चुदासी भाभी ने चोदना सिखाया-2
(Chudasi Bhabhi ne Chodna Sikhaya-2)
कहानी का पिछला भाग: चुदासी भाभी ने चोदना सिखाया-1
अपने हाथ से लवड़े को पकड़ लिया और अपनी मुट्ठी में मेरे लंड को बंद कर लिया और बोलीं- बाप रे.. बहुत कड़क है..
वो मेरी तरफ घूमी और अपना हाथ मेरे अंडरवियर में घुसा कर मेरे फड़फड़ाते हुए लंड को इलास्टिक के ऊपर निकाल लिया।
लंड को कस कर पकड़े हुए वो अपना हाथ लंड की जड़ तक ले गईं जिससे सुपारा बाहर आ गया।
सुपारे की साइज़ और आकर देख कर वो बहुत हैरान हो गईं।
‘लाला कहाँ छुपा रखा था इतने दिन..?’ उन्होंने पूछा।
मैंने कहा- यहीं तो था तुम्हारे सामने लेकिन तुमने कभी ध्यान ही नहीं दिया।
भाभी बोलीं- मुझे क्या पता था कि तुम्हारा इतना बड़ा होगा.. छोटे भाई का लौड़ा बड़े भाई के लौड़े से बड़ा भी हो सकता है.. यह मैं सोच भी नहीं सकती थी।
मुझे उनकी बिंदास बोलने पर आश्चर्य हुआ.. जब उन्होंने ‘लौड़ा’ कहा और साथ ही मुझे बड़ा मज़ा आया।
वो मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर खींच रही थीं और कस कर दबा रही थीं।
फिर भाभी ने अपना पेटीकोट अपनी कमर के ऊपर उठा लिया और मेरे तने हुए लंड को अपनी जाँघों के बीच ले कर रगड़ने लगीं।
वो मेरी तरफ करवट ले कर लेट गईं ताकि मेरे लंड को ठीक तरह से पकड़ सकें। उनकी चूचियाँ मेरे मुँह के बिल्कुल पास थीं और मैं उन्हें कस-कस कर दबा रहा था।
अचानक उन्होंने अपनी एक चूची को मेरे मुँह में ठेलते हुए कहा- चूसो.. इनको मुँह में लेकर…
मैंने उनकी बाईं चूची को अपने मुँह में भर लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। थोड़ी देर के लिए मैंने उनकी चूची को मुँह से निकाला और बोला- मैं हमेशा तुम्हारे ब्लाउज में इन कसी हुई चूचियों को देखता था और हैरान होता था… मेरी इनको छूने की बहुत इच्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हें मुँह में लेकर चुसूँ और इनका रस पीऊँ… पर डरता था पता नहीं तुम क्या सोचो और कहीं मुझसे नाराज़ ना हो जाओ… तुम नहीं जानती भाभी कि तुमने मुझे और मेरे लंड को कितना परेशान किया है?
‘अच्छा.. तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो.. जी भर कर दबाओ.. चूसो और मज़े ले लो.. मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ.. जैसा चाहे वैसा ही करो..’ भाभी ने कहा।
फिर क्या था.. भाभी की हरी झंडी मिलते ही मैं उनकी मस्त और रसभरी चूचियों पर टूट पड़ा।
मेरी जीभ उनके कड़े निप्पल को महसूस कर रही थी। मैंने अपनी जीभ भाभी के उठे हुए कड़े निप्पल पर घुमाई.. मैं दोनों अनारों को कस कर पकड़े हुए था और बारी-बारी से उन्हें चूस रहा था।
मैं ऐसे कस कर चूचियों को दबा रहा था.. जैसे कि उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लूँगा।
भाभी भी पूरा साथ दे रही थी.. उनके मुँह से “ओह.. ओह.. आह.. स.. स..’ की आवाज़ निकल रही थी।
मुझसे पूरी तरफ से सटे हुए वो मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रही थी और मरोड़ रही थीं।
उन्होंने अपनी बाईं टांग को मेरी कमर के ऊपर चढ़ा दिया और मेरे लंड को को अपनी जाँघों के बीच रख लिया।
मुझे उनकी जाँघों के बीच एक मुलायम रेशमी अहसास हुआ। यह उनकी चूत थी। भाभी ने पैन्टी नहीं पहन रखी थी और मेरा लंड का सुपारा उनकी झांटों में घूम रहा था।
मेरा सब्र का बाँध टूट रहा था… मैं भाभी से बोला- भाभी मुझे कुछ हो रहा और मैं अपने आपे में नहीं हूँ.. प्लीज़ मुझे बताओ मैं क्या करूँ?
भाभी बोलीं- तुमने कभी किसी लड़की को चोदा है आज तक?
मैंने बोला- नहीं…
‘कितने दुख की बात है… कोई भी लड़की इसे देख कर कैसे मना कर सकती है… शादी तक ऐसे ही रहने का इरादा है क्या?’
मैं क्या बोलता… मेरे मुँह में कोई शब्द नहीं थे। मैं चुपचाप उनके चेहरे को देखते हुए चूचियों को मसलता रहा।
उन्होंने अपना मुँह मेरे मुँह से बिल्कुल सटा लिया और फुसफुसा कर बोलीं- अपनी भाभी को चोदोगे..?
‘क..क..क्यों नहीं..’ मैं बड़ी मुश्किल से कह पाया.. मेरा गला सूख रहा था।
वो बड़े मादक अंदाज़ में मुस्कुरा दीं और मेरे लंड को आज़ाद करते हुए बोलीं- ठीक है.. लगता है अपने अनाड़ी देवर राजा को मुझे ही सब कुछ सिखाना पड़ेगा… पर गुरु-दक्षिणा पूरे मन से देना… चलो अपनी चड्डी उतार कर पूरे नंगे हो जाओ..
मैं पलंग पर से उतर गया और अपना अंडरवियर उतार दिया।
मैं अपने तने हुए हुए लंड को लेकर नंग-धड़ंग अपनी भाभी के सामने खड़ा था।
भाभी अपने रसीले होंठों को अपने दांतों में दबा कर देखती रहीं और अपने पेटीकोट का नाड़ा खींच कर ढीला कर दिया।
‘तुम भी इससे उतार कर नंगी हो जाओ…’ कहते हुए मैंने उनके पेटीकोट को खींच दिया।
भाभी अपने चूतड़ों को ऊपर कर दिया जिससे कि पेटीकोट उनकी टाँगों से उतर कर अलग हो गया।
भाभी अब पूरी तरह नंगी हो कर मेरे सामने चित्त पड़ी हुई थीं।
भाभी ने अपनी टाँगों को फैला दिया और मुझे रेशमी झांटों के जंगल के बीच छुपी हुए उनकी रसीली गुलाबी चूत का नज़ारा देखने को मिला।
नाइट लैंप की हल्की रोशनी में चमकते हुए नंगे जिस्म को को देखकर मैं उत्तेजित हो गया और मेरा लंड मारे खुशी के झूमने लगा।
भाभी ने अब मुझसे अपने ऊपर चढ़ने को कहा।
मैं तुरंत उनके ऊपर लेट गया और उनकी चूचियों को दबाते हुए उनके रसीले होंठों को चूसने लगा।
भाभी ने भी मुझे अपने आलिंगन में कस कर जकड़ लिया और चुम्मा का जवाब देते हुए मेरे मुँह में अपनी जीभ को ठेल दिया।
हाय.. क्या स्वादिस्ट और रसीली जीभ थी… मैं भी उनकी जीभ को ज़ोर-शोर से चूसने लगा।
हमारा चुम्मा पहले प्यार के साथ हल्के में था और फिर पूरे जोश के साथ।
कुछ देर तक तो हम ऐसे ही चिपके रहे.. फिर मैं अपने होंठों को भाभी के नरम और नाज़ुक गालों पर रगड़-रगड़ कर चूमने लगा।
फिर भाभी ने मेरी पीठ पर से हाथ ऊपर ला कर मेरा सर पकड़ लिया और उसे नीचे की तरफ ठेला।
मैं अपने होंठ उनके होंठों से उनकी ठोड़ी पर लाया और कन्धों को चूमता हुआ चूचियों पर पहुँचा।
मैं एक बार फिर उनकी चूचियों को मसलता हुआ और खेलता हुआ काटने और चूसने लगा।
उन्होंने बदन के निचले हिस्से को मेरे बदन के नीचे से निकाल लिया और हमारी टाँगें एक-दूसरे से दूर हो गईं।
अपने दाएँ हाथ से वो मेरा लंड पकड़ कर उसे मुट्ठी में बाँध कर सहलाने लगीं और अपने बाएँ हाथ से मेरा दाहिना हाथ पकड़ कर अपनी टांगों के बीच ले गईं।
जैसे ही मेरा हाथ उनकी चूत पर पहुँचा उन्होंने मेरे हाथ से अपनी चूत के दाने को ऊपर से रगड़वा दिया.. समझदार को इशारा काफ़ी था।
मैं उनके चूचियों को चूसता हुआ उनकी चूत को रगड़ने लगा।
‘लाला अपनी ऊँगली अन्दर डालो ना..!’ कहती हुए भाभी ने मेरी ऊँगली को अपनी चूत के मुँह पर दबा दिया।
मैंने अपनी ऊँगली उनकी चूत की दरार में घुसा दी और वो पूरी तरह अन्दर चली गई।
जैसे-जैसे मैंने उनकी चूत के अन्दर मुआयना किया.. मेरा मज़ा बढ़ता गया।
जैसे ही मेरी ऊँगली उनकी चूत के दाने से टकराई.. उन्होंने ज़ोर से सिसकारी ले कर अपनी जाँघों को कस कर बंद कर लिया और चूतड़ उठा-उठा कर मेरे हाथ को चोदने लगीं।
उनकी चूत से पानी बह रहा था।
थोड़ी देर बाद तक ऐसे ही मज़ा लेने के बाद मैंने अपनी ऊँगली को उनकी चूत से बाहर निकाल लिया और सीधा हो कर उनके ऊपर लेट गया।
भाभी ने अपनी टाँगें फैला दीं और मेरे फड़फड़ाते हुए लंड को पकड़ कर सुपारा चूत के मुहाने पर रख लिया।
उनकी झांटों का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था..
फिर भाभी ने मुझसे बोला- अब अपना लौड़ा मेरी बुर में घुसाओ.. प्यार से घुसेड़ना.. नहीं तो मुझे दर्द होगा… अहह..!
मैं क्योंकि नौसिखिया था इसीलिए शुरू-शुरू में मुझे अपना लंड उनकी कसी हुई चूत में घुसाने में काफ़ी परेशानी हुई।
मैंने जब ज़ोर लगा कर लंड अन्दर ठेलना चाहा.. तो उन्हें दर्द भी हुआ… लेकिन पहले से ऊँगली से चुदवा कर उनकी चूत काफ़ी गीली हो गई थी।
भाभी भी हाथ से लंड को निशाने पर लगा कर रास्ता दिखा रही थीं और रास्ता मिलते ही एक ही धक्के में मेरा सुपारा अन्दर चला गया।
इससे पहले कि भाभी संभलें या आसन बदलें.. मैंने दूसरा धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड मक्खन जैसी चूत की जन्नत में दाखिल हो गया।
भाभी चिल्लाईं- उईईइ ईईई… ईईई ईईईई… माआआ उहुहुहह ओह लाला.. ऐसे ही कुछ देर हिलना-डुलना नहीं.. हय.. बड़ा जालिम है तुम्हारा लंड… मार ही डाला मुझे.. तुमने देवर राजा…
इस तरह से भाभी ने चोदना सिखाया मुझे.
मेरे प्यारे पाठको, मेरी भाभी के ये मदमस्त चुदाई ज्ञान की अविरल धारा अभी बह रही है। आप इसमें डुबकी लगाते रहिए.. और मुझे अपने पत्र जरूर लिखते रहिए।
मेरा ईमेल पता नीचे लिखा है।
[email protected]
कहानी का अगला भाग: भाभी ने चोदना सिखाया-3
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