भाभी की प्यासी चूत की चुदाई
(Bhabhi Ki Pyasi Chut Ki Chudai)
दोस्तो, आपको राहुल शर्मा का प्यार भरा नमस्कार. मेरी उम्र अभी 20 साल है और मेरी लम्बाई पांच फुट सात इंच है और मेरे लंड की लंबाई छह इंच, व उसकी मोटाई ढाई इंच है.
मेरी भाभी की उम्र पच्चीस साल है और उनका नाम हिना है. उनकी एक लड़की है, जिसका नाम हनी है. मेरी भतीजी हनी की उम्र छह साल है और वो मेरे साथ अच्छी तरह से घुल मिल गयी थी. मैं उसके साथ बहुत समय बिताने लगा और मेरी भाभी को भी बहुत अच्छा लगता था.
मैं अपनी भाभी के साथ बहुत हँसी मज़ाक करता था और वो मुझे बहुत अच्छी लगने लगी थीं. मन ही मन मैं भाभी की चुदाई के सपने देखने लगा था. अब भाभी की हरकतें, जैसे उन्हें मेरी तरफ आकर्षित होना देखकर मुझे लगने लगा था कि उनको भी मेरी ज़रूरत महसूस होती होगी.
इसी बीच मेरे भाई की बदली जयपुर से दिल्ली हो गयी. भाई भाभी और मेरी भतीजी तीनों दिल्ली शिफ्ट हो गए.
मुझे भाभी की याद आती थी. भाभी को भी मेरी याद आती होगी तो इसलिए उन्होंने एक दिन हनी से मुझे फोन करवाया.
हनी फोन पर बोली- चाचाजी आप तो हमें बिल्कुल ही भूल गए हो, ना कभी फोन करते हो और ना ही मिलने की कोशिश करते हो.. क्या चाचाजी ऐसे ही होते हैं?
फिर भाभी ने उसके हाथ से फोन लेते हुए मुझसे बात करते हुए कहा कि हनी तुम्हें बहुत याद करती है इसलिए एक बार तुम इससे मिलने आ जाओ.. और मैंने आपके लिए एक सुंदर सुशील लड़की भी देखी है, वो भी मैं आपको दिखा दूँगी.
हां तो दोस्तो, मैं कुछ देर उनसे हँसी मज़ाक करके उनकी बातों को समझकर एक दो दिन बाद आने की कह दिया.
मैं जयपुर से दिल्ली आया, मेरी भाभी और भतीजी दोनों मुझे देखकर बहुत खुश हुईं.
उस दिन रविवार था इसलिए हनी बहुत खुश हुई कि वो पूरा दिन मेरे साथ रहेगी. लेकिन भैया पता नहीं कहीं ड्यूटी के सिलसिले में कहीं बाहर गए हुए थे और वैसे भी वो नौकरी के सिलसिले मैं बहुत ही कम घर पर रहा करते थे. जिस वजह से वो अपनी पत्नी और बच्चों को बहुत ही कम समय दे पाते थे. इस बात की कमी अब भाभी को कुछ ज़्यादा ही महसूस होने लगी थी. वो अपने पति से वो सब पाना चाहती थीं, लेकिन पति के द्वारा समय न दे पाने के कारण वो हमेशा ही प्यासी बनी रहती थीं. वैसे भी उनको अपने पति से कभी वो सब नहीं मिला, जिसकी उन्हें ज़रूरत थी.
मैं पूरे दिन अपनी भाभी और हनी के साथ रहा और मस्ती करता रहा. हनी के साथ खेलने के बहाने मेरी भाभी भी मेरे साथ मस्ती करने लगी थीं. इस वजह से आज हम सभी बहुत खुश थे. सबसे ज़्यादा तो मुझे अपनी भाभी के चेहरे से खुशी साफ़ नज़र आ रही थी. जिसको देखकर मैं भी बहुत खुश था. मेरा भी पूरा दिन उनके साथ कैसे निकल गया, मुझे भी पता नहीं चला.
फिर रात मैं हम तीनों ने एक साथ बैठकर के खाना खाया और अब उसके बाद सोने की बारी आई.
भैया के घर में तीन कमरे हैं. दो कमरे उन लोगों के उठने बैठने के लिए और एक कमरे को उन्होंने स्टोर रूम बना रखा था. अन्दर वाले रूम में दो बेड एकदम चिपक कर लगे हुए थे, एक थोड़ा छोटा और एक बहुत बड़ा बेड था. फिर उस छोटे बेड पर मैं और बड़े बेड पर मेरी भाभी और हनी सो गईं. मैं बिस्तर पर लेटा हुआ अपनी दोनों आंखें बंद करके भाभी की सुंदरता और गठीले बदन के बारे में सोचने लगा. बस यही सब सोचते हुए ना जाने कब मेरी आँख लग गयी, कुछ पता ही चला.
रात को करीब 12.30 बजे मैंने मेरे गालों पर कुछ महसूस किया और मैं अपनी दोनों आंखें बंद किए हुए कुछ देर उस स्पर्श को समझता रहा. लेकिन मेरी कुछ समझ में नहीं आया तो मैंने अपनी आंखें खोल कर देखा. मैं एकदम चकित रह गया क्योंकि मेरी भाभी अब अपने बेड पर से ही अपने एक हाथ को बढ़ा कर मेरे एक गाल को सहला रही थीं.
फिर मैंने भाभी से पूछा- यह आप क्या कर रही हो.. हनी नींद से जाग जाएगी.
तब भाभी कहने लगीं- तुम उसकी चिंता बिल्कुल भी मत करो, कोई भी नहीं जागेगा.
इतना कहकर उन्होंने मेरा एक हाथ पकड़ कर रज़ाई के अन्दर से ही अपने मम्मों पर रख दिया और मेरी तरफ देखते हुए मुस्कारने लगीं.
मैंने भी वो मौका ठीक समझकर उनकी मैक्सी के अन्दर अपने हाथ को डालकर उनके एक चूचे को सहलाने लगा. उनके गोल और बड़े आकार के मम्मों को छूकर मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था. मेरे हाथ सहलाने की वजह से कुछ देर बाद ही भाभी के निप्पल खड़े हो गए थे.
अब भाभी भी जोश में आकर मुझसे कहने लगीं- उफ़फ्फ़ थोड़ा और ज़ोर से दबाओ ना.. क्या धीरे धीरे बच्चों की तरह खेल रहे हो.. आह.. हां थोड़ा इससे भी ज़्यादा दम लगाओ..
मैं भी थोड़ा जोश मैं आकर भाभी के निप्पलों को ज़ोर से दबाने लगा और उनके मम्मों के रस को निचोड़ने लगा. इस सब से बहुत ही कम समय में हम दोनों जोश में आकर बहुत मज़े मस्ती करने लगे. भाभी मेरे गालों को सहला रही थीं.
अब मैंने अपना हाथ उनकी मैक्सी के अन्दर से ही मम्मों पर से हाथ हटाकर उनकी चूत को सहलाने लगा. मैंने महसूस किया कि उनकी पेंटी गीली हो चुकी थी.. वो बहुत ही जोश में आ गयी थीं. मैं भाभी की पेंटी के अन्दर हाथ डालते हुए उनकी चूत के दाने को सहलाने लगा था, जिसकी वजह से उनके मुँह से सिसकारियां निकलने लगी थीं.
अब तो भाभी मुझसे अपनी आहें भरते हुए कहने लगी थीं कि प्लीज़ तुम अब देर ना करो.. अपनी उंगली को मेरी चूत में घुसा ही दो ना.. क्यों मुझे इतना तरसा रहे हो, प्लीज़ तुम थोड़ा जल्दी करो.. मुझे कुछ हो रहा है.
मैंने उनसे कहा- भाभी, यहां से मेरा हाथ ठीक तरह से वहां पर नहीं पहुँच रहा है.. इसलिए आप मेरे बेड पर आ जाओ.
वो मेरी बात सुनकर धीरे से मेरे बेड पर आ गईं और उन्होंने हनी को एक तरफ करते हुए एक रज़ाई उसके ऊपर डाल दी और दूसरी हमारे ऊपर डाल ली.
अब भाभी ने लेटने से पहले मेरी बनियान को उतार दिया, फिर मेरे पजामे को निकाला. जिस वजह से मैं अब सिर्फ़ अन्दरवियर में रह गया था. भाभी अब मेरे गालों को चूम रही थीं. दो ही पल के बाद भाभी ने अपना एक हाथ मेरे लंड पर रख दिया. मेरा लंड अब तक एकदम टाइट होकर साढ़े छह इंच का हो गया था. मैं अपने दोनों हाथों से भाभी के मम्मों को दबाने लगा.
हम दोनों थोड़ा जोश मैं आकर हल्की हल्की आवाज़ निकालने लगे थे. फिर मैंने भी देर ना करते हुए भाभी के सारे कपड़ों को उतार दिया और अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थीं. मैं एक हाथ से उनके एक चूचे को मसल रहा था, दूसरे चूचे को मुँह में लेकर चूस रहा था और दूसरे हाथ से उनकी चूत में उंगली कर रहा था.
वो थोड़ा सिस्कारियां भरने लगी थीं फिर कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैं भाभी से कहने लगा- भाभी, अब मुझे आपकी चूत को चूसना है.
उसी समय भाभी कहने लगीं- तुमने तो मेरे मन की बात कह दी, क्योंकि अब मुझे भी आपके लंड को चूसने के मज़े लेने हैं.
ये बात सुनकर हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए. उन्होंने देर ना करते हुए मेरे अंडरवियर को भी उतार दिया और मुझसे कहने लगीं कि अरे भैया जी ये आपका लंड है या हथौड़ा.. इतना मस्त लंड तो मैं आज पहली बार देख रही हूँ. मुझे ऐसा पता होता तो मैं पहले ही अपनी प्यासी चूत को शांत कर लेती.. तुम इतना मज़ेदार लंड लेकर अब तक कहां रहे.. तुमने मुझे अभी तक क्यों नहीं चोदा.
भाभी ने अपनी बात खत्म करके मेरे लंड को झट से अपने मुँह में ले लिया और मैं भी भाभी की गीली चूत को मज़े लेकर चूसता रहा. इस गरमागरम चुसाई की वजह से हम दोनों के मुँह से ‘आआहह.. ऊऊहह..’ की आवाज़ आने लगी. हम दोनों पूरे जोश में आकर एक दूसरे के लंड चूत चूस और चाट रहे थे.
करीब दस मिनट बाद भाभी मेरे मुँह में ही झड़ गईं और मैंने भी जोश में आकर उनकी चुत का पूरा रस पी लिया. झड़ जाने के कारण भाभी अब थोड़ी ढीली पड़ने लगी थीं. उनका लंड चुसाई का काम भी ढीला पड़ गया था.
मैंने भाभी से कहा- भाभी थोड़ा ज़ोर से लंड चूसो.
मेरी बात सुनकर कर उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और थोड़े ही देर बाद मैं भी झड़ गया.
दस मिनट तक हम दोनों यूं ही एक दूसरे के साथ खेलते रहे, जिससे हम दोनों की चुदास फिर से भड़क गई.
अब मैंने भी बिना देर किए भाभी को सीधा लेटाया और अपना लंड उनकी चूत की फांकों में लगा कर अन्दर डालने लगा.
भाभी कहने लगीं कि थोड़ा धीरे करना.. तुम्हारा लंड बहुत मोटा है.. मुझे बहुत दर्द होगा.
मैंने भाभी से कहा कि आप चिंता मत करो.. मैं मेरी तरफ से पूरी कोशिश करूँगा.
फिर मैंने अपनी तरफ से उनकी चूत में अपने लंड को फंसा कर एक जोरदार झटका मार दिया. पहली ही बार मेरा पूरा लंड भाभी की चूत में समा गया. मेरा लंड मोटा होने की वजह से भाभी को बहुत दर्द हुआ और वो ज़ोर से चिल्लाने लगीं- उईई ईईईईई माँ … मैं तो मर गयी! आह … प्लीज़ मुझे छोड़ दो.. मुझे नहीं करवाना.. तुम मुझे छोड़ दो.
मैंने भाभी के दर्द को देखते हुए अपने लंड को बाहर निकाला और लंड पर थोड़ी क्रीम लगाकर लंड को पहले से ज़्यादा चिकना कर लिया. मैं भाभी के निप्पलों को जोर जोर से खींचते हुए चूसने लगा.. जिसकी वजह से वो और ज़्यादा गरम हो गईं. वो मेरे मुँह को अपनी छाती पर दबाने लगीं और मुझसे ज़ोर ज़ोर से अपने मम्मों को चूसने के लिए कहने लगीं.
फिर मैंने अपना लंड भाभी की चूत में रखकर फुल जोश में आकर जोरदार झटका मार दिया और लंड चिकना होने के कारण फिर से चूत में अन्दर घुसा गया. वो फिर से ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगीं, लेकिन उसी समय मैंने अपना मुँह उनके मुँह पर रख दिया और मैं उनके होंठों को चूसने लगा. इसी के साथ मैंने भाभी के गोरे बदन से खेलना चालू कर दिया. धीरे धीरे भाभी का भी दर्द कम होने लगा और वो अपनी गांड को उछाल उछाल कर मुझसे चुदवाने लगीं. करीब बीस मिनट की घमासान चुदाई के बाद भाभी और मैं झड़ गए. मैंने पूरा रस उनकी चूत में छोड़ दिया.
इसके बाद उन्होंने उठ कर अपनी चूत को साफ किया और मेरे मुँह पर जोरदार किस करते हुए मुझे धन्यवाद बोला. फिर हम दोनों कपड़े पहन कर सो गए.
दूसरे दिन भाभी की खुशी देखी नहीं जा रही थी. मैंने नाश्ता किया और फिर जयपुर के लिए निकल गया. जिन भाभी को मैं इतने दिनों से चोदने की सोच रहा था, आखिरकार मेरा वो सपना पिछली रात को सच हो ही गया. उस ताबड़तोड़ चुदाई के बाद भाभी भी खिली खिली दिख रही थीं. अब मेरा उनके साथ टांका भिड़ गया था तो मौका मिलते ही मैं भाभी की चुदाई के लिए आ जाता था.
मेरी भाभी की चुदाई की कहानी आपको अच्छी लगी या नहीं, अपने कमेंट मुझे ज़रूर भेजिएगा.
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