चुदासी भाभी और चोदू देवर की मस्त चुदाई
(Chudasi Bhabhi Aur Chodu Devar Ki Mast Chudai)
मैं कमल राज सिंह, उम्र 25 वर्ष कद 5’10”, रंग गोरा और मज़बूत बदन वाला लड़का हूँ। मैं दिल्ली शहर में एक साल से नौकरी कर रहा हूँ और अपने चाचा के बेटे बाबू सिंह और उसकी पत्नी रूपा यानि मेरे भाई भाभी के साथ रहता हूँ।
बाबू सिंह 35 साल का सुंदर नौजवान है और बड़ी कंपनी में सेल्स और मार्केटिंग में काम करता है, रूपा भाभी 30 साल की बहुत ही सुंदर मस्त मौला गोरी-गोरी मक्खन जैसी चिकनी दूध जैसी गोरी पतली दुबली है, वह घर के पास ही एक स्कूल में पढ़ाती है।
चूंकि बाबू भाई को अक्सर शहर के बाहर जाना पड़ता है तो शाम को मैं और रूपा भाभी टाइम बिताने के लिए अक्सर ताश खेलते हैं और इस कारण हम दोनों की बहुत अच्छी दोस्ती भी हो गई थी, खेलते हुए हम दोनों में मज़ाकिया लड़ाई, हंसी मज़ाक लपट झपट चुम्मा चाटी, सेक्सी जोक्स एक दूसरे को छेड़ना चिढ़ाना चलता रहता था।
मुझे भाभी को साड़ी में देख कर बहुत अच्छा लगता था, 36 इंच की छाती वाली ब्लाउज में खड़ी चूची, 28 इंच की लम्बी पतली गोरी गोरी कमर, गोरा चिकना चपटा पेट, गहरी नाभि… बस दिल छूने, प्यार करने और चूमने के लिए मचल जाता था, पजामे में सात इंच का लन्ड हलचल मचाने लगता था।
और फिर हमारी धींगा मस्ती में मैं भाभी की कमर पर या साड़ी के ऊपर जांघ या चूतड़ पर हाथ फेर हुए चुटकी काट लेता और वो मसल कर प्यार से गली देती- हाई… सी ईई… साला बदमाश अब हार रहा है तो बदमाशी कर रहा है?
वो भी हंस कर मेरे गाल चूम कर काट लेती।
उफ़… क्या मस्ती चढ़ जाती थी!
कुछ दिन पहले एक दिन जब मैं ऑफिस से वापिस आया तो रूपा भाभी रसोई में चाय बना रही थी।
मैं जल्दी से कपड़े बदल कर रसोई में आकर भाभी के पीछे पत्थर के सहारे खड़ा हो गया।
भाभी ने मुस्करा कर पीछे देखा और बोली- क्यों बे राजू ऐसे क्या घूर रहा है? रोज़ तो देखता है मुझे!
मैं जरा सा चौंक गया पर एकदम सम्भल कर बोला- हाँ भाभी, देख तो रहा हूँ पर आज तो आप बहुत हसीन एक लग रही हो… एकदम पटाखा!
मैं इशारा कर रहा था कि वो आज पहली बार सिर्फ़ पेटीकोट ब्लाउज में थी, जबकि रोज़ साड़ी में होती थी।
‘ओह तो यह बात है… मुझे मालूम है तू क्या सोच रहा है… तुझे तो खुश हो ना चाहिए कि तू मेरी गदराई जवानी को घूर कर ज्यादा मज़ा ले सकता है। असल में आज बहुत गर्मी लग रही थी इसलिए मुझे साड़ी पहने रहने का मन नहीं हो रहा था। अंदर भी कुछ नहीं पहना जा रहा था।’
वो बदमाशी वाली मुस्कान के साथ मुड़ कर मेरी तरफ देख रही थी।
मैं भी उसकी यह अदा देख कर जोर से हंस पड़ा- वाह… वाह भाभी, फिर तो आज तुझसे लड़ाई करके तुझे दबाने में बहुत मज़ा आयेगा।
‘हाय राम… साला बदमाश… तू क्या मुझे दबाने के लिए लड़ता है?’ चंचल चुलबुली रूपा भाभी ऐसे नाटक कर रही थी जैसे कुछ समझती नहीं थी।
‘क्या भाभी… मैं कब तुझ से लड़ता हूँ… हर बार तू ही बेईमानी करती है और मुझ से लड़ाई करती है। और फिर अपनी बाहों में जकड़ कर मसल कर इतनी जोर जोर से मुझे दबा कर चूम चूम कर प्यार करती है। मेरी टांग अपनी टांगों के बीच में दबा कर क्या मस्ती में अपनी रगड़ कर मज़ा लेती है… और अब मेरे ऊपर हुक्म चला कर कह रही है कि मैं बदमाशी करता हूँ?’
मैंने भी रूपा की मस्त जवानी को देख कर मज़ा लेते हुए अपनी मासूमियत दिखाते हुए जवाब दिया।
दोनों को ही एक दूसरे की मस्ती और प्यार के बारे में खूब अच्छी तरह मालूम था, दोनों ही इस प्यार के खेल में एक दूसरे से लड़ाई के खेल में दबा कर रगड़ खुद गर्म और मस्त हो जाते थे।
रूपा भाभी का कई बार पानी भी निकल जाता था, नहीं तो दोनों अपने कमरे में जाकर सड़का मार कर मज़ा लेते थे और फिर बाहर आ कर एक दूसरे को मज़ा ले लेकर बताते थे।
रूपा- राजू, आज तो लड़ाई में मज़ा आ गया यार!
राजू- हाँ भाभी, आज तो सच में बहुत जोर से मज़ा आ गया!
दोनों को मालूम था कि दोनों क्या करके आ रहे हैं।
आज रसोई में खड़े हुए यही प्यार का खेल बातों से चल रहा था।
‘ठीक है… ठीक है… चल अब फिर से लड़ाई मत शुरू कर…’
रूपा भाभी ने मुझे चाय का मग प्यार भरी मुस्कान के साथ दिया और मुस्करा कर बोली- घूर ले साले बदमाश… दिल भर कर घूर ले! राजू तेरे इस प्यार से घूरने में मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है।
रूपा भाभी और मैं रसोई से बाहर आ गए, मैं खाने की टेबल के सहारे खड़ा हो गया और रूपा मेरे सामने कुर्सी पर बैठ कर मेरे पजामे में खड़े लंड को देख कर मुस्करा रही थी- वाह.. राजू, आज तो बिना खेल के ही तेरा खड़ा हो रहा है, साले बदमाश!
‘हाय राम भाभी… आज इरादा क्या है?’ मैंने अपने खड़ा लन्ड को टांगों के बीच में दबाते हुए कहा।
‘चल न, अब ताश नहीं खेलना क्या? क्यों, अब देख कर मन भर गया क्या?’ रूपा भाभी ने कुर्सी नज़दीक खिसकाते हुए अपना हाथ में खड़ा लन्ड पकड़ लिया- उह्ह… वाह राजू बहुत कड़क है यार!
‘क्या भाभी, तेरी यह मस्त गोरी-गोरी चिकनी-चिकनी गदराई जवानी देख कर तो होना ही था!’ मैंने भी अपना हाथ उसकी चूची पर रख दिया और हल्के से दबा दी।
रूपा मस्ती में सिसकार उठी- …अहह… हाई… सी… सी उफ़!
रूपा चुदास से भर ने लगी और चूत में पानी आ रहा था- क्यों राजू, अगर मैं तुझे जोर से बाहों ले कर दबा लूँ तो तू क्या करेगा?
‘उह्ह… सच भाभी, यह तो बहुत गड़बड़ हो जाएगी, मैं भी तुझे अपनी बाहों में लेकर तेरी मक्खन जैसी चूची चूतड़ को मसल दूँगा और यह खड़ा दाना मुंह में लेकर चूस कर तेरी मस्त गर्म-गर्म चुदासी जवानी का रस का मज़ा लूँगा!’ मैंने अपनी अंगुली से रूपा के खड़ा कड़क दाने पकड़ कर मसल डाला।
रूपा सिसयाने लगी- …अह्ह… सी. हाई… राम मर गई… साले बदमाश मसल… डाला!
‘क्यों भाभी, अब क्या हुआ? अभी तो तू मुझे अपनी बाहों में लेकर मसलने वाली थी?’
मैंने उसे खींच कर खड़ा कर दिया और उसके होटों पर अपने होंट रख कर चूसने लगा।
मेरा पजामे में खड़ा लण्ड उसकी सेक्सी नाभि पर छू रहा था।
भाभी भी अपना हाथ लन्ड से हटा कर मेरी गर्दन में डाल कर होंट चूस कर मज़ा ले रही थी।
हम दोनों ने अपनी चाय खत्म कर दी थी।
रूपा ने अपने दोनों हाथों में प्यार से मेरा चेहरा ले कर कहा- देख राजू, तू मुझे पसंद करता है और चोदना चाहता है। मैं भी तुझे पसंद करती हूँ और तुझसे चुदवाना चाहती हूँ… तो फिर यह लड़ाई क्यों?
हम दोनों एक दूसरे की आँखों में प्यार से चुदाई की तमन्ना और मस्ती से देख रहे थे और होंट चूम रहे थे।
‘यह तो तूने बिल्कुल ठीक कहा… पर एक बात है, मैं तुझे चोदना चाहता हूँ क्योंकि तू इतनी मस्त सुंदर है और मैं अकेला हूँ पर तेरे पास तो भाई है और रोज़ तेरी रसीली चूत बजाता भी है। मैंने तेरी अह्ह… उह्ह… घुसे दे ना… जोर लगा ना! सुना है।’
अब मैं उसके मक्खन मलाई जैसे मुलायम चूतड़ दबा रहा था, ब्लाउज के ऊपर से निकली चूची चूम रहा था।
‘हाँ मेरे राजा, वो तो है और रोज़ चोदता भी है पर यार, कुछ मज़ेदार जोश वाला नहीं होता, उसका जल्दी निकल जाता है, कभी ऐसे ही अंगुली से करना पड़ता है! मैं तेरे साथ दिल खोल कर जवानी का मज़ा लेना चाहती हूँ!’
‘वाह भाभी, तू तो सच में गुरु है। यह तो सच है भाभी कि चुदाई मज़ा केवल लन्ड को चूत में घुसा कर एक दूसरे का पानी निकालना नहीं है, असली प्यार का आनन्द तो और बहुत कुछ है, जो तुझसे ही मैंने सीखा है। जैसे सबसे पहले देखना दिखाना, जैसे तू अपनी मस्त गोरी गोरी, चिकनी चिकनी गदराई जवानी दिखाती है और मैं देख कर और तू दिखा कर मज़ा लेती है।’
‘हां राजू हाँ… सच कहा तूने… तेरे घूरने से सच में मेरी चूत पानी पानी हो जाती है, चूची की घुंडी एकदम खड़ी कड़क और पूरे बदन में आग लग जाती है। असल गुरु तो तू है मेरे राज!’
रूपा ने अपने हाथ मेरी कमर में लपेट कर अपने से चिपका लिए और मेरे सीने पर चूम कर चाट कर प्यार करुने लगी, उसकी मुलायम चूची मेरे सीने में दबी थी।
‘अरे भाभी, हम कहाँ, असल गुरु तो आप हैं, इतनी सुंदर हैं, जवान हैं और जवानी में मज़ा लेने की एक चाह है, सपना है और मंज़िल सामने देख कर उसे हासिल करना चाहती हैं। बस यही तो चाहिए जवानी का असली आनन्द पाने के लिए।’
‘दिखाने के बाद तेरी मस्ती भरी प्यार की चुदाई की बातें है… सच में अपना लन्ड तो झड़ने को तैयार हो जाता है, ऊपर से तेरा इस तरह लपट झपट चुम्मा चाटी… दबाना मसलना फिर तो सड़का मारना ही पडता है।’
मैंने रूपा का ब्लाउज खोल डाला और नंगी चूची को एक हाथ से मर्दन करने लगा।
वो सिसिया सिसिया कर जवानी का आनन्द ले रही थी- सि… सी… हहु… हां… उहह हाँ राजू… हाँ… मसल दे राजा, आज सड़का नहीं मारूँगी, आज तो बस ऐसे ही निकल जाने दे!’ रूपा मस्ती और चुदासी होकर चिल्ला उठी- हाई… राजू… खा जा… चूची… मसल डाल साले बदमाश अब तो असली चुदाई वाला खेल बजाने का दिल हो रहा है राजा!
उसने मेरा पजामा नीचे खिसका दिया।
मेरा मोटा तगड़ा 7 इंच का गोरा-गोरा लन्ड उछल कर बाहर आ गया।
रूपा ने झट से अपने हाथ में पकड़ लिया, चमकते हुए लाल-लाल मोटे टोपे को गौर से देख कर बोली- हाय राम… कितना सुंदर है राजू तेरा लन्ड!
मैंने भी झट से उसके पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और पेटीकोट ढीला करके नीचे खिसका दिया।
उसके मक्खन जैसे मुलायम गोल गोल चूतड़, केले जैसी चिकनी जांघ, गोरी उभरी हुई बिना बाल की चूत नंगी हो गई।
‘वाह… वाह भाभी, तेरा माल तो बहुत मस्त है। उफ़ इसे देख कर तो कोई भी पागल हो जाएगा!’ मैंने अपनी अंगुली उसकी चूत में घुसा दी… चूत अमृत रस से भरी थी।
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रूपा एकदम तड़क उठी- उह्ह… सी… मार ही डालेगा क्या राजू… मेरी तो जान निकल रही है, मेरी चूत झड़ने वाली है जालिम राजा सी… अह्ह्ह… अह्ह्ह… ई…ई!
उसने अपनी एक टांग उठा कर कुर्सी पर रख दी और रसीली चूत पूरी खुल गई।
मैं अब दो अंगुली चूत में घुसा कर घुंडी को अंगूठे से रगड़ते हुए आगे पीछे करने लगा।
अब मेरा एक हाथ चूत में चल रहा था और दूसरा उसके पीछे को उठे हुए मुलायम चूतड़ दबा रहा था।
उसका एक हाथ लन्ड को पकड़ कर हिला रहा था और दूसरे से भाभी मेरी गर्दन में डाल कर अपने आप को गिरने से रोक रही थी।
उसकी कमर जोर से हिल रही थी और चूत की अंगुली चुदाई का मज़ा ले रही थी… और मुझे चूमते हुए झटके मारते हुए बड़बड़ा रही थी- हाय… रोक दे अपनी यह मस्ती वाली अंगुली वाली चुदाई… मैं झड़ जाऊँगी… गई साले बदमाश!
‘तो निकल जाने दे न मेरी प्यारी भाभी जान… मुझे भी देखना है कि तेरी चूत का पानी कितनी जोर से निकलता है!’ मैंने उसके होटों पर अपने होंट चिपका दिए और चूस रहा था।
‘हां… हां… ई ई… हाई… सी गई राजा गई… उफ़ मेरा निकल रहा है!’ उसने अपनी टांग कुर्सी से उतार कर दूसरी टाँग से चिपका ली और साँस रोक कर ‘उहह… उहह सी…’ करते हुए चूतड़ों को झटका मार कर जोर से चूत से रस की पिचकारी जैसी छोड़ दी।
चूत से निकला रस जांघों पर बहने लगा।
‘हाई राजा… मर गई… गई…’ मुझे अपनी बाहों में लपेट कर कुर्सी पर बैठ गई और मैं उसकी गोद में था और उसके कंधों और गर्दन पर चूम रहा था।
भाभी की सांसें बहुत तेज चल रही थी।
हम दोनों इस तरह 5 मिनट तक बैठे रहे जब तक भाभी की सांसें ठीक नहीं हो गई।
और वो मुस्करा कर प्यार से मेरी तरफ देख कर बोली- तू बहुत बदमाश है राजू, मेरी चूत का पानी तो निचोड़ डाला पर अपने इस मस्त खड़े लन्ड का बचा लिया।
‘यह तो है… पर अब तू इस पर चढ़ कर मुझे भी मज़ा देगी और इसका रस अपनी चूत में निकालेगी ना!’
‘हाय राम… सच्ची? फिर तो मज़ा आ जाएगा राजा… पर जरा मुझे साँस तो लेने दे, तेरा बहुत मोटा तगड़ा है यार, बहुत दम चाहिए इस पर चढ़ कर चोदने के लिए! उसने हंस कर चुम्मी लेकर कहा।
‘पर भाभी, अभी जब तेरी चूत का रस निकला तो तुझे इतनी साँस क्यों चढ़ गई? सारा जोर तो मैंने लगाया, थक तू गई!’ मैंने उसे चिढ़ाने के लिए छेड़ा।
‘हाई राम, साला बदमाश… माल तो मेरा था साले… और रोक भी मैं रही थी! उसने प्यार से गाल पर काट लिया।
‘भाभी आज तो तेरी पिचकारी देख कर मज़ा आ गया! क्या जोर से निकल रहा था तेरी चूत का रस… उफ़ मुझे लगता था कि औरत का बहुत धीरे से दो चार बूंद चूत के अंदर ही निकल जाता है, पर तेरा तो जोर से सारा बाहर तक उछल रहा था।’
‘हाई राम… राजू… तू बहुत साला बदमाश है, सारा करा धरा तेरा ही है, इस मज़ेदार तरीके से दो अंगुली घुसा कर और अंगूठे से घुंडी रगड़ कर मज़ा दे रहा था कि इतना सारा और इतनी जोर से निकल गया राजा… इतनी जोर से पहले कभी नहीं निकला मेरे राजा, देख अब मैं तुझे क्या मस्त चोद कर तेरा कितनी जोर से निकालती हूँ!’
रूपा भाभी मुझे अपनी गोदी से उठा कर खुद भी खड़ी हो गई।
हम दोनों पूरी तरह नंगे एक दूसरे को देख कर मज़ा ले रहे थे, हमारे कपड़े सारे में बिखरे पड़े थे।
‘हाय राम, राजू देख तो रस में तो पूरी चूत गीली हो रही है यार… और तेरा लन्ड क्या मस्त तन कर खड़ा है, तेरी नाभि तक पहुंच रहा साला मोटा तगड़ा घोड़े जैसा है पर गोरा गोरा है!’
भाभी प्यार से लंड हाथ में पकड़ कर हिलाने लगी और अपनी जांघ पर रगड़ कर अपने रस से टोपे को गीला कर दिया।
‘क्या भाभी, जांघ पर क्यों, चूत पर रगड़ ना!’ मैं उसकी कमर में हाथ डाल कर चिपक गया और चूमने लगा चूची और चूतड़ दबाते हुए चूची चूस रहा था।
‘हाय राम, मसल डाला जालिम चोदू यार ने सी… अहह… हा… हा…चूस डाल… अहह… उफ़… एई… ई! ऐसे तो राजू मेरे राजा, तेरा गेम चूत पर रगड़ कर ही हो जाएगा और साथ ही मेरा भी फिर से हो जाएगा!’ वो मेरे खड़े लन्ड का टोपा अपनी गीली गीली झड़ी हुई चूत के होटों से और घुंडी से रगड़ रही थी।
उसने मुझे पीछे धक्का देकर कुर्सी पर बैठाया, मैंने झट एक हाथ से भाभी के चूतड़ और दूसरे से कमर पकड़ कर उसकी मक्खन जैसी कमर, चूतड़, पेट नाभि और जांघों पर चूमने लगा, वो मस्ती में मचलने लगी।
चूतड़ पर से हाथ हटा कर एक अंगुली मैंने भाभी की रस से भरी चूत में घुसा दी।
‘उहह… हाई… सी.. सी इ… इ मर गई… जालिम चोदू यार, रोक दे साले!’ उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और झट से अपनी जांघें खोल कर एक हाथ से लन्ड पकड़ कर दूसरे से चूत खोल कर टोपे को अंदर घुसा लिया और धीरे से नीचे बैठ गई।
लौड़ा कड़क था और चूत एकदम गीली… दन से पूरा सात इंच लण्ड अंदर घुस गया, रूपा अकड़ गई और चिल्ला उठी- हय मर गई जालिम… फट गई साले… बहुत मोटा है ई… ई… ई.. उ…उ… सी!’
भाभी अपनी दोनों बाहें मेरे गले में डाल कर जोर से लिपट गई, चूची या मेरी छाती में गड़ गई और वो गले कंधों पर चूमते हुए धीरे धीरे अपने चूतड़ हिलाने लगी।
‘हाँ… राजा… हाँ… जल्दी से कर ले… बजा दे अपना और मेरा गेम… हाय राम… जल्दी कर ना… उफ़… सी… हा… मेरा फिर से होने वाला है… हाँ… हाँ…’
‘हूम्म… हूँ… हाँ भाभी… हाँ बस अपना भी होने वाला ही है… क्या मस्त हो रही है तेरी… बहुत मज़ा आ रहा है!’ मैंने अपनी अंगुली उसकी मचलती उछलती गांड पर रख कर दबा दी।
भाभी जोर से झटका खा गई, कड़क लन्ड ने चूत की गहराई में जोर से ठोकर मार दी, रूपा नाच उठी और झड़ने लगी।
‘हाई.. जालिम राजा, साले यह क्या कर डाला… अपनी चूत तो गई… आहह… गई राजा!’
‘हाँ भाभी, अपना भी निकल रहा है, ले गया!’
और हम दोनों एक साथ झड़ कर एक दूसरे से लिपट गए, दोनों की सांसें बहुत जोर से चल रही थी और एक दूसरे से चिपके हुए थे, चूम चूम कर प्यार का मज़ा ले रहे थे।
‘वाह भाभी, इस गेम को बजाने में तो सच में बहुत मज़ा आ गया!’
‘हा… हा… सच कहा राजा… तूने बहुत जोरदार मस्त चुदाई का मज़ा दे डाला!’
रूपा ने जोर से राजू को अपनी बाहों में जकड़ रखा था और चूमे जा रही थी।
‘आज तुभी तो एकदम पटाका लग रही थी… बस अपने को भी तेरी मस्त गोरी गोरी चिकनी चिकनी चूत में घुसा कर जोश चढ़ गया!’ मैं भी भाभी की चूची चूस कर मुलायम मुलायम चूतड़ दबा दबा कर उसकी चुदासी गदराई जवानी का मज़ा ले रहा था।
इस तरह मेरी और सुंदर मस्तानी रूपा भाभी की चुदाई की शुरूआत हुई।
इसके बाद तो दोनों बहुत प्यार से चुदाई का मज़ा लूटते रहे।
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