अहमदाबाद में मिली प्यारी गुजराती भाभी- 3
(Fuck Bhabhi Hot Story)
फक भाभी हॉट स्टोरी में एक अनजान परिवार से दोस्ती के बाद मैं उनसे घुलमिल गया. मैं उनके घर रहने लगा तो एक बार भाभी की पहल पर मैंने उन्हें चोद दिया.
कहानी के दूसरे भाग
गुजराती भाभी की अन्तर्वासना
में आपने पढ़ा कि सुबह भाभी मुझे जगाने आई तो उन्होंने मेरा लंड देख लिया, उनसे रुका न गया, उन्होंने मेरे लंड पकड़ लिया. तो मैंने भी उन्हें पकड़ लिया. और हम शुरु हो गए. मैंने भाभी की चूत का दाना मसल कर उन्हें पूरा मजा दिया.
अब आगे फक भाभी हॉट स्टोरी:
मैंने सोचा, “यार, ये कितनी किस करती हैं, थकती ही नहीं।”
फिर भाभी ने मुझे बाद में बताया था कि वो अपनी शर्म को छुपाने के लिए ऐसा करती हैं।
मैं भी उन्हें किस करने लगा क्योंकि मैंने भी यहाँ कहानियों में पढ़ा था कि औरत को सेक्स करने से पहले पूरी तरह उत्तेजित करना पड़ता है।
तब मैं उनके पूरे चेहरे पर, फिर गले में, उरोजों पर, पेट पर, नाभि पर, हर जगह किस करने लगा।
नाभि के आसपास किस करते हुए एक बार नाभि में जीभ लगा दी।
जीभ लगते ही भाभी सिहर उठीं और हाथों से मुझे हटाने लगीं।
पर मैंने उनके हाथ अपने हाथों से पकड़कर साइड किया और अपने हाथों से उनके हाथ जकड़ लिए।
मैंने उनकी ओर देखा। वो बेचैन नज़रों से मुझे देख रही थीं।
मैंने आँखों से शांत रहने का इशारा किया।
उन्होंने अपनी आँखें बंद कर दीं।
मुझे मंजूरी मिल गई।
मैंने जीभ चलानी शुरू कर दी।
भाभी से सहन नहीं हुआ, उन्होंने मेरे हाथ ज़ोर से पकड़ लिए और सिर इधर-उधर पटकने लगीं।
फिर उन्होंने मेरे हाथ छोड़कर बेडशीट को जकड़ लिया।
मैंने भी अपने हाथ हटाकर उरोजों पर चलना शुरू किया।
ऐसे ही करीब पाँच मिनट चला।
अब चूत के दर्शन की बारी थी।
मैंने पेट पर किस करते हुए पायजामा उतारना शुरू किया।
उन्होंने पैर उठाकर मेरी मदद की।
फिर मैंने पैंटी भी उतार दी।
पहली बार चूत के दर्शन हुए थे।
मैंने जी भरकर देखा।
लाल रंग का चूत का दाना, भूरे-भूरे होंठ, छोटे-छोटे बाल।
मैंने दोनों होंठों को चौड़ा किया और अंदर देखा।
अंदर से चूत पूरी लाल थी।
मैंने अपना मुँह आगे बढ़ाया और किस करने ही वाला था कि भाभी अचानक बैठ गईं और बोलीं, “ये क्या कर रहे हो? ये गंदी जगह है।”
मैं समझ गया कि भैया ने कभी भाभी की चूत नहीं चाटी होगी।
मेरा पहली बार था तो मुझे रिस्क नहीं लेना था।
तो मैंने चूत चाटने का प्रोग्राम कैंसिल कर दिया।
मुझे इतना तो समझ आ गया था कि वो चूत नहीं चटवाने देंगी, तो लंड चूसने का तो भूल ही जाओ।
मैंने थोड़ी देर उँगली से चूत को सहलाया।
फिर मैंने अपनी चड्डी और टी-शर्ट उतार दी।
भाभी एकटक मेरे लंड को देखे जा रही थीं।
मैंने पूछा, “क्या हुआ?”
तो बोलीं, “तुम्हारा वो तुम्हारे भैया से थोड़ा बड़ा और मोटा है।”
“अरे हाय, मेरी प्यारी भाभी!”
इतना सब कुछ होने के बाद भी मुँह से लंड नहीं बोल पा रही थीं।
वैसे मेरे लंड का साइज़ 6.5 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है।
मैं हर हफ्ते वहाँ के बाल साफ करता हूँ।
मैंने पिछले हफ्ते ही काटे थे, तो ज़्यादा बड़े नहीं हुए थे, जिस वजह से भी लंड बड़ा लगता है।
मैं बोला, “हाथ में लेकर देखोगी?”
वो बेड पर बैठ गईं और धीरे से हाथ बढ़ाया।
जैसे ही छुआ, लंड ने झटका मारा।
उन्होंने मेरी ओर देखा।
मैं मुस्कुराया, तो वो शर्मा गईं और नीचे देख लिया।
मैंने उसका हाथ लंड पर ही पकड़कर आगे-पीछे किया।
तो वो भी ऐसे करने लगीं।
उनको मज़ा आने लगा।
वे दूसरे हाथ से नीचे अंडकोष को छूने लगीं, उन्हें उठा-उठाकर देखने लगीं और हाथ घुमाने लगीं।
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मैं झड़ जाऊँगा, तो मैंने उन्हें लेटा दिया।
अब मैंने उनके पैर फैलाए और बीच में आ गया और अपना लंड चूत पर रगड़ने लगा।
ऐसा करने से उत्तेजना बढ़ती है।
ये भी मैंने कहानियों से सीखा है।
दो-तीन मिनट बाद भाभी भी गांड उछालने लगीं।
मैंने उनकी ओर देखा।
उनके चेहरे पर रिक्वेस्ट थी कि प्लीज़ डाल दो।
मैंने देर करना सही नहीं समझा। मैंने लंड छेद पर सेट किया और धीरे से ज़ोर लगाया।
चूत थोड़ी चौड़ी हुई।
लंड का ज़रा सा नुकीला भाग अंदर जाने लगा कि भाभी “आह” की आवाज़ के साथ ऊपर की ओर खिसक गईं।
मुझे लगा कि ऐसे काम नहीं होगा।
मैं उनके ऊपर लेट गया और थोड़ा सा भार भाभी पर डाल दिया।
लंड पहले से ही चूत के छेद पर सेट था, तो मैंने भाभी के कंधे पकड़े और ज़ोर का धक्का दिया।
लंड चीरता हुआ लगभग पूरा अंदर घुस गया।
मेरे लंड में ज़ोर की जलन हुई कि आँखों में पानी आ गया।
लंड पूरी तरह दबा हुआ था।
भाभी मुझे धक्का देने की कोशिश कर रही थीं पर मैंने पूरी ताकत से पकड़ा हुआ था।
मैंने उनकी ओर देखा तो आँखें बंद थीं, आँसू बह रहे थे, चेहरे पर दर्द के भाव थे।
मैंने उन्हें किस करना शुरू किया तो उन्होंने आँखें खोलकर मुझे देखा और मुझे पीठ पर मारने लगीं।
पर मैं हटा नहीं।
मैं तीस सेकंड तक ऐसे ही पड़ा रहा।
फिर सोचा कि धीरे-धीरे हिलना शुरू करूँ तो शायद भाभी का दर्द ठीक हो जाए।
तो मैंने धक्के लगाने शुरू किए।
पर पहली बार का जोश था, तो अपने आप पर काबू नहीं कर पाया और पूरे ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए।
भाभी का दर्द और बढ़ गया।
पर मैं तो धक्के लगाने में लगा पड़ा था।
मुश्किल से पाँच मिनट भी नहीं हुए होंगे और मेरा लावा फूट पड़ा।
मैंने चूत में सात-आठ पिचकारियाँ मारीं।
मेरा वीर्य इतना सारा पहली बार निकला था।
और मैं हाँफते हुए भाभी के साइड में लेट गया।
भाभी आँखें बंद करके लेटी थीं।
उनकी आँखों से आँसू थे।
मैं समझ गया कि भाभी को मज़ा ज़रा भी नहीं आया।
पर मैं क्या करता … मुझे कंट्रोल ही नहीं रहा।
करीब दो-तीन मिनट ऐसे पड़ा रहा।
फिर जैसे ही मैंने भाभी को छूने की कोशिश की, वो हट गईं।
वो खड़ी हुईं।
पैंटी उठाकर चूत में से निकलते वीर्य पर दबाई और दूसरे हाथ से कपड़े उठाकर अपने कमरे में चली गईं।
मैंने रोकने के लिए आवाज़ लगाई पर मेरी एक न सुनी और कमरा अंदर से बंद कर दिया।
मैं समझ गया था कि मेरी लग गयी है।
अब तो शायद भाभी बात भी नहीं करेंगी।
मैंने टाइम देखा, साढ़े दस बजे थे।
अब दिमाग में एक ही बात थी कि क्या करूँ? भाभी को कैसे मनाऊँ?
भाभी नहीं मानीं तो क्या होगा?
फिर मैंने सोचा कि मैं पहले फ्रेश हो जाता हूँ, फिर आराम से सोचता हूँ।
मैं बाथरूम में गया। मैं लंड साफ कर रहा था तो देखा कि एक जगह थोड़ा कट जैसा लग गया था; दर्द भी हो रहा था।
मुझे लगा कि भाभी की चूत टाइट थी इसलिए ऐसा हुआ होगा।
पर मुझे बाद में पता चला कि जब आदमी पहली बार सेक्स करता है, तो उसके लंड के टोपे से जुड़ा चमड़ी का एक छोटा हिस्सा टूट जाता है।
जैसे लड़कियों की पहली बार में सील टूटती है, वैसा ही कुछ लड़कों के साथ भी होता है।
मैंने काफी देर तक भाभी को मनाने के बारे में सोचा।
काफी अलग-अलग आइडिया आए, जैसे कि कोई गिफ्ट दूँ या फिर सरप्राइज़ दूँ।
पर मन मान नहीं रहा था।
एक भी ऐसा आइडिया नहीं आ रहा था जिससे भाभी मान जाएँ।
ऐसे ही सोच रहा था कि भाभी ने खाना खाने के लिए आवाज़ दी।
भाभी की आवाज़ सुनकर मैं खुश हुआ और दौड़कर बाहर गया।
पर बाहर भाभी नहीं थीं।
टेबल पर थाली सजी पड़ी थी और भाभी का दरवाज़ा अभी भी बंद था।
घड़ी में देखा तो एक बज रहा था।
सुबह से कुछ खाया नहीं था तो भूख तो ज़ोरों की लगी थी।
पर खाने की इच्छा नहीं हो रही थी।
मैं गया और भाभी का दरवाज़ा खटखटाया।
भाभी बोलीं, “हाँ, बोलो।”
मैं बोला, “भाभी, मुझे आपसे बात करनी थी।”
भाभी, “हाँ, मैं सुन रही हूँ, बोलो।”
मैं, “भाभी, सॉरी। मैंने जानबूझकर नहीं किया। मेरा आपको दर्द पहुँचाने का कोई इरादा नहीं था।”
भाभी, “ठीक है, कोई बात नहीं। तुम खाना खा लो और अपने रूम में जाकर आराम करो।”
मैं, “ऐसे नहीं। जब तक आप दरवाज़ा खोलकर मुझसे बात नहीं करेंगी, तब तक मैं यहीं रहूँगा दरवाज़े के पास। और खाना भी नहीं खाऊँगा।”
मैं वहीं बैठ गया।
ये सब लिखते हुए आज मुझे वो पुराने टीवी सीरियल के सीन याद आते हैं।
जब मैं छोटा था, तो मम्मी जब सीरियल देखती थीं, तो मैं भी देखने बैठ जाता था।
उस सीरियल में मैंने ऐसा ही दरवाज़े के सामने बैठने वाला सीन देखा था।
खैर, मैं वहीं बैठ गया।
अंदर से कोई आवाज़ नहीं आई।
करीब पाँच मिनट बाद कड़ी खुलने की आवाज़ आई।
मैंने दरवाज़े को धक्का दिया तो खुल गया।
मैं तुरंत अंदर गया, तो भाभी बेड पर बैठकर मोबाइल चला रही थीं।
मैं उनके पास जाकर बैठ गया और उनका हाथ अपने हाथों में ले लिया।
उन्होंने हाथ की ओर देखा, फिर वापस मोबाइल में देखने लगीं।
पर मेरी तरफ नहीं देखा।
मैं बोला, “भाभी, मेरा इरादा आपको दर्द पहुँचाने का नहीं था। मैं आपके बारे में ऐसा सोच भी नहीं सकता। मैं तो आपको बहुत प्यार करता हूँ। आपको देखकर हर बार प्यार करने का ख्याल आता है।”
भाभी कुछ बोल नहीं रही थीं।
मैं बोला, “भाभी, आप मुझसे ऐसे नाराज़ मत रहो। मुझसे सहन नहीं होता। आप चाहें तो मुझ पर गुस्सा करें, चाहें तो मारें, जो करना है करें। पर मुझसे बात करें। भाभी, मैंने जानबूझकर नहीं किया। ये तो मेरा पहली बार था, तो कुछ समझ नहीं आ रहा था। इसी लिए सब गड़बड़ हो गई। पर मैं वादा करता हूँ, आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा। आप जो बोलेंगी, वो करूँगा। आप जैसे बोलेंगी, वैसे करूँगा। बिना आपकी मर्ज़ी के आपको टच भी नहीं करूँगा।”
भाभी ने मेरी ओर देखा और बोलीं, “मेरी हर बात मानोगे?”
मैं बोला, “हाँ, आप जो बोलेंगी, वहीं करूँगा। प्लीज़ माफ कर दो।”
भाभी बोलीं, “ठीक है, मेरी कुछ शर्तें हैं।”
मैं बोला, “ठीक है, कोई बात नहीं।”
भाभी बोलीं, “पहले सुन तो लो। पहली बात, जब सागर टूर पर जाएँगे, तब ही हम ये सब करेंगे। जब वो घर पर होंगे, तो तुम मेरे आसपास भी नहीं आओगे।”
मैं बोला, “ठीक है।”
भाभी बोलीं, “और सुनो, रोहन के सोने के बाद ही ये सब होगा। वो घर पर होगा, तो तुम नॉर्मल रहोगे। और एक बात, मुझे ओरल सेक्स पसंद नहीं है, तो तुम इसका ज़िक्र कभी भी नहीं करोगे।”
मैं बोला, “जो हुकम, मेरी प्यारी भाभी।”
भाभी मुस्कुराईं और बोलीं, “ठीक है, अब जाकर खाना खा ले।”
मैं बोला, “आपने खाया?”
उन्होंने ना में सिर हिलाया।
मैं तुरंत भागा और टेबल से प्लेट लेकर आ गया।
मैंने एक निवाला बनाकर उनकी ओर बढ़ाया।
उन्होंने मेरी ओर देखा, फिर खा लिया।
वो चबा रही थीं।
तब मैं उनके होंठ देख रहा था।
मुझसे रहा नहीं गया, तो मैंने उनके होंठों पर किस कर दिया।
निवाला अभी भी भाभी के मुँह में ही था।
उन्होंने मुझे घूरकर देखा, तो मैं पीछे हट गया।
मेरा उतरा चेहरा देखकर उन्होंने मुझे किस करना शुरू कर दिया।
तो मैं भी खुश होकर उनका साथ देने लगा।
फिर हमने एक-दूसरे को खाना खिलाया।
खाना खाने के बाद मैं भाभी के शरीर से खेलने लगा और भाभी मुझसे बातें किये जा रही थीं।
मैं उनके उरोजों से खेल रहा था कि बाहर रोहन की आवाज़ आई।
वो स्कूल से वापस आ गया था।
भाभी ने जल्दी से अपने आपको ठीक किया और बाहर चली गईं।
दस मिनट बाद मैं भी बाहर निकला।
फिर हम उसके साथ खेलने लगे।
शाम को रोहन खेलने गया था।
भाभी चाय लेकर आईं।
हम दोनों चाय पीने लगे।
मैं भाभी के साथ चूमाचाटी कर रहा था।
मैं भाभी से बोला, “भाभी, बुरा न मानो तो एक बात पूछूँ?”
भाभी, “हाँ, बोलो।”
मैं, “आपको और भैया को देखकर तो लगता नहीं कि आप दोनों में कोई प्रॉब्लम हो। फिर आप मेरे साथ ये सब?”
भाभी मुझसे अलग हो गईं।
मुझे लगा कि भाभी मुझसे फिर से नाराज़ हो गईं।
मैं बोला, “सॉरी, मेरा ये मतलब नहीं था।”
भाभी, “कोई बात नहीं, तुम्हारी कोई गलती नहीं। तुम्हारे भैया मुझसे प्यार तो करते हैं। शादी के बाद तो हर रोज़ सेक्स करते थे। कभी-कभी तो दिन और रात, जब भी मौका मिलता, शुरू हो जाते थे। फिर रोहन के आने के बाद धीरे-धीरे सब कम होने लगा। अब तो साल में एक-दो बार, कभी-कभी हो जाता है। अब उन्हें वो मज़ा मुझमें नहीं आता, जो जवान लड़कियों में आता है।”
मैं बोला, “तो भैया का किसी के साथ चक्कर…?”
भाभी, “चक्कर तो नहीं, पर ये जो कंपनी टूर पर जाते हैं, वो ऐसे ही नहीं जाते। वहाँ पर विदेशी लड़कियों को बुलाकर मज़े करते हैं।”
मैं, “आपको कैसे पता?”
भाभी, “मैंने एक बार उनके फोन पर उनके और उनके ऑफिस के दोस्त की वॉट्सऐप पर बातें पढ़ी थीं। एक बार तो उन दोनों ने मिलकर उनकी ही ऑफिस की लड़की के साथ मज़े लिए थे।”
मैं बोला, “तो आप कुछ बोलती नहीं उन्हें?”
भाभी, “क्या बोलूँ? प्यार तो वो अब भी मुझसे करते हैं। कभी शिकायत का मौका नहीं देते। बस उन्हें जो मज़ा चाहिए, मुझसे नहीं मिल पाता। तो बाहर ढूँढते हैं। उनसे इस बारे में बात करूँगी, तो झगड़ा होगा और उसका असर हमारे बेटे रोहन पर पड़ेगा। और मैं अपने बेटे को किसी भी प्रॉब्लम में नहीं डालना चाहती।”
मैं भाभी की बातें सुनकर दंग रह गया।
वो अपने एक फैसले से परिवार पर कितना असर होगा, उसकी सारी संभावनाएँ सोचकर रखी थीं।
यहाँ तक कि उसके पति से भी कोई शिकायत नहीं थी।
आज मुझे पता चल गया कि पौराणिक कथाओं में सच ही लिखा है कि औरत अपने पति के लिए यमराज से भी लड़ सकती है।
मैं बोला, “तो इसी लिए आज आपने मेरे साथ…”
भाभी, “हाँ, मैंने जब किट्टी पार्टी में अपनी दोस्तों से अपने पति के बारे में राय माँगी, तो उन सबने कई अलग-अलग आइडिया दिए। उनमें से एक मुझे पसंद आया कि मैं भी किसी के साथ सेक्स करके अपनी आग शांत कर लूँ। हम लोग किट्टी पार्टी में ऐसे ही एक-दूसरे की प्रॉब्लम सॉल्व करते हैं।”
भाभी आगे बोलीं, “अब मेरे आगे सवाल था कि सेक्स करने के लिए किसी को ढूँढूँ कैसे? ऐसा इंसान कहाँ मिलेगा, जिस पर यकीन किया जाए? बदनामी के डर से डेटिंग साइट पर भी नहीं जा सकती थी। आसपास में भी किसी को नहीं पटा सकती थी। ऐसे ही कुछ डेढ़ साल तक तलाश जारी रखी। फिर उस दिन तुम मिले। कैसे भी करके तुम्हें अपने घर तक ले आई। धीरे-धीरे तुम्हें समझने लगी। एक बार तो हुआ कि अपनी ओर से पहल करके तुम्हारे साथ अपनी आग शांत कर दूँ। फिर तुम्हारे भोलेपन ने डरा दिया कि अगर तुमने सागर से शिकायत कर दी, तो दिक्कत हो जाएगी।”
मैं बोला, “भाभी, आपको तो पता ही था ना कि भैया दूसरी लड़कियों के साथ मज़े लेते हैं। तो आपको उनसे डरने की क्या ज़रूरत थी?”
भाभी, “ज़रूरत थी। अगर उनको इस बारे में पता चल जाए, तो उनसे जो प्यार और इज़्ज़त मुझे मिलती है, वो फिर कभी नहीं मिल पाएगी।”
मैं सोच में पड़ गया कि औरत अपनी इज़्ज़त और परिवार के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। किसी भी हद तक सोच सकती है। इसी लिए वो जल्दी किसी पर भरोसा नहीं करती।
मैं भाभी के घर पर लगभग छह महीनों से आ रहा था।
जब भी वो मुझे देखती होंगी, उनकी आग भड़क जाती होगी।
फिर भी कभी ज़ाहिर नहीं होने दिया।
सचमुच, एक पुरुष इतना सब्र कभी नहीं कर पाता।
मैं बोला, “तो आज आपको डर नहीं लगा?”
भाभी, “नहीं। कल रात को जब तुमने वो बातें शुरू कीं, तो मैं समझ गई कि लोहा गर्म है, हथौड़ा मार देना चाहिए।”
मैं बोला, “तो अगर आज दोपहर को नहीं मनाया होता, तो आपकी सारी मेहनत पर पानी फिर जाता ना?”
भाभी, “नहीं।”
मैं चौंक गया।
भाभी, “मुझे पता था कि तुम मुझे ज़रूर मनाओगे। क्योंकि लड़का हो या लड़की, एक बार सेक्स का स्वाद लग जाए, तो वो उसके बिना और ज़्यादा देर नहीं रह सकता। पर तुमने जो दर्द मुझे आज दिया था ना, उसके लिए ये सबक ज़रूरी था। क्योंकि औरत प्यार की भूखी होती है। उसके साथ सेक्स आराम से और प्यार से किया जाता है, ना कि जबरदस्ती।”
मैंने भाभी को सॉरी कहा और किस करने के लिए उनकी ओर बढ़ा।
तो उन्होंने मुझे रोक दिया और बोलीं, “अभी नहीं, रात को। रोहन कभी भी आ सकता है।”
मैं मन मारकर रुक गया।
रात को भाभी खाना बनाने चली गईं।
हम सबने खाना खाया।
फिर मैं रोहन के कमरे में जा रहा था तो भाभी बोलीं, “जब मैं मैसेज करूँ, तब आ जाना।”
मैं खुश होकर रोहन के पास चला गया।
आज मेरा रोहन को पढ़ाने में बिल्कुल ध्यान नहीं था।
रोहन होमवर्क करके सो भी गया.
पर भाभी का मैसेज नहीं आया।
मैं बाहर हॉल में आकर बैठ गया।
भाभी के रूम का दरवाज़ा बंद था।
मैं मैसेज के इंतज़ार में था।
मैं अपने रूम में गया, बाथरूम में जाकर कपड़े निकालकर नहाने लगा।
अपने गुप्तांगों को मैंने अच्छे से साबुन लगाकर मसलकर धोया, क्योंकि मेरे लिए आज की रात खास थी।
फिर वापस आकर हॉल में बैठ गया और टाइम पास के लिए मोबाइल चलाने लगा।
करीब 11 बजे मैसेज आया, “अंदर आ जाओ।”
मैं तो तैयार ही था; उनके रूम की तरफ भागा।
फक भाभी हॉट स्टोरी जारी रहेगी.
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फक भाभी हॉट स्टोरी का अगला भाग:
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