भाभी ने मेरी ख्वाहिश पूरी की
(Bhabhi Ne Meri Khwahish Puri Ki)
दोस्तो, मेरा नाम जीतू है और मैं गोवा में रहता हूँ. यह मेरी पहली स्टोरी है. मैं मर्चेन्ट नेवी में कार्यरत हूँ. मेरे लण्ड का साइज़ 6-7 इंच के करीब है. यह कहानी मेरी भाभी के बारे में है जिनका नाम शारदा है. मेरी भाभी की उम्र 30-32 साल के करीब है लेकिन वह देखने में 26-27 साल की लगती हैं. उनका फिगर भी बहुत मस्त है जिसका साइज़ 36-30-34 का है. वह बिल्कुल सेक्स की देवी जैसी लगती है.
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ. जब मैं 22 साल का था तब मेरी भाभी ने मुझे मुट्ठ मारते हुए देख कर रंगे हाथ पकड़ लिया था. उस वक्त मुझे काफी शर्मिंदगी हुई थी.
मुझे काफी डर भी लग रहा था कि अगर भाभी ने किसी को बता दिया तो क्या होगा.
कुछ दिन तक भाभी ने मुझसे सीधे तरीके से बात नहीं की. एक दिन घर में कोई नहीं था तो मैं अपने रूम में भाभी की पेंटी लेकर मुट्ठ मार रहा था. अचानक भाभी ने मुझे मुट्ठ मारते हुए पूरा नंगा देख लिया और बोली-ये क्या है??
मेरी तो गांड फट गई कि अब क्या होगा और मुझे ज्वाइनिंग के लिए उसी दिन शिप पर भी जाना था. भाभी ने उस वक्त तो मुझसे कुछ नहीं कहा और देखकर वहाँ से चली गई. उसके बाद मैं भी शिप पर चला गया था.
मैंने भाभी की पेंटी को अपने बैग में पैक किया और बिना कुछ बोले घर से बाहर निकल गया. दस दिन बाद मैंने शिप से घर फोन किया तो भाभी ने फोन रिसीव किया. मैंने भाई के बारे में पूछा और घर वालों के बारे में भी पूछा.
भाभी मुझसे नॉर्मल बात कर रही थी. भाभी ने भी मुझसे पूछा कि काम कैसा चल रहा है और इधर-उधर की बातें हुई.
मैंने सोचा कि भाभी को सॉरी बोलने का अच्छा मौका है तो मैंने उनको सॉरी बोल दिया. मैंने कहा- सॉरी भाभी!
भाभी बोली- किस बात के लिए?
मैं- उस दिन जो हुआ उसके लिए मुझे माफ कर दो प्लीज़!
भाभी- अच्छा माफ कर दूंगी, मगर एक बात मुझे सच-सच बताना!
मैंने कहा- क्या?
भाभी- तू मेरी पेंटी में मुट्ठ क्यों मार रहा था?
मैं- भाभी … आप और भाई कहीं गए हुए थे तो मैं घर पर आया था लेकिन मुझे घर में कोई नहीं दिखा. मैं कुछ मूवीज़ की सीडी लेने आपके रूम में गया और वहीं पर मूवी देखने लगा लेकिन उसमें पॉर्न मूवी थी और मुझे आपके बेड पर कपड़े बिखरे पड़े हुए दिखे और कपड़े ठीक करते वक़्त उसमें से मुझे आपकी पेंटी मिली और मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ तो मैं पेंटी में मुट्ठ मारने लगा और तभी अचानक आपने मुझे ऐसा करते हुए देख लिया. इसलिए मैं बिना कुछ बोले शिप पर आ गया.
भाभी- तो क्या तू मेरी पेंटी अपने साथ ले गया? बता … बोलता क्यों नहीं?
मैं- सॉरी भाभी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था तो मैं आपकी पेंटी को अपने साथ ले आया.
भाभी- तो तू उसमें रोज मुट्ठ मरता है?
फिर मैंने बात काटते हुए कहा- अच्छा भाभी, मैं आपको फिर फोन करूंगा, बाय!
भाभी- अरे सुन … अच्छा ये बता, घर कब आना होगा तेरा?
मैं- अभी तो 3-4 महीने के बाद ही आ पाऊंगा.
भाभी- ठीक है, बाय!
मुझे भाभी की बात सुनकर लगा कि घर पर सब ठीक है और किसी को इस बारे में नहीं पता है. यह बात सोचकर मुझे सुकून मिला.
उसके बाद दिन बीतते गए और मेरा शिप का कॉन्ट्रैक्ट ख़त्म होने वाला था. तभी मुझे पता चला कि मेरा भाई जॉब के लिए दुबई जा रहा है. मैंने घर पर फोन किया तो भाई से बात हुई. उन्होंने अपनी जॉब के बारे में बताया और मैंने उनको बताया कि मैं भी घर आने वाला हूँ. उस वक्त भाभी ने मुझसे फोन पर कोई बात नहीं की.
कुछ दिन बाद भाई चला गया. इधर मेरा कॉन्ट्रैक्ट ख़त्म हो गया था लेकिन मुझे छुट्टी नहीं मिल रही थी क्योंकि मेरे रिलीवर की फ्लाइट मिस हो गई थी. जिसके कारण मुझे शिप पर 10-15 दिन और ज्यादा रुकना पड़ा.
जैसे ही मुझे छुट्टी मिली, मैं घर पर ख़बर किये बिना ही पहुंच गया.
घर की चाबी मेरे पास ही थी. मैंने भाभी को सरप्राइज देने के लिए डोर खोला तो घर में कोई नहीं दिखाई दिया. भाभी के रूम के पास गया और देखा तो मैं खुद ही हैरान हो गया. मैंने देखा कि भाभी पूरी नंगी लेटकर पॉर्न देख रही थी. साथ ही साथ वह अपनी चूत में उंगली भी कर रही थी.
यह देखकर मेरा लंड तो झट से तन गया.
उनको देखकर मैंने अचानक से बोला- सरप्राइज …
भाभी अचानक से मुझे देख कर शॉक में थी और मैं शॉक में होने का नाटक कर रहा था. रूम में पॉर्न देखा जा रहा था और भाभी के कपड़े बेड पर पड़े थे. भाभी हड़बड़ाहट में बाथरूम की तरफ भागी. मैं चुपके से रूम के अंदर गया. मैंने भाभी की पेंटी उठाई और उनको आवाज़ लगा दी कि मैं अपने रूम में जा रहा हूँ. मैं उनके रूम से निकल गया. भाभी कुछ देर बाद कपड़े पहनकर मेरे रूम में आयी और मैं जानता था कि भाभी के बिना पेंटी के ही आई है.
भाभी ने पूछा- मेरी पेंटी कहां है?
तो मैंने उनकी पहले वाली पेंटी अपने बैग में से निकाली और उनको दे दी.
उसको देखकर भाभी गुस्से से लाल हो गई और अपनी उस पेंटी को मेरे मुंह पर फेंकते हुए बोली- इसे तू अपने पास ही रख.
उसके बाद भाभी चली गई. हमारी कुछ बात नहीं हो पा रही थी.
फिर मेरे शैतानी दिमाग ने एक तरकीब निकाली. दो दिन बाद मैंने भाभी के बाथरूम का नल ख़राब कर दिया ताकि भाभी मेरे बाथरूम में नहाने के लिए आए और मैं उनको नहाते हुए देख सकूँ.
यह सब मेरी सोची समझी चाल थी, इसी चाल के अंतर्गत एक दिन मैं अपने बाथरूम में नंगा खड़ा होकर मुट्ठ मार रहा था. मैंने जानबूझकर बाथरूम का दरवाज़ा लॉक नहीं किया था ताकि भाभी मेरे बाथरूम में नहाने के लिए आए और मुझे इस हाल में देख ले.
भाभी ने मुझे मुट्ठ मारते हुए पूरा नंगा देख लिया. लेकिन भाभी ने शर्म के कारण मुझसे कुछ नहीं कहा.
उसके कुछ दिन बाद मुझे महसूस होने लगा कि भाभी भी अपने पति यानि कि मेरे भाई को मिस कर रही है. उनकी चूत भी चुदाई के लिए उतावली हो रही है. इसलिए भाभी को मेरी हरकतें भी शायद पसंद आने लगी थीं.
भाभी मेरे बाथरूम में नहाती और मेरे रूम में ही कपड़े पहनकर निकल जाती.
शायद भाभी को यह भी पता लग गया था कि मैं भी उनको चुपचाप देखता रहता हूं इसलिए वो भी मुझे अपना बदन दिखाने के लिए आराम से नंगी खड़ी होकर बॉडी लोशन लगाती और धीरे-धीरे कपड़े पहन लेती थी. भाभी को देखकर मेरा हाल तो बहुत बुरा हो जाता था. मन करता था कि भाभी को अभी पकड़कर चोद दूँ मगर अभी इतनी हिम्मत मेरे अंदर भी नहीं आ पाई थी.
ऐसे ही एक दिन नहाने के बाद भाभी ने ब्रा और पेंटी पहनी और फिर पेटीकोट व ब्लाउज पहनकर साड़ी लपेट रही थी तो मुझसे से कंट्रोल नहीं हुआ और मैं रूम में अंदर चला गया. भाभी ने मुझे देख लिया था. मगर वह मुस्करा रही थी; उन्होंने मेरे इरादे भी भांप लिए थे; भाभी ने कहा- आने दो तुम्हारे भाई को, तुम्हारी सारी हरकतें बताऊंगी उनको.
मैंने भाभी को धीरे से जाकर पीछे से अपनी बाहों में पकड़कर उनके कान में कहा- क्या बताओगी आप मेरे बारे में भाई को? यही कि आप मेरे रूम में नहाने आया करती हो?
मेरी गर्म सांसों के कारण भाभी के रोंगटे खड़े होने लगे थे. भाभी ने अपनी आंखें बंद कर ली थीं और मैंने उसकी गर्दन पर अपनी जीभ हल्के से फिरा दी तो भाभी के मुंह से एक हल्की सी आह्ह् निकल गई. मैंने अपने हाथ को भाभी की कमर से ले जाकर उनके पेट पर फिराना शुरू कर दिया. साथ ही मैंने भाभी की गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया.
भाभी अब मेरे कंट्रोल में थी; उनका बांया हाथ मेरे सिर के पीछे आ गया था. मैं समझ गया कि अब भाभी सेक्स करने के लिए तैयार हो चुकी है. मैंने उसी वक्त भाभी को अपनी तरफ घुमाया और 10 मिनट तक उनके होंठों को वहीं खड़े-खड़े चूसता रहा. इस दौरान भाभी को पता भी नहीं चला कि मैंने कब उनका पेटीकोट उतार दिया.
अब मेरी भाभी मेरे सामने सिर्फ ब्लाउज और पेंटी में थी. भाभी भी मुझे बेतहाशा किस किये जा रही थी. मैंने भाभी की ब्लाउज खोलने के लिए अपना हाथ बढ़ाया तो भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और हाथ को हटाते हुए मुझे किस करना जारी रखा. मैं भाभी के बड़े-बड़े कूल्हों को हल्के से दबाने लगा और किस करते हुए भाभी के साथ वहीं बेड पर लेट गया. भाभी ने अपनी टांगें खोल दीं और मैं आराम से उनको किस करने लगा. मैंने भाभी के ब्लाउज के ऊपर से भाभी की बाईं चूची को थोड़ा सा दबाया और उसको सहलाना शुरू कर दिया.
हम दोनों के होंठ आपस में एक दूसरे के होंठों को चूसने में लगे हुए थे. मैंने उसके बाद भाभी की पेंटी में हाथ डाल दिया और किसिंग को जारी रखा. मैं हल्के हाथ से भाभी की चूत को भी सहला रहा था. भाभी के मुंह से कामुक सिसकारियाँ निकलना शुरू हो गई थीं. आह्ह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह्ह्ह …
मैंने भाभी की आंखों में देखा तो उनकी नज़रों में सेक्स भर चुका था. वह नशीली आंखों से मुझे देख रही थी.
मैंने इशारे से पूछा- कैसा लग रहा है?
तो भाभी ने बदले में मेरे माथे पर किस कर दिया और मुझसे लिपट गयी. मैंने उसके बाद भाभी की पेंटी से हाथ निकाल लिया और उनके ब्लाउज को खोलना शुरू कर दिया. भाभी मस्ती में खो चुकी थी.
उनके मुंह से निकल रहा था- चोद दो मुझे … प्लीज़ … जीतू बस एक बार चोद दो!
भाभी ने फिर से कहा- जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो, नहीं तो मैं मर ही जाऊंगी आज!
मैंने भाभी से कहा – भाभी, मेरे पास कॉन्डॉम नहीं है.
भाभी बोली- कोई बात नहीं, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, बस तुम अपना लंड मेरी चूत में डाल दो.
अब तक मैं भाभी की पैंटी को उतार चुका था. मैंने भाभी की चूत को देखा और पल भर की देर किए बिना ही भाभी की चूत पर अपने होंठ रख दिए. भाभी ने मेरे सिर के बालों को पकड़ा और अपनी चूत में मेरे होंठों को रगड़वाने लगी. वह इतनी ज़ोर से दबा रही थी कि मैं सही तरीके सांस भी नहीं ले पा रहा था.
भाभी ने कहा- जीतू, मैं झड़ने वाली हूँ.
इतना कहकर भाभी झड़ ही गई और मेरे होंठ उसकी चूत के रस से भीग कर बिल्कुल गीले हो गए. मेरा सारा मुंह भाभी की चूत के रस से सराबोर हो गया था. मैंने देखा कि भाभी हांफ रही थी.
उसके बाद भाभी ने मुझे अपने ऊपर खींचा और मेरे लंड को हाथ में पकड़ लिया; लंड को हाथ में लेकर भाभी ने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया. भाभी ने मुझे होठों पर किस करना शुरू कर दिया और साथ में मेरे लंड को भी सहलाती जा रही थी. उसके बाद भाभी नीचे की तरफ आई और उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और मेरे मुंह से कामुक आवाज़ निकल गई- आह्ह्ह …
मैंने कहा- शारदा भाभी बहुत मज़ा आ रहा है … ओह्ह्ह् … आज से आप मेरी भाभी नहीं बल्कि मेरी वाइफ हो.
इतना कहते ही मेरा कंट्रोल खत्म हो गया मेरे लंड से माल की पिचकारी छूट गई. थोड़ा सा वीर्य भाभी की मांग में भी जा लगा.
भाभी बोली- तुमने तो मेरी मांग भर दी.
उसी वक्त भाभी के फोन पर मेरे भाई का वीडियो कॉल आना शुरू हो गया. भाभी अपना चेहरा साफ करते हुए नंगी ही अपने कमरे की तरफ भागी.
कुछ देर बाद भाभी मेरे रूम में वापस आई. मैं भाभी की पेंटी को अपने लंड पर डालकर व उनकी ब्रा को अपने मुंह पर डाले हुए लेटा था. मेरे रूम में आने के बाद भाभी से फिर बात होने लगी.
मैंने पूछा- भाई से क्या कहा आपने?
भाभी बोली- मैंने कह दिया कि मैं उनको याद करके अपनी चूत में उंगली कर रही थी.
उसके बाद भाभी मेरे पास बेड पर वापस आ गई और मेरे लंड और मेरे मुंह से अपनी ब्रा और पेंटी हटाकर कहने लगी कि अब इसकी क्या ज़रूरत है मेरे राजा … जब मैं खुद तुम्हारे पास हूँ तो …
भाभी ने अपने अंडरगार्मेंट्स उठाकर एक तरफ फेंक दिए और मेरे होठों पर किस करने लगी.
फिर भाभी मेरे पेट पर बैठ गई और अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ने लगी. साथ ही वह मेरे होंठों को भी चूस रही थी. मुझे कमाल का मज़ा आ रहा था. भाभी की चूत ने फिर से गीला पदार्थ छोड़ना शुरू कर दिया था और मेरा लंड काफी चिपचिपा हो चुका था. अब मैंने भाभी की चूचियों को चूसना शुरू कर दिया था. उसके बाद मैंने धीरे से भाभी की चूत में लंड को डाल दिया और भाभी ने मेरे कंधे को नोच लिया. उनके नाखून की खरोंच से मेरे कंधे पर खून निकल आय़ा था. वह बहुत ही ज्यादा गर्म हो चुकी थी. वह निशान आज तक मेरे कंधे से गया नहीं है.
उसके बाद मैंने ज़ोर से भाभी की चूत में एक धक्का मारा तो भाभी ने मेरा कंधा छोड़ दिया.
भाभी अब मेरे निप्पल्स को अपनी जीभ से चाटने लगी. उनकी इस हरकत से मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ने लगा. भाभी को भी पूरा मज़ा आ रहा था और मुझे भी. उसके बाद हमने पॉजीशन बदल ली और हम डॉगी स्टाइल में चुदाई करने लगे. उसके बाद मैंने लंड को बाहर निकाल लिया और भाभी की टांगों को थोड़ी चौड़ी करते हुए उनकी चूत को चाटने लगा. भाभी फिर से पागल होने लगी.
जैसे-जैसे मैं भाभी की चूत पर जीभ चला रहा था वैसे-वैसे भाभी का सेक्स के लिए पागलपन बढ़ता ही जा रहा था. भाभी बोली- बस करो जीतू … मार ही डालोगे तुम तो आज मुझे … आज तक तुम्हारे भाई ने भी मुझे इतना मज़ा नहीं दिया.
उसके बाद मैंने भाभी की चूत में अपना लंड फिर से डाल दिया. मैं भाभी की चुदाई करने लगा. उसके बाद मैंने लंड को निकाला और भाभी की गांड में डाल दिया. भाभी उचक गई. लेकिन मैंने उनको पकड़े रखा. जब भाभी थोड़ी सहज हो गई तो मैंने भाभी की गांड चुदाई करना शुरू कर दिया. कुछ देर के बाद मैंने भाभी की गांड में ही अपना माल छोड़ दिया.
भाभी ने कहा- तुमने अपना माल मेरी चूत में क्यों नहीं छोड़ा.
मैंने कहा- अभी हमारी शादी नहीं हुई है भाभी … शादी होनी तो अभी बाकी है.
उसके कुछ देर बाद हम फ्रेश हुए और भाभी ने चाय-नाश्ता बना दिया. फिर शाम को हम बाहर घूमने निकल गए. मेरे दिमाग में भाभी के लिए एक और सरप्राइज़ था. मैं भाभी को एक मंदिर में ले गया और वहां जाकर मैंने भाभी की मांग में सिंदूर लगा दिया. भाभी ने मंदिर में मुझसे कुछ नहीं कहा लेकिन वह खामोश हो गई थी.
कार में बैठने के बाद मैंने भाभी से पूछा कि कहीं वह मुझसे नाराज़ तो नहीं हो गई है. भाभी ने कहा कि वह नाराज़ नहीं है लेकिन उसको घर जाना है.
उसके बाद मैं भाभी को घर पर छोड़कर अपने दोस्तों के साथ कहीं चला गया.
शाम को जब वापस आया तो रात हो ही चुकी थी. मैंने घर में घुसकर देखा कि सारी लाइट्स बंद हैं. भाभी के रूम में जाकर देखा तो उनका कमरा भी लॉक था. मैंने घबरा कर उनके फोन पर फोन किया तो उसने मेरा फोन नहीं उठाया. जब मैं अपने रूम में जाने लगा तो दरवाज़ा खोलते ही हैरान रह गया. मेरे कमरे को दूल्हे के कमरे की तरह सजा दिया गया था.
पूरा कमरा मोमबत्तियों की रौशनी में जगमग हो रहा था. बेड पर गुलाब की पत्तियां सजी हुई थीं. भाभी एक नई नवेली दुल्हन की तरह बेड पर बैठी हुई थी.
मैंने भाभी से पूछा- यह सब क्या है?
भाभी ने मेरे मुंह पर हाथ रखा और कहा- आज हमने मंदिर में शादी की है और अब सुहागरात है. अब तुम मुझे भाभी नहीं बुलाओगे … तुम्हारे लिए एक और सरप्राइज है मेरे पास!
मैंने पूछा- क्या …
शारदा बोली- मैं अभी तक आधी कुंवारी ही हूँ.
मैंने कहा- तो क्या आपके पहले पति ने आपकी आधी सील ही तोड़ी थी?
वह बोली- हां, बाकी की आधी भी वह तोड़ना चाहते थे लेकिन मैंने मना कर दिया था.
मैंने शारदा से कहा- तो फिर मैं आज अपनी इस सुहागरात को इतनी यादगार बना दूंगा कि आप इसे कभी नहीं भूल पाओगी.
इतना कहकर मैंने शारदा को फिर से किस करना शुरू कर दिया. हम दोनों किस करने लगे. धीरे-धीरे हम दोनों ही अपने कपड़े उतारकर नंगे होते जा रहे थे. उसके बाद वह बेड पर लेट गयी. मैं उसकी चूची को चाटने लगा और धीरे-धीरे नीचे की तरफ जा रहा था तो शारदा ने अपने हाथ से चूत को ढक लिया और कहने लगी कि पहले मेरी वर्जीनिटी खत्म करो.
उसके बाद मैंने अपने लंड को तैयार कर लिया और उसकी गांड पर लंड को लगाकर अंदर धकेलने की कोशिश करने लगा. लेकिन उसकी गांड काफी टाइट थी तो इतनी आसानी से अबकी बार लंड नहीं जा पा रहा था. फिर उसने मुझे वैसलीन की शीशी दे दी. मैंने थोड़ी सी वैसलीन अपने लंड पर लगाई और थोड़ी उसकी गांड पर. उसके बाद मैंने लंड को अंदर धकेला तो लंड केवल एक इंच ही अंदर जा पाया.
उसको बहुत ज़ोर से दर्द होने लगा था; मुझे लंड वापस बाहर निकालना पड़ा. अबकी बार मैंने थोड़ी सी क्रीम अपनी उंगली पर लगाई और उसकी गांड में उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगा. उसके बाद मैंने धीरे से लंड को फिर उसकी गांड पर सेट किया और एक ज़ोर का धक्का दिया तो अबकी बार आधा लंड उसकी गांड में घुसा दिया. मैंने शारदा को कमर पर किस करना शुरू कर दिया ताकि उसका दर्द कम हो जाए. उसके बाद जब वह सामान्य हो गई तो मैंने उसकी गांड को चोदना शुरू कर दिया.
धीरे-धीरे करके वह मेरा पूरा लंड अपनी गांड में लेने लगी. अब मैंने साथ ही उसकी चूत में भी उंगली करना शुरू कर दिया. दोनों को सेक्स का नशा चढ़ने लगा था. उसके बाद मैंने अपनी स्पीड को तेज़ कर दिया और लगभग 30 मिनट तक उसकी गांड की चुदाई करने के बाद मेरा माल शारदा की गांड में ही निकल गया.
जब मैंने लंड को उसकी गांड से बाहर निकाला तो माल के साथ-साथ थोड़ा खून भी लगा हुआ था मेरे लंड पर. उस पदार्थ के कारण बेड की चादर भी खराब हो गयी थी.
शारदा ने कहा- आज से आप ही मेरी गांड के मालिक हो और मेरी चूत के दूसरे हक़दार भी.
उसके बाद हम दोनों बाथरूम में जाकर फ्रेश हुए और नंगे ही एक-दूसरे के साथ चिपक कर सो गए. मैं उसकी चूत में रात भर अपना लंड डालकर सोता रहा. अगली सुबह हम काफी देर से जगे और उठकर दोनों ने एक दूसरे को गुड मॉर्निंग विश किया.
उसके बाद हम अक्सर घर में नंगे ही रहते थे. भाई जब तक एक महीने की छुट्टी से वापस आए तो भाभी प्रेग्नेंट हो गई थी. भाभी को यह भी पता था कि वह बच्चा मेरे भाई का ही है. भाभी ने यह बात मुझे बताई और कहने लगी कि उनको मेरा ही बच्चा चाहिए. उसके बाद शारदा भाभी ने अबॉर्शन करवा लिया. फिर जब शारदा दोबारा मेरे लंड से चुदकर प्रेग्नेंट हुई तो उसने मेरे बच्चे को पैदा किया और अब मेरे बच्चे को भाई का नाम दे दिया है.
हम दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं लेकिन हमारे रिश्ते को हम किसी के सामने बता नहीं सकते हैं इसलिए मैंने यह कहानी यहाँ पर पोस्ट की है.
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