बिन्दास भाभी की चूत की खाज
(Bidas Bhabhi Ki Chut Ki Khaj)
बिन्दास भाभी की चूत की खाज
समीर यादव
मैं अपने बारे में बता दूँ कि मैं वाराणसी में रहता हूँ.. मेरी हाइट 6 फीट है। मेरी बॉडी ज़्यादा स्लिम भी नहीं और ज़्यादा मोटी भी नहीं है.. पर ठीक है।
इस कहानी में मैंने कार्य व नाम बदल दिए हैं लेकिन कहानी मेरी और मेरी भाभी की ही है।
यह मेरे साथ तब हुआ जब मैं 20 साल का था।
मेरे भैया की शादी हुई थी.. उस समय मेरे भैया की उम्र 26 साल और मेरी नई भाभी की उम्र लगभग 24 साल होगी। जब से भाभी आई थीं.. घर में जैसे रौनक आ गई थी.. क्योंकि औरतों में वही सबसे छोटी थीं.. इसलिए दिन भर इधर से उधर भागती फिरतीं.. सबके काम करतीं.. पर फिर भी हमेशा चहकती रहती थीं।
कुछ ही दिनों में मेरी उनसे कुछ ख़ास बनने लगी थी.. क्योंकि हमारे उम्र के बीच फासला ज़्यादा नहीं था। भैया का बिज़नेस होने के कारण वे दिन भर घर पर नहीं होते और उधर कॉलेज के बाद मेरी एक्सट्रा स्टडीज चल रही थी.. इसलिए मैं ज़्यादातर दोपहार के बाद घर पर ही होता था।
भैया का डेली रुटीन सुबह 7.30 बजे से लेकर रात 12 बजे तक होता था और बिज़नेस अकेले संभालने के कारण से भाभी को ज़्यादा टाइम नहीं दे पाते थे इसीलिए भाभी और मेरे बीच कुछ ख़ास किस्म की दोस्ती हो गई थी और हम एक-दूसरे के साथ अपनी हर फीलिंग शेयर करते थे।
वैसे तो हमारी जॉइंट फैमिली थी.. पर हर एक से यह कहा गया था कि हर कोई अपने अपने रूम की सफाई खुद करेगा।
सिर्फ़ झाड़ू और पोंछा के लिए नौकरानी आती थी.. बाकी कमरे के सारे काम कमरे में रहने वाले को करने का आदेश दादाजी ने दे रखा था।
ऐसे में मेरा काफ़ी बुरा हाल था..
पर एक दिन मेरी परेशानी को समझकर मेरी नई भाभी ने रोज़ मेरे कमरे की सफाई कर देने का मुझसे वादा किया और तकरीबन जब दोपहर को घर के सदस्य आराम कर रहे होते थे.. वो आकर मेरे कमरे की सफाई कर जाती थीं।
इन्हीं पलों में हमारे बीच बाकी सारे रिश्तों ने जगह खोकर दोस्ती ने अपनी जगह बना ली और अब हमेशा जब भी वो आतीं.. हम लोग काफ़ी देर मेरे ही कमरे में बातें करते रहते।
वैसे तो मेरी भाभी हमेशा सलवार-कमीज़ पहनती थीं और उसके ऊपर दुपट्टा क्रॉस में लपेटे रहती थी ताकि कहीं से भी गला खुला ना रह जाए।
लेकिन हमारे बीच दोस्ती की वजह से भाभी मेरे कमरे की सफाई के वक़्त दुपट्टा साइड में निकालकर काम करती थीं।
ऐसे में कई-कई बार भाभी को झुकना पड़ता और मुझे कई बार उनकी कमीज़ का गला ज़्यादा बड़ा होने की वजह से अन्दर का लगभग सारा नज़ारा दिख जाता।
पहले तो जब भाभी ऐसी स्थिति में होतीं.. तो मैं आँखें वहाँ से हटा लेता.. पर धीरे-धीरे में इन लम्हों का लुत्फ़ उठाने लगा था.. क्या गोरी थी मेरी भाभी अन्दर से और क्या ज़बरदस्त गोलाइयाँ थीं उनकी.. यह नज़ारा देखकर मेरे शॉर्ट्स के अन्दर मेरा शेर खड़ा होकर सलामी देने लगता।
ऐसे ही दिन बीतते रहे और दिन ब दिन मेरी हालत भाभी के आधे मम्मों के नजारों को देखकर खराब होने लगी थी।
जब भी वो काम खत्म करके रूम से जातीं.. मैं सीधे बाथरूम में जाकर अपने शेर को सुला आता।
तड़पने लगा था मैं.. मेरी भाभी को पाने के लिए और शायद मुझे ऐसा लगने लगा था कि भाभी को भी मुझे तड़पाने में मजा आने लगा था क्योंकि अब वो मेरे सामने ज़रूरत से ज़्यादा बार झुकतीं.. और मुझे अपने उन सेक्स से भरे चूचों के दर्शन करवातीं।
आख़िर एक दिन मैंने ये तय कर लिया कि किसी ना किसी तरह भाभी के सेक्सी जवानी को चखना ही है.. चाहे जो हो जाए.. पर भाभी के खूबसूरत बदन को अपनी बाँहों में भरके प्यार करना है।
पर कभी ठीक मौका नहीं मिला और न ही कभी आगे बढ़ कर उनका हाथ थामकर उन्हें बाँहों में भरने की हिम्मत हुई।
आख़िर वो दिन आ ही गया.. जिस दिन मेरे सारे अरमान पूरे हुए। मुझे जिस प्यार की.. जिस सेक्स की भाभी से चाहत थी.. वो मिल ही गई।
हुआ कुछ यूँ कि मेरी बुआ.. जो हमारे ही शहर में रहती हैं.. के बेटे का जनेऊ संस्कार का प्रोग्राम था और घर के कुछ सदस्य वहीं गए हुए थे।
मैं जब क्लास खत्म करके घर आया.. तो सिर्फ़ मेरी प्यारी सी भाभी और दादी माँ घर पर थे।
जब भाभी से दादी माँ के सामने पूछा- आप क्यों नहीं गईं?
तो दादी माँ ने जवाब दिया- आज नौकरानी नहीं आई.. तो घर के काम की वजह से वो नहीं गई.. रात में खाने पर बुआ के घर पर जाएगी।
इतना कहकर दादी माँ ने कहा- तू भी फ्रेश होकर बुआ के घर चला जा।
मैंने हामी भर दी पर और अपने कमरे में चला गया।
उसी समय भाभी ने मुझसे कमरे में आकर कहा- समीर तुम मत जाओ.. वरना मुझे अकेले बोर फील होगा।
तब मैंने भाभी से कहा- दादी माँ को क्या जवाब दूँ?
पर फिर इसकी भी तरकीब उनके पास थी.. उन्होंने कहा- तुम दादी माँ के सामने घर के बाहर चले जाओ.. पर जैसे ही दादी माँ अपने कमरे में जाएँ.. तुम चुपके से अपने कमरे में बैठ जाना।
यह आईडिया मुझे ठीक लगा और मैंने ऐसा ही किया। लगभग 10-15 मिनट के बाद भाभी मेरे कमरे की सफाई करने आ गईं।
मैंने जब पूछा.. तो उन्होंने बताया- दादी माँ सो गई हैं।
उस दिन भाभी को ऊपर की सफाई के अलावा मेरा रूम भी पोंछना था.. क्योंकि नौकरानी नहीं आई थी।
किस्मत से भाभी ने उस दिन सफ़ेद रंग की ड्रेस पहनी थी.. जो कुछ ज्यादा ही झीनी थी.. जिसमें से उनकी रेड ब्रा क्लियर दिख रही थी।
भाभी ने अपना दुपट्टा उतारा और सफाई शुरू की।
तभी मुझे अपनी हसरत पूरी करने का मौका मिला और मैंने भी भाभी की मदद करनी शुरू की यह कहकर कि आज आपको ज़्यादा काम करना पड़ रहा है..
इस बीच कई-कई बार भाभी ने मुझे अपने दूध के लोटों के आधे दर्शन करवाए.. जिसकी वजह से मेरा शेर शॉर्ट्स के अन्दर से फिर सलामी देने लगा था।
भाभी ने जब झाड़ू लगाना शुरू किया तो मैं पानी भरने बाथरूम में चला गया और बाल्टी में सर्फ का पानी भर लाया।
भाभी झाड़ू मार रही थीं कि तभी मैंने फर्श पर थोड़ा पानी गिरा कर फिसलने की एक्टिंग की और बाकी सारा पानी भाभी के ऊपर गिरा दिया और खुद भी भाभी के ऊपर गिर गया।
पहली बार मैंने भाभी के बदन को छुआ था.. मुझे तो जैसे करेंट लगने लगा।
मैंने मौके को ना गंवाकर उनके मम्मों को ड्रेस के ऊपर से ही मसल दिया।
पहले तो वो सकपका गईं.. पर फिर उन्होंने कहा- समीर, ऊपर से नहीं अन्दर हाथ डालकर इन्हे मसल दो..
यह सुनकर तो जैसे मैं अचरज में पड़ गया।
भाभी ने कहा- मैं जानती हूँ कि तेरी मुझ पर नज़र है और तू क्या चाहता है।
वो भी वही चाहती थीं.. क्योंकि भैया ने उन्हें कभी पूरा प्यार नहीं दिया।
भाभी ने कहा- आज घर में कोई नहीं है… और पता नहीं कि ऐसा मौका दुबारा कब मिले.. आज जो चाहे कर लो।
मैंने भी वक़्त को समझा और झट से दरवाजा बन्द करके भाभी से लिपट गया, पूरे चेहरे पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी और उनके होंठों पर आकर रुक गया।
होंठों से होंठ मिले.. ज़ुबान से ज़ुबान.. एक-दूसरे को हम ऐसे चूस रहे थे.. जैसे पागल प्रेमी हों।
मैंने अपने हाथ कमीज़ के अन्दर डालकर ब्रा के ऊपर से ही उनके चूचों को दबाना शुरू कर दिया तो उन्होंने कहा- समीर गिरा दो सारी दीवारें.. सारे बंधन तोड़ दो.. और रौंध दो मुझे अपने नीचे.. कम ऑन बेबी.. फक मी.. किस मी.. सक मी.. कम ऑन!
उनके ऐसे शब्द सुनकर मैं जैसे जोश से भर गया और मैंने उनके एक-एक करके सारे कपड़े उतार दिए।
अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थीं, मेरी प्यारी स्वीट भाभी का खूबसूरत बदन मेरे सामने था।
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मैंने उन्हें नीचे से किस करनी शुरू की और उनकी जाँघों तक पहुँचकर रुक गया.. तो उन्होंने मुझे सर से खींचकर अपनी जाँघों के फंसा लिया।
मैंने भी उनकी उस मस्त सी लाल चूत.. जो बहुत गीली थी.. को चाटना शुरू किया। उसकी चूत की पपड़ी को चूसता और काट लेता तो वो मस्त होकर सिसकारतीं।
फिर मैंने अपनी ज़ुबान को उनकी चूत में डाल दिया और अन्दर तक चाटने लगा.. तो वो पागलों की तरह उड़ने लगीं।
‘सस्सईईई..’ की आवाजों से मेरा कमरा गूँज रहा था और मैं भी मस्त होकर उनकी चूत चाट रहा था कि अचानक वो ज़ोर से चिल्लाईं और झड़ गईं।
अपना सारा रस उन्होंने मेरे मुँह में ही छोड़ दिया.. और मैं भी उसे बड़े प्यार से पी गया।
फिर मैंने उठकर उनके पेट पर से होते हुए उनके मम्मों पर अपने चुम्बन करने शुरू किए और उनकी चूचियाँ चूसने और काटने लगा। वो भी कहतीं- कम ऑन बेबी.. सक मी..
और मैं भी उनके मम्मों को दबाता.. मसलता और चूसता जा रहा था।
कुछ देर बाद उन्होंने मुझे अपने से दूर किया और मेरे सारे कपड़े निकाल दिए।
मेरा लम्बा और मोटा लौड़ा देखकर वो बोल उठीं- इतना बड़ा?
मैंने भी उनसे कहा- हाँ भाभी, अब तुम इसे अपने मुँह से नवाजो..
तो उन्होंने भी मेरी बात मानकर मेरे लण्ड को चूसना शुरू किया।
वो चूसती जा रही थीं.. और मुझे जिंदगी का सबसे हसीन लम्हा दिए जा रही थीं।
अन्दर-बाहर करते कभी वो मेरे लण्ड के टिप पर ज़ुबान फेरतीं.. तो कभी अपना थूक उस पर लगा कर फिर से चाट लेतीं।
ऐसा करते-करते आख़िर मैं भी अपनी चरम सीमा पर पहुँचकर झड़ गया और अपना सारा गर्म लावा भाभी के मुँह में ही उगल दिया।
वो भी उसे मीठे जूस की तरह सारा पी गईं।
हम फिर नीचे एक साथ बैठकर एक-दूसरे को चूमने लगे.. मेरी ज़ुबान उनके मुँह में और उनकी मेरे मुँह में थी।
मैंने एक उंगली को उनकी गीली चूत में अन्दर-बाहर करना शुरू किया और भाभी भी मेरे लण्ड को हिलाने लगीं।
कुछ ही देर बाद मैं फिर से तैयार हो गया और मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटाकर उसकी दोनों जाँघों को फैला दिया और अपने शेर को गुफा में घुसने के लिए रास्ता दिया।
भाभी की चूत पर अपने लण्ड को रखकर एक ज़ोर के धक्के से अपने लण्ड को अन्दर घुसाया ही था.. कि वो चीख पड़ीं, शायद भैया के लण्ड की साइज़ छोटी होगी.. इसलिए भाभी को दर्द तो हुआ पर उन्हें मजा भी आने लगा।
दो चार और धक्के लगाते ही मेरा पूरा अन्दर तक जा चुका था।
बस अब क्या था मैंने लौड़े को चूत के अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
भाभी की कामुक आजें निकलने लगीं- ऊऊ..फक्ककक कम ऑन.. समीर किल मी फक मी.. फक मी हार्ड.. ऊऊयय्या.. आईईई..’
कुछ ही देर की जबरदस्त चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए।
हम दोनों की सांसें फूली हुई थीं और एक-दूसरे से लिपट कर पड़े हुए थे।
कुछ देर बाद हम अलग हुए और भाभी बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर आईं और मैं भी फ्रेश होकर भाभी के बगल में आकर बैठ गया।
आप अपनी प्रतिक्रिया जरूर दीजिएगा।
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