गाँव की मस्तीखोर भाभियाँ-5
(Gaanv Ki Mastikhor Bhabhiyan Part-5)
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पिछले भाग से आगे..
मैं- क्यों क्या ख्याल है आपका चुदाई के बारे में!
भारती भाभी- यहाँ पर?
मैं- हाँ.. तो उसमें क्या है.. वैसे भाई भी अभी खेत में दूर हैं.. और वैसे भी वो मुझे छोटा ही समझ रहे हैं। चोदते वक्त अभी गए तो उसे मुझ पर शक नहीं होगा, हम दरवाजा बंद करके सोएंगे।
भारती भाभी खुश होकर बोलीं- ठीक है.. मैं गेट बंद करके आती हूँ।
वो जैसे ही गेट बंद करके आईं.. मैंने उनको अपनी बाँहों में ले लिया, सीधा साड़ी का पल्लू पकड़ कर साइड में कर दिया।
भाभी ने पीले रंग का ब्लाउज पहना था, मैंने उनके बोबे दबोच लिए.. वो बोलीं- धीरे देवर जी.. भागी नहीं जा रही हूँ.. इधर ही रहूँगी।
मैंने उनके बोबे के बीच में मेरा मुँह घुसा दिया और उनकी चूचियों की खुशबू लेने लगा, दोनों हाथों से उन्हें मेरे मुँह पर दबाने लगा। क्या मस्त अनुभव था इतने नर्म गुब्बारे जैसे थे कि बहुत मजा आ रहा था।
उनके बोबों की क्या मस्त मादक खुश्बू थी.. दिखने में एकदम टाइट.. मसकने में मुलायम चूचे थे.. और एकदम खड़े हुए दिख रहे थे। पीले ब्लाउज में से उनका ऊपरी हिस्सा थोड़ा डार्क दिख रहा था।
मैंने मजाक में पूछा- भाभी ये ब्लाउज इधर काला क्यों है?
वो शरमा गईं और बोलीं- खुद ही देख लो। मेरी नजर वहाँ तक नहीं जा रही है।
मैं- उसके लिए मुझे इसे खोलना पड़ेगा।
वो बोलीं- तो खोल लो ना.. किसने रोका है.. मैं तो अपना सब कुछ तुमसे खुलवाना चाहती हूँ।
मैं बहुत एक्साइटेड हो गया और उनके हुक को सामने से खोलने लगा। एक..दो..तीन.. करके सब हुक खोल दिए। मुझे मालूम था कि उन्होंने नीचे ब्रा नहीं पहनी है.. क्योंकि तभी वो ऊपर का हिस्सा काला लग रहा था।
जैसे संतरे का छिलका निकलता है.. वैसे मैंने धीरे से ब्लाउज के दोनों हिस्सों को बोबों से हटाया।
वाह क्या नजारा था.. भारती भाभी के बोबे तो रूपा भाभी से भी टाइट थे। क्योंकि उनको अब तक बच्चा नहीं हुआ था। एकदम सफेद.. उनकी नोक थोड़ी डार्क और निप्पल छोटे-छोटे चने के दाने जैसे और एकदम कड़े थे, जैसे बोल रहे हों कि आओ जल्दी से मुझे चूसो।
मैं तो कण्ट्रोल नहीं कर पाया और सीधा बिना सोचे ही मुँह में निप्पल लेकर चूसने लगा।
मैं एक बोबा चूस रहा था और चूसते-चूसते दबा भी रहा था, दूसरे हाथ से दूसरा बोबे के निप्पल को दो उंगली में लेकर दबा रहा था।
भाभी के मुख से धीमी धीमी सिसकारियाँ निकल रही थीं।
धीमे-धीमे उन पर सेक्स का नशा चढ़ने लगा और सिसकारियाँ भी बढ़ने लगीं।
अब वो बेफ़िक्र होकर ‘आह्ह.. ओह्ह.. और चूसो देवर जी.. काट लो पूरा..’ करके आनन्द ले रही थीं।
मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटाया और साड़ी उतार फेंकी। पेटीकोट उतारने की जरूरत नहीं थी.. बस उठाने की आवश्यकता थी।
जैसे मैंने उठाने के लिए हाथ बढ़ाया, अचानक उन्हें क्या हुआ कि मुझे धक्का देकर गिरा दिया.. और खुद बिस्तर से नीचे उतर कर सामने खड़ी हो गईं।
उन्होंने अपना पेटीकोट उठाया और दो उंगली डाल कर पैंटी उतार दी.. फिर तेजी से पलंग पर चढ़ कर पेटीकोट फैलाया और सीधा मेरे मुँह पर बैठ गईं.. जिससे मुझे बाहर का कुछ दिख नहीं रहा था.. क्योंकि चारों और पेटीकोट था और सामने उसका वो सेक्सी पेट.. वाउ.. मैं तो उनके इस सेक्सी अंदाज से हैरान रह गया।
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तभी और कुछ सोचता उससे पहले उन्होंने मेरा सिर पकड़ कर सीधा अपनी चूत में दबा दिया।
मैं भी चूत खा जाने वाला था, मैं तो उनकी फांकों को खोलकर जीभ से ‘सटासट’ चाटने लगा।
क्या रस टपक रहा था उनका.. एकदम चिपचिपा.. लेकिन टेस्टी भी, मैं तो बस चाटता ही रहा और वो मजे से अपनी चूत चटवाती रहीं।
तभी वो बोलीं- मुझे मूत लगी है.. क्या आप मेरा मूत पियोगे?
मैं- हाँ भाभी.. आपकी इतनी सुंदर चूत का मूत भी कितना टेस्टी होगा.. जल्दी मेरे मुँह में धार दे दो।
वो बोलीं- छी: गंदे कहीं के.. मैं तो मजाक कर रही थी।
मैं- ये गंदा नहीं होता।
वो चुप हो गईं और सीधे उन्होंने मेरे मुँह में मूत की धार लगा दी.. ‘सीईईई..’ करके उनका मूत मेरे मुँह में जा रहा था।
वो जो मूतने की आवाज थी.. वो बड़ी सेक्सी थी ‘सीईईई..’ मैं तो बस बिना रुके उनका मूत पिए जा रहा था।
जब उन्होंने मूतना खत्म किया.. तो मैं आखरी बून्द तक चाट गया जिससे उनकी चूत और साफ़ हो गई।
उन्होंने अपना पेटीकोट उठाकर मेरे मुँह को देखा। जब नजरें मिलीं.. वो शर्मा गईं.. और हल्के से मुस्कुराने लगीं।
अब उनकी हालत खराब थी। वो बर्दाश्त करने की हालत में नहीं थीं। उन्होंने अचानक उठ कर मेरी चड्डी पर हमला किया और तुरंत ही मेरा लण्ड निकाल कर उसकी मुठ मारने लगीं।
मेरा लण्ड एकदम टाइट था और लोहे की तरह गर्म भी। उन्होंने दो-चार बार हिलाने के बाद तुरंत ही मुँह में ले लिया। मेरा लम्बा लौड़ा उनके मुँह में पूरा नहीं जा रहा था.. फिर भी वो बहुत अन्दर लेकर चूसने लगी थीं।
मैंने भाभी को बोला- मुझे भी मूतना है।
तो लण्ड बाहर निकाल कर बोलीं- मेरे मुँह में ही मूत लो, तुमने मेरा मूत पिया.. तो मैं भी तुम्हारा पियूँगी।
ऐसा बोल कर फिर से मेरा लण्ड मुँह में ले लिया।
मैंने भी तुरंत मूतना चालू कर दिया, वो धार सीधे उसके हलक में जा रही थी।
मेरा मूत पीते वक्त उन्होंने मेरा लण्ड गले तक जो डाल रखा था।
उनकी साँसें रुक गई थीं। मेरा मूत सीधा ही उनके गले में जा रहा था। मूतना खत्म होते ही वो हाँफने लगीं.. क्योंकि उन्होंने सांस रोक रखी थी।
थोड़े समय बाद फिर से मेरा लौड़ा चूसने लगीं।
मैंने उनको बोला- अब मुझे चोदना भी है.. ऐसे ही करती रहोगी.. तो मुँह में झड़ जाऊंगा।
वो- कोई बात नहीं.. आप मुँह में ही झड़ जाओ।
उनके ऐसे बोलते ही मैंने उनका सर पकड़ कर मुँह चोदने लगा। वो ‘आह.. ओह..’ कर रही थीं क्योंकि लौड़े के मुँह में होने के कारण उनकी आवाज गले में ही दब जाती थी।
फिर मैंने स्पीड बढ़ा दी और मेरे लण्ड से वीर्य की पिचकारी छूट पड़ी.. वो सीधे गटक गईं, मेरे लण्ड से एक भी बून्द को बाहर नहीं गिरने दिया और चूसना चालू रखा।
वो जैसे थकती ही नहीं थीं। चूसना तो ऐसे था कि जैसे बड़ा टेस्ट आ रहा हो, फिर से मेरे लौड़े को सहलाने लगीं।
फिर वो पलटीं.. और लंड चूसते-चूसते ही मेरे मुँह पर अपनी चूत रख दी। हम अब 69 के पोज में थे। मुझे पता था कि मुझे अब क्या करना है।
मैं अभी चूत को चाटने लगा, चूत की दोनों पंखुड़ियों को अलग करके चूसने लगा और उनके दाने पर जीभ फेरने लगा।
उनकी सिसकारियाँ अब बढ़ रही थीं, वो बड़ा आनन्द ले रही थीं.. मेरा भी लौड़ा अब दूसरे राउंड के लिए तैयार था।
वो इस बात को शायद समझ गई थीं, वो भी अब सीधा लेट गईं.. और मुझे अपने ऊपर खींच लिया।
वो खुद की टांगें चौड़ी करके लेटी हुई थीं, उन्होंने मुझे दोनों टाँगों के बीच में ले लिया।
अब मैंने उनके होंठ चूसना चालू किए। उनके होंठों पर चिकनाई लगी हुई थी.. जो कि मेरे वीर्य की थी, तो मैंने भी अपने वीर्य का स्वाद चखा.. मैं बस उनके होंठों को चूसे जा रहा था।
मैं एकाध बार उनके कान के पीछे भी चूम लेता.. तो वो अकड़ जाती थीं। शायद वो उसकी सबसे ज्यादा सेंसटिव जगह थी। मैं समझ गया था तो मैं बार-बार उनके कान की लौ को चूस लेता था.. कभी उनकी गर्दन पर भी चूम लेता था।
धीरे-धीरे में नीचे की ओर बढ़ा और मैंने उनके हाथों को फैला दिया.. और उनकी बगलों को सूँघने लगा।
औरतों की बगल की खुश्बू बहुत अच्छी होती है, नशा करने वाली.. जो हमें आकर्षित करती है।
मैं उनकी बगलों को चाटने लगा।
बारी-बारी से दोनों बगलों को चाटने के बाद में उनके बोबों पर आया। एक बोबे के निप्पल को मैंने मुँह में ले लिया और चूसने लगा। साथ ही मैं दूसरे बोबे के निप्पल को उंगली में लेकर दबा रहा था।
धीरे-धीरे उनकी मादक आवाजें बढ़ने लगीं- देवर जी.. आह्ह.. अब मत तड़पाओ मुझे.. बस भी करो.. अब चोद भी दो मुझे.. आह.. म्मम्म.. उईईउ.. डालो.. न.. आह.. ओह..
उनकी आवाज पूरे कमरे गूंज रही थी- प्लीज डालो ना राजा.. मत तड़पाओ अब..
वो अपनी कमर हिलाकर एकदम चुदासी सी हो गईं.. लेकिन मैं उन्हें और तड़पाना चाहता था। मैंने बोबों को चूसना चालू ही रखा और अब मैं उनकी चूत पर आ गया, चिकनी चूत को चूसने लगा.. साथ में बोबों को भी दबा रहा था.. तभी वो एकदम से भड़क उठीं।
मुझे पूरी ताकत से मुझे नीचे गिरा दिया और बोलीं- साले भड़वे.. पता नहीं चल रहा है तेरे को चोदने को..
मैं तो उनके मुँह से गाली सुन कर उनकी ओर देखता ही रह गया.. वो झपट कर मेरे ऊपर चढ़ गईं। पेटीकोट को चारों और फैला कर उन्होंने मेरा लण्ड एक हाथ में पकड़ा और धीरे-धीरे लण्ड पर बैठने लगीं।
लण्ड ‘फ़चाक..’ करते हुए उसकी दीवारों को चीरते हुए अन्दर घुस गया, उसके साथ ही उनकी हल्की सी चीख भी निकल गई- उईईईई.. माँमआ..
वो उसी हालत में दो मिनट बैठी रहीं.. क्योंकि उसको थोड़ा दर्द भी हुआ था, पहली बार इतना बड़ा लण्ड ले रही थीं।
वे थोड़ी देर शांत बैठी रहीं, फिर उन्होंने धीमे-धीमे ऊपर-नीचे होना चालू किया और मुझसे अपनी प्यासी मुनिया चुदाने लगीं।
मैं भी उनके रसीले बोबों को दबाने लगा.. कभी निप्पल के दाने को दो उंगली में लेकर दबा देता.. तो उनकी ‘सीईईईई.. उईमुइ मुम्म.. थोड़ा धीरे.. मेरे राजा..
आवाज निकलती और ‘आहआह.. आह.. आह..’ करके वे मुझे चोदने लगीं।
जब लण्ड अन्दर या बाहर जाता तो ‘फच.. गच..’ की आवाज आती थी.. जो मुझे पागल करने के लिए काफी थी।
धीमे-धीमे उनकी स्पीड बढ़ रही थी, मैं समझ गया कि वो अब झड़ने वाली हैं.. तो मैं भी नीचे से सहयोग देते हुए झटके लगा देता था।
ऐसे ‘गचागच’ चोदने से मैं भी अब चरम सीमा के नजदीक था, वो अब भी स्पीड में ऊपर-नीचे होने लगीं.. और अचानक उन्होंने मेरी छाती को भींच लिया और ठंडी पड़ गईं।
लेकिन मैं अभी झड़ा नहीं था.. तो मैंने उन्हें सीधा लिटाया और ‘गचागच’ शॉट मारने लगा.. जिस कारण से मैं भी तुरंत झड़ गया।
मैंने उनसे पूछा भी नहीं कि मेरा वीर्य कहाँ गिराऊँ.. क्यों कि मुझे ही तो उसे माँ बनाना था और अभी वो सेफ पीरियड में भी नहीं थीं।
मैंने अपने माल की पिचकारी अन्दर ही छोड़ दी।
मेरे गर्म वीर्य की धार से वो अपने कूल्हों को इधर-उधर करने लगीं.. शायद उन्हें बहुत मजा आ रहा था।
मैंने 5-6 झटकों के बाद वीर्य छोड़ना बंद कर दिया। थोड़ी देर बाद मैं उनको चूमने लगा और बालों को सहलाने लगा।
वो बहुत ही खुश होकर बोलीं- तुम अब पूरे मर्द बन गए हो.. मुझे तुम्हारे बच्चे की माँ बनने में ख़ुशी होगी। हम रोज एक बार किया करेंगे.. ताकि बच्चा रह जाए।
मैं बोला- ठीक है भाभी.. हम ऐसा ही करेंगे।
तो मित्रो.. मिलते हैं अगले भाग में.. जल्दी से आप मेल करें और कैसा लगा ये भाग.. जरूर बताइएगा।
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