दोस्त की बीवी नेहा की चुदास
प्रेषक : अशोक कुमार
सभी सुलगती हुई चूतों को मेरे खडे लण्ड का नमस्कार। मेरा नाम अशोक है, मैं फरीदाबाद का रहने वाला हूँ, उम्र 25 साल है और अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। जितनी भी लड़कियाँ अब तक मिली है, मेरे 8 इँच लम्बे लंड पर फिदा होकर बिना चुदे बच नहीं पाई हैं।
अब मैं आपको अपनी पहली व सच्ची चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ। बात तीन साल पहले की है, मैं फरीदाबाद में ही जॉब करता था। मेरे साथ एक विजय नाम का लड़का भी जॉब करता था। हम दोनों की काफी अच्छी दोस्ती थी। मेरा कई बार उसके घर जाना हुआ।
एक बार विजय मुझे अपने घर पर छोड़कर मार्किट गया। घर पर मैं और विजय की बीवी नेहा ही थे। नेहा मेरे लिए चाय बना कर लाई। मैं यूँही सोच में बैठा था, तभी नेहा चाय लेकर आई, मैं उसे देखता ही रह गया।
“क्या कयामत लग रही थी ! उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ बड़े चूतड़ मुझे पागल कर रहे थे।”
उसने मुझे चाय देते हुए कहा- क्या हुआ? कहाँ खो गए भाई साहब !
मैं एकदम चौंक गया- कुछ नहीं ऐसे ही।
नेहा ने मुझसे कहा- आजकल आप कहाँ रहते हो ! यहाँ बहुत कम आते हो?
मैंने मजाक में कहा- आप बुलाती ही कहाँ हो?
और तभी विजय आ गया।
मैंने चाय पी और कहा- यार विजय, मैं चलता हूँ, मुझे कुछ काम है।
और मैं घर आ गया।
एक दिन मैं छुट्टी पर था और दोपहर में नेट पर बैठा था।
तभी नेहा का फोन आया- अशोक, आपके दोस्त दो दिन के लिए बाहर गए हैं और मेरी तबीयत बहुत खराब है, प्लीज तुम आ कर मेरे लिए दवाई ला कर दे दो !
मैंने कहा- मैं अभी आता हूँ भाभी।
मैं आधे घन्टे में नेहा के घर पहुँच गया उसने मुझे दवाईयों की पर्ची मेरे हाथ में थमा दी। मैं थोड़ी देर में दवाई ले आया और नेहा के पास बैठ उसको दवाई दी।
नेहा बोली- सारा बदन बहुत दर्द कर रहा है।
मैंने कहा- भाभी, मैं आपका बदन दबा देता हूँ।
उसने कहा- नहीं, आप क्यों परेशान होते हो ! अपने आप दर्द कम हो जाएगा।
मैंने कहा- नहीं इसमें परेशानी की क्या बात है? भाभी की सेवा करना तो मेरा धर्म है।
और मैं नेहा का सिर दबाने लगा। नेहा आँखें बन्द किए लेटी रही। मैं कभी-कभी उसके गालों पर भी हाथ फेर देता।
नेहा बोली- अगर दबा ही रहे हो तो पूरा बदन दबा दो ना !
मैं नेहा के पैरों को दबाने लगा। धीरे-धीरे मेरा हाथ उसकी जाँघों पर पहुँच गया। नेहा ने कोई एतराज नहीं किया, मेरी हिम्मत बढ गई। कुछ देर में मेरा हाथ नेहा की चूची पर चला गया, फिर भी वो कुछ नहीं बोली।
मैंने उसका कमीज ऊपर कर दिया, अब उसकी चूचियाँ बिल्कुल नंगी थीं। मैंने अपना मुँह चूची पर लगा दिया। मेरे हाथ उसके कूल्हे और चूत को सहला रहे थे। नेहा के मुँह से सीत्कारें निकलने लगीं। मेरा हाथ अब उसकी सलवार के अन्दर चूत पर था। मैंने उसका नाड़ा खोल दिया और सलवार को उतार कर अलग रख दिया।
अब मैंने अपना मुँह नेहा की चूत पर रख दिया और जीभ से चूत को चाटने लगा। कभी जीभ को उसकी चूत के छेद में घुसा देता। उसके मुँह से जोर-जोर की आवाजें आने लगीं। अब नेहा का हाथ मेरे लंड पर था।
थोड़ी देर में उसने मेरी पैन्ट के हुक खोल दिए और लंड को बाहर निकाल कर बोली- वाह, कितना मोटा और लम्बा लँड है आपका !
धीरे-धीरे हमारे बदन सारे कपड़े अलग हो गए। नेहा ने मेरा लंड अपने मुँह में लिया और जोर से चूसने लगी। मेरे हाथ उसके दोनो चूचों को दबा रहे थे।
फिर हम दोनो 69 की अवस्था में आ गए।
थोड़ी देर बाद नेहा बोली- प्लीज अशोक, अब मत तड़पाओ, मुझसे अब नहीं रुका जा रहा है।
मैं खड़ा हो गया। नेहा टाँगें खोल कर बैड पर लेट गई। मैंने उसकी टाँगों के बीच में आकर अपने फनफनाते लंड का सुपारा नेहा की सुलगती चूत के छेद पर रख दिया और धीरे से धक्का लगाया। मेरा आधा लंड नेहा की चूत में चला गया और नेहा चिल्ला पड़ी। मैंने अपना मुँह उसके होंठों पर रख दिया।
अब मैंने लंड को दोबारा बाहर निकाल कर जोर का धक्का मारा। सारा लंड नेहा की चूत में समा गया।
नेहा बोली- बाहर निकालो अशोक, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फट जाएगी।
मैंने कहा- चलो, मैं धीरे-धीरे करता हूँ !
और मैं धीरे-धीरे लंड को आगे-पीछे करने लगा। अब नेहा को भी मजा आने लगा और वो कूल्हे उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी।
करीब 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद नेहा बोली- अशोक, मैं झड़ने वाली हूँ।
मैंने कहा- मैं भी झड़ने वाला हूँ, बोलो कहाँ निकालूँ?
नेहा बोली- अन्दर ही निकाल दो।
और हम दोनों एक साथ झड़ गए। उस रात हमने चार बार चुदाई की। उसके बाद हमें जब भी मौका मिलता, हम चुदाई करते।
ऐसे ही मैंने कई लड़कियों और औरतों को चोदा। एक ने तो मेरी मेल आई डी पर चुदाई की रिक्वेस्ट की और मैंने उसे चोदा। अगर टाईम मिला जरूर बताऊँगा। मगर इसमें मुझे आपके प्यार जरुरत पड़ेगी। मेरी पहली चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी। मेरी मेल आई-डी पर जरूर बताइए।
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