आग और फूस का बैर- 3

(Full Sex Devar Bhabhi Ka)

सनी वर्मा 2025-01-08 Comments

फुल सेक्स देवर भाभी का पढ़ें इस कहानी में! देवर की बीवी अपने पति को सेक्स का मजा नहीं देती थी और भाभी का पति अपनी बीवी को कम चोदता था. उन दोनों की आपस में सेटिंग हो गयी.

कहानी के दूसरे भाग
देवर भाभी की नंगी चुदाई
में आपने पढ़ा कि विजय और उसकी भाभी दोनों अपने अपने जीवन साथी से नाखुश थे. दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे तो एक दिन उन दोनों ने आपस में सेक्स कर लिया.

अब आगे फुल सेक्स देवर भाभी:

सुबह चार बजे रिया को वाशरूम जाना था.
वह उठी … वाशरूम से वापिस आई तो विजय का लंड तना हुआ था.

रिया की चुदास फिर भड़क गयी.
उसने लंड को मुंह में ले लिया और चूसने लगी.

विजय की आँख खुल गयीं.
वह रिया को देख कर मुस्कुराया.

फिर उसने वाशरूम जाने की इजाजत ली और वापिस आकर रिया की चूत में लंड पेल दिया.
रिया ने उसे कस के चिपटा लिया अपने से!

विजय बोला- ऐसे कैसे करूंगा?
तो रिया बोली- कुछ मत करो, बस ऐसे ही अंदर होकर पड़े रहो.

सुबह विजय अपने फ्लैट में चला गया.
आज ऑफिस तो जाना नहीं था.

रिया नहाकर सीधे नीचे चली गयी.

सावित्री देवी ने विजय के लिए पूछा तो रिया ने बता दिया कि रात को उसने खाना खा लिया था और अपने फ्लैट में सो रहा है.

विजय ने 9 बजे करीब सावित्री देवी को फोन किया- रिया को भेज दें, मुझे नाश्ता देगी.
उन्होंने कहा- आज नाश्ता नीचे आकर कर ले. कटलेट्स बनाए हैं तेरी भाभी ने!

विजय को बहुत गुस्सा आया.
वह तो सोच रहा था कि रिया ऊपर आयेगी तो वह उसे अपने साथ नहाने के लिए बाथरूम में ले जायेगा.

खैर विजय फ्रेश होकर नीचे नाश्ता करने आया.

मंगलदास कहीं जाने के लिए तैयार हो रहे थे, उनके किसी दोस्त के बेटे की सगाई थी.
सावित्री देवी को भी जाना था.
पर रिया अकेली है यह सोच कर वह नहीं जा रहीं क्योंकि छुट्टी के दिन विजय तो इधर उधर रहता है.

विजय ने उनसे कहा- मम्मी, आप भी चली जाइए. मैं आज घर पर ही रहूंगा और आपकी बहू का ध्यान रख लूंगा.
सावित्री देवी हंस कर बोली- मेरी बहू तेरी कुछ नहीं है क्या?
विजय ने मुंह बना कर कहा- सब कुछ है, बस भाभी नहीं है.
सब हंस पड़े.

तो यह तय हुआ कि सावित्री देवी और मंगलदास सगाई में जायेंगे थोड़ी देर में … और शाम तक वापिस आयेंगे.

विजय ने कह दिया- जब आप लोग वहां से वापिस चलें तो मुझे फोन कर लें. हो सकता है हम लोग इधर उधर घूम आयें.

विजय तो ऊपर अपने फ्लैट में आ गया.
वह शेव करके नहाने की तैयारी करने लगा.

नीचे भी मंगलदास और सावित्री देवी के जाने के बाद रिया अपने फ्लैट में आ गयी.
मन तो उसका ऊपर वाले फ्लैट में ही अटका था, काम भी कुछ नहीं था करने को.

वह अंदर वाले जीने से ऊपर गयी और गेट खटखटाया.
विजय ने खोला.

वह नहाने जा रहा था, तौलिया लपेटे खड़ा था.
अब रिया ने भी अपनी शामत खुद बुलाई.
अच्छे खासे बाथरूम में जा रहे विजय का उसने पीछे से तौलिया खींच दिया.

विजय इससे पहले कि तौलिया संभाल पाता, वह तो गया रिया के हाथ में.
और विजय नंग धडंग.
रिया खिलखिला कर हंस पड़ी और मुंह पीछे करके अपने हाथों से चहरा छिपा लिया.

पर विजय भी कम नहीं था.
उसने रिया को अपनी बाँहों में उठा लिया और जबरदस्ती बाथरूम की ओर ले चला.

रिया चीखती रही- मुझे छोड़ दो, सॉरी विजय.
पर विजय कहाँ सुनने वाला था.
उसने गोदी में उठायी रिया को शावर के नीचे खडा करके शावर खोल दिया.
रिया चीखती रही पर पूरी भीग गयी.

तब रिया नाराज होती हुई बोली- मेरा सूट भिगो दिया.
विजय बोला- मेरी तो इज्जत की वाट लगा दी और तुम्हें इस सूट की पड़ी है.

तभी विजय ने रिया के होंठ से होंठ लगा दिए.
रिया चिपट गयी उससे.

अब विजय ने उससे कहा- भीगे कपड़े उतार दो.
रिया बोली- क्यों?
विजय हंस कर बोला- क्या भीगे कपड़ों में ही रहोगी.

रिया बोली- तुम बाहर जाओ.
विजय बोला- न मैं बाहर जाउंगा, न तुम जाओगी. कपड़े उतार लो, दोनों प्यार से नहायेंगे. अब तो मम्मी के आने पर ही कपड़े पहनेंगे.

तब विजय ने रिया का सूट उतार दिया.
रिया ने बड़ी मुश्किल से अपनी ब्रा और पेंटी उतारी.

अब दोनों निपट नंगे थे.
दोनों चिपट गए एक दूसरे से और ऊपर से पानी की फुहार उनके अंदर की आग को और भड़का रही थी.

रिया अपनी जिन्दगी में दूसरी बार किसी मर्द के साथ इसे शावर के नीचे खड़ी थी.
पहली बार हनीमून पर वह और अजय होटल में नहाए थे.
उसके बाद तो कभी ऐसा मूड ही नहीं बना अजय का.

और यह विजय था कि बार बार झुक कर रिया के मम्मे चूमता.

उसका लंड नीचे से रिया की चूत पर टक्कर मार रहा था.
विजय नीचे बैठ गया और रिया की एक टांग उसने अपने कंधे पर रखवा ली और अपनी जीभ घुसा दी उसकी मखमली चूत में!

रिया कसमसा रही थी.
उसने विजय के बाल कस के पकड़ रखे थे.

विजय अब खड़ा हुआ और अपनी एक उंगली घुसा दी रिया की चूत में और लगा तेजी से अंदर बाहर करने.

रिया कसमसाती हुई उसके होंठों से अपने होंठ भिड़ा कर अपनी जीभ विजय के मुंह में घुसा रही थी.
विजय उसके मम्मे कस-कस के मसल रहा था.

जब विजय ने रिया को ज़रा सा सहारा दिया तो वह ऊपर उछली और विजय के कमर से लटक गयी.
रिया ने अपनी बाहें उसकी गर्दन में डाली हुई थी और होंठ से होंठ मिला कर चूम रही थी.

विजय ने नीचे से अपना लंड उसकी चूत में सेट करके धक्का दिया तो लंड अंदर चला गया.
अब विजय रिया को उछालने लगा और चुदाई शावर के नीचे चलती रही.

पर इस सबसे चुदास शांत होने की जगह और भड़क गयी.
रिया कसमसाती हुई बोली- बेड पर चलो.

दोनों ने अपने जिस्म को तौलिया से पौंछा और तेजी से विजय के बेड पर चले गए.

रिया पहले ऊपर चढ़ कर अपनी टांगें चौड़ा कर लेट गयी.
विजय उसका इशारा समझ गया और उसने अपना मुंह रिया की गुफा पर रख दिया.

रिया ने अपनी उँगलियों से अपनी गुफा का मुंह और चौड़ा कर दिया.
विजय की जीभ अब उस गुफा की गहराई नापने लगी.

तब विजय ने थोड़ा थूक बाहर करके अपनी एक उंगली रिया के पीछे के छेद में करनी चाही तो रिया बिदक गयी- वहां नहीं.
अब दोनों ही बेकाबू थे.

विजय सीधा रिया के ऊपर चढ़ गया और ऊपर होते हुए उसके मम्मे मुंह में ले लिए.
रिया ने अपने हाथ से उसका लंड अपनी चूत में कर लिया और नीचे उसे ऊपर जोर लगा कर लंड को गहराई तक अंदर किया.

अब विजय भी पिलाई में लग गया.
मूड फ्रेश था, शरीर में कोई थकान नहीं थी.
जल्दी कोई थी नहीं, कोई रोकने टोकने वाला नहीं था.

इन सबके चलते विजय के धक्के बढ़ते गए और साथ में रिया का हल्ला गुल्ला भी.

रिया अब बेशर्मी से उसे उकसा रही थी.
ऐसी चुदाई रिया की शायद ही पहले कभी हुई हो.

रिया ने विजय को नीचे पलटा और खुद ऊपर चढ़ कर लगी घुड़सवारी करने.
उसके बाल हवा में लहरा रहे थे.

उसने अपने दोनों हाथ विजय की छाती पर टिका रखे थे.
विजय बार बार उसके मम्मे मसलता.
अब तो रिया के गोरे गोरे मम्मे लाल हो चले थे.

रिया के मुंह से झाग या थूक निकल रहा था.
वह अब हांफ रही थी.
विजय ने उसे कस के जकड़ लिया.

दोनों का होने वाला था.

रिया एक झटके से उछली और नीचे विजय की छाती पर गिरती चली गयी.
वह हटना चाह रही थी पर विजय ने उसे जकड़ लिया था.

रिया विजय की छाती पर ही लेट गयी.
विजय ने उसकी उखड़ती सांसों को आराम देने के लिए उसे आहिस्ता से बगल में लिटाया.

सांसें सँभालने पर रिया वापिस विजय से लिपट गयी और चूमने लगी.

देवर भाभी फुल सेक्स के बाद वासना का तूफ़ान थम चुका था.

विजय बोला- चलो घूमने चलते हैं.
रिया कुछ नहीं बोली बस मुस्कुरा कर उसने एक बार और विजय को होंठों पर कस के चूम लिया.

रिया तैयार हुई.

दिन था, बाहर कॉलोनी के लोग भी मिलते ही हैं, तो रिया ने सूट ही डाला.
हल्का सा मेकअप किया पर अपने को खूब महकाया.
उसे मालूम था कि विजय को पेंटेड नेल्स अच्छे लगते हैं. तो एक कोट नेल पेंट का उसने और लगा लिया.

दोनों बाइक पर घूमने निकल पड़े.
रिया चिपक कर बैठी थी विजय से.
उसके जिस्म की महक विजय को दीवाना कर रही थी.

एक बार तो विजय ने बाइक रोक ही ली, बोला- घर चलो, प्यार करेंगे.
रिया ने उसे एक धौल लगाया- अब नहीं. अभी तो घूमते हैं. भूख लगी है कुछ खायेंगे.

लंच लेते समय रिया ने अजय को फोन करके पूछा- कहाँ हो?
तो अजय ने बताया कि वह शाम को चार बजे तक पहुंचेगा.

दो तो बज ही रहे थे.
दोनों ने फटाफट लंच निबटाया और बाइक उठाकर सीधे घर आये.

पहले तो रिया ने अपना फ्लैट ठीक किया, रात के तौलिया वगैरा धुलने डाल दिए.

उसने कपड़े बदले और नाईटी पहन ली.
ऊपर से विजय आ गया.

वह उसे बेड पर ले जाना चाह रहा था.
रिया बोली- अब नहीं, अजय आता ही होगा.

तभी प्रिया का फोन रिया के पास आ गया.
प्रिया ने रिया से कहा- मम्मी को तो आराम है पर जब आई हूँ तो एक दो दिन रुक कर ही आऊंगी. प्लीज़ विजय का ध्यान रख लेना.
रिया ने विजय से चिपटते हुए कहा- तू चिंता मत कर, मैं विजय का पूरा ध्यान रखूंगी.

विजय ने अजय को फोन करके पूछ ही लिया- कितनी देर में आओगे?
अजय ने पूछा भी कि क्यों पूछ रहा है, तो विजय बोला- मुझे कहीं जाना है और मम्मी पापा कहीं गए हैं, घर पर रिया अकेली है.

तब अजय बोला- कोई बात नहीं, तू चला जा. मुझे तो अभी आधा पौना घंटा लगेगा.

बस अब तो विजय की पौ-बारह हो गयी वह लिपट गया रिया से और उसे गोदी में उठा कर बेड पर ले जाने लगा.
रिया बोली- बेड पर नहीं. अभी नयी चादर बदली है, रात वाली पर तुमने निशान डाल दिए थे.

विजय ने वहीं सोफे पर रिया को लिटा दिया और उसकी नाईटी और अपने कपड़े उतार दिये.

अब रिया भी मूड में आ गयी.
वह सोफे की हैण्ड रेस्ट पर सर टिका कर टांगें चौड़ा कर लेट गयी.

विजय ने पहले तो उसकी चूत को चूसा और थूक से चिकना करके अपना मूसल पेल दिया.
सोफे पर ज्यादा पोजिशन तो बदली नहीं जा सकती थीं.

रिया ने टांगें बिल्कुल ऊपर पंखे की तरफ उठा कर चौड़ा दीं.
अब विजय का लंड पूरी गहराई तक धकापेल मचा रहा था.

रिया ने उसकी पीठ पर अपने नाख़ून गाड़ दिए.
निश्चित रूप से विजय की पीठ पर धारियाँ उकेर दी होंगी रिया ने.

चुदाई को फाइनल अंजाम देते हुए विजय ने रिया को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में घुस गया.

उसके हाथों की गिरफ्त में रिया के मम्मे थे.
रिया बार बार मुंह घुमा कर उसे चूम लेती.

थोड़ी देर धमाचौकड़ी के बाद विजय ने अपना सारा माल रिया की चूत में खाली कर दिया.
पर जैसे ही विजय और रिया खड़े हुए, रिया की चूत से कुछ बूँदें निकल कर वहीं फर्श पर गिरने लगीं.

रिया बनावटी गुसा दिखाते हुए वाशरूम में भागी.
विजय भी कपड़े लेकर ऊपर चला गया.

रिया फ्रेश होकर और कपड़े पहन कर आई, उसने फर्श साफ़ किया और आस पास का माहोल देखने लगी कहीं कुछ रह तो नहीं गया.

अच्छा ही हुआ, सोफे के नीचे उसकी अपनी पेंटी पड़ी थी.
रिया के मुंह से ‘हे भगवान्’ निकला.

एक बार और उसने चारों और ऊपर नीचे देखा.

तभी गेट पर बेल बज गयी.
अजय आ गया था.

रिया ने थोड़ा लाड़ लड़ाना चाहा अजय से … पर वह तो बहुत शुष्क था, बोला- भूख लगी है, मैं नहाकर आता हूँ, तुम कुछ बना दो.
तो रिया ने बड़े स्टाइल से कहा- चलो मैं भी साथ नहाती हूँ, जैसे हनीमून पर नहाए थे.
अजय मुस्कुराया तो … पर बोला- ज्यादा दिमाग मत लगा, फटाफट कुछ बना ले, मैं आता हूँ.

विजय भी नीचे आ गया था.
वह तैयार होकर आया था बाहर घूमने जाने के लिए.

जैसे ही अजय नहाने गया, विजय ने जबरदस्ती रिया को चूम लिया और उससे धौल खाकर हंसता हुआ बाहर चला गया.

अब विजय को प्रिया का मायके जाना और रिया को अजय का सेक्स न करना अखरता नहीं था.

प्रिया भी रिया की मक्खन पोलिश करती- रिया तू तो जानती ही है कि मैं मम्मी के बिना नहीं रह सकती. प्लीज़ मेरे पीछे तू विजय का ध्यान रख लिया कर!
रिया मुस्कुरा जाती और कहती- तू चिंता मत कर. तू अपने मन की पूरी कर, यहाँ मैं हूँ न!

अब रिया अजय से अब गाहे बजाहे चुदाई करवा ही लेती क्योंकि उसे मालूम था कि अजय या विजय उसे जल्दी ही गर्भवती कर ही देंगे.

विजय ने प्रिया को कह दिया कि उसे जब भी मायके जाना हो वह इस तरह से अपना प्रोग्राम बनाए कि विजय की साप्ताहिक छुट्टी बीच में पड़ती हो.

प्रिया महीने में दो बार तो जाती ही थी.

अब उसके जाते ही विजय और रिया दो जिस्म और एक जान हो जाते क्योंकि अजय भी बाहर गया हुआ होता.
और रहा सवाल चूमा चाटी का तो … वह तो विजय रोज ही कोई न कोई मौक़ा देख कर रिया से चिपट ही लेता.

दोस्तो, कैसी लगी मेरी देवर भाभी की फुल सेक्स कहानी?
लिखिएगा मुझे मेरी मेल आईडी पर.
[email protected]

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