चचेरी भाभी का खूबसूरत भोसड़ा -4
(Chacheri Bhabhi Ka Khubsurat Bhosda- Part 4)
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मैंने अब उनके होंठ चूसने शुरू कर दिए। वो भी बड़ी ही लज्जत से मेरे होंठ चूस और काट रही थीं।
किस करते हुए ही मैंने चालाकी से अपना पैन्ट उतार दिया और लण्ड महाराज को आजाद कर दिया.. जो कि तकरीबन आधे-पौने घंटे से टाइट होके पैन्ट में फंसा हुआ था। मेरा लण्ड अब अपने पूरे उफान पर था और चूत में जाने के लिए बेकरार था।
मैंने अब भाभी को पीछे से पकड़ के सोफे पर लिटा दिया और उन पर चढ़ कर उन्हें बेतहाशा चूमने लगा.. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं।
मैं इस दौरान अपना लण्ड उनकी चूत पर रगड़ रहा था और क्या बताऊँ दोस्तो.. तभी वो वक्त आ गया.. जिसका मुझे शिद्दत से इंतजार था।
उन्होंने खुद मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के दरवाजे पर रख दिया, मैंने भी देर न करते हुए धीरे से अपना सुपारा अन्दर घुसा दिया।
इस दौरान उन्होंने अपने आपको थोड़ा एडजस्ट किया.. जिससे उनकी चूत थोड़ा और खुल गई।
मैंने भी थोड़ा और जोर लगा कर आधा लण्ड अन्दर डाल दिया।
इस दौरान उनको थोड़ा दर्द हुआ.. तो उन्होंने चूमना छोड़ के मुझसे कहा- बस इतना ही देवर जी..
मैंने कहा- भाभी अभी तो आधा ही गया है।
तो वो बोली- क्या बोल रहे हो.. ये कैसे हो सकता है?
मैंने कहा- खुद ही देख लो।
जैसे मैंने उनको दिखाने के लिए लण्ड निकालने की कोशिश की.. उन्होंने मेरी गाण्ड पकड़ कर अपनी पर खींचा और बोलीं- निकालो मत.. आज पहली बार इतना मजा आया है चुदाई में.. जब तक में न कहूँ.. निकालना मत.. वर्ना दोबारा कभी इसके दीदार नहीं होंगे।
इस पर मैंने भी अपना लण्ड चूत की गहराइयों में पूरी तरह ठूँस दिया और उनकी एक हल्की सी चीख भी निकल गई।
उन्होंने अपने आपको थोड़ा एडजस्ट किया और मेरी गाण्ड पकड़ कर अपनी और खींचा.. जैसे उन्हें और अन्दर लण्ड चाहिए हो। मैं तो हैरान था कि इन औरतों का भी अजीब है.. एक तरफ चीखती हैं और एक ओर और ज्यादा लण्ड चाहती हैं।
मैंने भी देर न करते हुए अपनी स्पीड बढ़ा दी। हर बार में पूरा लण्ड बाहर निकालता और फिर पूरा अन्दर डाल देता।
अब भाभी पूरी तरह चुदाई में मस्त हो चुकी थीं.. वो मुझ पर अपने नाख़ून गड़ा कर इस तरह अपनी तरफ खींचती थीं.. जैसे वो मुझे भी अन्दर समा लेना चाहती हों।
मैंने भी जोर से उन्हें भींच लिया और धक्के लगाने लगा। उन्होंने भी अपनी टाँगें ऊँची करके अपनी खुबसूरत टाँगें जकड़ दीं।
क्या बताऊँ दोस्तो.. क्या गजब का अहसास था वो.. उनकी नर्म और सफेद दूध जैसी मस्त जाँघें मेरे चूतड़ों को दबा रही थीं और उनके चूचे मेरी छाती से इस तरह दबे थे कि अब उनके बीच हवा भी नहीं जा सकती थी। उनके बदन की और बगल के पसीने की खुश्बू तो कमाल की थी।
दोस्तो.. क्या कमाल का अहसास होता है.. जब किसी के प्यारे मम्मे आपके सीने से सटे हुए होते हैं।
मेरे लिए यह पहला अनुभव था.. तो मैं इतना उत्तेजित हो गया था कि मेरे लिए अपने आपको रोक पाना नामुमकिन था।
मैंने एक जोर का झटका लगाया और पूरा लण्ड उनकी चूत की गहराइयों में उतार दिया और जोर से झड़ने लगा। मैं करीबन 5 मिनट तक रुक-रुक कर झड़ता रहा।
मुझे खुद अपने आप पर आश्चर्य हो रहा था कि मैं इतना अधिक कैसे झड़ सकता हूँ.. पर दोस्तों कसम से झड़ने इतना मजा आया कि पूछो मत।
आज से पहले कितनी ही दफा मुठ्ठ मार के झड़ा था.. पर जो मुझे इस चूत में झड़ने में आया.. वो इससे पहले कभी नहीं आया। उस 5 मिनट के लिए मानो मैं जन्नत में था। उस दौरान भाभी मुझसे अपनी जान भी मांगती.. तो मैं शायद दे देता।
भाभी समझ गई थीं कि मैं झड़ रहा हूँ.. तो वो मुझे उस दौरान प्यार से मेरी पीठ सहला रही थी। झड़ने के बाद मैं निढाल हो गया और वैसे ही अपना लण्ड चूत में डाले हुए उन पर पड़ा रहा और वो मुझे कुछ देर तक सहलाती रहीं।
थोड़ी देर बाद मेरी प्यारी भाभी बोलीं- बस हो गया देवर जी.. आप तो बहुत जल्दी शहीद हो गए।
मैंने प्यार से भाभी से कहा- भाभी आप हो ही इतनी सेक्सी कि कोई ज्यादा देर अपने आपको रोक ही नहीं सकता और मेरा तो ये पहली बार था।
इस पर भाभी ने कहा- वैसे जीतू जी आप भी कमाल की चुदाई करते हो। मैंने आज तक ऐसी चुदाई का मज़ा नहीं लिया था। मुझे सही मायनों में आज पता चला कि चुदाई क्या होती है। आपके भैया भी कुछ ठीक ही चुदाई कर लेते हैं लेकिन आज तक उन्होंने ना ही कभी चूत चाटी है ना ही इस तरह मुझे प्यार किया है। मुझे तो मालूम ही नहीं था कि कोई कभी चूत भी चाट सकता है।
मैंने कहा- आपने कभी मुखमैथुन के बारे में नहीं सुना?
वो बोलीं- सुना तो है… लेकिन यकीन नहीं था कि कोई ऐसा भी कर सकता है।
मैंने कहा- वैसे भाभी.. मैंने भी कभी नहीं सोचा था कि मैं भी कभी इस तरह से चूत चाटूंगा.. यह तो आपकी चूत का ही कमाल है कि मैं पागल हो गया।
उन्होंने मुझे प्यार से भींचते हुए कहा- ऐसे पागल ही रहना मेरे नटखट देवर..
मैंने कहा- सच में भाभी.. आपकी चूत कमाल की है.. क्या बताऊँ उसकी महक.. उसका स्वाद.. मस्त पाव रोटी जैसा उभार..
उन्होंने बीच में ही मुझे ‘बस.. बस..’ कहते हुए रोक दिया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रखते हुए चूम लिया और अपनी बाँहों में कस लिया।
आपको याद दिला दूँ कि अभी भी मेरा लण्ड उनकी चूत के अन्दर ही था।
वो अचानक से बोलीं- देवर जी आपका लण्ड तो काफी बड़ा लगता है.. जरा इसे दिखाओ तो सही।
ऐसा कहते हुए उन्होंने अपनी चूत सिकोड़ दी और मेरे लण्ड में एक झुनझुनाहट सी हो गई।
दोस्तो.. जब मैं पहले मुठ्ठ मारता था.. तो उसके बाद मेरा लण्ड फ़ौरन ही ढीला हो जाता था। लेकिन इस बार तो इतना झड़ने के बाद भी वो अब तक टाईट था जिसका मुझे आश्चर्य हुआ।
मैंने भाभी को दिखाने के लिए अपना लण्ड उनक चूत से बाहर निकाला और उनके सामने खड़ा हो गया।
मेरा लण्ड अब भी तना हुआ था.. जैसे उनका शुक्रिया अदा कर रहा हो।
भाभी सोफे पर बैठ गईं अब उनका मुँह बिल्कुल मेरे लण्ड के सामने था।
भाभी उसे देख कर बोलीं- देवर जी, यह तो जैसे मुझे घूर रहा है।
मेरा लण्ड पूरी तरह उनके रस और मेरे वीर्य से सना हुआ था और चमक रहा था। उधर भाभी की चूत से मेरा वीर्य रिस रहा था.. जो सोफे पर गिर रहा था।
मेरे लण्ड को देखकर भाभी बोलीं- आप का तो जितना सोचा था.. उससे काफी बड़ा है।
मैंने कहा- भाभी आपकी चूत से बड़ा नहीं है.. आपने तो इसे पूरा निगल लिया था।
वो हँसने लगीं और बोलीं- देवर जी चूत से बड़ा तो कुछ भी नहीं होता.. न जाने कितने ही रजवाड़े इनमें घुसते चले गए।
उन्होंने मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया.. जिससे मुझे अजीब सी झनझनाहट महसूस हुई और मेरे मुँह से ‘आह’ निकल गई।
भाभी बोलीं- क्या हुआ देवर जी?
मैंने कहा- कुछ नहीं भाभी.. आपके हाथ कमाल के हैं।
वो धीरे-धीरे मेरे लण्ड को सहलाने लगीं। मुझे लगा कि वो चूसना चाहती थीं.. पर हिम्मत नहीं जुटा पा रही थीं। थोड़ी देर भाभी के हाथों में रगड़ने के बाद मेरे लण्ड की झनझनाहट कम हो गई और मैं फिर से चुदाई के मूड में आ गया।
मैंने भाभी से कहा- भाभी एक राउंड और हो जाए।
वो बोलीं- आज इतना ही.. बाकी फिर कभी..
तो मेरा सारा मूड खराब हो गया और मैंने मुँह लटका दिया।
इसे देखकर भाभी बोलीं- लगता है देवर जी नाराज हो गए। और वे मुझे अपनी और खींचते हुए बोलीं- आ जाओ मेरे अन्दर मेरे चोदू देवर जी।
मैं इस पर खुश होकर भाभी को सोफे पर गिरा कर उन पर चढ़ गया और जोर से उनको भींच लिया।
वो बोलीं- आराम से देवर जी.. मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ।
मैंने कहा- भाभी.. आप हो ही इतनी प्यारी कि सब्र ही नहीं होता।
इस पर वो बोलीं- जब मैं आपको इशारा करती थी.. तब तो कुछ नहीं किया।
मैंने कहा- कब इशारा किया था आपने भाभी?
इस पर वो बोलीं- टॉयलेट में क्या मैं यूँ ही अपनी चूत रगड़ती थी और चौड़ी करके आपको दिखाती थी?
मैंने कहा- भाभी मैं बुद्धू था.. तो मुझे कुछ समझ में नहीं आया।
वो बोलीं- खबरदार.. जो मेरे प्यारे देवर को बुद्धू कहा.. और मुझे जोर से भींच लिया।
मुझे उनका ये प्यार बहुत ही अच्छा लगा।
मैंने इस दौरान अपना लण्ड उनकी चूत पर रखा और अन्दर घुसेड़ दिया।
मेरे इस अचानक हमले से उनकी हल्की चीख निकल गई.. पर वो मस्त हो कर बोलीं- देवर जी आप तो बड़ी ही जल्दी अँधेरे में तीर चलाना सीख गए।
मैं अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गया और धक्के पर धक्के लगाने लगा, जिसे वो बड़े ही मजे से अपने अन्दर ले रही थीं।
दोस्तो.. इस बार मैंने बड़े ही खुलकर उनको चोदा.. क्योंकि अब झड़ने का डर नहीं था।
इस बीच हम दोनों ने अपनी रसीली बातें चालू रखीं.. वो कभी-कभी मेरे चूतड़ों को थपकी मार दिया करती थीं.. तो मैं कभी उनके मम्मों को काट लेता और कभी उनके होंठों को काट लेता था।
वो बोलीं- देवर जी.. ये तो बताओ.. आप को मुझमें सबसे अच्छा क्या लगा.. ये तो बताओ?
मैंने कहा- आप पूरी की पूरी कमाल की हो।
वो बोलीं- ऐसे नहीं.. कुछ डिटेल में बताओ।
साथियो, अब भाभी को अपनी खूबसूरती का बखान सुनना था.. और मैं भी उनको चोदने से पहले भरपूर मजा देना चाहता था..
उनकी चूत चुदाई की ये रस भरी दास्तान पूरी सुनाऊँगा.. यह मेरा आपसे वादा है.. तो मेरे साथ अन्तर्वासना के साथ बने रहिए।
अगले भाग के साथ आपसे पुनः मुलाक़ात होगी। तब तक आप अपने ईमेल मुझे अवश्य लिख भेजिएगा.. आपका जीतू।
[email protected]
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