भाभी ने देवर की गान्ड मारी
(Bhabhi Ne Devar Ki Gand Mari )
दोस्तो, इस कहानी का नाम पढ़ कर आपको भी अजीब लगेगा कि एक औरत किसी मर्द की गान्ड कैसे मार सकती है?
मगर यह सच है और मैं आज आपको यही कहानी सुनने जा रहा हूँ।
मेरा नाम राजीव है, मैं भोपाल में रहता हूँ, 24 साल का हूँ, अभी शादी नहीं हुई है।
घर में माँ, पिताजी, भैया, भाभी, और एक छोटी बहन है, घर में सब खुशहाल हैं, अपना बिज़नस है, पिताजी और भैया वो संभालते हैं। भाभी और माँ घर संभालती है, मैं और छोटी बहन अभी पढ़ रहे हैं।
अब मैं अपनी बात करता हूँ। करीब दो साल पहले जब मैं अपनी डिग्री के पहले साल में था, तब 3 दोस्तों के साथ घूमने के लिए गया था। वहाँ हमने खूब मौज मस्ती की, दारू मीट सब का मज़ा लिया, रात को सब का मूड बन गया कि भोंसड़ी मारी जाये।
मगर बहुत झक मारने के बाद भी हमे कोई जुगाड़ नहीं मिला। खैर थक हार कर वापिस अपने होटल में आ गए, होटल आकर और दारू पीनी शुरू कर दी।
जब दारू चढ़ गई, तो सब ने कपड़े उतारे और चड्डी में डांस करना शुरू कर दिया। पहले चड्डी थी, फिर वो भी उतार दी, चारों के चारों नंगे होकर नाचने लगे, नंगे हुये तो सब अपने अपने लौड़े सहलाने लगे, हिलाने लगे, और लौड़े भी तन गए।
फिर डांस और सेक्सी हो गया, कोई किसी की गान्ड पे अपना लंड घिसा रहा है, कोई किसी। ऐसे ही माहौल में प्रोगाम यह बन गया कि अगर चूत नहीं मिली तो चलो एक दूसरे की गान्ड ही मार लेते हैं।
सबसे पहले अमित को घोड़ी बना कर उसकी गान्ड में लंड डाला, उसके बाद मेरी गान्ड में विजय ने अपना लंड डाला।
तेल लगा कर कर रहे थे तो लंड तो अंदर घुस जाता था, मगर जिसके भी घुसता था, उसकी गान्ड फट जाती थी। एक एक करके
चारों ने एक दूसरे की गान्ड मार ली और माल भी एक दूसरे की गान्ड के अंदर ही छुड़वाया।
अगले दिन किसी से उठा न जाये, सब की गान्डें दुख रही थी।
खैर घूम फिर कर तो हम वापिस आ गए, मगर यूं गान्ड मरवाने का आनन्द मेरे मन में घर कर गया। दोबारा कभी किसी से इस तरह गान्ड तो नहीं मरवाई पर जब कभी भी काम दिमाग में चढ़ता और मुझे मुट्ठ मारने की इच्छा होती, तो मैं कुछ न कुछ अपनी गांड में
ज़रूर लेता।
इसके लिए मैंने एक मोटी से मोमबत्ती रखी हुई थी, उस पर कोंडोम चढ़ाता और अपनी गान्ड में ले लेता और फिर मुट्ठ मारता। सच में इसमे बहुत मज़ा आता।
चोदने और चुदवाने दोनों का मज़ा एक साथ लेता।
अब जब मुट्ठ मारता तो हर बार कोई नई लड़की या औरत मेरे ख़यालों में होती और उसको मैं चोदता, साथ किसी मर्द को भी अपने साथ रखता।
कभी ख़यालों में औरत को चोद कर तो कभी ख़यालों में किसी मर्द से चुद कर मैं अपनी अग्नि शांत करता।
इसी चक्कर में मैंने अपने ख़यालों में अपनी भाभी और अपनी छोटी बहन को भी चोद दिया।
फिर एक दिन मोमबत्ती टूट गई। मैंने सोचा कि अगर मोमबत्ती की जगह नकली लंड ले आऊँ तो मज़ा और भी बढ़ जाएगा।
मैंने पता किया और बाज़ार से एक नकली लंड ले आया।
गुलाबी रंग का प्लास्टिक का लंड, जिसके पीछे बेल्ट लगी थी। दरअसल यह लंड लड़कियों के लिए था कि एक लड़की अपनी कमर पे ये लंड बांध ले और दोनों लेसबियन लव करते करते एक दूसरे को चोद सकें।
खैर जो भी था, मुझे बहुत अच्छा लगा। पूरा 8 इंच का मोटा लंड था, जिसे मैंने धीरे धीरे पूरा लेने की आदत डाल ली।
एक मैं अपने कमरे में बैठा था, सोचा कि चलो टाइम पास करते हैं।
मैंने वो प्लास्टिक का लंड अपनी अलमारी से निकाला, अपने कपड़े उतारे और बिस्तर पर लेट कर एक हाथ में अपना लंड पकड़ लिया और दूसरे हाथ से वो प्लास्टिक का लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
बड़ा मज़ा आ रहा था, उस दिन मैं सोच रहा था कि आज किसी मर्द से अपनी गान्ड मरवाऊँ।
यही सोच कर मैंने अपने कॉलेज के एक प्रोफेसर के बारे में सोचना शुरू किया कि अगर वो मेरे घर में इस वक़्त आ कर मुझे चोदने की ऑफर करे और मुझे मेरे ही बेड पर चोदे।
इसी ख्याल के चलते मैं प्लास्टिक के लंड को अपनी गान्ड पे रखा और अंदर डालने लगा। थूक से चिकना तो किया ही हुआ था, वो आधे के करीब वो लंड मेरी गांड में घुस गया।
मैं आँखें बंद करके इस सब का मज़ा ले रहा था, तभी भाभी की आवाज़ आई- यह क्या कर रहे हो राजीव?
मैंने आँखें खोली, सामने भाभी खड़ी थी।
मेरी तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गई, मैं क्या कहता, और कुछ नहीं सूझा तो झट से उठ कर भाभी के पाँव में गिर गया- भाभी माफ कर दो, प्लीज़, सॉरी, सॉरी!
भाभी ने मुझे उठाया तो मैंने वो प्लास्टिक का लंड अपनी गान्ड से धीरे से निकाल लिया मगर था मैं बिल्कुल नंगा ही।
फिर सोचा अब भाभी ने मुझे इस हालत में देख ही लिया तो क्यों न भाभी से सेटिंग करके देखी जाए, अगर मान गई तो चूत तो मारने को मिलेगी।
यही सोच कर मैंने भाभी को अपनी सब कहानी बताई, और भाभी से मदद करने की विनती की।
मदद का साफ मतलब था कि तुम मुझसे चुदवाओ।
मगर भाभी ने कहा- देखो राजीव, मैं तुम्हें अपना देवर, अपना बहुत अच्छा दोस्त मानती हूँ, मगर मैं तुम्हारी इस मामले में कोई मदद नहीं कर सकती, तुम अपनी गर्ल फ्रेंड से ये सब करो!
मैंने दूसरे दांव खेला- भाभी अगर तुम मेरी गर्ल फ्रेंड नहीं बन सकती तो क्या तुम मेरा बॉय फ्रेंड बन सकती हो?
‘मतलब?’ भाभी ने हैरान होते हुये पूछा।
‘मतलब यह कि क्या तुम मेरा ये डिल्डो अपनी कमर पे बांध सकती हो, मैं लड़की तुम लड़का!’ मैंने कहा।
‘ये क्या बकवास है?’ भाभी बोली।
‘अरे बकवास नहीं, भाभी दोस्त बन कर मेरी संतुष्टि करवा दो, मैं तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊँगा, वादा है, प्लीज़ यार!’ मैंने कहा।
भाभी बोली- इससे फायदा?
‘बस मेरी तसल्ली हो जाएगी।’ मैंने कहा।
भाभी चुप सी हो गई, मैंने भाभी को पकड़ कर खड़ा किया और उस प्लास्टिक के लंड की बेल्ट मैंने भाभी के सूट के ऊपर से ही उनकी कमर पे कस दिया और खुद बेड पे उकड़ूँ हो कर बैठ गया, अपनी गान्ड बाहर को निकाल कर।
भाभी ने पहले कमरे का दरवाजा लॉक किया और फिर खुद भी बेड पे आ गई और मेरे पीछे घुटनों के बल खड़ी हो गई।
मैंने डिल्डो पकड़ कर अपनी गान्ड पे सेट किया और भाभी से कहा- डालो भाभी!
भाभी ने कमर आगे को की तो लंड मेरी गान्ड के अंदर थोड़ा सा घुस गया।
थोड़ा ज़ोर मैंने पीछे को लगाया और आधे से ज़्यादा लंड मेरी गान्ड के अंदर था।
‘बहुत बढ़िया भाभी, अब लड़कों की तरह कमर चलाओ!’ मैंने कहा तो भाभी ने कमर चलाई और मेरी गान्ड बजने लगी।
‘वाह भाभी मज़ा आ गया, थोड़ी तेज़ करो, ज़ोर से चोदो!’ मैंने कहा तो भाभी हंस पड़ी।
‘यार, यह क्या करवा रहे हो मुझसे? और मैं भी क्या कर रही हूँ, तुम तो पागल हो ही, मुझे भी कर दिया!’
मैंने कहा- भाभी, आपको भी तो पता चलना चाहिए कि लड़के लोग जब सेक्स करते हैं तो उनको कैसा लगता है, कैसा मज़ा आता है!
‘यह कहाँ से लाये?’ भाभी ने पूछा।
‘बाज़ार से!’ मैंने कहा- ज़ोर ज़ोर से चोदो भाभी, और ज़ोर से!
‘अरे ज़ोर से ही तो कर रही हूँ!” कह कब भाभी ज़ोर से झटके मारने लगी।
मौका देख कर मैंने भाभी से कहा- भाभी, गान्ड तो मेरी मार ही रही हो, मेरी मुट्ठ भी मार दो प्लीज़, मेरा पानी छुट जाएगा तो चैन आ जाएगा।
शायद भाभी भी पूरे मूड में थी, उन्होंने मेरा लंड पकड़ा और मेरी मुट्ठ मारने लगी।
करीब 7-8 मिनट यह खेल चला।
भाभी बेड पे बैठी थी, मैं उनकी गोद में ऊपर नीचे हो कर अपनी गान्ड मरवा रहा था और भाभी मेरी मुट्ठ मार रही थी। दोनों तरफ से तसल्ली हो रही थी।
इस दौरान मैं भाभी के बूब्स पर, चूत या गान्ड पे कहीं भी गलत तरीके से नहीं छूआ।
भाभी के हाथों से मुट्ठ मरवा कर मेरा लंड धन्य हो गया और वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ दी।
जब मेरा माल छुट गया तो मैं उठ कर खड़ा हुआ, प्लास्टिक का लंड भी मेरी गान्ड से अपने आप निकल गया।
मैं उठ कर बाथरूम में चला गया और भाभी ने अपनी कमर से डिल्डो खोला और चली गई।
अब बहुत से लोग कहेंगे कि यह कहानी झूठ है।
तो अब आप जो चाहो समझो!
कहानी पढ़ के हस्तमैथुन करो या कुछ और… मर्ज़ी आपकी।
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