भाभी संग मेरी अन्तर्वासना-6
(Bhabhi Sang Meri Antarvasna Part-6)
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अब तक आपने पढ़ा..
भाभी मेरे लिंग को चूसने की तैयारी में थीं।
अब आगे..
मेरे पकड़ने के बावजूद भी भाभी मेरे लिंग को चूमती रहीं और साथ ही धीरे-धीरे मेरे लिंग को हाथ से भी सहलाती रहीं। मैंने भी भाभी के सिर को पकड़ कर जोर से अपने लिंग पर दबा लिया, मगर भाभी ने किसी तरह अपने आपको छुड़वा लिया और फिर से मेरे लिंग के चारों तरफ चूमने लगीं।
इस बार भाभी नीचे लिंग की जड़ से चूमते हुए धीरे-धीरे ऊपर सुपारे की तरफ बढ़ रही थीं।
मेरे साथ ये पहली बार हो रहा था कि किसी के नर्म मुलायम होंठ मेरे लिंग को चूम रहे थे। अभी तक मैंने बस अपने कठोर हाथ से ही अपने लिंग को मुठियाया था.. मगर आज पहली बार भाभी के नाजुक होंठों की छुवन को अपने लिंग पर मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था।
उत्तेजना के आवेश में मैंने भाभी के बालों को पकड़ने की कोशिश की.. मगर तब तक भाभी के होंठ फिसल कर मेरे लिंग के ऊपरी छोर तक पहुँच गए, उन्होंने हाथ से मेरे सुपारे की चमड़ी को थोड़ा सा पीछे किया और अपने नर्म होंठों से मेरे सुपारे के अग्र भाग को चूम लिया जिससे मेरा पूरा शरीर झनझना गया और अनायास ही मेरे मुँह से एक ‘आह्ह..’ निकल गई।
भाभी ने बस एक बार ही अपने कोमल होंठों से मेरे सुपारे को छुआ था। उसके बाद उन्होंने अपना मुँह वहाँ से हटा लिया और मेरे लिंग के नीचे की तरफ चूमने लगीं।
मुझसे अब सहन करना मुश्किल हो रहा था.. इसलिए मैं भाभी के सिर को पकड़कर जबरदस्ती उनके गालों व होंठों पर पर अपने लिंग को रगड़ने लगा।
मगर तभी ये क्या..!
भाभी फिर से ऊपर की तरफ बढ़ने लगीं और उन्होंने अपना थोड़ा सा मुँह खोलकर मेरे लिंग के अग्र भाग को अपने होंठों के बीच दबा लिया।
भाभी के नर्म मुलायम होंठों के बीच उनके मुँह की गर्मी अपने लिंग पर महसूस होते ही मैं मदहोश सा हो गया और मेरी कामुक आवाजें निकलने लगीं ‘इईई.. श्श्शश.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ह्हहह..’
मैं उत्तेजना में जोर से चीख पड़ा और अपने आप ही मेरे कूल्हे हवा में उठ गए। मैंने भाभी के सिर को अपने लिंग पर दबा लिया ताकि मेरा लिंग अधिक से अधिक भाभी के मुँह में घुस जाए मगर मेरा लिंग भाभी के दांतों से टकरा कर वहीं रह गया।
भाभी मेरे सुपारे पर ही अपने होंठ रखे रहीं, वो जानबूझ कर मुझे तड़पा रही थीं।
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था.. इसलिए मैं अपनी कमर को ऊपर-नीचे हिलाकर अपने लिंग को भाभी के हाथ व होंठों के बीच रगड़ने लगा।
शायद अब भाभी को भी मेरी हालत पर तरस आ गया था.. इसलिए उन्होंने दूसरे हाथ से मेरी कमर को दबाकर मुझे रुकने का इशारा सा किया और धीरे-धीरे मेरे लिंग को अपने होंठों के बीच दबाकर घिसने लगीं।
मेरे लिंग के पानी से भाभी के होंठ चिकने हो गए थे.. इसलिए आसानी से मेरा लिंग भाभी के होंठ के बीच फिसलने लगा। उत्तेजना के मारे मेरे मुँह से अब सिसकारियां निकलने लगी थीं।
फिर तभी भाभी ने अपने दोनों होंठों को खोलकर मेरे सुपारे की चमड़ी को अपने दोनों होंठों के बीच फँसा सा लिया और धीरे-धीरे नीचे की तरफ दबाने लगीं। इससे मेरे सुपारे की चमड़ी पीछे होने लगी और धीरे-धीरे मेरा लिंग भाभी के मुँह में समाने लगा।
भाभी ने अपने होंठों से ही मेरे सुपारे की चमड़ी को पूरा पीछे कर दिया। अब वो जहाँ तक मेरे लिंग को अपने मुँह में ले सकती थीं.. वहाँ तक अन्दर करके जोरों से चूस लिया।
एक बार फिर मैं मदमस्त हाथी की भाँति चिंघाड़ उठा ‘इईईई.. श्श्शशशशश.. अआआआ.. ह्ह्हहहहह..’
कामोत्तेजना की अधिकता से मैं जोरों से चीख पड़ा और अपने आप ही मेरे हाथ भाभी के सिर पर जोरों से कस गए।
भाभी इतने पर ही नहीं रूकीं.. उनकी गर्म जीभ भी अब मेरे सुपारे पर हरकत करने लगी थी। भाभी अपनी लचीली जीभ को कभी मेरे सुपारे पर गोल-गोल घुमा देतीं.. तो कभी उसे चाटने लगतीं।
उत्तेजना से मेरी हालत अब बहुत खराब हो रही थी। मैं जोरों से सिसकारियां भरते हुए भाभी के सिर को अपने लिंग पर दबाने लगा।
भाभी ने भी अब मेरे लिंग को जोरों से चूसना शुरू कर दिया, साथ उनकी जीभ भी मेरे सुपारे पर जोरों से चलने लगी। ये कुछ इस तरह से समझा जा सकता है जैसे केले को मुँह में ले कर खाने की बजाए उसके सिरे को अपनी जीभ से चूसा जा रहा हो।
लड़कियाँ कभी केले को इस तरह से चूस कर मन में सोचें कि वे लिंग को चूस रही हों। मेरी गारंटी है कि ऐसा करने से उनकी योनियाँ रस से भर जाएंगी।
अब भाभी की नर्म जीभ का स्पर्श व मुँह की गर्मी अपने लिंग पर पाकर मैं सातवें आसमान में उड़ रहा था। मेरे लिंग के साथ-साथ भाभी के मुँह से भी अब लार निकल रही थी.. जो कि मेरे लिंग के सहारे बह कर मेरी जाँघों पर फैलने लगा।
मेरे लिंग से निकले प्रेमरस ने भाभी की लार से मिलकर एक नए ही द्रव्य का निर्माण कर लिया था.. जो कि बेहद चिकना था और इस द्रव्य से भीग कर मेरा पूरा लिंग बेहद चिकना हो गया था। साथ ही भाभी के होंठ, जीभ व पूरा मुँह भी चिकने हो गए थे.. इसलिए अपने आप ही मेरा लिंग भाभी के मुँह में फिसलने लगा।
भाभी भी मेरे लिंग को अपने होंठों के बीच दबाकर कभी ऊपर-नीचे कर रही थीं तो कभी उसे जोरों से चूस रही थीं। भाभी कभी सुपारे के ऊपर जीभ को गोल-गोल घुमा देतीं.. तो कभी-कभी वो पूरी जीभ निकाल कर मेरे लिंग को चाटने लगतीं।
भाभी मेरे लिंग के साथ ऐसा खेल, खेल रही थीं.. जैसे कि कोई छोटा बच्चा चूसने के लिए लॉलीपॉप मिल जाने पर करता है।
मगर कुछ भी हो.. भाभी के इस खेल से मुझे बहुत मजा आ रहा था, मेरे लिए ये एक अदभुत व अविश्वसनीय अहसास था।
मेरे हाथ भाभी के सिर को पकड़े हुए थे जो कि अब भाभी के सिर को सहलाने लगे थे। मैं अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था.. इसलिए भाभी के मुँह के साथ-साथ अपने आप ही मेरी कमर अब फिर से हरकत करने लगी। फिर कुछ ही देर में मैं चरम पर पहुँच गया।
मेरा सारा शरीर अब अकड़ने लगा था.. जिससे भाभी समझ गई थीं कि मेरा काम-तमाम हो गया है, वो अपना मुँह मेरे लिंग पर से हटाना चाह रही थीं.. मगर उत्तेजना के वशीभूत होकर मैंने जोरों से भाभी के सिर को अपने लिंग पर दबा लिया.. जिससे मेरा लिंग भाभी के गले तक उतर गया।
भाभी उऊऊ.. उऊगूँगू्ँगूँ.. उऊऊ.. उऊगूँगू्ँगूँ..’ की आवाज करने लगीं मगर मुझे अब होश ही कहाँ था।
मैंने भाभी के सिर को ऐसे ही दबाए रखा और मेरा लिंग अब भाभी के मु्ँह में ही लावा उगलने लगा। भाभी अपने आपको छुटाने के लिए जोर से छटपटाने भी लगीं.. मगर मैंने उन्हें तब तक ऐसे ही दबाए रखा.. जब तक कि मेरे लिंग ने अपना सारा लावा उनके मुँह ना उगल दिया।
मेरे वीर्य से भाभी का मुँह भर गया और उनके मुँह से निकल कर मेरे लिंग के चारों तरफ भी बह निकला।
मेरा ज्वार जब शाँत हुआ.. तो भाभी के सिर पर मेरी पकड़ कुछ कमजोर हो गई। भाभी ने भी तुरन्त मेरे लिंग को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया और जोरों से खाँसते हुए जल्दी से बिस्तर के किनारे जाकर थूकने लगीं।
भाभी ने थूक कर सारा वीर्य मुँह से बाहर निकाल दिया और अपने पेटीकोट से ही मुँह पोंछने लगीं। अपना मुँह पोछते हुए भाभी ने मेरी जाँघों पर जोरों से एक चपत लगाई और कहा- क्या करते हो?
मैं भाभी को कुछ नहीं बोल सका.. बस चुपचाप अपनी फूली हुई साँसों को काबू में करने की कोशिश करता रहा।
अपना मुँह साफ करके भाभी मेरी बगल में लेट गईं। मैं तो बिल्कुल नंगा ही था.. भाभी ने भी अपने कपड़े सही नहीं किए और ऐसे ही मेरी बगल में लेट गईं।
कुछ देर तक तो हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे। फिर भाभी ने करवट बदल कर मेरी तरफ मुँह कर लिया और अपना एक पैर भी मेरे घुटनों पर रख लिया जिससे भाभी का कोमल शरीर मुझसे स्पर्श करने लगा।
भाभी के उभार जो कि अभी भी नंगे ही थे.. मेरी बाजू को स्पर्श कर रहे थे। भाभी ने घुटना मोड़कर अपना पैर मेरे घुटनों पर रखा हुआ था.. जिससे उनका पेटीकोट भी थोड़ा ऊपर हो गया था और उनकी नंगी जाँघें मेरे घुटनों को छू रही थीं।
भाभी का शरीर काफी गर्म लग रहा था.. शायद मेरा रस स्खलित कराते-कराते भाभी दोबारा से उत्तेजित हो गई थीं।
भाभी मुझसे चिपकती जा रही थीं और साथ ही धीरे-धीरे अपनी नंगी जाँघ को भी मेरी जाँघों पर घिसते हुए ऊपर मेरे लिंग की तरफ बढ़ा रही थीं।
मगर फिर भाभी ने ‘छीह्ह.. गन्दे.. इसे साफ तो कर लो..!’ कह कर तुरंत वहाँ से अपनी जाँघ हटा ली।
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अभी-अभी भाभी ने मुझे जो सुख दिया था.. उसका कामरस व भाभी की लार से मेरी जाँघों के पास काफी गीला हो रहा था। साथ ही मेरा लिंग जो कि अभी तक मूर्छित अवस्था में था.. मगर अभी भी उसमें से वीर्य की कुछ बूँदें रिस रही थीं। जिस कारण मेरा लिंग भी काफी गीला था।
भाभी की बात को अनसुना करके मैं ऐसे ही लेटा रहा। जब मैंने कुछ नहीं किया तो भाभी लेटे-लेटे ही अपने पेटीकोट से मेरी जाँघों व लिंग को पोंछने लगीं। इससे भाभी का पेटीकोट भी ऊपर को हो गया और उनकी नंगी योनि मेरे कूल्हों को छूने लगी।
भाभी के कोमल हाथों के स्पर्श से मेरे लिंग में भी फिर से चेतना सी आने लगी। यह देखकर भाभी ने मेरे गाल को प्यार से चूम लिया। शायद यह मेरा इनाम था।
भाभी की योनि को लिंग से भेदने में बस कुछ ही पल शेष हैं।
आपके ईमेल मिल रहे हैं तथा और भी मेल की प्रतीक्षा में हूँ।
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भाभी की चुदाई की कहानी जारी है।
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