चुदाई की आग दोनों तरफ लगी थी
(Real xxx Story: Chudai Ki Aag Dono Taraf Lagi Thi)
आप सभी पाठकों को मेरा नमस्कार!
मेरा नाम सैम चौहान है, मैं चंडीगढ़ में रहता हूँ. यह मेरा पहला अनुभव है कि मैं अपनी जीवन की रीयल xxx कहानी लेकर इस साइट के मध्यम से आप सब के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ.
मैं साँवले रंग का हूँ, बॉडी स्लिम और कद मध्यम है, जिम जाने की वजह से शरीर ठीक लगता है. कभी मैं इतना शर्मीला था कि स्कूल टाइम में लड़कियों के छूने से ही रोने लग जाता था पर टाइम ने मुझे भी बदल दिया. अब तो आलम यह है कि लड़कियाँ आँखों को देखकर ही अंदाज़ा लगा लेती हैं कि मेरी नज़र कहाँ पर है और तब तक नहीं हटती जब तक लड़की का पूरा फिगर नाप ना लूँ.
वैसे भगवान ने भी चूत और लंड जैसी अनमोल और मस्त चीज़ बनाई है, पर कई लोग चूत की कद्र ही नहीं करते हैं.
पर कहते हैं ना कि चुदाई की आग लगी हो तो चूत अपने लिए लंड का इंतज़ाम खुद ही कर लेती है और ये सब बहुत ही आसान है आज के वक्त में एक चूत के लिए. सिर्फ़ दिक्कत अगर होती है भी तो सिर्फ़ प्राइवेसी और सेक्यूरिटी को लेकर ही होती है वरना कोई परेशानी नहीं होती.
खैर अपने जीवन की पहली चुदाई के बारे में मैं आगे ज़रूर लिखूंगा और विस्तार से लिखूंगा पर अभी अपनी एक खास भाभी और मेरे बीच हुई चुदाई के बारे में मैं आप सबको बताना चाहता हूँ.
बात उस समय की है जब मैं एक प्राइवेट जॉब करता था एक ब्रांडेड शोरूम में जहाँ पर कॉसमेटिक के चाहे लॉरेल, लैक्मे, पॉंड्स, हर तरह का ब्रांड था.
मैंने अपनी छवि हर जगह साफ सुथरी रखी है अब तक कोई मुझे देख कर यह नहीं कह सकता कि मैंने इस तरह की हरकत कभी की भी होगी.
मैं एक पी.जी. था और वहाँ पड़ोस में बहुत सी आंटी और भाभियाँ थी, मेरे काम का सभी को पता था जिसकी वजह से औरतें मुझसे कभी ना कभी कुछ ना कुछ सामान मँगवाती रहती थी, तो हर किसी से बात होती रहती थी और हर कोई मुझे सीधा सा लड़का समझती थी. पर किसी भाभी को छेड़ने या चोदने के बारे में सोचने से इसलिए भी एक डर मन में होता था कि अगर पड़ोस में शोर मच गया तब तो सैम तू तो गया फिर तो जो तेरी गांड कुटाई होगी वो अलग और जो बेइज्जती होगी वो अलग!
इसलिए यार, माल को दूर से देखो और अपने हाथ का इस्तेमाल करो, मैं इसी सिद्धान्त पर टिका रहा.
पर हमारे पड़ोस में एक भाभी थी बबिता, वो बिहार की थी और उसके परिवार में उसकी दो साल की लड़की और उसका पति और ससुर रहते थे. उसका पति अरोमा में शेफ था कन्फेक्शनरी में था. चलो ये तो इस भाभी की परिवार की डीटेल हो गई. वो भाभी 25 साल की थी पर जो इसमें असली बात थी कि वो भाभी बिल्कुल स्लिम थी. उसके फिगर में अगर सबसे मस्त चीज़ थी तो वो उसके बूब्स थे करीब 36 साइज़ था और उसकी गांड बिल्कुल गोल मस्त लगती थी, उसे देखकर ही लंड सलामी देने लग जाता था. उसके बूब्स की बात तो पड़ोस में सभी आंटी करती थी क्योंकि ये बातें एक आध बार मैंने सुनी थी.
वैसे उसके घर वालों से मेरी अच्छी बात हुआ करती थी और उसके पति से भी अच्छी बनती थी.
मुझे अच्छे से याद है एक दिन वो मौका आ गया जिस दिन की मैं तलाश किया करता था कि खुद ऐसा मौका मेरे हाथ लगे जो मेरे लिए सेफ हो और इज्जत भी बनी रहे.
एक दिन अपने बरामदे में अपनी चारपाई पर लेटा हुआ था और उसी पर 2 आंटी भी बैठी थी और मुझसे कुछ बातें कर रही थी. इतने में बबिता भाभी भी आ गई और चारपाई पर बैठने ही लगी थी कि मैंने थोड़ी सी हिम्मत कर के अपना पैर वहाँ रख दिया जहाँ वो बैठने वाली थी और हुआ भी वही कि वो पैर के ऊपर ही बैठ गई.. भगवान का शुक्र ये रहा ही उसने कुछ कहा नहीं नहीं ही उस पैर के ऊपर से उठी.
बस गांड भी फट रही थी और रही सही हिम्मत करके मैंने अपने पैर का अंगूठा और उंगलियाँ हिलानी शुरू कर दी और उसकी चूत की गर्मी पैर पर महसूस कर रहा था. पर बबिता ना ही हिली, ना ही वहाँ से उठी और मैं अपने पैर का अंगूठा चलाता रहा और उसकी चूत को महसूस करने की कोशिश करता रहा.
इतने में बबिता मेरे तरफ देख कर बोली- अच्छा सैम, मेरे लिए भी एक लिपस्टिक ला देना, पैसे मैं अभी दे देती हूँ.
उसके बोलने से एकदम मैं डर तो गया था क्योंकि मैं तो उसकी चूत को अपने अंगूठे से ढूँढने में लगा हुआ था. मैंने थोड़ा नॉर्मल होते हुए जवाब दिया- ठीक है जी, मैं ला दूँगा!
सभी बात करने लगी- सैम, तेरे काम करने का थोड़ा हम लोगों को भी बेनेफिट हो जाता है, डिस्काउंट जो मिल जाता है.
मैंने सभी का धन्यवाद स्वीकार किया और कहा- यह क्या बड़ी बात है, अब पड़ोसी होने के नाते इतना तो कर सकता हूँ.
सभी आंटी खड़ी हो गई और जाने लगी तो बबिता भी उनसे पहले खड़ी हो गई और मैंने अपना पैर पीछे कर लिया. बबिता घर में से पैसे ले कर आई और मुझे दे कर बोली- ला देना!
मैंने पैसे लिए और बोला- जो चाहिए मैं दे दूँगा आपको!
अगले दिन मैं लिपस्टिक ले आया और उसे देकर उसके पैसे भी वापिस कर दिए उसने पूछा- ये पैसे वापिस क्यों?
तो मैंने जवाब दिया- मुझे ये स्कीम में मिल गई तो इसके पैसे कैसे ले सकता हूँ.
भाभी ने स्माइल दी और मुझे थैंक यू बोल कर मुझे पैसे लेने पर ज़ोर देने लगी.
मैंने भी मौका ना गँवाते हुए कहा- चलिए आप कभी मेरे काम आ जाना, सिंपल!
और हंस दिया.
बस अब तो कभी नल पर पानी भरते हुए तो कभी आमने सामने से आते जाते उसे टक्कर मार देना, कभी उसे छू लेना तो कभी उसके बूब्स पर किसी ना किसी बहाने से हाथ लगा देना, ऐसी हरकतें करने लगा.
और बस इस मौके की तलाश में था कि इसे अब किसी भी हालत में इसकी चूत के पानी से ही अपने लंड को हरा करूँगा. और कब तक अपने लंड के अरमानों पर पानी डालता रहूँगा इसलिए अब तो रात को अपने कमरे के बजाए बाहर सोने लगा था.
वो दिन भी इतना करीब होगा उम्मीद नहीं थी.
रात को मैं अपने बिस्तर पर लेटा ही था, अब तो नींद भी आँखों में आती नहीं थी और बस इस इंतज़ार में रहता था कि
चूत का दरिया हमें भी अब तो नसीब हो,
बहुत दिन हुए सूखे रेगिस्तान को,
किश्ती बना कर लंड की
हमें भी आता है तैराना बखूबी..
अब तो तेरे चूत के पानी से
मेरा ये लंड आबाद हो…
खैर वही हुआ जिसका इतने दिन से इंतज़ार था मुझे, बबिता भाभी करीब 11 बजे अपने कमरे से निकली और नल पर पानी लेने के लिए आई और पानी भर कर मुझे वहीं दूर से खड़ी हो कर मेरी तरफ़ देखने लगी पर मैं इतनी दूरी से अंधेरे की वजह से उसे साफ दिखाई नहीं दिया कि मैं जाग रहा हूँ या सो गया.
उसने पानी लिया और अपने कमरे में चली गई.
अब तो जैसे खड़े लंड पर किसी ने डंडा मार दिया, वो हाल था. यार जब पानी ही लेना था तो मुझे क्यों देख रही थी?
साली औरत का भी पता नहीं होता कि चाहती क्या है?
इतने में वो फिर से कमरे से बाहर आई और जैसे मैंने चादर से चेहरा ढक लिया, सिर्फ़ आँखों से चादर हटी हुई, ऐसे पड़ा रहा.
वो मेरे धीरे धीरे मेरी चारपाई के नज़दीक आ गई और मैंने अपनी आँखें बंद कर ली.
इतने में बबिता भाभी बोली- सैम हेलो सैम, सो गया क्या?
मैं बिल्कुल शांत पड़ा रहा.
फिर उसने मेरे मुँह से चादर हटा कर मेरे मुँह पर अपना हाथ फेरा और फिर मुझे बुलाने लगी, बोलने लगी- सैम, क्या बात इतनी जल्दी तो कभी नहीं सोता था? आज कैसे सो गया!
इतना बोल कर जाने के लिए मुड़ी ही थी कि मैंने मौके को देखते ही उसका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया.
एकदम इस तरह से उसके हाथ खींचने से वो सम्भल नहीं पाई और मेरे ऊपर ही गिर गई.
अब तो वही था कि अंधे को क्या चाहिए दो आँखें… और मेरे लंड को चूत… जो शायद मुझे मिलने वाली थी पर अब भी एक तरफ इतनी हिम्मत तो कर दी थी पर खुले में इतनी रात को
एक भाभी मेरे ऊपर गिरी हुई और मैंने उसे पकड़ा हुआ था, अगर कोई देख ले तो शायद उस औरत को तो कोई बाद में पूछता सबसे पहले मेरी पिटाई करता और बात पड़ोस की होने की वजह से पिटाई भी ज़्यादा ही होती.
मेरे दोस्त, पर चूत मारनी है तो इतना रिस्क लेना ही पड़ेगा, यही सोच कर मैं बस उसे पकड़े हुए था.
वो बोली- क्या बात, तू तो सो गया था? फिर जाग कैसे गया?
मैंने भी बोल दिया- क्या करूं, जब तक तू सामने होती है आँखों में नींद आती ही नहीं. जब तू पानी भर रही थी तब से देख रहा हूँ कि मुझे वहाँ से मेरी तरफ ही देख रही थी, क्या बात है? कुछ गुम हो गया है क्या?
‘अच्छा तो अब आप से सीधा तू पर? क्या बात है सैम?’ उसने पूछा मुझसे और मैंने बस उसकी लबों पर उंगली रखते हुए चुप होने के लिए इशारा किया और बस उसके होंठों को अपने होंठों में भर लिया.
अब मेरा हाथ सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी गर्दन पर था एक तरह से वो आज़ाद थी और मेरे ऊपर गिरी होने की वजह से कभी भी जा सकती थी पर वो तो जैसे चाहती ही वही थी.
मैं करीब एक मिनट तक उसके होंठों को चूसता रहा और उसकी तरफ से भी कोई आपत्ति नहीं थी, कभी उसके मुँह के अंदर अपनी जीभ डाल देता तो कभी उसकी जीभ चूसने लग जाता!
इतने में उसने मुझे अपने से छुड़ाया और एकदम से हाँफती हुई बोली- सांस भी लेने देगा कमीने?
और ये सुनकर तो मेरे चेहरे पर स्माइल आ गई और वो भी हंस पड़ी और बोलने लगी- मुझे तो पता था कि तू मुझ पर लाइन मार रहा है, जनाब में आज हिम्मत हुई?
मैंने भी सीधा सा जवाब दिया- अगर लाइन टेढ़ी हो जाती तो मेरी गांड फाड़ देता ये मोहल्ला और उसको फाड़ने में सबसे आगे तुम ही होती भाभी!
कहानी जारी रहेगी.
इतना कह कर हम दोनों हंसने लगे और फिर से मैंने उसे अपने से चिपका लिया और उसके बूब्स पकड़ लिए और बोल उठा- भाभी, आपके मोम्मे तो सभी आंटियों में फेमस हैं और इतने दिन से इसे सिर्फ़ देखकर ही काम चला रहा था.
वो बोली- बड़ा पता है तुझे हम औरतों की बात का?
‘बस भाभी सुन ही लेता हूँ आप लोगों की बातें भी कभी कभी जब आप लोग मेरे बरामदे में बैठी एक दूसरी से बात करती हो तो आप सबको लगता है कि मैं सो रहा हूँ पर मैं आप सब की बात सुनता हूँ उस वक़्त!’
भाभी बोली- हम्म… पूरी नज़र रखता है सब पर और हम सब तुझे तो इतना शरीफ समझी थी कि शायद ही ऐसा कोई हो.
मैं बोला- क्या भाभी, चूत और लंड जब जवान हो जाए तो कोई शरीफ नहीं रहता.
उस वक़्त तो मैं इतना खुल गया था कि भाभी से ऐसी xxx बात खुलेआम करने लगा और वो मेरी तरफ देखे जा रही थी.
फिर तो बस सीधा उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसकी चूत में उंगली लगा दी तब उस का ध्यान टूटा और वो उछल पड़ी- क्या कर रहे हो? कोई आ जाएगा. तेरे साथ मैं भी बदनाम हो गई तो?
‘ह्म्म, ये भी है चलो फिर थोड़ा सा नाम कमा लें?’
वो बोली- क्या मतलब?
‘तुम्हारी चूत की गरमी को महसूस करके!’
इतना सुनते ही उसने मुझे चूम लिया और कहने लगी- अगर कोई आ गया फिर?
मैंने कहा- आएगा कैसे? तेरा पति तो जॉब पर है नाइट शिफ्ट पर और कोई है नहीं जो इस वक्त जाग जाए तो और कौन आएगा?
‘ओके, पर यहाँ नहीं!’ वो बोली.
बस फिर क्या था, मैं उठा और उसे कहा- चारपाई पकड़ और किचन में चल!
और फिर हम दोनों चारपाई किचन में ले गये. चूँकि किचन मेरे कमरे में ना होकर बाहर बरामदे की तरफ है तो हम दोनों किचन में बिना लाइट जलाए चले गये. अंधेरा इतना था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था बस अंदर जाकर दरवाजा बंद किया और बस दोनों ने एक दूसरे को चूमना शुरू कर दिया, होंठों में होंठ… कभी वो मेरी ज़ुबान को चूसती तो कभी मैं!
करीब करीब उसका दम घुटने लगा क्योंकि मैं तो उसके होंठों को छोड़ ही नहीं रहा था, चूसे जा रहा था.
उसने किसी तरह मुझे अलग किया और बोलने लगी- आराम से करो, साँस तो लेने दो!
‘ओके मेरी जान, सॉरी अब ऐसा नहीं करूँगा.’ और मैंने लाइट जला ली क्योंकि इससे पहले जितनी बार लड़की चोदी है रोशनी में ही चोदी. अंधेरे में मुझे चोदने का मज़ा नहीं आता.
पर उसने लाइट बंद करवा दी, बोलने लगी- लाइट देखकर कोई ना कोई इधर आ जाएगा, लाइट बंद रहने दे.
मैंने तो अंधेरे में ही सारे कपड़े निकाल दिए, सिर्फ़ उसकी ब्रा और पेटिकोट ही बचा था, और फिर तो बस जैसे कोई साँप चंदन के पेड़ से लिपट जाता है, बिल्कुल वैसे ही लिपट गया और हम दोनों की चूमाचाटी शुरू हो गई, मैंने अपना लंड चूसने के लिए बोला तो उसने बिना कुछ बोले सीधा मेरा लंड टटोला, मुँह में भर लिया और चूसने लग गई. फिर तो बस उसके गर्म गर्म मुँह को एक चूत की तरह चोदने में लग गया. पर जल्दी ही अपना लंड निकाल कर उसकी चूत को ढूँढने लग गया कि अगर इसके मुँह में ही लगा रहा तो इसी में मेरा माल निकल जाएगा और फिर दुबारा मौक़ा कब लगेगा.
जैसे ही अपना लंड मैंने उसकी चूत पर लगाया, उसने पैर खोल दिए और मेरे लंड के लिए रास्ता दे दिया ताकि बिना देर किए अपना लंड उसकी गर्म भट्टी जैसी चूत में पेल दूं.
थोड़ा मज़ा लेने के लिए मैं अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लग गया और वो अपना पैर इधर उधर करने लगी. जब उस लगा कि मैं लंड उसकी चूत में नहीं डाल रहा हूँ और बस उसके साथ खेल रहा हूँ, तब वो बोली- सैम, बस ज़्यादा मत खेल, डाल जल्दी से, पेल दे जल्दी! देख कितनी गीली हो गई है.
उसने मेरा लंड पकड़ लिया और खुद अपनी चूत ऊपर कर के उसमें लंड को डालने के लिए करने लगी. बस जैसे मुझे लगा कि लंड उसकी चूत पर उसने फिट सा किया, मैंने उसी वक्त एक ज़ोर का झटका मारा.
उस झटके के लिए शायद वो तैयार नहीं थी और उसकी हल्की सी चीख निकलते निकलते रह गई, मैं रुक गया, मैंने पूछा- क्या हुआ?
बता दूँ कि मेरा लंड करीब 3 इंच मोटा है, 6 इंच लम्बा है और शायद लंड की मोटाई की वजह से ही उसकी चीख निकल गई थी. ऐसा नहीं था कि उसकी चूत बिल्कुल टाइट थी या कुंवारी थी.
वो बोली- मोटा है तेरा हथियार!
चलो, यह जानकर इसके मुँह से अच्छा लगा.
फिर ज्यादा देर न करते हुए मैंने थोड़ा और ज़ोर लगा कर लंड को बिल्कुल अंदर तक फिट कर दिया और वो बस अपने मुझे ज़ोर से पकड़े हुए थी जैसे कि उसे दर्द हुआ हो. पर चूत का दर्द कब पलक झपकते मज़े में बदल जाता है, ये तो हर वो चूत वाली आंटी या भाभी जानती ही है जो लंड के अच्छे से मजे ले चुकी हैं. लंड के अंदर तक चले जाने पर फिर रुकने का या कोई बात करने का किस के पास वक़्त होता है यार फिर तो सिर्फ एक ही बात निकलती है:
दिल से दुआ और लंड से तेरी चूत जो मिले…
फिर तो जान मेरी सिर्फ एक ही आवाज़ सुनने को मिले…
चर्र चर्र चर्र… मेरी चारपाई बोले और
चूत तेरी मेरे लंड पर अपना रस इस कदर उड़ेले,
लिपट कर मुझसे तू मेरे लंड पर खेले
छप छप छप की आवाज़ से आजा तेरी चूत की हर अंगड़ाई को तोड़े!
उस वक़्त कोई आवाज़ नहीं थी सिर्फ मेरी चारपाई के चर्र चर्र और मेरे लंड के उसकी चूत पर बजती मेरी थाप के अलावा अगर इसके बीच कोई आवाज़ थी तो उसकी मीठी मीठी सिसकारने की आवाज़ जो ये बताने के लिए काफी थी कि जितनी गर्मी से मेरा लंड उसकी चूत में पिघलने से सख्त पे सख्त होता चला जा रहा था उतना ही वो भी मेरे लंड के झटकों को अंदर तक महसूस करके बहुत खुश थी.
उस अँधेरे में अगर मैं कुछ मिस कर रहा था तो उसके चेहरे के भाव जिसे न तो वो देख पा रही थी न ही मैं!
उसके हाथ मेरी पीठ पर इस तरह मुझको दबोचे हुए थे कि बस मुझे पूरा का पूरा वो अपने अंदर खींच लेना चाहती हो और मैं भी उसके कंधों को पकड़ कर धक्कों पर धक्के लगा रहा था. कभी लंड की स्पीड को कम कर देता तो कभी एकदम तेज़ जिससे उसके और मेरे चुदाई की एक्साईटमेन्ट ख़त्म न हो और बढ़ जाये.
उसे भी ये चीज़ पसंद आ रही थी इसीलिए वो अपनी टांगों को बिल्कुल मेरी पीठ पर घेर कर खुद को और मेरे लंड पर दबाने लगी. हम दोनों पसीने में पूरी तरह भीग चुके थे और किसी भी वक़्त मेरा माल निकल सकता था और जिस तरह से वो मुझे अपने अंदर खींच रही थी और उसकी चूत को अपनी टांगों को टाइट कर रही थी, उसकी चूत भी किसी भी वक़्त अपने लावे को फेंक सकती थी.
मैंने कहा- बबिता, मेरा माल निकलने वाला है.
और उसने मुझे और ज़ोर से पकड़ लिया, मेरे लंड की स्पीड बहुत तेज़ हो चुकी थी और उसकी टांगों को उसके चेहरे तक मोड़ चुका था मैं!
चूत चोदने के चक्कर में मैं यह भूल गया था कि उसे दर्द भी हो सकता है और मैंने उसकी चूत में ही अपना माल छोड़ दिया और कुछ ही पल में हम दोनों शांत हो गए.
उस वक़्त की शांति से ऐसा लग रहा था जैसे कोई तूफान सा थम गया हो.
उसकी सांसें और मेरी सांसें बहुत तेज़ थी और फिर थोड़ी देर मैंने पूछा- कैसा लगा भाभी?
उसने मुझे अपने होंठों से चिपका लिया और चूमने लगी. शायद वो इस तरह से मुझे शुक्रिया कहना चाहती थी पर मैंने पूछा- तुम्हारा कब निकला?
कहने लगी- तुझसे बस थोड़ी सी पहले मेरा हो चुका था, तेरा नहीं हुआ था इसलिए लेती रही लंड को अंदर… पर सच बोलूँ तो मजा आया बहुत और मेरे कान के पास आकर मुझे ‘आई लव यू’ बोला और कहने लगी- आज असली मजा मिला है. इनके पिता की वजह से टाइम ही नहीं मिलता और न ही अब इतना ये मुझ पर ध्यान देते हैं पर एक लम्बे वक़्त के बाद ऐसा मजा मिल पाया.
‘अच्छा ये बता कि मैं कैसी लगी तुझे? और सच बोलना मुझसे सैम.’
मैंने जवाब दिया- मेरे लंड पेलने के अंदाज़ से तो तुम्हें जवाब मिल जाना चाहिए था. क्या अब भी जवाब की जरूरत है? अगर है तो बोलो?
इतना सुनते ही वो मेरे सीने से चिपक गई और कुछ देर बाद हम दोनों किचन से बाहर आ गए.
दोस्तो, इसके बाद कई बार जैसे मौका मिलता हम दोनों चारपाई को किचन में ले जाते और अपनी चुदाई की आग को ठंडी करते, मजे करते!
भाभी तो थी और गर्लफ्रेंड भी, तो स्वाद भी मौके मौके पर चेंज होता रहता था.
मेरी रीयल xxx कहानी में अगर कोई कमी रह गई तो प्लीज मुझे बताईयेगा क्यूंकि मैं कोई प्रोफेशनल राईटर नहीं हूँ.
अपने जवाब आप लोग मुझे इस पर मेल कर सकते हैं.
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