भाभी की चूत चुदाई उन्हीं के घर में- 1

(Chut Ka Pani Chatne Ka Maja)

चूत का पानी चाटने का मजा मैंने लिया अपनी एक पुरानी सेक्स पार्टनर भाभी के साथ. एक दिन उसने मुझे अपने कमरे में बुला लिया. मैंने उसकी पैंटी उतार कर नंगी चूत चटनी शुरू की.

मेरे प्यारे दोस्तो और प्यारी सोनी गर्मागर्म चुदक्कड़ भाभियो,
यूँ तो मेरी और सोनाली भाभी की कहानी बहुत पुरानी है पर मेरे कुछ पाठक या यूं कहूं कि सोनाली भाभी के कुछ चाहने वाले ऐसे हैं जो आज भी मुझे उनके बारे में लिखने के लिए प्रेरित करते हैं … बार बार फरमाइश करते हैं.
यहाँ यह बताना बहुत जरूरी है कि सोनाली भाभी के बारे में पढ़ने को बेताब पाठकों में ज्यादातर भाभियाँ हैं.
और मैं अपनी किसी भी मदमस्त चुदक्कड़ भाभी को बहुत समय तक इंतजार नहीं कराता.

तो आज मैं अपने सभी पाठकों की यह मनोकामना भी पूरी कर रहा हूँ.

मेरे और सोनाली भाभी के तो बहुत से किस्से हैं पर आज मैं एक खास किस्से का खुलासा कर रहा हूँ.
आशा है कि सभी दोस्तों ने अपने अपने लण्ड को तैयार होने का इशारा कर दिया होगा और सभी भाभियाँ भी अपनी मुनिया को एक दो बार तो मुट्ठी में लेकर मसोड़ ही चुकी होंगी क्यूंकि आज आपका इतना सारा पानी निकलने वाला है कि आपने सपने में भी सोचा नहीं होगा.

जो पाठक नए हैं, वह मेरे और सोनाली भाभी के क्रिया-कलापों के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करके मेरे और सोनाली भाभी के बारे में पढ़ सकते हैं:

मेरे और सोनाली भाभी के हम बिस्तर होने के बाद, हम दोनों के बीच आए दिन फ़ोन सेक्स होने लगा।
जब कभी मौका मिलता कि सोनाली अपने घर पर अकेली होती, या मैं मौका देखकर उसको अकेले में पकड़ पाता, तो सोनाली की चुदाई निश्चित होती।

वह बात अलग है कि सोनाली हमेशा चुदाई से खुश नहीं होती क्यूंकि कभी कभी उसको ये डर जरूर रहता कि कहीं कोई हमें देख ना ले … पकड़ ना ले.

पर मेरे लण्ड को समझ आती तो सिर्फ और सिर्फ सोनाली की गरमा-गर्म चूत।

अक्सर तो सोनाली मुझे फ़ोन करके अपने घर बुला लेती कि वह अकेली है और हम दोनों बेपनाह मोहब्बत करते.
कई बार मैं अपने घर से इस हिसाब से निकलता कि उसके नहाने का समय हो और उससे फ़ोन करके पूछ लेता कि वह अपने कमरे में है या नहाने के लिए अपने कमरे में आई है तो उसके घर पहुँच जाता और मौका देखकर उसकी ताबड़तोड़ चुदाई करता।

एक बार ऐसा भी मौका पड़ा कि सोनाली और मैं अपने-अपने परिवार के साथ किसी शादी में थे जो एक होटल में हो रही थी.
हम दोनों ने मौका देखकर उसी होटल में एक कमरा बुक करके एक्सप्रेस चुदाई की जिसमें मैंने सोनाली की साड़ी को ऊपर उठाकर पीछे से उसकी चूत में अपना लण्ड पेला और साथ ही उसकी नंगी गांड पर ज़ोरदार थाप भी बजाई।
सोनाली के मुँह से निकलती कराहटों से मैं इतना समझ गया था कि उसको मेरे थापों से बहुत दर्द हो रहा था.
पर उस चुदाई का भी अपना ही मज़ा था और अगले दिन सोनाली ने मुझे फ़ोन पर यह बात बोली भी कि मेरे जंगलीपन ने उसको एक अलग और सुखद अनुभव दिया था।

अपनी कहानी पर वापस आते हैं जिसमें मैंने चूत का पानी चाटने का पूरा मजा लिया!

एक बार की बात है, सोनाली ने नहाने जाने से पहले मुझे फ़ोन करके बताया कि वह नहाने जा रही है और मेरा इंतजार करेगी।

मुझे पहुंचने में थोड़ा समय लग गया.
और जब मैं पहुंचा तो सोनाली ने अंदर से पूछा- कौन है?

मैंने जवाब दिया तो उसने पलटकर पूछा कि साथ में कोई है तो नहीं?
मैं आपको ऐसे मौकों के बारे में बता दूँ, जब भी हमें ऐसा मौका मिलता तो हमारे पास समय बहुत कम होता था क्योंकि बाकी सभी लोग घर में उपस्थित होते थे.
सिर्फ इसलिए कि सोनाली का कमरा अलग फ्लोर पर था, हम मौके का फायदा उठा लेते थे पर सभी काम बहुत तेजी से करना पड़ता था।

मगर आज ये सोनाली को जाने क्या हुआ था कि वह फालतू सवाल पूछकर उस समय खराब कर रही थी।

सोनाली ने कमरा खोलने में थोड़ा वक्त क्या लगाया कि मुझे उस पर गुस्सा आ गया।

उसके दरवाजा खोलते ही मैंने उसको दीवार की तरफ धकेला और उसे घूरकर देखा।
सोनाली ने तौलिया बांधा हुआ था जिसे देख कर मैं और भन्ना गया.

मैंने गुस्से में सोनाली से पूछा- तुझे पता नहीं मैं तेरी चुदाई करने आने वाला था जो फालतू के सवाल पूछ रही थी? और ये क्या, तौलिया क्यों बांधा है? तू चुदाई के लिए तैयार क्यों नहीं है?
मेरे इस रवैये से सोनाली थोड़ी घबरा सी गई.
और इससे पहले कि वह कुछ कहती, मैंने उसके बदन से एक झटके में तौलिया अलग कर दिया.

यह देख कर मेरे आश्चर्य की सीमा नहीं रही कि आज सोनाली ने तौलिये के नीचे पैंटी भी पहनी थी जबकि आज का न्योता उसी ने मुझे दिया था.
और आम तौर पर जब भी वह मेरा इंतज़ार करती होती थी तो पैंटी नहीं पहना करती थी.

या शायद मैं आज गुस्से में था तो मुझे कुछ भी बुरा लग रहा था.

आज उसने मेरा यह रूप पहली बार देखा था और मैं भी शायद थोड़ा ज्यादा रूखा था.
जैसा किसी प्रेमी को अपनी प्रेमिका के साथ कभी नहीं होना चाहिए.

मैंने एक हाथ से सोनाली के गले को पकड़ा और दूसरे हाथ से सोनाली की बिल्ली पर थप्पड़ बजा दिए.
आज सोनाली के साथ ऐसा होगा, इसका अनुमान उसने सपने में भी नहीं लगाया होगा.

मैंने कोई समय खराब ना करते हुए, सोनाली को गोद में उठाकर बिस्तर पर पटका और उसके ऊपर हावी हो गया.

एक झटके में मैंने सोनाली के बदन से उसकी पैंटी को अलग किया और उसकी दोनों टांगों को चौड़ा करके उसकी बिल्ली पर मुँह रख दिया।

मैं सोनाली के हावभाव से समझ गया था कि वह मेरे व्यवहार से थोड़ा डर गई है और इसलिए उसको सामान्य करना बहुत ज़रूरी था.

आप सभी ने पिछली कहानियों में पढ़ा कि जब भी मैं सोनाली की बिल्ली को चाटता तो वह एक अलग दुनिया में पहुँच जाती.
और उसकी इसी कमजोरी का मुझे भरपूर फायदा उठाना था.

मैंने झट से अपने दोनों हाथों को सोनाली के चूचों पर टिकाया और अपनी जीभ को पूरा सोनाली की बिल्ली में डाल कर उसका मर्दन करने लगा.

आज मैं सोनाली के चूचों को भी कुछ ज्यादा बेदर्दी से मसल रहा था.
कुछ तो मुझे हुआ था जो मेरे अंदर इतना रूखापन था आज सोनाली के प्रति!

थोड़ी ही देर में सोनाली के मुँह से सिसकारियां निकलनी शुरू हो गई और उसने हमेशा की तरह अपनी गांड को उठा उठा कर बिल्ली को चुसवाना जारी रखा.

सोनाली की कामुक आवाज में अपना नाम सुनकर जैसे मेरे लण्ड में हरकत सी होने लगी थी.
वह लम्बा करके मेरा नाम पुकारती- ओह … रआआआ … हुल … राहुल … ओह मेरी जान… तुम जब जब मुझे ऐसे छूते हो तो जैसे मुझ पे नशा सा छा जाता है … ओह … रआआआ… हुल!

मुझे जोश चढ़ाने के लिए इतना काफ़ी था.
मैंने उसकी घुंडियों को मसलते हुए चूचों का मर्दन और जोरों से शुरू कर दिया और साथ ही उसकी बिल्ली को चूसना चाटना काटना भी शुरू कर दिया.

वह अपने काबू से बाहर होती जा रही थी और होश में मैं भी नहीं था.

मुझे उसकी बिल्ली से खेलते हुए कोई 5 मिनट हो चुके थे और सोनाली के बदन की हालत को समझते हुए कहा जा सकता था कि सोनाली किसी भी समय अपना पानी छोड़ने वाली थी।

चूसने को तो मैं सोनाली की चूत को बहुत बार चूस चुका था पर आज उसकी चूत को चूसने में अलग स्वाद आ रहा था।

हर बार जब मैं सोनाली के लेबिया (चूत से दोनों तरफ को निकलती कोमल खाल) को मुँह में लेता तो सोनाली सिहर सी जाती।
उसके मुँह से आती आवाज़ें भी कुछ पल को थम सी जाती।
जैसे उसको होने वाले आनंद की कोई परिभाषा ही नहीं थी।

मैं जानता था कि आज सोनाली की चूत की बारिश का स्वाद भी बहुत अलग होगा और इसलिए मैंने सोनाली की चूत से खेलने का मन बनाया।

सबसे पहले तो मैंने सोनाली के पैरों को थोड़ा और चौड़ा किया जिससे मुझे उसकी चूत साफ़ नज़र आने लगी।

फिर मैंने सोनाली की चूत पर हल्के हल्के थप्पड़ लगाने शुरू किये जिसकी तीव्रता तो मैं बढ़ाता गया।
मेरी हर थप्पड़ पर जैसे सोनाली की कंपकंपी छुट रही थी और वह हर थप्पड़ पर अपनी आँखें बंद कर लेती।

शायद वह यह अनुमान नहीं लगा पा रही थी कि कब उसकी चूत की पिटाई हो जाए।
जब भी वह अपनी टांगों को बंद करने की कोशिश करती, मैं एक जोरदार थप्पड़ से उसको याद दिलाता कि वह मेरे स्वामित्व में है और जब तक हम कमरे में हैं, वही होगा जो मैं चाहता हूँ।

बीच बीच में कभी तो मैं सोनाली के लेबिया को अपनी उँगलियों से खींच देता तो कभी उसको चूम लेता … चाट लेता।

इस सब के दौरान सोनाली अधीर सी पड़ी मेरे क्रियाकलापों का आनंद लेती रही.
कभी आंखें बंद करके तो कभी काँपते हुए … कभी मुस्कुरा कर तो कभी थोड़ी सिहरन के साथ … पर आनंद सोनाली को भरपूर आ रहा था.
और साथ ही साथ मुझे भी!

मौका देखते हुए मैंने एक साथ अपनी 2 उंगलियों को सोनाली की चूत में पेल दिया जिससे वह सिसकारती हुई झड़ने लगी- ओह राहुल … तुम ये क्या करते हो मेरे साथ कि मैं पागल हो जाती हूँ. मुझे तुम्हारे अलावा ऐसा सुख कभी किसी ने नहीं दिया. इसलिए मैं तुम्हारी बंधक हो गई हूँ … और आजीवन रहूंगी। ओह राहुल … ओह … रआआआ…हुल … रा … हुल … ओह मेरी जान … ओह … राहुल!

और ऐसा कहते हुए सोनाली की बिल्ली से ढेर सारा पानी बहने लगा.
मैं एक भी बूंद को गंवाना नहीं चाहता था, मैंने भी बिना समय व्यर्थ किए अपना मुँह उसकी बिल्ली पर रख दिया और उस नायाब झरने की एक एक बूंद का सेवन करने लगा.

आज सोनाली के कामरस में एक अलग ही स्वाद था. चूत का पानी की खुशबू तो ऐसी मदहोश करने वाली थी कि कोई नौसिखिया अगर होता तो वह बेहोश हो जाता.
वैसा ताजा स्वाद मुझे कभी सोनाली की बिल्ली से नहीं मिला था.

और मैं मौका पड़ने पर उससे पूछने भी वाला था कि आज ऐसा क्या अलग है जो आज से पहले नहीं था.

तभी मैंने पूरा ध्यान उसके कामरस पर लगाया जिसकी खुशबू मेरे नथुनों से होकर मेरे रोम रोम में बस रही थी और मुझे मतवाला करती जा रही थी.

मैंने बहुत कोशिश की कि मैं एक भी बूंद को व्यर्थ न जाने जाने दूँ … पर हमेशा की तरह सोनाली इतना रस छोड़ रही थी कि मेरे लिए सभी कुछ ग्रहण करना असंभव सा हो गया था.
उसका रस उसकी बिल्ली से मेरे मुँह में जाकर मेरी मूंछ दाढ़ी भिगोते हुए बिस्तर को गीला कर रहा था.

सोनाली काँपती हुई झड़ती गई और मैं आनंद लेते हुए उसको पीता रहा.

थोड़ी ही देर में सोनाली के कामरस की खुशबू से पूरा कमरा महक गया.

हम दोनों ने अपनी अपनी सांसों को सम्भाला.

और अब बारी थी मेरे लण्ड के गीले होने की.
सोनाली इसके लिए थोड़ी असहज थी क्योंकि हम बहुत देर से आपस में खेल रहे थे और किसी भी वक्त कोई भी दरवाजा खटखटा सकता था.

पर मुझे भी पानी गिराए बिना कहाँ चैन आने वाला था.

मैंने जल्दी से अपना लण्ड जींस से बाहर निकाल कर सोनाली को चित करके अपना लण्ड एक ही झटके में उसकी बिल्ली में पेल दिया.
कई बार लड़की को मौका देना खतरनाक हो सकता है … खासतौर पर तब जब आप उसी के घर में, डर के माहौल में उसके साथ सहवास कर रहे हों.

ऐसे कई मौके रहे जहाँ सोनाली की ना होती थी और मेरी हाँ … कारण सिर्फ यह कि हम सोनाली के घर होते थे.
और घर में हमारे अलावा और भी बहुत लोग होते थे.
वरना सोनाली में सेक्स की आग मेरे से कहीं ज्यादा थी.

अब मैं प्रहार कर चुका था और इसके आगे सोनाली का ज़ोर खुद पे कभी नहीं चला.
इसके आगे तो सिर्फ धपाधप … धपाधप!

मैं ऊपर से धक्का लगाता रहा और नीचे से सोनाली पूरा साथ देती रही.
सोनाली ने कभी भी साथ देने से इन्कार नहीं किया.

एक बार लण्ड अंदर और सोनाली की सारी आग बाहर!

मैं सोनाली पर पूरी तरह से छाया हुआ था और सोनाली पूरी मेरे नीचे थी।
मेरे हर झटके का जवाब वह अपनी गांड उठा कर देती।

बहुत सारी खूबियों के साथ साथ सोनाली में कुछ कमियां भी थीं.
जैसे एक बार बिल्ली को मुँह लगाने के बाद वह कभी अपने होठों को नहीं चूमने देती थी.
उसने कभी मेरे लण्ड को नहीं चूसा था.
और उसने कभी पीछे नहीं छूने दिया था.

पर आज कुछ बदलने वाला था … आज मैंने सोनाली की एक नहीं चलने देनी थी.

बस इसी सोच के साथ मैंने सोनाली के मुँह हो दोनों हाथों से थामा और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए।

इसके लिए सोनाली बिल्कुल तैयार नहीं थी और उसने खुद को छुड़ाने की नाकाम कोशिश भी की परन्तु सब व्यर्थ था।

प्यारे पाठको, चूत का पानी चाटने में आपको कैसा मजा आया?
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