चूत का) जुगाड़ कर सकती हूं।
फिर उसने कहा कि वह बाद में कॉल करेगी।
इतना बोलकर भाभी ने फोन रख दिया।
दो घंटे के बाद उसका फिर से कॉल आया।
भाभी कहने लगी कि उसने कुछ लेडीज से बात की है मेरे लिए।
मैं बोला- लेकिन भाभी जिससे भी बात करो ये देख लेना कि उसे कोई बिमारी न हो क्योंकि मुझे चूत चूसना बहुत पसंद है।
भाभी- हए … चूत चुसवाना तो मुझे भी बहुत अच्छा लगता है। लेकिन तुम्हारे भाई को चूत चाटना बिल्कुल भी पसंद नहीं है। मगर तुम्हारी और मेरी ख्वाहिश एक जैसी है।
मैं बोला- तो क्या फिर मैं कभी-कभी आपकी चूत चूसने आ सकता हूं?
वो बोली- सिर्फ चूसना चाहते हो या कुछ और भी?
मैं- अगर इजाजत दो तो चूसना भी चाहता हूं और मैं बहुत कुछ और भी कर सकता हूं!
भाभी- तो तुम कब आ सकते हो?
मैंने कहा- मैं शनिवार को आ सकता हूं।
उसने कहा- नहीं, तुम कल 11 बजे तक आ जाना।
मैने हां कह दिया।
उसने फोन रख दिया।
अगले दिन मैं सुबह 11.30 बजे उसके घर पहुंचा। वह बहुत ही सेक्सी और खूबसूरत लग रही थी।
उसने पीले रंग की रेशमी साड़ी पहनी हुई थी।
मैं अंदर गया तो दरवाजा बंद कर लिया।
तब मैं उसके पास गया।
उसने कहा- तो तुम मेरी चूत का रस चखना चाहते हो?
मैंने हां कह दिया।
उसने कहा- पहले मेरे ऊपर के होंठों को चूमो फिर तुम नीचे के होंठों को चूस सकते हो।
यह कहकर उसने मुझे अपने पास खींच लिया और चूमने लगी।
मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में धकेल दी जिसे उसने चूसा।
फिर उसने अपनी जीभ को जोर से मेरे मुंह में दबाया और मैंने उसे चूसा।
हम खुलकर थूक की अदला-बदली कर रहे थे।
मैंने उसकी साड़ी उतार दी और वह पेटीकोट और ब्लाउज में आ गई थी।
उसने अपना ब्लाउज उतार दिया।
अब वह केवल ब्रा और पेटीकोट के साथ खड़ी थी, जिसे मैंने जल्द ही उतार दिया।
उसने मेरी टी शर्ट उतार दी और मेरी पैंट और फ्रेंची भी उतार दी।
हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे।
वह मांग में सिंदूर, बड़ी सी बिंदी, हाथों में चूड़ियां, गले में सोने की चेन और मंगलसूत्र पहने सेक्स की देवी की तरह खड़ी थी।
बोली- देवर जी तुमने तो मुझे पूरी नंगी कर दिया। मेरी चूचियां, गांड और चूत सब तुम्हारे सामने नंगी हैं। इन्हें चूसो, चोदो और गांड मारो मेरे राजा, अब मैं पूरी तुम्हारी हूं।
मैंने उसे बांहों में लिया और उसके चेहरे, होंठ, गर्दन और कंधों को चूमने लगा।
मैंने कहा- भाभी मेरी जान … मैं भी तो आपके सामने पूरा नंगा हूं, मेरा लौड़ा आपको सलामी दे रहा है और आपको पाने की इजाजत मांग रहा है, आप की चूत की गहराई में डूबना चाह रहा है मेरी रानी। मुझे चोदने दो।
मैं उसके बड़े सख्त स्तनों से खेलने लगा।
वह मेरे तने हुए लंड से खेल रही थी, चमड़ी को पीचे खींच रही थी।
बोली- लंड तो बहुत जबरदस्त है तुम्हारा!
मैंने इतने में ही भाभी की चूत पर उंगली चलानी शुरू कर दी।
उंगलियां फेरते हुए मैं चूत पर चिकोटी भी काट देता था जिससे भाभी सिहर जाती थी।
मैंने पाया कि भाभी की चूत रस में गीली हो चुकी थी।
मैं- बड़ी ही मस्त चूत है भाभी! आह्ह … इसको चूसने, खाने और बुरी तरह से चोदने का मन कर रहा है, चोद दूं क्या भाभी आपकी चूत?
वह बोली- पहले चाटो इसे, तुम चाटना चाहते थे न … मैंने इसका मुंह तुम्हारी जीभ के लिए खोल दिया है। मैंने इसके बाल भी साफ कर दिए ताकि तुम बिना रुकावट इसे जितनी मर्जी चाट सको। एकदम साफ रसीली चूत!
उसने यह कहते हुए मेरा सिर नीचे कर दिया।
मैंने भाभी की चूत पर मुंह लगा दिया और उसे सूंघने और चूमने लगा।
भाभी की चूत से मस्त खुशबू आ रही थी।
मैंने एक दो बार भाभी की चूत पर होंठों से चूमा तो वो सिहर गई।
फिर मैं चूत को हाथ से रगड़ने लगा।
वह गर्म होने लगी और बेड पर चूत खोलकर जा लेटी।
भाभी ने मुझे अपनी जांघों के बीच में खींच लिया।
मैं चूत पर टूट पड़ा।
उसकी चूत से लेकर जांघों तक और जांघों से लेकर चूत और नाभि तक … मैं भाभी को बेतहाशा चूमने लगा।
फिर भाभी ने एकदम से मेरा मुंह अपनी रसभरी योनि में दबा दिया।
फिर भाभी ने चूत के होंठों को और चौड़ा खोल दिया ताकि मैं अंदर तक जीभ घुसा सकूं।
अचानक भाभी ने कांपना शुरू कर दिया और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
मुझे चूत के रस को चाटने में बड़ा ही सुख मिल रहा था।
ऐसा लग रहा था जैसे वो पेशाब कर रही हो और मैं उसे पी रहा होऊं।
खाली होने के बाद भाभी कुछ देर शांत हो गई।
उसके बाद उसने मुझे ऊपर की ओर खींच लिया और अपने होंठों से मेरे होंठों को सटवा लिया।
हम दोनों एक दूसरे के होंठों का रस पीने लगे।
फिर बोली- तुमने मेरी चूत चाटकर मुझे खुश कर दिया है, अब मैं तुम्हारी हूं। तुम जितना मर्जी मुझ चोद लो। तुम मेरी जान हो।
फिर मैं भी भाभी के ऊपर चढ़ गया।
मैं जांघों के बीच आया और चूत पर लंड के सुपारे को रगड़ने लगा।
मैंने उससे चूत के होंठों को फैलाने को कहा और मैंने लंड के सुपाड़े को इतने में ही अंदर धकेल दिया।
भाभी की चूत गीली थी तो सुपारा आसानी से फिसल गया।
इसके बाद मैंने अपने कूल्हों को झटका दिया और पूरा लंड उषा भाभी की चूत में घुस गया।
उसे दर्द होने लगा, बोली- तुम्हारा लौड़ा तो बहुत मोटा और बड़ा है। आराम से करो।
मैं भाभी के ऊपर लेट गया और होंठों को चूसने लगा, फिर उसकी चूचियों को दबाने लगा।
कुछ देर बाद भाभी का दर्द कम हुआ और वह मेरा लंड चूत में गहराई तक लेने लगी।
अब वह चूत में लंड को और अंदर लेने के लिए अपने कूल्हे भी उचका रही थी।
चुदते हुए भाभी मेरे चूतड़ों को भी सहला रही थी।
वह मेरे लंड को अपनी चूत में अंदर तक खींचने की कोशिश कर रही थी।
मुझे भी भाभी की चुदाई करने में बहुत मजा आ रहा था।
आधे घंटे तक उसे चोदने के चलते हम दोनों के बदन पसीने में भीग गए थे।
वह भी चुदाई में मदमस्त हो चुकी थी।
मैंने उसके पैर पकड़ लिए और टांग उठाकर चोदना जारी रखा।
भाभी अब तक तीन बार झड़ चुकी थी।
फिर उसने अचानक मुझे कहा- तुम नीचे आओ और मैं ऊपर आती हूं। मुझे ऊपर चढ़कर मर्दों के लंड को चोदना बहुत अच्छा लगता है, और ऐसे तुम भी मेरी चूचियों के साथ अच्छे से खेल सकते हो।
मैंने वैसा ही किया।
मैं नीचे आ गया और भाभी मेरे लंड पर बैठकर चुदने लगी।
वह मेरे लंड की सवारी कर रही थी जैसे कि घोड़े की सवारी कर रही हो।
कुछ ही देर में मैं झड़ने को हुआ तो भाभी ने कहा कि माल अंदर ही छोड़ देना।
मेरे बीज वह अपनी चूत में भीतर लेना चाहती थी।
फिर मैंने कुछ आखिरी धक्के लगाए और उसकी चूत में अपना माल छोड़ने लगा।
मैं और भाभी दोनों ही बुरी तरह हांफ रहे थे।
गरम भाभी जी की चुदाई के बाद हम दोनों एक दूसरे के शरीर पर गिर पड़े और सांस रोके हुए लेटे रहे।
कुछ देर बाद उषा भाभी ने अपनी आँखें खोलीं और मुस्कराई और मुझे एक बड़ा सा किस दिया।
वह बोली- तुमने आज मेरी सेक्स की आग शांत कर दी। तुम मेरे सही पति हो, अब जब भी चाहो मुझे चोद सकते हो। अब ये चूत, चूचियां, गांड तुम्हारी ही हैं।
मैंने उसे फिर से चूमा और मैं उसके पास से उठ गया।
मेरा वीर्य भाभी की चूत से बह रहा था जिसे उसने अपने हाथ में लिया और साफ करने के लिए बाथरूम में गई।
फिर मैं भी उसके साथ अंदर चला गया।
मैंने उसके सारे बदन को साफ किया और उसने मेरे बदन को साफ किया।
इस तरह से मैंने ऊषा भाभी की चुदाई की।
आपको मेरी गरम भाभी जी की चुदाई कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताना।
आप सबकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा।
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