चचेरी भाभी का खूबसूरत भोसड़ा -2

(Chacheri Bhabhi Ka Khubsurat Bhosda- Part 2)

This story is part of a series:

दोस्तो, अब तक आपने पढ़ा कि कैसे मुझे भाभी के भोसड़े के दीदार का लाभ मिला।
आप सब यह जानने के लिए बेचैन होंगे कि आपका यह दोस्त कैसे अपनी मंजिल तक पहुँचा।
अब आगे सुनिए..

एक दिन की बात है.. भाभी बाथरूम में मूत रही थीं और मैं दरवाजे के नीचे से उनकी चूत देख रहा था।
तभी अचानक से उन्होंने वैसे ही बैठे हुए ही टॉयलेट का दरवाजा खोल दिया, दरवाजा मेरे सर से टकराकर रुक गया और मैं अचानक हुए इस हमले से सकपका कर रह गया.. मेरी तो समझ में कुछ भी नहीं आया.. पर एक बात पक्की थी कि मेरी चोरी पकड़ी गई थी, मैं डर के मारे वहीं खड़ा रहा।

थोड़ी ही देर में भाभी टॉयलेट से बाहर निकलीं और मेरे सामने आकर खड़ी हो गईं। उन्होंने बड़ी ही अजीब सी निगाहों से मेरी तरफ देखा, उन्होंने मुझसे गुस्से में पूछा- तुम वहाँ क्या कर रहे थे?

अब मैं उनको क्या बताता कि मैं उनकी चूत देख रहा था।
मैं तो वैसे ही बुत बन के खड़ा रहा.. उन्होंने मुझसे फिर पूछा- जबाव दो.. तुम क्या देख रहे थे.. बताओ वर्ना तुम्हारे भैया को सब बोल दूँगी।
तो मैंने उनसे बोला- भाभी प्लीज़ भैया को कुछ मत बोलना… मुझसे गलती हो गई.. मैं थोड़ा बहक गया था। लेकिन मैंने ज्यादा कुछ नहीं देखा।

इस पर वो बोलीं- इससे ज्यादा तुम्हें और क्या देखना है.. इतना देखा वो कम है क्या?
मैं तो नजरें झुकाए वहाँ खड़ा रहा..
तो वो बोलीं- मैं पूछती हूँ.. उसका जवाब दो.. वर्ना तुम्हारी खैर नहीं।
मैंने कहा- भाभी अँधेरा होने की वजह से मैं ज्यादा कुछ नहीं देख पाया।
इस पर वो बोलीं- पिछले 2-3 महीनों से देख रहे हो और बोलते हो कि कुछ नहीं देखा..!

यह सुन कर मैं सन्न रह गया कि वो सब जानती हैं..
पर तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली कि वो जानबूझ कर ही मुझको सब दिखा रही थीं।
अब मेरी समझ में आ गया कि वो अपनी चूत क्यों इतनी साफ क्यों रखती थीं और क्यों टॉयलेट में उंगली करके चूत को रगड़ती थीं।
न जाने मुझ में कहाँ से हिम्मत आ गई और उनको बोल दिया- इसका मतलब कि आप जानबूझ कर मुझे सब दिखा रही थीं।
यह सुनकर वो दंग रह गईं क्योंकि उनको मुझसे इस जवाब की उम्मीद नहीं थी तो वो मुझे देखती रह गईं।

इससे पहले कि वो मुझसे कुछ कहतीं.. मैंने उनसे फिर कहा- लेकिन भाभी सच कहता हूँ कि मैंने ज्यादा कुछ नहीं देखा।
इस पर वो बोलीं- और ज्यादा क्या देखना है तुम्हें.. अब भी कुछ देखना बाकी है क्या?
मेरी समझ में नहीं आया कि वो किस टोन में ये मुझसे पूछ रही हैं.. तो मैं ऐसे ही खड़ा रहा।

सो उन्होंने दोबारा वही पूछा।
इस पर मैंने हिम्मत करके बोल दिया- और तो बहुत कुछ दिखाने के लिए है आपके पास.. अगर आप चाहें तो..
इस पर वो जोर से हँस पड़ीं।

उनकी इस हँसी से मुझे बहुत राहत हुई और मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
मैंने उनसे हाथ जोड़ के कहा- भाभी, क्या मुझे ठीक से दीदार का लाभ मिलेगा।
वो बोलीं- अवश्य मिलेगा.. लेकिन सिर्फ दीदार ही होंगे.. कोई भोग-प्रसाद नहीं लगेगा.. और वो भी दूर से ही।

मेरी तो जैसे किस्मत ही खुल गई.. मैंने उनसे कहा- मुझे मंजूर है।
उन्होंने मुझसे पूछा- पहले ऊपर के दीदार करना चाहोगे कि नीचे के?
मैंने कहा- दोनों के..
इस पर वो हँस कर बोलीं- आज सिर्फ एक ही चीज के दीदार होंगे, पूरे दीदार तो पूर्णिमा के दिन होंगे।

तो मैंने खुल कर कहा- ठीक है.. आज सिर्फ नीचे के दीदार करवा दीजिए.. क्योंकि मेरी रूचि हमेशा से मम्मों की बजाए चूत में ज्यादा रही है।
उन्होंने कटीली अदा से आँख मारी और कहा- ठीक है।

इतना कहने के बाद वो अपनी सलवार नाड़ा खोलने लगीं।
मैंने कहा- लाइए मैं आपकी मदद कर देता हूँ।
वो बड़ी आँखें करके बोलीं- वहीं खड़े रहो.. आगे मत बढ़ना.. वर्ना कुछ नहीं देखने को मिलेगा।
मैं वहीं रुक गया।

उन्होंने सलवार का नाड़ा खोलते ही उसे छोड़ दिया.. सो सलवार फट से नीचे गिर गई।

दोस्तो, क्या कमाल का नजारा था.. एकदम गोरी-गोरी मक्खन जैसी चिकनी.. केले के तने जैसी मस्त गदराई हुई जांघें और उनके बीच में मस्त चूत के उभार से उभरी हुई पैन्टी..
मैं तो सच में पागल हो गया।

यह नजारा देख कर तो मुझे महसूस हुआ कि यह तो मेरी उम्मीद से कई ज्यादा खूबसूरत था।
उनकी पैन्टी ऊपर से थोड़ी भीगी हुई थी.. शायद उनका मूत लगा हुआ था।

वो अपनी पैन्टी उतार ही रही थीं कि मैंने बोला- भाभी थोड़ी देर रुक जाइए.. मुझे ऐसे ही देखना है।
इस पर वो रुक गई और हँसने लगीं।

जैसे ही मैंने भाभी की पैन्टी को छूने की कोशिश की.. वो पीछे हट गईं और बोलीं- हमारी शर्त क्या थी.. भूल गया गया?
इस पर मैंने कहा- तो फिर आप खुद इसे निकाल दीजिए।

और उन्होंने बड़े ही सलीके से उसे उतार फेंका।

मैंने झट से उनकी पैन्टी उठाई और उसे चूम लिया और उसे जहाँ उनकी चूत का छेद लगा होता है.. सूंघने लगा.. हाय.. क्या कमाल की खुश्बू थी।

मेरी इस हरकत पर वो मुस्कुराईं और देखने लगीं।

मैंने कहा- मैं आपकी चूत को तो छू नहीं सकता.. तो इसे ही महसूस कर लेता हूँ।
भाभी ने बड़े प्यार से कहा- सब कुछ मिलेगा प्यारे देवर जी.. थोड़ा सब्र कीजिए, सब्र का फल मीठा होता है।

वो खड़ी थीं और मैं उनकी बिना बाल की चूत को देख कर खुश हो गया। वाकयी में कमाल की चूत थी.. बिल्कुल पाव रोटी की तरह उभरी हुई और एकदम साफ..

दोस्तो, चूत को चाहे ऊपर से देखो.. चौड़ी करके देखो या पीछे से हर जगह देखो.. वो हर ओर से खूबसूरत लगती है।
भाभी खड़े हुए अपना कमीज ऊपर उठाए पकड़ कर खड़ी थीं.. तो मैंने थोड़ी चालाकी करते हुए उनसे कहा- इसे पकड़ कर आप थक जाएंगीं.. इसे भी निकल दीजिए ना..

इस पर वो मेरा कान पकड़ कर बोलीं- आप बड़े ही होशियार हो.. सब कुछ आज ही देखना चाहते हो क्या?
मैंने कहा- अगर आप की मर्जी हो तो..
इस पर उन्होंने बोला- आज सिर्फ नीचे का ही देखने का लाभ मिलेगा.. बाकी फिर कभी..

अब मैं समझ गया था कि अब वो पक्का ही चुदेगी। लेकिन मुझे बड़े ही सब्र से काम लेना था, कहीं हाथ आई हुई बाजी बिगड़ न जाए।

दोस्तो.. ऊपर वाले ने चूत भी कमाल की चीज बनाई है.. ऊपर से देखो तो कुछ भी नहीं.. और चौड़ा करो तो क्या कुछ न उसमें समां जाए।
मैंने भाभी से कहा- ऐसे तो कुछ ठीक से दिखाई ही नहीं देता है.. आप प्लीज़ सोफे पर बैठ जाईए ना..

इस पर वो थोड़ा मुस्कुराईं और जाकर सोफे पर बैठ गईं। मगर उन्होंने अब भी टाँगें नीचे रखी हुई थीं.. तो मैंने कहा- भाभी टाँगें तो ऊपर कीजिए।
इस पर उन्होंने टाँगें ऊपर करके चौड़ी कर दीं..
अब मेरे सामने जन्नत का नजारा था.. पर मैं तो अभी और अन्दर जाना चाहता था।

थोड़ी देर में उसे यूं ही ललचाई निगाहों से देखता रहा, फिर मैंने कहा- भाभी इतना तो में पहले भी देख चुका हूँ.. कुछ और दिखाएं ना..
वो बोलीं- और क्या दिखाऊँ?
मैंने कहा- अपनी चूत थोड़ी चौड़ी कीजिए ताकि मैं जन्नत का रास्ता देख सकूँ।
इस पर वो हँस पड़ीं और बोलीं- आप जितने दिखते हो.. उससे कई ज्यादा शैतान हो देवर जी।
मैंने कहा- मैं तो संत ही था.. आपकी इस चूत ने शैतान बना दिया।

उस पर उन्होंने कहा- देवर जी ये वो कुँआ है जिसमें उतरने बाद कोई वापस नहीं आता।
मैंने भाभी से कहा- जो भी हो भाभी मुझे इसमें उतरना है।
इस पर उन्होंने कहा- जैसी आपकी मर्जी..

अब भाभी पूरी तरह लाइन पर आ चुकी थीं।
दोस्तो, अब भाभी पूरा खुल चुकी थीं.. अब उनकी चुदाई पक्की थी।

लण्ड वालों अपना लण्ड हिलाना चालू रखो और चूत वालियो.. अपनी चूत में से उंगली मत निकालना.. आगे की कहानी लेकर बस मैं कल आ रहा हूँ।
कहानी जारी है।
कहानी के बारे में अपनी राय मुझे मेल कीजिए।
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