गया था बिज़नेस करने, भाभी को चोद दिया-2
(Gaya Tha Business Karne, Bhabhi Ko Chod Diya- part 2)
कहानी का पिछला भाग: गया था बिज़नेस करने, भाभी को चोद दिया-1
मेरी सेक्स स्टोरी के पहले भाग में आपने पढ़ा कि मैंने भाभी की चूत देखने ही लगा था कि भैया के आने की आहट हुई और मामला गड़बड़ हो गया.
अब आगे:
मैं बाहर आया तो पता चला कि भैया रात 10 बजे की ट्रेन से फ़ैजाबाद जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे टिकट ले कर आये हैं और कुछ आर्डर बुक करने हैं, कुछ माल की कंपलेंट हैं, उन्हें देखना है। भाभी जी उनकी जाने की तैयारी करने लगी।
भैया ने मुझसे कहा- मुझे 10-12 दिन लग जायेंगे, तब तक तुम अपनी भाभी का ख्याल रखना।
उन्होंने बताया कि जब तुम नहीं थे तो भाभी के पास मकान मालिक की एक 12 वीं क्लास में पढ़ने वाली लड़की सोती थी, अब तुम हो तो उसकी कोई जरूरत नहीं है.
मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि भगवान ने तो लाटरी निकाल दी।
हमने 8 बजे खाना खाया और शेखर भैया 8.30 पर टैक्सी में अपना सामान लेकर निकल गए। जाते वक्त भाभी ने थोड़ा उदास होने का नाटक किया, भैया कहने लगे- राज को तुम्हारे साथ रहने के लिए ही तो बुलाया है, यह बच्चा है, तुम लोग घूमो फिरो.
भैया के जाते ही भाभी ने नीचे जाकर सीढ़ियों में ताला लगाया और ऊपर आ गई, थोड़ी उदास तो लग रही थी। परंतु आते ही मैंने उन्हें गोद में उठा लिया और जोर से किस करने लगा। वे कहने लगी- थोड़ा सब्र करो, मुझे नहाने दो, पसीना आ रहा है, और तुम भी नहा लो।
भाभी बाथरूम में नहाने चली गई। वे नहा कर निकली तो केवल बड़ा तौलिया लपेट कर बाहर निकली और बोली- मैं कपड़े चेंज करती हूँ, तुम नहा लो।
जब मैं नहा कर निकला तो भाभी ने अपनी सुहागरात वाली सुर्ख़ लाल साड़ी पहन रखी थी और दुल्हन बन कर सजने लग रही थी।
मैंने कहा- कहीं जाना है?
भाभी कहने लगी- राज हर लड़की के जीवन में सुहागरात की बड़ी कल्पना होती है, आज तुम मेरी वह इच्छा पूरी करोगे।
मैंने भाभी को बाँहों में भर कर बेड पर लिटा लिया और झुक कर भाभी के रसीले होठों को चूसने लगा।
भाभी ने आँखें बंद कर ली और अपने हाथों को मेरी कमर के चारों और लपेट लिया। मैं भी उनके हर अंग को प्यार करता रहा और सहलाता रहा। मैंने अपना लोअर और टीशर्ट उतार दिया। भाभी मेरे चौड़े सीने से लग गई। मैंने धीरे से उनकी साड़ी को ऊपर किया और उनकी दूध जैसी गोरी जांघों को देखा और अपना हाथ फिराने लगा।
धीरे धीरे मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोले और फ्रंट ओपन ब्रा से उनके चुचों को आजाद किया और दोनों कपड़े निकाल दिए। भाभी ने अपने बड़े बड़े मम्मों को साड़ी से ढक लिया जो पारदर्शी साड़ी में और भी सेक्सी लग रहे थे। मैंने उनकी साड़ी के पल्लू में अपना सिर अंदर किया और चूचियों को पीने और मसलने लगा। भाभी ने मेरा सिर अपने मम्मों पर दबा लिया।
मैं भाभी के ऊपर लेट गया। भैया में लगभग 50 किलो वजन था जबकि मुझमें 70 किलो वजन था।
भाभी मेरे नीचे आकर बोली- आज असली मर्द के नीचे लेटी हूँ। राज! आज तुम मुझे स्वर्ग का आनन्द दे दो.
अभी मुझे भाभी की चूत के दर्शन करने थे। मैंने भाभी की साड़ी उतार दी और वे केवल साटन के चिकने पेटीकोट में रह गई। पेटीकोट का नाड़ा भी मैंने खींच कर खोल दिया और भाभी ने अपनी आँखे बंद करके उसे भी चूतड़ उठा कर निकाल दिया।
भाभी अब मेरे सामने संगमरमर की नंगी मूर्ति सी लेटी थी.
पेटीकोट निकलते ही बहुत ही सुन्दर पाव रोटी जैसी, गोरी, बिना बालों वाली चिकनी चूत मेरे सामने थी।
मैंने कहा- भाभी, थोड़ी टाँगें चौड़ी करके दिखाओ।
उन्होंने अपनी टांगें चौड़ी की और अन्दर का गुलाबी हिस्सा दिखाया।
मैं बोला- भाभी एक बार छू लूँ?
उन्होंने आँखे बंद किये किये कहा- बुद्धू जो करना है, कर लो।
इतना सुनते ही मैंने भाभी की नरम, गर्म और चिकनी चूत पर हाथ फिराया। हम दोनों ही सिहर गए। मैंने चूत को मुठी में भींचा तो भाभी की सिसकी निकल गई। उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ लिया और उससे खेल करने लगी। कभी अपने गाल पर रगड़ती, कभी होठों पर लगाती तो कभी चूचियों पर रगड़ने लग जाती।
अचानक भाभी मुझे अपने ऊपर खींचने लगी. मैंने भाभी के हर अंग को चूमना शुरू किया। उनकी हथेलियों को, आँखों को, गालों को, होठों को, उनकी गर्दन को, उनकी चूचियों को, उनके पेट से होते हुए उनकी जांघों को चूसा, फिर उनके पटों और सुन्दर पाँव जिनमें भाभी ने पायल पहनी थी। भाभी मुझे बार बार अपने ऊपर खींच रही थी। अंत में मैंने अपने होंठ उनकी नरम और गर्म मखमली चूत पर रख दिए और सारी चूत को मुंह में भर कर एक जोर का चूसा मारा।
भाभी की आनन्द से चीख निकल गई, भाभी बोली- कुछ करने से पहले जान ही निकाल दोगे क्या? ऐसा भी सेक्स होता है, मैंने तो पहली बार फील किया है.
मैं भाभी के चूत के दाने को चूसने लगा, दो तीन बार चूसने और जीभ से चाटने के बाद भाभी ने मेरा सिर अपनी टांगों से कस कर जांघों में भींच लिया और उनकी चूत से पानी निकल गया.
उन्होंने टाँगे फैला दी और मेरा सिर बाहर हटा दिया।
भाभी कहने लगी- राज, आज तो मुझे लगता है तुम्हारे प्यार करने के तरीके से मर ही जाऊँगी, जब अपना लण्ड अन्दर डालोगे तब क्या होगा?
मैं भाभी के साथ लेट गया।
भाभी ने बताया कि पहले ही दिन जब मैं गहरी नींद में रात को सोया हुआ था तो उन्होंने मेरा ढीले इलास्टिक वाला लोअर नीचे करके मेरा सोया हुआ लण्ड देख लिया था।
उन्होंने बताया- तुम्हारा सोया हुआ लण्ड भी तुम्हारे भैया के खड़े लण्ड से दुगना था।
वे बताने लगी- फिर मैंने धीरे धीरे लण्ड के ऊपर हाथ फिराया तो वह बड़ा होने लगा था। यह सारा काम, भाभी भैया के ऊपर से ही कर रही थी।
भाभी बोली- जब लण्ड पर हाथ फिराते मुझे काफी देर हो गई थी तो तुम्हारा लण्ड पूरा टाइट हो कर खड़ा हो गया था। परंतु अँधेरे में अधिक नहीं दिखाई दे रहा था।
वह बोली- मैं कई देर तक लण्ड को सहलाती रही थी, तुम गहरी नींद में सोये हुए थे, फिर अचानक जब मैंने तुम्हारी मुठ मारनी शुरू की तो तुम उठ गए और मैं बहाना बना कर तुम्हारे भैया के ऊपर अपनी नंगी टांग डाल कर लेट गई थी, जिससे कि तुम देख सको, आगे जो तुमने किया, वो तुम्हें पता ही है.
मैं भाभी की बातें सुनकर हैरान रह गया, मैंने उनको पूछा- मेरा लण्ड पसन्द आया?
तो वे बोली- लण्ड क्या है, भगवान का तोहफ़ा है, लेकिन तुम्हारी भाभी भी किसी हीरोइन से कम नहीं है, तुम्हारे भैया के बड़े दोस्त लाईन मार चुके हैं, परंतु मैंने किसी को घास नहीं डाली।
मैंने कहा- भाभी ये हुस्न आपने मेरे लिए ही बचा कर रखा था।
यह कह कर मैं नंगी पड़ी भाभी के ऊपर आ गया। मैं उनकी टांगों के ऊपर चूत पर बैठ गया और झुक कर उनके मम्मे चूसने लगा।
भाभी कहने लगी- अब ऐसे ही झाड़ते रहोगे या इस हथियार का कमाल भी दिखाओगे?
मैंने कहा- भाभी, अपने पास पूरी रात पड़ी है; पहले आपकी ऊपर की प्यास तो बुझा दूं।
भाभी कहने लगी- अभी तो ऐसी 10 रातें और 10 दिन हैं, परन्तु मेरी चूत के अन्दर सुलग रही आग को पहले बुझाओ.
इतना सुन कर मैंने भाभी की टांगों को चौड़ा किया और उनके घुटनों को थोड़ा मोड़ कर अपने लौड़े को उनकी चूत के छोटे से गुलाबी छेद पर रखा। चूत पहले ही दो बार पानी छोड़ चुकी थी और लण्ड भी प्रीकम से तर हो चुका था। जैसे ही मैं जोर लगाने लगा, भाभी ने डर से अपने दोनों हाथ मेरी छाती पर अड़ा लिए। मैंने उनके हाथों को हटा कर लण्ड को थोड़ा जोर लगा कर अन्दर किया, लण्ड का सुपाड़ा चक से अंदर चला गया। मैंने थोड़ा और जोर लगाया तो आधा लण्ड भाभी की छोटी सी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। भाभी ने अपने दांत भींचे रखे और लण्ड को लेती रही.
भाभी बोली- भैया, बहुत ही मोटा है, जरा आराम से करो, कहीं चूत फट न जाए।
मैंने कहा- भाभी चूत को फाड़ना ही तो है.
और यह कह कर मैंने एक जबरदस्त झटके से सारा लण्ड चूत में ठोक दिया। भाभी की चीख निकल गई और लण्ड निकालने के लिए ऊपर सरकने लगी, परंतु मैंने उन्हें अपनी छाती के वजन से दबा लिया और कन्धों को पकड़ कर उन्हें हिलने नहीं दिया।
भाभी के चेहरे पर पसीने आ गए, भाभी बोली- राजू एक बार निकालो, बहुत दर्द हुआ है, तुम्हारा तो बहुत लम्बा और मोटा है, निकालो एक बार, प्लीज, निकालो।
दोस्तो, मैंने हमेशा लेडी की चूत उसकी मर्जी से मारी है। जब तक लेडी मेरा लण्ड लेने को अपने आप नहीं कहती मैं अन्दर नहीं करता।
मैंने लण्ड निकाल लिया। लण्ड पर चूत के रस के अलावा कुछ खून के लाल निशान से भी लगे थे। शायद अंदर कुछ फटा था। क्योंकि भाभी की चूत लगभग कंवारी ही थी। कभी कभार 3 इंच का लण्ड ही अंदर गया था.
मैं भाभी के साथ लेट गया, उन्होंने चूत पर हाथ लगा कर देखा चूत ठीक थी; मैंने चूत को धीरे धीरे सहलाया; भाभी के पसीने पोंछे, उनकी चूचियों पर हाथ फिराया।
भाभी बोली- एक बार तो ऐसा लगा था मानों चूत में कोई सुलगता मोटा सरिया डाल दिया हो।
वे बोली- मैंने आपसे नहीं चुदवाना। ये तो घोड़े जैसा लण्ड है.
मैं भाभी के साथ लेट गया और अपनी एक टांग उनके दोनों पटों और चूत पर रख ली तथा हाथों से उनके गाल और चूचियाँ सहलाने लगा। मैंने भाभी को होठों पर किस किया और बहुत देर तक उनके होंठ चूसता रहा।
मैंने भाभी से पूछा- ज्यादा दर्द हुआ था क्या?
उन्होंने कहा- अंदर कहीं हुआ था।
मैंने उन्हें अपने ऊपर खींच कर लिटा लिया। अब भाभी मेरे पेट और छाती पर लेटी हुई थी; उनकी चूत मेरे लण्ड के पास थी। मैंने लण्ड को उनकी चूत के पीछे से ले जाकर उनके चूतड़ों के बाहर टिका दिया और भाभी के मम्मों को पीते हुए उनके चूतड़ों, कमर और गर्दन पर धीरे धीरे हाथ फिराने लगा। भाभी मेरे लण्ड के ऊपर अपनी चूत और चूतड़ फिर रगड़ने लगी।
थोड़ी देर प्यार से सहलाने के बाद भाभी लौड़ा लेने को फिर तैयार हो गई और मेरे ऊपर से उतर कर नीचे लेट गई.
मैं समझ गया और मैं फिर ऊपर आ गया।
तब भाभी बोली- जरा ड्रेसिंग टेबल से एक ऑयली क्रीम ले आओ।
मैं क्रीम ले आया और चूत और लण्ड पर लगाईं और भाभी की टांगों को फिर से चौड़ा करके धीरे धीरे लण्ड को चूत में धकाया। भाभी आराम से सारा लण्ड अंदर ले गई।
मैंने पूछा- दर्द तो नहीं हो रहा?
तो उन्होंने कहा- नहीं… धीरे धीरे करो।
मैं लण्ड आगे पीछे करने लगा तो भाभी साथ देने लगी.
लगभग 5 मिनट की चुदाई के बाद वे कम्फ़र्टेबल हो गई और बोली- राजा जोर से चोदो। मैंने स्पीड बढ़ा दी। भाभी सातवें आसमान में गोते लगा रही थी, साथ ही जोर जोर से आह… आह… आई… हाय… चोदो… चोदो… जोर से… और जोर से… आह… आह…
और कुछ ही देर में भाभी जोर से चिल्लाई- आई… राजा… उई… उई… हाँ…
भाभी ने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा दिए और उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया। भाभी की सांसें फूल गई थी, उन्होंने एकदम निढाल सी हो कर पाँव सीधे कर दिए.
मैंने भाभी की चूत में लण्ड डाले डाले, भाभी की कमर में हाथ डाले और उन्हें अपनी गोद में उठा कर बैठा लिया अर्थात मैंने अपने पाँव गद्दे पर सीधे कर लिए और भाभी ने चूत में लण्ड लिए लिए अपने पाँव मेरी कमर के पीछे की और कर लिए; हम बैठे बैठे आमने सामने हो गए; मैंने भाभी के मम्मों को पीना शुरू किया और उन पर अपने दाँत गड़ा दिए। साथ ही हाथों से भाभी के चूतड़ों को पकड़ कर भींचता रहा और भाभी को उठा उठा कर लण्ड पर पटकता रहा, उनकी कमर को सहलाता रहा और गर्दन पर प्यार करता रहा।
थोड़ी देर बाद भाभी फिर झड़ गई और ढीली हो गई.
मैं भाभी की चूत में लण्ड डाले डाले नीचे लेट गया और उनकी पोजीशन ऊपर हो गई। काफी देर तक वे मेरा लण्ड चूत में लिए लिए मेरे ऊपर लेटी रही और हल्की फ़ुल्की बातें करती रही। उन्होंने कहा- मुझे बाथरूम जाना है।
मैंने भाभी को छोड़ दिया और वे नंगी ही बाथरूम चली गई और अपनी चूत को धोकर आई। मैं ऐसे ही लेटा रहा। भाभी किचन में से मेरे लिए एक गिलास दूध और कुछ बादाम ले आई और कहने लगी, ये खाओ और दूध पिओ.
दूध पीने के बाद मुझे फिर जोश आ गया और भाभी को खड़ा कर के उनकी चूत में लौड़ा डाला और उनकी टांगों के नीचे अपनी बाहें डाल कर, उन्हें झूले की पोजीशन में ला कर, उन्हें अपने लण्ड पर लटका लिया।
अब भाभी ने अपनी बाहें मेरी गर्दन में डाल रखी थी और उनको मैं झुलाते हुए अपने लण्ड पर मार रहा था। मैंने गद्दे पर खड़े खड़े भाभी को दीवार के साथ अड़ा दिया और चूत पर लण्ड से जबरदस्त वार करने लगा। इधर से मैं ठोक मारता, उधर से भाभी के चूतड़ और कमर दीवार से टकराते।
भाभी बेहाल हो गई और जोर जोर से मजे से चीखने चिल्लाने लगी। वे मेरे मूसल से लण्ड पर टंगी हुई थी। कुछ देर आह… उह… मर गई… मार दिया… बस करो… आदि बोलती रही। जब वह बुरी तरह से चुद चुकी तो बोली- राजा अब अपना कर लो।
रात का 1.30 बज गया था; मैंने भाभी को गद्दे पर लिटाया और अपनी मन पसन्द पोजीशन- भाभी की दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख कर जोर जोर से चोदना शुरू किया.
भाभी- मर गई… आह… आह… उई… आह… करती रही और अंत में मैंने 15-20 जोर दार शॉट के बाद भाभी की सालों से जवान लण्ड को तरसती चूत को अपने लण्ड के वीर्य की गर्म पिचकारियों से भर दिया। लण्ड पिचकारियाँ मारता रहा और भाभी अपने तेज नाखूनों से मेरी कमर को नोचती रही। अंत में हम दोनों शांत हो गए। भाभी की चूत से लावे की तरह वीर्य बाहर बह रहा था। भाभी चौड़ी टाँगें करके पड़ी रही। मैंने उनकी चूत को एक कपड़े से साफ़ किया और मैं लेट गया। भाभी पता नहीं कितनी देर तक मुझे चूमती रही और हम सो गए.
सुबह जब आँख खुली तो काम वाली लड़की चंदा, जिसके पास नीचे सीढ़ियों की एक चाबी होती थी, वह हर रोज़ की तरह कमरे में आ गई और उसने हम दोनों को बिल्कुल नंगे एक दूसरे की बाहों में देख लिया। वह हमें देख कर फ़ौरन बाहर निकल गई और किचन में काम करने लगी। परंतु जाते हुए कमरे से सारे बर्तन ले गई.
बर्तनों के खनकने की आवाज से भाभी उठ गई और अंदर के बर्तन न देख कर समझ गई कि चंदा ने सब कुछ देख लिया है। खैर, भाभी ने मेरे ऊपर चादर डाली और बाहर गई। फिर वे चंदा से बात करके आई। औरतें आपस में खुली होती हैं.
जब मैं उठा तो चंदा बाथ रूम में कपड़े धो रही थी।
भाभी ने कहा- राज! इस चंदा को सब कुछ पता चल गया है, अतः तुम इसको मेरे सामने चोद दो ताकि ये किसी से बात न कर सके।
मैंने कहा- भाभी मेरा दिल नहीं करता, और यह मानेगी भी क्यों?
भाभी कहने लगी- यह मान जायेगी क्योंकि हम औरतें आपस में बातें कर लेती हैं, इसके पति ने इसे छोड़ रखा है। दो साल शादी को हो गए हैं, यह चुदने को तरस रही है। इसने हमेशा तुम्हारे भैया का लण्ड सोते हुए कई बार लुंगी में से देखा है, आज इसने तुम्हारा देख लिया है। तुम चिंता मत करो, इसे मैं तैयार कर दूँगी।
मैंने कहा- पहले इसे नहाने को कहना है।
भाभी बोली- ठीक है जब दोपहर को आएगी तो मैं इसे तैयार कर दूँगी।
मैं थोड़ी देर के लिए नीचे घूमने बाहर चला गया। भाभी ने पीछे से चंदा को तैयार कर लिया और जब मैं घर आया तो वह बाथरूम में नहा रही थी। भाभी कहने लगी- इसको मैंने अभी मना लिया है, तुम तैयार हो जाओ, यह चूत और बगल की शेव आदि करके बाहर आएगी.
थोड़ी देर में चंदा शैम्पू आदि से नहा कर बाहर आई। सांवली होने के बाद भी गजब की सुन्दर लग रही थी। उसने भाभी की दी हुई उनकी एक छोटी सी स्कर्ट पहन रखी थी। वह कमरे में आ गई। उसने क्रीम आदि लगा कर खुशबू उठा रखी थी।
मैं जब नीचे गया था तो कंडोम का एक पैकेट ले आया था.
मैंने उसे बाहों में भर लिया और उसके मम्मों और चूतड़ों पर हाथ फिराने लगा। चंदा न जाने कब से लण्ड लेने को तड़प रही थी। मैंने उसे सीधा नीचे लिटाया और लण्ड पर कंडोम और क्रीम लगा कर चूत पर भी थोड़ी क्रीम लगाईं। चंदा की चूत एकदम चिकनी और सांवली थी। परंतु थी एकदम ब्रेड पकोड़ा सी।
मैंने चूत पर लण्ड रखा तो वह घबरा गई, बोली- बाबूजी कभी हमने इतना बड़ा लण्ड नहीं लिया है।
मैंने उसकी चूचियों को मसला और पटों पर थोड़ा हाथ फिरा कर लण्ड को अन्दर धक्का दिया; आधा लण्ड अंदर बैठ गया।
चंदा ने अपनी आँखें बंद कर ली और मैंने दूसरे झटके में पूरा लौड़ा अंदर पेल दिया। चंदा एक बार चीख कर शांत हो गई और उसने मेरी कमर को जोर से पकड़ लिया। मैंने चंदा की चूत में जम कर शाट मारने शुरू किये; वह आह… आह…उई… उई… करने लगी।
20-25 शाट के बाद चंदा का शरीर अकड़ने लगा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया; मेरे लण्ड ने भी उसी वक्त पानी छोड़ दिया।
भाभी कभी अंदर आ रही थी और कभी किचन में जा रही थी और यह सब देख रही थी। उन्हें अब फ़िक्र नहीं रहा था कि चंदा अब कहीं हमारी बात करेगी.
मैंने 10 दिन और 10 रातें ताश की गड्डियों में दर्शाये आसनों के तरीकों से भाभी की खूब दिल लगा कर चुदाई की। कभी घोड़ी बना तो कभी मेज पर उल्टा कर, कभी बिना आर्म वाली चेयर पर बैठ कर, हर तरह से चोदा; भाभी पूरी तरह से मेरी बन चुकी थी।
एक रोज मैंने भाभी से कहा- भाभी एक रोज जब भैया के कहने पर मैं चंदा को पकड़ने चला था तो आपने कहा था ‘मैं तुम्हें कोई बढ़िया चीज दिलवाऊँगी, वो कौन है?’
भाभी ने कहा- जब तुम नहीं थे तो मेरे पास मकान मालिक की एक प्लस टू में पढ़ने वाली लड़की सोती थी. वह हमारी सारी सेक्सी मैगजीन देखती रहती है, उसके पास एक पतला सा प्लास्टिक का चाइनीज़ डिल्डो भी है, जिसे वह यूज़ करती है। वह मुझसे खुली हुई है। दरअसल वह उस डिल्डो को अपने दाने पर रगड़ती रहती है और एक इंच से ज्यादा अंदर नहीं लेती, उसी से वह अपनी खारिश मिटा लेती है।
भाभी ने बताया- एक बार उसने वह डिल्डो मुझे भी दिया था, परंतु मुझे मजा नहीं आया, वैसे भी वह प्लास्टिक की गोल सी, पतली सी नुकीली डंडी है जो चाइनीज़ दुकानों में रखी होती है. वह लड़की बड़ी सेक्सी है, तुम्हारे भैया की उस पर नज़र है परंतु वह उनको लिफ्ट नहीं देती है क्योंकि वह जानती है तुम्हारे भैया नपुंसक टाइप के हैं। उसका नाम हिमानी है और एकदम मस्त माल है। भाभी ने इशारा किया कि वह साथ वाले कमरे में ही सोती है। दरअसल हमारे कमरे में एक दरवाजा बंद रहता था, वह कमरा मकान मालिक के पास था और उसमें हिमानी सोती थी.
दोस्तो! मैं कलकत्ता में भैया के घर तीन महीने रहा और सैकड़ों बार भाभी को तरह तरह से चोदा। कभी बाथरूम में इकट्ठे नहाते हुए तो कभी किचन में ही पीछे से खड़ी खड़ी के डाल देता था। भैया आते रहते थे और एक आध हफ्ता रुक कर जाते रहते थे। मेरे कोलकत्ता से जाने के बाद पता चला कि भाभी ने एक बच्चे को जन्म दिया है और वे माँ बन गई हैं.
हिमानी को भी भाभी ने मुझसे चुदवाया, यह अगली स्टोरी में लिखूंगा। हिमानी लाजवाब हुश्न की मलिका थी।
मेरी सेक्स स्टोरी पर अपने विचार मुझे कमेंट्स द्वारा भेजें ताकि मुझे पता लगे कि आपको मेरी स्टोरीज पसंद आ रही हैं या नहीं!
What did you think of this story??
Comments