देवर जी को ही पतिदेव मान लिया-1
(Devarji Ko Hi Patidev Maan Liya- Part 1)
अन्तर्वासना के सभी पाठक और पाठिकाओं को मैं सुनीता चूत खोलकर नमस्ते करती हूँ। सभी लंडधारक तैयार हो जाओ अपना लण्ड हिलाने के लिए. मैं भले ही यहाँ नई हूँ लेकिन आप सभी के लंड से पानी निकाल दूंगी.
मैं अपनी प्यारी भाभियों, आंटियों और मेरी सहेलियों की चूत चूस चाट कर उन सभी का भी स्वागत करती हूँ। वो भी तैयार हो जायें अपनी चूत में डिल्डो या उंगली डालने के लिए.
मैं यहाँ आप लोगों को अपनी जीवन की सच्चाई बताने जा रही हूँ। यह कोई मनघड़न्त कहानी नहीं है। ये मेरे जीवन की सच्ची कहानी है जो मेरे और मेरे देवर की है। यह मेरी पहली कहानी है. अगर आप लोगों का प्यार मिलेगा तो आगे और सच्चाई बताऊंगी अपने जीवन की। मैं आपको आगे कहानी में बताऊंगी कि मैं गांव की लड़की इतनी होशियार कैसे बनी और अन्तर्वासना के बारे में मुझे कैसे पता चला. इसके अलावा और भी बहुत कुछ पता लगा कि दुनिया में क्या-क्या होता है। अब मैं कहानी पर आती हूँ।
मेरा नाम सुनीता है और मैं उत्तर प्रदेश के एक गांव से हूँ। ज्यादा पढ़ी-लिखी भी नहीं हूँ। मेरी लंबाई 5 फ़ीट 3 इंच है और शरीर पूरा भरा हुआ है। मेरे चूचे भी अच्छे खासी मोटाई वाले हैं क्योंकि मैंने जवानी में कदम रखते ही उनको दबवाना शुरू कर दिया था.
मैं शादीशुदा हूँ. इस टाइम मेरी उम्र 30 साल है. जब मेरी शादी हुई थी तब मेरी उम्र 22 साल थी। मेरी शादी को 8 साल हो गए हैं लेकिन अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ है। इलाज भी काफी करवाया … दवाइयां भी चल रही हैं अब मेरी।
यह बात सन् 2011 से शुरू हुई थी. मई का महीना था जिसमें मेरी शादी हुई थी। शादी से पहले जब मैं अपने पति से फ़ोन पर बात करती थी तो अक्सर वो मुझे अपने फुफेरे भाई राहुल के बारे में बताते थे। राहुल शहर में अपने परिवार के साथ रहते हैं। राहुल बहुत ही स्मार्ट है, लंबाई थोड़ी कम थी, 5 फ़ीट 2 इंच के करीब होगी।
राहुल पैसे वाले थे और यही कारण था कि मेरे पति राहुल को बहुत प्यार करते थे क्योंकि राहुल इन्हें हमेशा कुछ पैसे देते रहते थे क्योंकि ये तो कुछ कमाते नहीं है. अब भी कुछ नहीं कमाते हैं.
शादी के बाद भी उनके पास अपनी कमाई का कोई साधन नहीं है. राहुल अपने माँ-बाप के इकलौते हैं. राहुल के पिताजी किसी सरकारी दफ्तर में बड़े अधिकारी हैं। मैं तभी से राहुल के सपने देखने लगी थी.
मैंने सोच लिया था कि मैं राहुल को वहाँ जाकर पटा लूंगी. मैं राहुल को मन ही मन पसंद करने लगी थी। मैंने अपने पति को तो कभी पसंद किया ही नहीं.
आज मैं अन्तर्वासना पर आपको अपनी कहानी बता रही हूँ ये भी राहुल की ही देन है. उसी ने मुझे यह सब बताया। मैंने राहुल को पहली बार अपनी ही शादी में देखा था, जब जयमाला हो रही थी तब. जैसे ही वो फ़ोटो खिंचवाने आये वो मुझे पहली ही नज़र में पसंद आ गये थे। वो सबके लाडले थे. वो फ़ोटो खिंचवाने के लिए मेरे और पति के बीच में बैठे और मेरे गले में उन्होंने अपना हाथ डाला. पूरी शादी में वही सबसे सुंदर लड़का था. बाकी तो सब वही गांव वाले थे. मैं मन ही मन बहुत खुश हुई।
शादी होने के बाद विदाई के समय जब मैं और पति गाड़ी में बैठे तो पति ने राहुल को भी उसी गाड़ी में बुला लिया. अब राहुल मेरे बाईं तरफ थे और पति दाईं तरफ थे.
गाड़ी में राहुल ने बहुत हँसी मजाक किया. रास्ते में उन्होंने मुझे गन्ने का जूस पिलाया और शाम को करीब 4 बजे के लगभग हम लोग घर मतलब मेरी ससुराल पहुंच गए।
वहां मेरा स्वागत हुआ, नाच गाना हुआ, गर्मियों के दिन थे. कंगन उसी दिन खुल गया था। रात हो गयी थी. सभी लोग अपने-अपने कामों में व्यस्त थे. मैं कमरे में बैठी हुई थी. वहाँ और लडकियां भी बैठी थीं. मेरे पास वहीं राहुल भी आ गया और सब लोग हँसी मजाक करने लगे. फिर लड़कियां वहां से चली गयीं।
राहुल मुझसे बातें करने लगा, राहुल ने पूछा- भाभी आपको कुछ चाहिए तो नहीं? कोल्ड ड्रिंक वगैरह?
मैंने मना कर दिया।
फिर थोड़ी देर बाद हम लोग ऊपर छत पर चले गए. छत काफी बड़ी थी. सभी लोग अलग-अलग झुंड में बात कर रहे थे. रिश्तेदार भी बहुत थे. सब लोग अलग-अलग अपनी ही पंचायत कर रहे थे। एक कमरे की छत पर मैं बैठी थी और मेरे पास राहुल था और 2 लड़कियां बैठी थीं. मैं चुपचाप बैठी थी।
राहुल और वो दोनों लडकियां आपस में मजाक कर रहे थे।
थोड़ी देर बाद राहुल अपनी बहन से बोला- भाभी और मेरे लिए खाना ले आओ. मैं भाभी के साथ ही खाना खाऊंगा.
फिर मैंने और राहुल ने एक ही थाली में खाना खाया.
खाना खाने के बाद मैं फ्रेश होने लिए अपनी दोनों ननद के साथ खेत में गयी. जब मैं वहां से फ्री होकर आयी तो राहुल वहीं बिस्तर पर लेटा था और वहां पर उसके अलावा और भी बहुत लोग सो रहे थे. सब अलग-अलग छतों पर थे। मैं भी राहुल के बगल में आकर लेट गयी और राहुल से बातें करने लगी। बात करते करते मैं सो गई और राहुल भी सो गए थे.
रात के करीब 12 बजे मेरे पति मेरे पास आये और मुझे वहाँ से जगा कर नीचे कमरे में ले आये। कमरे में आते ही मेरे पति ने नीचे ज़मीन पर एक चादर बिछाई और लेट गए और मुझे बोले- आ जा।
मैं उनकी बगल में लेट गयी.
उसने मेरी साड़ी उतारनी शुरू कर दी. मुझसे एक पल प्यार से बात भी नहीं की. साड़ी उतारने के बाद उसने मेरा पेटीकोट ऊपर किया और मेरी चड्डी उतारी और मेरी चूत में अपना लण्ड घुसेड़ने लगा. मैंने अपनी जांघें टाइट कर लीं ताकि उसे लगे कि मेरी चूत टाइट है. मेरा पति मेरी नज़रों में बिल्कुल चूतिया था और आज भी वैसा ही है।
उस दिन भी मैंने उसको बड़ी ही आसानी से चकमा दे दिया. मैंने जांघों को कस कर भींच लिया ताकि मेरी चूत में लंड आसानी न जा पाए और मेरे चूतिया पति को लगे कि मैं कुंवारी ही हूँ अब तक. जबकि मैं शादी से पहले भी चुद चुकी हूँ. वो कहानी बाद में बताऊंगी।
हां, तो जब वो मेरी चूत में लंड डालने की कोशिश कर रहा था तो मैंने अपनी जांघें टाइट कर ली थी. जब उसका लण्ड नहीं गया मेरी चूत में तो वो चूतिया आदमी उठकर गया और सरसों के तेल की शीशी उठा लाया और उसने वह तेल अपने लण्ड पर लगाया और मेरी चूत पर भी लगाया।
फिर उसने अपना लण्ड पकड़ कर मेरी चूत के मुँह पर लगाया और अपनी लुल्ली को मेरी चूत में आगे-पीछे करने लगा. कसम से मैं सच बता रही हूँ कि उस टाइम मेरा खून कितना खौला था. मन कर रहा था कि अभी इसको लात मार कर यहाँ से भगा दूं। मैं मन ही मन अपनी किस्मत को रो रही थी। उसने अपनी वो लुल्ली पूरी भी नहीं घुसाई मेरी चूत में और 10-12 धक्के मारने के बाद उसने अपना वीर्य मेरी चूत में छोड़ दिया और करवट लेकर सो गया। मैं पूरी रात अपनी किस्मत को कोसती रही।
मैं सुबह उठी और फ्रेश होकर आयी. नहाई-धोई, खाना बनाया, सबको खिलाया. रिश्तेदार भी सब चले गए थे।
मेरा पति और राहुल चारपायी को कस रहे थे. उन लोगों ने बेड भी तैयार कर लिया. गद्दा भी डाल लिया. उस वक्त दोपहर का टाइम था और सब लोग अपने-अपने कमरों में सो रहे थे।
पति और राहुल भी बेड पर लेट गए और मैं नीचे ही सो गई. राहुल ज्यादातर मेरे पति के पास ही रहते थे। जैसे ही राहुल सो गए वैसे ही पति ने नीचे आकर मुझे दबा लिया और मेरी साड़ी व पेटीकोट ऊपर करके मेरी चड्डी उतार दी और अपना लण्ड मेरी चूत पर लगा दिया और 2 मिनट में ही मेरे ऊपर ढेर हो गए.
फिर वो मेरे ऊपर से उठकर राहुल की बगल में सो गए।
शाम को 5 बजे मेरी आँख खुली तो देखा पति तैयार हो रहे थे और राहुल अब भी सो रहे थे.
मैंने उनसे पूछा- कहां जा रहे हो?
तो वो बोले कि एक रिश्तेदारी में जा रहे हैं. कल ही वापस आएंगे.
जब वो चले गए तो मैंने राहुल को उठाया।
राहुल ने पूछा- भाई कहां है?
तो मैंने उन्हें बता दिया कि वो कल आएंगे.
फिर राहुल बाहर चले गए. मैंने भी उठकर हाथ पैर धोये और शृंगार किया.
मेरी ननद और सास खाना बना रही थीं. मैं अपने कमरे में ही थी.
7 बजे के करीब राहुल मेरे पास आये और मुझसे बोलने लगे- भाभी कोल्ड ड्रिंक पिओगी क्या?
यह बात उनकी बहन ने सुन ली और वो बोली- अपनी भाभी को ही पिलायेगा? अपनी बहन को नहीं पिलायेगा?
वो बोले- ठीक है, मैं लेने जा रहा हूँ सभी के लिए.
इतना कहकर वो चले गए. थोड़ी देर में वो वापस आ गए और पहले वो अपनी बहनों के पास चले. मुझे ये देखकर बहुत गुस्सा आया. अपनी बहनों को देने के बाद आधी बोतल और 2 प्लास्टिक के गिलास लेकर वो मेरे पास आये और एक गिलास में कोल्ड ड्रिंक भरकर उन्होंने मुझे दिया.
मैंने गुस्से में उनके हाथ में झटका मारा और वो गिलास गिर गया. राहुल गुस्से में वो बोतल उठाकर फेंकने लगे. मैंने जल्दी से उठकर उन्हें पकड़ा और उन्हें बेड पर गिरा लिया. वो नीचे और मैं उनके ऊपर गिर पड़ी. तभी मैंने राहुल को किस कर लिया. एक मिनट तक मैं उनके ऊपर लेटी रही. राहुल ने भी अपने हाथों से मेरे चूतड़ों को पकड़ लिया था। फिर मैं उनके ऊपर से उठी और एक गिलास में कोल्ड ड्रिंक डाली और राहुल को देने लगी.
वो गुस्सा थे मुझसे इसलिए मैं उन्हें मनाने की कोशिश करने लगी।
मैंने अपने हाथों से वो गिलास उनके मुँह पर लगाया तो उन्होंने वो पी ली. थोड़ी सी पीने के बाद फिर राहुल ने वो गिलास एक तरफ रख दिया. फिर उसने वह गिलास दोबारा अपने हाथ में उठाया और मेरे मुँह पर लगाया तो मैंने भी उनकी झूठी कोल्ड ड्रिंक पी ली।
तुरंत ही राहुल ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये और मेरे होंठों को चूसने लगे. कभी मेरे ऊपर के होंठ को चूसते तो कभी नीचे वाले होंठ को चूसते. सच में मेरी चूत वहीं गीली होने लगी. मैं राहुल के स्मार्ट से चेहरे को बहुत ही ज्यादा पसंद करती थी.
मेरे पति तो उस हैंडसम के सामने बिल्कुल ही चूतिया लगते थे. देखने में भी अच्छे नहीं थे और रोमांस नाम की चीज़ का तो उनको पता भी नहीं था. जब उन्होंने जबरदस्ती मेरी चूत को चोदा था तो मैंने सोच लिया था कि इस चूतिया के साथ शादी करके मेरे घरवालों ने मेरी जिंदगी ही बर्बाद कर दी.
मगर दूसरी तरफ राहुल के बदन को छूकर मुझे सच में बहुत ही आनंद मिला. वह देखने में किसी फिल्मी हीरो के माफिक दिखता था. जब वह मेरी गांड को पीछे से दबा रहा था तो मेरे दिल में आ रहा था कि अभी इसके लंड को पकड़ लूं. लेकिन अभी मैं उसके बदन के और ज्यादा मजे लेना चाहती थी. जब वह मेरे होंठों को चूसने लगा तो मन कर रहा था कि बस यहीं चुदवा लूं अपनी निगोड़ी चूत को।
इसके बाद अगले भाग में बताऊंगी कि कैसे मैंने राहुल से अपनी चूत का उद्घाटन करवाया। आप सभी लोग अपने विचार मुझे यहाँ बताएं।
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कहानी का अगला भाग: देवर जी को ही पतिदेव मान लिया-2
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