चूत पर चोदने वाले का नाम नहीं लिखा जाता-1

नेहा वर्मा
कुछ दिन पहले हमारे रिश्ते में एक शादी में हम सभी गए थे।
बहुत सारे रिश्तेदार आए हुए थे। मैं भी बहुत उत्साह से इसमें शामिल हुई थी।
मेरे रिश्ते का एक देवर शिशिर खूब जवान और खूबसूरत था, उससे मेरी खूब ठिठोली और मजाक चला करती थी, वो भी वहाँ आया हुआ था।
वो बड़ा गठीला बदन, भरी पूरी ऊँचाई, कातिल हँसी, कुल मिला कर सजीला गबरू जवान था।
मुझे मालूम था कि वो भी मुझ पर नज़र रखता था। कई बार मुझे जाने-अनजाने में छूने और लिपटने की कोशिश भी करता था। मेरा दिल भी उस पर बेईमान था।
उस दिन उसने मुझसे कहा- आप सेक्सी लग रही हो..!
तो मेरा चेहरा भी खिल उठा, फिर हम तैयार होने अपने-अपने रूम में चले गए, मेरा और उसका रूम आमने-सामने था। फिर हम लोग जब पार्टी में जा रहे थे, तो संयोगवश लिफ्ट में हम अकेले ही थे।
उसने मौका देख सामने शीशे में देख कर कहा- आज तो सिर्फ तुम्हीं तुम दिख रही हो..!
और यह बोल कर उसने मेरे गाल दबा दिए तो मैं कुछ नहीं बोलीं, बस अन्दर ही अन्दर मचल कर रह गई।
और फिर हम लोग शादी के कार्यक्रम में शामिल हो गए।
उस रात उसने मुझसे खूब मजाक किया और मैंने भी उसके मजाक का आनन्द लिया।
अगले दिन सुबह जब वो नहाने के लिए जा रहा था, तो मेरे सामने आते ही, उस का चेहरा और शरीर खिल उठा था। मैंने उसकी पैन्ट को देखा तो उसमें उसका लिंग तन गया था और बड़ा खूबसूरत दिख रहा था।
मेरी चूत तो उसे देख कर ही पनिया गई थी। कुछ भी कर के अब तो मुझे उस से चुदना ही था। मैं तरकीब सोचने लगी।
मैंने उसकी तरफ आँख मारी और उसके लंड की तरफ उसको इशारा किया।
एक बार तो वो शरमा गया, फिर धीरे से मेरे पास आ कर मेरे गाल के बिल्कुल नज़दीक आ कर मेरे कान में धीरे से बोला- कैसा लगा..? अच्छा है ना..! पसन्द है..?
मैं भी शरमा कर भाग गई। अब मेरा चुदना लगभग तय था। अब मेरी बारी थी। मैंने सोच लिया कि अब मैं भी उसे कुछ दिखाऊँ।
जैसे ही वो नहा कर निकला मैं बाथरूम में घुसी और धीरे से उससे कहा- यहीं बाहर ही रुकना, कुछ दिखाना है।
उसने कहा- ओके…!
मैं बाथरूम से नहा कर बिना ब्रा के गीला टॉप पहन कर बाहर आ गई। उस का मुँह तो जैसे खुला का खुला रह गया।
मैं मुस्कराई और उसके पास जाकर उसके कान में बोलीं- मुँह बंद कर लो राजा.. अभी मुँह में नहीं दे रही हूँ..!
यह कह कर मैं हंस कर कमरे में भाग गई।
जाते जाते बोली- पांच मिनट बाद कमरे में आओ तो, कुछ और देख पाओगे..!
उसका मुँह फिर खुला सा रह गया। अब इस खेल में मुझे मजा आ रहा था।
मैं कमरे में आ गई थी। मैंने गीला टॉप उतार कर बदन पोंछ कर पेटीकोट साड़ी पहन ली, ऊपर ब्रा पहन ली पर ब्लाउज नहीं पहना। थोड़ी देर में बेसब्रे देवर जी कमरे में आए, तो मैंने एक चूची नंगी कर के उनको दिखाई और फिर ढक दी।
देवर जी बोले- कुछ और दिखाओ न भाभी..! चलो दोनों दिखाओ ना..!
मैंने कह दिया- बस अब आप जाओ..!
वो लंड सहलाते चले गए, उनको भी अब कुछ और करना होगा, ऐसा शायद सोच रहे हों।
अगले दिन जब सब मेहमान चले गए थे और कुछ रह गए थे। मैं सुबह उठ कर कमरे से बाहर आई तो मैंने मिडी पहनी हुई थी।
आज मुझे मस्ती कुछ ज्यादा ही चढ़ रही थी, सो मैंने शिशिर को देखते हुए एक कातिल अंगड़ाई ली।
शिशिर ने भी पौना-जीन्स पहनी हुई थी। मेरे अंगड़ाई लेते ही उसका लंड तन गया था और उसने चड्डी नहीं पहनी हुई थी, सो उसका टोपा पैन्ट से उभरा हुआ दिख रहा था।
बड़ा शानदार लंड था और लम्बा भी था। मुझे उस पर बड़ा प्यार आ रहा था।
मुझे खतरनाक शैतानी सूझी, मैं उसके नज़दीक गई, मैंने अपने अंगूठे और दो उंगलियों के बीच में उसके टोपे को धीरे से मसला। दो-तीन बार मसलने के बाद छोड़ा।
शिशिर भैया ‘सी..सी’ कर के सीत्कार कर उठे।
मैंने धीरे से कहा- कुछ देखना हो तो पांच मिनट बाद कमरे में आओ।
मेरे लंड के टोपे को पकड़ कर मसलने से देवर जी समझ गए कि मामला फिट है, सो खुश थे।
मैं कमरे में आई और मिडी उतार दी, नीचे सिर्फ पैन्टी थी, ब्रा पहनी नहीं थी, सो दोनों कबूतर उछल कर बाहर निकल आए। बड़े प्यारे लग रहे थे, सो मैं भी ऐसे ही लेट गई।अब सिर्फ पैन्टी मेरे शरीर पर थी, बाकी मैं नंगी थी। अब क्या.. सिर्फ इंतज़ार था।
देवर जी कमरे में आए, मुझे देखते ही उनकी लार टपक पड़ी।
मैंने कहा- कल यही देखना चाहते थे न… आप..! लो देख लो, पर खबरदार… नज़दीक मत आना और कुछ करना नहीं.. भाभी हूँ आपकी..! खेल अब खतरनाक हो गया था। कुछ करना बहुत जरूरी हो गया था।
मैंने अपने पति सुनील से कहा- मैं आज अपने घर पर कुछ काम करना चाहती हूँ। टाइम लगेगा सो आप मेरे साथ चलो।
उसने कहा- तुम ऑटो से चली जाओ, मुझे आज ऑफिस में अर्जेंट मीटिंग है। मैं तो उल्टा आज देर से आ पाऊँगा।
मैंने कहा- मुझसे अकेले नहीं हो पाएगा.. ऊपर टांड से कुछ सामान उतारना है।
सुनील ने कहा- तो ऐसा करो.. शिशिर को ले जाओ, वो फ्री ही है।
“पर उससे मैं नहीं कहूँगी.. आप कहो तो शायद वो मान जाए, पर आप कह देना कि वहाँ कुछ टाइम लगेगा, सो वापस मुझे साथ लेकर ही आए।”
मैंने ये इसलिए कहा था कि किसी को कुछ शक नहीं हो, इसलिये सुनील से कहलवाया।
अधिकतर मेहमान चले गए थे और कुछ रह गए थे। मैं, माँ, आंटी और कुछ रिश्तेदार बैठ कर बातें कर रहे थे।
तभी मेरे पति आए और उससे बोले- शिशिर जरा अपनी भाभी को घर ले जा, उसे कुछ काम है।
फिर हम दोनों हमारे घर आ गए। घर आ गया, उस समय घर में मैं और शिशिर ही थे।
शिशिर ने आते ही घर का दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया था। उसने मेरे पीछे आकर मुझे पकड़ लिया। शिशिर मुझे चूमने की कोशिश करने लगा।
शिशिर ने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया और मेरे ऊपर आ गया और मुझे प्यार करने लगा।
जैसे-तैसे मैंने उसे हटाया और कहा- हटो, मैं चाय बना कर लाती हूँ।
मैं उठकर चाय बनाने चली गई और वो मेरे पति के कंप्यूटर पर जा कर बैठ गया।
कंप्यूटर पर नेट ऑन किया और मेल चैक करने लगा और साथ-साथ उसमें पोर्न साईट सर्च कर रहा था, तभी मैं चाय लेकर चुपचाप उसके पीछे खड़ी होकर देखने लगी।
वो भी हॉट सेक्सी सीन्स का मज़ा ले रहा था। अचानक उसने देखा तो मैं पीछे थी, वो जैसे ही हड़बड़ी में पीछे घूमा, मैं चाय लेकर खड़ी थी, तो पूरी ट्रे मुझ पर ही उलट गई।
चाय बहुत गर्म थी, तेज़ी से जलन हुई, मैं भाग कर जल्दी से बाथरूम में जाकर पानी से धोने के लिए चली गई। चाय बहुत गर्म थी।
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कहानी जारी है।

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