भाभी ने मुझे चोदा-2
(Bhabhi Ne Mujhe Choda-2)
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अर्पित
मैंने कहा- भाभी आज से मैं तुम्हारा हूँ। मैं तुम्हें ऐसे उदास नहीं देख सकता हूँ। मैं चाहता हूँ कि तुम वो सारे सुख पाओ जो भैया ने तुम्हें कभी नहीं दिए।
भाभी की आँखों में चमक थी।
वो उठीं और मुझे मेरे माथे पर चुम्बन किया, मैंने उन्हें अपने सीने से लगा लिया, मैं केवल शॉर्ट्स में था। मैंने अंडरगारमेंट्स तक नहीं पहना था। मेरा सीना भाभी के सीने से रगड़ खा रहा था।
मैंने तो ऊपर कुछ पहना नहीं था और भाभी ने भी अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी और हम एक-दूसरे से इस तरह चिपके थे, जैसे कितने सालों से प्यासे हों और प्यास थी भी…!
हम दोनों ने करीब दस मिनट तक चुम्बन किया और फिर मैंने अपना हाथ उनके नाईट-सूट के अन्दर हाथ डाला तो देखा कि उनके चूचे बड़े ही सख्त हो गए हैं, इतने टाइट कि अपनी जगह से हिल भी नहीं रहे थे।
मुझे लगा भाभी सच कहती हैं कि आज तक उन्होंने कभी सेक्स नहीं किया। उनकी यह मस्त जवानी मुझे मेरे सीने पर महसूस होने लगी थी।
भाभी भी अब मेरे लंड की चुभन को सहन नहीं कर पा रही थीं।
मैंने अपने हाथों से उनके चूचों के परदे को हटा दिया और कहा- भाभी, तुम बहुत खूबसूरत हो..!
भाभी ने कहा- मैं जो भी हूँ आज से सिर्फ तुम्हारी हूँ। मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ अर्पित..!
तभी भाभी ने मुझे मेरे बिस्तर पर धक्का दिया और मेरे पेट पर बैठ गईं। मैं ऊपर से बिल्कुल नंगा था और भाभी भी मुझे चोदने को तैयार थीं।
मैंने उनके निप्प्ल को पकड़ा और जोर से मसल दिया तो भाभी चिल्लाई- आआउच.. अर्पित आराम से… दर्द हो रहा है..!
मैंने भाभी को ऐसे ही अपने ऊपर लिटा लिया और उनके चूचों को चूसने लगा और उनके मुँह से मुझे और गरम करने वाली आवाज आने लगीं- आआह्ह्हआपी… और जोर से चूसो…!
मैं उन्हें तड़पते हुए उनके चूचुकों पर अपनी जीभ फिराता, तो कभी उनके चूचुकों को दांतों से हल्का सा काटता।मेरी ऐसी हर एक हरकत से उनके मुँह से आवाजें तेज हो जातीं और मेरा हौंसला बढ़ाता। मैं भी अब इसमें खोता जा रहा था, मैंने देखा कि भाभी के चूचुकों का रंग अब पूरी तरह से गुलाबी हो गया है, जो मेरे सुपारे के रंग से बिल्कुल मिल रहा था।
भाभी बोलीं- अर्पित मुझे तुम्हारा लंड कब से चुभ रहा है, दिखाओ जरा…! मैं भी उसे प्यार करना चाहती हूँ..!
मैंने उन्हें बगल में लिटाया और उनके सामने ही अपनी पैंट उतार दी और मेरा लंड भाभी मुँह के बिल्कुल करीब था।
‘अर्पित सच में तेरा लंड बहुत बड़ा है..!’ भाभी ने कहा और मेरा 6.5 इंच का लंड भाभी जी के मुँह के बिल्कुल करीब था, तो भाभी जी ने अपने दांतों से मेरे लंड को दबा लिया और मेरी चीख निकल गई- भाभीईईई… अईईई मर गया… ऊऊऊओई ईईईईए.. भाभी मुझे नहीं पता था कि आप इतनी हॉट हो… नहीं तो मैं कब का तुम्हें चोद चुका होता। भाभी मैं कब से किसी के साथ सेक्स करने के लिए तड़प रहा था… काश.. यह बात मुझे पहले पता चल गई होती, तो मैं आप को कभी इतना उदास होने ही नहीं देता।
इसी दौरान भाभी मेरे गुलाबी सुपारे को जोर-जोर से चूस रही थीं। मेरी आँखें बन्द सी होने लगीं और मुझे ऐसा लगा कि मैं अब झड़ने वाला हूँ।
और ऐसा हो भी क्यों न…!
इतनी सेक्सी भाभी जो अपने देवर के लंड को पन्द्रह मिनट से चूस रही थीं। मेरा लंड और भी अकड़ता चला गया और सुपारा और भी गुलाबी होता जा रहा था।
मैंने भाभी से कहा- भाभी मैं झड़ने वाला हूँ… मेरा लंड पूरा मुँह में ले लो.. !
भाभी ने कहा- मैं कोशिश कर रही हूँ अर्पित, पर तू तो पंजाबी पुत्तर है न… तेरा लंड सिर्फ 5 इंच तक ही अन्दर जा रहा है। ये तेरा लंड है ही इतना मोटा मैं क्या करूँ ..?
मैंने अपनी आँखें बन्द कीं और अपनी जवानी का रस पहली बार अपनी भाभी के मुँह में छोड़ दिया। वहीं जब मेरे लंड से जब पिचकारी छूट रही थी, तो मुझे कुछ भी सूझ नहीं रहा था। मेरी आँखें बन्द हो गई थीं। पहली बार मैंने अपने लंड से कुछ ऐसा निकलते देखा था।
थोड़ी देर बाद देखा तो भाभी का मुँह मेरे रस से पूरा भरा हुआ था।
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी?
वो कुछ नहीं बोली और सीधा बाथरूम की तरफ भागीं। मैं भी उनके पीछे-पीछे गया उन्होंने कुल्ला किया और मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और अपना लंड उनकी गांड से सटा दिया।
दोस्तों कैसे बताऊँ वो क्या सीन था…!
मैं भाभी को पीछे से पकड़ कर चुम्बन करने लगा। मैंने उनको अपने बाँहों में लिया और पीछे से ही उन्हें उनके गाल और गर्दन पर जोरों से चुम्बन करने लगा।
भाभी ने अपना हाथ पीछे कर के दोबारा मेरे लंड को पकड़ लिया और देखा कि उसमें अभी बहुत जान है। वो उसे ऐसे ही पीछे हाथ कर के मेरे लण्ड को हिलाने लगीं और मैं उसे चुम्बन करता रहा।
करीब दस मिनट के बाद भाभी ने पाया कि मैं फिर से उन्हें सताने के लिए तैयार हूँ। तो भाभी मेरे सामने आईं और बोलने लगीं- चल अर्पित रूम में चलते हैं..!
मैंने मना कर दिया और शावर चालू कर दिया। अचानक हम दोनों ऐसे चिपक गए जैसे कभी एक-दूसरे से अलग नहीं होंगे।
मैंने उनके होंठों पर चुम्बन करना चालू रखा। बेचैनी में हमारे शरीर ऐसे लिपटे थे, जैसे कितने बरसों की प्यास को आज ही शांत कर देंगे। भाभी के नंगे मम्मे मेरे सीने से मसल रहे थे।
मुझे मेरे दोस्तो, ऐसा लगा जैसे नाजुक सा स्पोंज हो जो मैंने आज तक कभी नहीं महसूस किया था।
मैं भी उन्हें तड़पाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था। मैंने अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ रखा था और भाभी की चूत पर ऊपर से ही रगड़ रहा था। उनके बदन में भी सिहरन सी दौड़ रही थी और अचानक उन्होंने मुझे बहुत जोरों से पकड़ लिया। उनके शरीर में एक हल्की सी कम्पन सी मुझे महसूस हो रही थी।
मैं इस बात को बहुत अच्छे से समझ रहा था कि वो अब चुदाई के लिए बहुत बेचैन हैं। बस हमारे इस सेक्स को बहुत यादगार बनाने और मेरा साथ देने के लिए ऐसा कर रही हैं।
हम दोनों चुम्बन किए जा रहे थे। बीस मिनट के बाद मैंने उन्हें इंग्लिश टॉयलेट सीट पर बैठा दिया और उन्हें मेरा लंड दोबारा लेने को कहा।
मेरा लंड किसी गरम लोहे की तरह हो रहा था।
काफी देर से खड़े होने के बाद अब इसमें भी दर्द होने लगा था इसलिए मैंने भाभी के मुँह में अपना लंड दे दिया और वो उसे चूसने लगीं।
मैंने अपने दोनों हाथों से उनके सर को पकड़ा और जोरों से अपने लंड को उनके मुँह के अन्दर-बाहर करने लगा।
मैं उन्हें कभी चुम्बन करता तो कभी उनके मुँह में अपना लंड डाल कर चोदता।
उसी समय मुझे भाभी ने बताया- अर्पित, मैं दो बार झड़ चुकी हूँ, मुझे तुम जल्दी से चोद दो न..!
मैंने भाभी के चमकते हुए बदन को देखा, तो उस पर अभी भी पानी की बूँदें थीं, जो उनके बदन से होती हुई, योनि-द्वार तक आ रही थीं। मैंने सोचा कि शायद हम पानी में थे, इसलिए मुझे भाभी के झड़ने का एहसास नहीं हुआ।
मुझे यह भी खयाल आया कि शायद इसी लिए भाभी ने मुझे इतनी जोर से पकड़ रखा था।
तभी मैंने देखा कि भाभी मेरे पूरे लंड को अपने मुँह में ले चुकी हैं और उसे किसी बच्चे की तरह लॉलीपॉप के जैसे चूस रही हैं। वो इस लोहे से रॉड को इस तरह प्यार कर रही हैं, जैसे यह अब उसका जीवन साथी हो।
मैं उन्हें देख रहा था और उनका हौसला बढ़ा रहा था। मैं भी अब अपने आप पर काबू नहीं रख पाया क्योंकि भाभी अपनी जीभ मेरे गर्म लाल सुपारे पर फिरा रही थीं, कभी उस पर अपने दांत लगातीं और हल्का सा काट लेतीं।
उनकी यह हरकत मुझे बहुत पसंद आ रही थी, मैंने भाभी को उठाया और बोला- भाभी मुझसे रहा नहीं जा रहा है, मुझे अब तुम्हें चोदना है। अब रूम में चलते हैं।
भाभी ने कहा- ये शब्द सुनने के लिए ही तो मैं इतने देर से कोशिश कर रही थी।
पर यह बोलने के बाद भी भाभी मेरे लंड को छोड़ने को राज़ी नहीं थीं।
मैंने कहा- छोड़ो इसे… मैं फिर से झड़ने वाला हूँ।
उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी और इस मोटे तगड़े लंड को और जोरों से चूसने लगीं। ये पंजाबी लंड भी बड़ा कमीना, मुझे अब उनके मुँह में एक बार और अपना माल उड़ेलने के लिए मजबूर करने लगा।
मैंने अपनी पिचकारी छोड़नी शुरू कर दी।
इस बार भाभी ने उसे पीने की कोशिश की, पर पूरा नहीं पी पाईं।
मैंने उन्हें उठाया और गले से लगाया। मुझे इसमें इतना मजा आ रहा था कि मैं आपको बता भी नहीं सकता हूँ दोस्तो..!
मैंने अपनी भाभी से पूछा- भाभी तुम मेरे साथ खुश तो हो ना..!
तो उन्होंने कुछ नहीं कहा और अपने मुँह को धोने लगीं।
मैंने दोबारा पूछा- भाभी बताओ ना प्लीज़..!
वो मुड़ी और मुझे चुम्बन करने लगीं, मैं समझ गया कि भाभी बहुत खुश हैं।
तो अब ये सब करने में मुझे भी कोई शर्म नहीं रह गई थी। भाभी और मैं एक-दूसरे का पूरा साथ दे रहे थे, पर दो-दो बार झड़ने के बाद हमारे लिंग और योनि का बड़ा बुरा हाल था।
भाभी की बिना बालों वाली चूत जो कि मेरे लण्ड से रगड़ने के कारण और भी फूली और एकदम लाल नजर आ रही थी।
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी… तुम्हारी चूत तो एकदम लाल हो गई है…!
तो भाभी ने कहा- कमीने, ये सब तूने ही तो किया है..!
कहानी जारी रहेगी।
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