अहमदाबाद में मिली प्यारी गुजराती भाभी- 4

(Cow Girl Position Sex Story)

आर्णव 1 2025-04-15 Comments

काऊ गर्ल पोजीशन सेक्स स्टोरी में एक भाभी अपने पति की चुदाई से खुश नहीं थी. उसने एक लड़के को दोस्त बनाया और उसके साथ वो सब करके देखा जिसकी इच्छा उसे होती थी.

कहानी के तीसरे भाग
भाभी की कसी चूत में लंड घुसेड़ा
में आपने पढ़ा कि भाभी ने मुझे दिन में सेक्स नहीं करने दिया, रात को अपने कमरे में बुलाने का वादा किया.

>करीब 11 बजे मैसेज आया, “अंदर आ जाओ।”
मैं तो तैयार ही था; उनके रूम की तरफ भागा।< अब आगे काऊ गर्ल पोजीशन सेक्स स्टोरी: दरवाज़े को हाथ लगाया तो वो खुल गया। कमरे की लाइट बंद थी पर बहुत ही खुशबूदार परफ्यूम की महक आ रही थी। मैंने स्विच ढूँढकर लाइट जला दी। भाभी वहीं खड़ी थीं। क्या लग रही थीं! उनकी तारीफ़ कैसे करूँ, लफ्ज़ ही नहीं मिल रहे। फिर भी कोशिश करता हूँ। आज मैंने उन्हें पहली बार साड़ी में देखा था। काली साड़ी, काला ब्लाउज़। मैं तो देखता ही रह गया। वैसे भी काले कपड़ों में लड़कियाँ मेरी कमज़ोरी हैं। और ये तो … एक तो भाभी मुझे पहले से ही पसंद थीं, ऊपर से साड़ी। मैं तो सुन्न पड़ गया। शायद दो-तीन मिनट ऐसे ही खड़ा रहा। अचानक भाभी की आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा। भाभी बोलीं, “क्या हुआ? ऐसे ही देखते रहोगे या कुछ करोगे? ऊपर से दरवाज़ा भी बंद नहीं किया।” मैंने झट से दरवाज़ा बंद किया, फिर बोला, “आज आपको ऐसे देखा है कि बिना कुछ किए मर जाऊँ, तो भी कोई गम नहीं।” भाभी, "ऐसा मत बोलो। तुम्हें कुछ हो गया, तो मेरा क्या होगा? मैंने आज से खुद को तुम्हें सौंप दिया है।” मैं उनके पास गया, बोला, “अरे मेरी जान, ऐसी खूबसूरती के लिए कोई भी मरने-मारने को तैयार हो जाए।” भाभी शर्मा गईं। मैंने उन्हें बाँहों में लिया। उन्होंने आज हल्का-सा मेकअप किया था। उन्होंने बालों का जूड़ा बाँधा हुआ था पर मुझे खुले बाल पसंद हैं। फिर मैंने सोचा कि भाभी को सेक्स करने में ज़्यादा आरामदायक होगा। मैं जैसे ही उन्हें चूमने जा रहा था कि उन्होंने टेबल की ओर इशारा किया और बोलीं, “पहले दूध पी लो।” मैंने सोचा कि क्या दिमाग है भाभी का, आज भी दूध नहीं भूलीं. पर मुझे तो सब्र ही नहीं था, मैंने एक ही साँस में सारा दूध गटक लिया। फिर से भाभी को बाहों में ले लिया। इस बार उन्होंने ही चूमना शुरू कर दिया। चूमने में भाभी का कोई मुकाबला नहीं कर सकता। मैं तो बस उन्हें साथ देने की कोशिश कर रहा था। मेरे हाथ उनके बदन पर घूमने लगे। थोड़ी देर बाद, मैं उन्हें चूमते हुए उन्हें लेकर बेड पर गिर पड़ा। वो नीचे थीं और मैं उनके ऊपर। हम दोनों लगातार एक-दूसरे को चूमे जा रहे थे। थोड़ी देर बाद मैंने उनके चेहरे पर हर जगह चूमना शुरू कर दिया ... गालों पर, आँखों पर, नाक पर, गले पर। कभी-कभी उनके कान की लौ को होंठों में दबाकर खींच लेता। जब मैं भाभी के कान की लौ को जीभ लगाता, तो भाभी में एक अलग ही रोमांच भर जाता। कभी चूमता, कभी चाटता, मैं ऐसे ही काफी देर तक लगा रहा। भाभी का चेहरा कई जगह मेरी जीभ लगने की वजह से गीला हो गया था। फिर मैं धीरे-धीरे नीचे आने लगा। मैंने साड़ी का पल्लू हटाया और गले पर चूमते हुए ब्लाउज़ के ऊपर से ही उनके उरोजों पर हाथ चलाना शुरू कर दिया। अचानक भाभी ने पलटी मारी और वो मेरे ऊपर आ गईं। मैं समझ गया कि वो लगाम अपने हाथ में लेना चाहती हैं। उन्होंने मेरे चेहरे पर हर जगह चूमना शुरू कर दिया, जैसा मैं कर रहा था। वो भी मेरे गालों को चाटने लगीं। फिर गले पर चूमते हुए मेरी शर्ट खोलना शुरू किया। फिर धीरे-धीरे नीचे जाने लगीं, मेरे सीने के बालों में हाथ घुमाते हुए चूमने लगीं। उन्होंने मेरे एक निपल पर चूमा, फिर उसे चूसा, फिर उस पर जीभ फेर दी। मुझे अजीब-सी गुदगुदी हो रही थी, सहन नहीं हो रहा था, फिर भी मैं सहन कर गया, क्योंकि पहली बार मैं सारे अनुभव करना चाहता था, चाहे अच्छा हो या बुरा। भाभी एक हाथ से मेरे दूसरे निपल पर उंगलियाँ घुमा रही थीं। मुझे अजीब-सी उत्तेजना हो रही थी। धीरे-धीरे वो मेरे पेट पर चूमने लगीं। अचानक उन्होंने चूमना बंद कर दिया। मैंने देखा कि वो साइड की टेबल पर एक बंद बर्तन उठा रही थीं। उन्होंने उसे खोला, तो अंदर आइसक्रीम थी। काफी समय से बाहर पड़ी होने की वजह से वो पिघलना शुरू हो गई थी। आपको एक बात बता दूँ, भाभी आइसक्रीम दूध से घर पर खुद बनाती हैं। उन्होंने आइसक्रीम में एक उंगली डाली और ढेर सारी आइसक्रीम लेकर मेरे होंठों पर और गालों पर लगाना शुरू कर दिया। आइसक्रीम अभी भी ठंडी थी। धीरे-धीरे उन्होंने मेरे सीने पर लगाई, फिर ढेर सारी आइसक्रीम मेरे निपल पर लगा दी। ठंडी आइसक्रीम लगते ही मेरे निपल पर मेरे पूरे शरीर में सनसनी दौड़ गई। अब उन्होंने बर्तन साइड में रखकर चूमना और चाटना शुरू कर दिया। मैं उन्हें देखे जा रहा था। उन्होंने मेरी ओर देखा और शरमा गईं, तो उन्होंने मेरी आँखों पर अपना हाथ रख दिया। वो कभी आइसक्रीम खुद खातीं, कभी अपने मुँह में भरकर मुझे खिलातीं। मुझे अब मज़ा आने लगा था, मेरी चड्डी में लंड तन गया था। वो धीरे-धीरे नीचे, मेरे सीने तक जाती हुई आइसक्रीम चाटने लगीं। मुझे अजीब मज़ा आ रहा था। मेरे हाथ भाभी के उरोजों पर चले गए। धीरे-धीरे मैंने उनका ब्लाउज़ खोलना शुरू किया। उधर भाभी का मेरे निपल को चाटना मुझे अजीब-सी गुदगुदी दे रहा था। मैंने भाभी का ब्लाउज़ और ब्रा उतार दी और उनके उरोजों को हाथों में लेकर मसलने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने आइसक्रीम की कटोरी उठाई और भाभी के निपल और सारे उरोजों पर लगाना शुरू कर दिया। फिर उनके उरोजों पर जीभ चलानी शुरू कर दी। भाभी भी उत्तेजित होकर कभी मेरा सिर अपने सीने में दबा देतीं, कभी अपने हाथों से खुद के उरोज दबा देतीं, तो कभी खुद ही निपल मसल देतीं। ये सब देखकर मैंने एक उरोज मुँह में लिया और दूसरे को हाथ से मसलने लगा। मैं पूरा उरोज मुँह में लेने की कोशिश करता, पर भाभी के उरोज काफी बड़े थे। थोड़ी देर बाद वो हटीं और थोड़ा नीचे जाकर मेरी शॉर्ट्स खींचने लगीं। मैंने पैर उठाकर निकालने में उनकी मदद की। आज पूरा दिन घर पर था, तो मैंने अंडरवियर नहीं पहना था। मेरा लंड पूरी तरह तन गया था। भाभी ने उसे हाथ में लिया और ऊपर-नीचे हिलाना शुरू कर दिया। वो चमड़ी को लंड से हटाकर पीछे खींचतीं, फिर वापस ऊपर ले आतीं और उसे ध्यान से देखतीं। थोड़ी देर ऐसा करने के बाद उन्होंने अपने दूसरे हाथ की उंगली लंड के आगे के भाग पर चलाना शुरू कर दिया, और पहले वाले हाथ से लंड को ऊपर-नीचे करना जारी रखा। अब मेरा नियंत्रण खो रहा था। थोड़ी देर ऐसा करने के बाद भाभी ने हाथ नीचे अंडकोष पर ले जाकर उन्हें सहलाना शुरू कर दिया, जबकि दूसरा हाथ ऊपरी भाग पर चल रहा था। कभी वो ऊपर की चीर पर उंगली घुमातीं, कभी नाखून से हल्का-सा कुरेदतीं। और थोड़ी देर में नीचे अंडकोष को दबा देतीं। अब मेरा लावा फूटने वाला था तो मैंने भाभी को बता दिया। उन्होंने नैपकिन उठाया और लंड को उससे दबाया, फिर जोर-जोर से मुठ मारने लगीं। अगले दो मिनट में मेरा लावा फूट गया और भाभी ने उसे नैपकिन में भर लिया। फिर लंड को अच्छे से साफ कर दिया। भाभी बोलीं, “मैंने जानबूझकर ये निकाला, जिससे अब तुम ज़्यादा समय तक टिक सको।” मैं तो उन्हें देखता ही रह गया। फिर उन्होंने नैपकिन साइड में रखा और वैसलीन उठाई। ढेर सारी वैसलीन हाथों में लेकर मेरे लंड और अंडकोष पर लगाई और लंड सहलाने लगीं। कभी अंडकोष को भी सहला देतीं। अब भाभी ने लंड सहलाने के साथ-साथ चूमना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद मेरा लंड बिल्कुल तन गया था। अब भाभी खड़ी हुईं। उन्होंने खुद ही अपने बचे हुए कपड़े उतार दिए। उनकी चूत एकदम साफ थी, उन्होंने बाल साफ कर दिए थे। अब चूत बहुत ही सुंदर लग रही थी। मन तो कर रहा था कि उसे चूम लूँ, पर भाभी ने शर्त रखी हुई थी। भाभी ने फिर से ढेर सारी वैसलीन हाथ में ली और मेरे साइड में इस तरह बैठ गईं कि उनकी चूत मेरे सामने रहे। पैर फैलाकर उन्होंने वैसलीन मेरे लंड पर लगाना शुरू कर दिया और वैसलीन की डिब्बी मेरी ओर बढ़ा दी। मुझे समझ नहीं आया तो मैंने उनकी ओर देखा। उन्होंने चूत पर वैसलीन लगाने का इशारा किया। मैंने ढेर सारी वैसलीन ली और उनकी चूत पर लगाना शुरू कर दिया। मैं चूत के दाने को छूता, तो भाभी थोड़ा हिल जातीं। मैं कभी चूत के दाने को मसलता, तो कभी चूत के होंठों को खींचता, तो कभी दोनों होंठों को अलग करके अंदर उंगली डाल देता। वो भी मेरे लंड से लगातार खेल रही थीं, कभी अंडकोष सहला देतीं। ऐसे ही करीब पाँच से सात मिनट तक हम एक-दूसरे से खेलते रहे। फिर भाभी खड़ी हुईं। मेरी कमर के दोनों ओर पैर फैलाकर बैठ गईं और लंड को हाथ में पकड़कर चूत पर रगड़ने लगीं। थोड़ी देर तक तो अच्छा लगा, फिर मुझसे रहा नहीं गया, तो मैंने नीचे से धक्का देने की कोशिश की। भाभी को समझ आ गया कि मुझसे अब रहा नहीं जा रहा। वो थोड़ा ऊपर हुईं और मुझे इशारे से धक्का न देने को कहा। मैं शांत हो गया। अब भाभी ने मेरा लंड पकड़कर चूत के छेद पर सेट किया, फिर धीरे-धीरे बैठने लगीं। काऊ गर्ल पोजीशन लेकर उन्होंने अपनी आँखें बंद कर दी थीं। उनके चेहरे पर दर्द झलक रहा था। उन्होंने आधे से ज़्यादा लंड अंदर ले लिया था। अब वो रुक गईं और उतने ही लंड को अंदर-बाहर करने लगीं। थोड़ी देर ऐसा करने के बाद उन्होंने एक गहरी साँस ली और जोर से लंड पर बैठ गईं। लंड पूरा अंदर चला गया। भाभी के मुँह से हल्की-सी “आह” निकली और वो वैसे ही रुक गईं। अब मुझे समझ आया कि वैसलीन लगाने के बाद भी भाभी का ऐसा हाल है, तो सुबह उन्हें कितना दर्द हुआ होगा? मैंने उन्हें चूम लिया। वो भी मुझे चूमने लगीं। दो मिनट बाद वो धीरे-धीरे अपनी गांड हिलाने लगीं। थोड़ी देर बाद उन्होंने रफ्तार बढ़ा दी। अब मैं भी नीचे से धक्के देने लगा। वो लगातार मुझे चूमे जा रही थीं। उनकी साँसें तेज हो गई थीं। वो कभी मुँह हटाकर “आह-आह” करके कराह उठतीं, तो कभी खुद ही चूमने लग जातीं। करीब दस मिनट से हम दोनों लगातार धक्के दिए जा रहे थे। अचानक भाभी ने चूमना बंद कर दिया और धक्के लगाना भी बंद कर दिया। मुझे भी हाथ से रुकने का इशारा किया। मैं रुक गया। उनकी चूत से पानी की धार छूटने लगी। उन्होंने मुझे जोर से गले लगा लिया और मुँह से अजीब-सी आवाज करने लगीं, जैसे कि रो रही हों। मैंने भी उन्हें बाहों में कसकर पकड़ लिया। उनकी चूत से लगातार पानी निकल रहा था, जैसे वो मूत रही हों। उसका गर्म एहसास मुझे लंड और अंडकोष पर हो रहा था। करीब दस सेकंड से ज़्यादा हो गया था पर पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। फिर जब पानी निकलना रुक गया, तब भाभी थोड़ी शांत हुईं। उन्होंने अपनी पकड़ ढीली कर दी। वो बुरी तरह हाँफ रही थीं। मैंने उन्हें सहलाना शुरू कर दिया। काफी देर तक हम ऐसे ही पड़े रहे। फिर भाभी थोड़ा हिलीं। मैंने उनकी ओर देखा, वो बहुत खुश थीं। उन्होंने मेरे गाल पर एक चूमा दिया, फिर बोलीं, “आर्नव, तुम्हें पता है, आज पहली बार मुझे इतनी खुशी मिली है। मेरी कब से इच्छा थी कि ऐसे ऊपर आकर सेक्स करूँ। तुम्हारे भैया तो मुझे कभी ऊपर आने ही नहीं देते थे। आज मैंने पहली बार अपनी मर्जी से सेक्स किया है, और ये सब तुम्हारी वजह से हो पाया है। आज से मैं तुम्हारी हूँ।” यह काऊ गर्ल पोजीशन सेक्स स्टोरी अगले भाग में समाप्त होगी. aarnav1197@gmail.com काऊ गर्ल पोजीशन सेक्स स्टोरी का अगला भाग: अहमदाबाद में मिली प्यारी गुजराती भाभी- 5

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