गुरुपूर्णिमा के दिन बना भाभी का चुदाई गुरु
(Gurupoornima Ke Din Bana Bhabhi Ka Chudai Guru)
मेरा नाम अक्षय है, अभी मैं 27 साल का हूँ. मेरा लंड अभी 5 इंच का ही है लेकिन मोटा बहुत ज्यादा है. हमारे घर में मैं, मेरी वाइफ, मेरी मम्मी पापा और मेरे भाई-भाभी और उनकी 5 साल की लड़की रहते हैं.
यह बात अभी सिर्फ कुछ दिन पहले की ही है.
मेरी पत्नी ने अभी हमारी बेटी को जन्म दिया था, वो अपने मायके में थी. हमारे यहां गोद भराई के बाद लड़की अपने मायके चली जाती है और पहला बच्चा वहीं जनती है.
मेरी पत्नी को अपने मायके गए 4 महीने हो गए थे. मैं यहाँ मेरी कामवासना कहां बुझाऊं, उसके बारे मैं सोच सोच कर कई बार मुठ मार लेता हूं.
मैंने अपनी भाभी के बारे में अभी तक ऐसा नहीं सोचा था, लेकिन इस बार गुरुपूर्णिमा के दिन मेरे मम्मी पापा हमारे गुरु के पास गए थे, साथ में मेरी 5 साल की भतीजी भी गई थी. मेरा बड़ा भाई डॉक्टर है, तो वो अपने क्लिनिक पे गए थे. इस वक्त घर पर मैं और मेरी भाभी ही थीं.
मैं अपने रूम में बैठे बैठे अपने मोबाइल में पोर्न मूवी देख रहा था, तभी पीछे की तरफ से किसी के होने की आवाज आई. मैंने देखा कि भाभी ने शायद मुझे पोर्न देखते हुए देख लिया था. फिर जल्दी से मोबाइल बंद किया और मैंने टीवी देखना शुरू कर दिया.
घर का सारा काम खत्म करके भाभी नहाने चली गईं, लेकिन वे अपने कपड़े ले जाना भूल गईं. उन्होंने मुझे आवाज दी, तो मैं उनके कपड़े देने गया. मैंने कपड़े देने से पहले एक छेद में से देखा कि भाभी एकदम नंगी थीं और वे एक हाथ से अपनी चूत में उंगली कर रही थीं. मैंने सोचा कि शायद भाभी ने मुझे पोर्न देखते देख लिया था, इसलिए भाभी के अन्दर भी आग लगी है.
मैं फिर अपने रूम में जाकर मुठ मारने लगा, लेकिन पता नहीं कब भाभी अचानक से मेरे रूम में आ गईं और उन्होंने मुझे लंड हिलाते हुए देख लिया.
भाभी ने शरमाते हुए कहा- ये क्या कर रहे हो?
मैं- भाभी सच कहूं तो जब से वो मायके गई है, मैं तो जैसे तड़प गया हूं.. क्या करूँ कुछ समझ ही नहीं आता!
भाभी- तो चले जाओ न.. उससे मिल आओ!
मैं- वहां जाऊंगा भी तो भी मौका थोड़ी ना मिलेगा?
भाभी- तो अब क्या करोगे?
मैं- भाभी मैंने आपको भी उंगली करते देख लिया है, आपके पास तो मेरे भैया हैं, फिर आप क्यों ऐसा करती हो?
भाभी ने उदास होकर कहा- तुम्हारे भाई तो रात को आते ही थक कर सो जाते हैं और मैं भी तड़पती रह जाती हूँ.
भाभी थोड़ा चल कर मेरे रूम में अन्दर को आईं, तो उनका पैर फिसल गया और वो फिसल कर मेरे पास में गिर गईं.
मैंने भाभी को संभाला तो मेरा हाथ उनकी कमर पर आ गया.
मेरे स्पर्श से ही भाभी सिहर गईं. उन्होंने बोला- अक्षय मुझसे उठा नहीं जा रहा.. मुझे उठाओ.
मैंने भाभी को दोनों हाथ से पकड़ कर उठाया और सहारा देकर अपने बिस्तर पे बिठा दिया. उस वक्त उनके भी दोनों हाथ मेरे कंधे पे थे. तभी हमारी नजरें मिलीं, तो बस एक मूक सा आमंत्रण था. वो शायद बाथरूम में ही गर्म हो कर आई थीं, तो उनकी गर्म सांसें मुझको महसूस हो रही थीं.
मैंने भाभी की आँखों में आँखें डालते हुए वक्त ना गंवाते हुए उनके होंठों को अपने होंठों से लगा दिया. उनको कोई ऐतराज नहीं था बल्कि वो शायद इसी लिए मेरे पास गिरी थीं.
हम दोनों ने 5-7 मिनट तक किस किया. फिर भाभी का हाथ मेरे लंड पर आ गया था. मेरा लंड एकदम टाइट हो चुका था. भाभी पेंट के ऊपर से ही मेरे लंड को बाहर निकालने में लगी हुई थीं.
मैं अपने एक हाथ से उनके मुम्मे दबा रहा था और मेरा दूसरा हाथ उनके पेटीकोट के ऊपर से उनकी चूत को सहला रहा था.
अब तक हम दोनों गर्म हो गए थे, तो मैंने देर न करते हुए कपड़े उतारना शुरू कर दिए. कुछ ही पलों में हम दोनों नंगे हो गए थे. इस वक्त घर पे कोई नहीं था तो हमें किसी का डर नहीं था. मेन गेट भी बंद था.
अब मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटा दिया और अपना मुँह उनकी चूत पे रख कर भाभी की चूत चाटने लगा. वो सीईई करके कराहने लगीं.
फिर मैंने एक उंगली को भाभी की चूत में जोर से घुसेड़ दिया, तो उनके मुँह से चीख निकल गई- ऊऊऊईईई मम्मम्मामाँ मम्म्मर गईईइ..
कुछ ही देर में हम दोनों गुत्थमगुत्था हो गए और कब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए, मालूम ही नहीं चला. इस वक्त चुदास अपने पूरे यौवन पर थी और हम दोनों ही काम वासना की आग में जल रहे थे.
हमने एक दूसरे को चूस कर बहुत देर तक मजा दिया, शायद भाभी का 69 का ये पहला अनुभव था.
कुछ ही देर में मैं उनके मुँह में और वो मेरे मुँह में अकड़ कर झड़ गईं. माल निकल जाने के बाद हम दोनों कुछ शिथिल से हुए. फिर मैंने देखा कि भाभी के चेहरे पे एक कातिल सी मुस्कराहट थी.
भाभी बोली- अक्षय, यह 69 का मेरा पहला अनुभव था. आपके भाई ने कभी ऐसा नहीं किया था.
मैं- भाभी आप देखती जाओ आज आपके साथ सब कुछ पहली बार ही होगा.
भाभी- अक्षय आज मैं पूरी तरह से तुम्हारी हूँ.. आज तू अपनी इस रानी की चुत को फाड़ दे और आज गुरुपूर्णिमा भी है, मुझे अपनी दासी बना लो और मुझे चुदाई का गुरुज्ञान दे दो.
मैंने हंस कर भाभी को अपनी बांहों में भर लिया.
भाभी मेरे ऊपर टांग रख कर लेटी हुई थीं और अपने हाथों से मेरे लंड को सहला रही थीं. मैं फिर से उफान पे आ गया और बिना देर किए मैंने भाभी को अपने नीचे लेटा कर उनके दोनों पैरों को फैला दिया. अभी भाभी कुछ समझ पातीं मैंने अपने लंड का सुपारा उनकी चूत की फांकों में फंसा दिया और रगड़ने लगा.
बमुश्किल से बीस सेकंड हुए होंगे कि भाभी भी तड़पने लगी थीं
भाभी- अक्षय प्लीज़ अब और मत तड़पाओ.. पेल दो अपना लंड और फाड़ सो मेरी इस चूत को..
मैंने एक झटके में अपना पूरा लंड भाभी की चूत में पेल दिया. मेरे मोटे लंड के जाते ही उनके मुँह से ‘सीईईईई ओय्य्य्य य्य्य मम्म मम्माम.. मार दिया..’ निकल गया.
लेकिन भाभी को मजा आ रहा था.
जैसे ही लंड ने चूत से दोस्ती की तो भाभी भी मेरा साथ देने लगीं और अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मुझसे चुदवाने लगी थीं.
भाभी शोर मचा रही थीं- आह… जोर से चोद मुझे… और जोर से…
मैंने दस मिनट भाभी को चोदा और कुछ पल के लिए रुक गया.
भाभी ने एक लम्बी सांस लेते हुए कहा- बड़ी तेज दौड़ते हो.. देवरानी की तो फाड़ ही दी होगी तुमने?
मैंने कहा- भाभी बहुत आग लगी थी.. सच में आपकी चूत बड़ी कसी हुई है.. मजा आ गया.
भाभी- तो क्या देवरानी की चूत ढीली कर दी है?
मैंने कहा- मुझे पता नहीं भाभी.. बस मुझे अभी तो आपके साथ बहुत मजा आ रहा है.
फिर भाभी मुझे चूमते हुए मेरे ऊपर आ गईं और मेरा लंड अपनी चूत में लेकर ऊपर नीचे होने लगीं. इस आसन में उनके मुम्मे उछल उछल कर मेरे हाथों को बुला रहे थे. मैंने दोनों हाथों से उनके मम्मों मसलना चालू कर दिया. भाभी भी एक वक्त पूरी तन कर मेरे लौड़े की सवारी गाँठ रही थीं.
इसके बाद मैंने भाभी को उठाया और उनको घोड़ी बना दिया. उनके पीछे से मैंने अपना कड़क लंड एक बार में ही पूरा पेल दिया. भाभी की एक तेज आह निकल गई.
इसके बाद मैंने भाभी की नीचे झूलती चुई चूचियों को अपने दोनों हाथों में भरा और धकापेल चुदाई शुरू कर दी. हमारी चुदाई लगभग 20 मिनट तक चली, उसमें वो 2 बार झड़ चुकी थीं. लेकिन मेरा अभी बाकी था.
कुछ देर बाद मैं भी आने ही वाला था तो मैंने बोला- भाभी जी, मैं अपना रस कहां निकालूँ?
भाभी- देवर जी, मेरी चूत के अन्दर ही निकाल दो, वैसे भी मैं और तेरे भैया अगले बच्चे की प्लानिंग कर ही रहे हैं, पर हो नहीं रहा है.
मैंने स्पीड बढ़ा दी और उनकी चूत में ही झड़ गया, फिर हम दोनों थोड़ी देर ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे हुए पड़े रहे.
तभी भाभी ने कहा- अक्षय, आज सच में तूने गुरु पूर्णिमा के दिन मुझे ऐसे सेक्स से वाकिफ करवाया, जो मैंने कभी नहीं किया था.
हम दोनों प्यार में डूब कर एक दूसरे को किस करने लगे. कुछ देर बाद भाभी फ्रेश होकर मेरे साथ ही लेट गईं. दोपहर हुई तो भाभी ने सारा काम सिर्फ ब्रा और पेंटी पहन कर ही किया. मैं भी ऐसे ही नंगा घूमता रहा.
फिर लंच टाइम में भाभी ने मेरी गोद में बैठ कर खाना खाया. खाना के बाद पूरा काम निपटा कर हमने फिर से सेक्स शुरू कर दिया.
मम्मी पापा शाम को आने वाले थे तो उस दौरान हमने 3 बार सेक्स किया. तो दोस्तों मैंने ऐसे गुरू बनकर भाभी को दासी बना लिया.
उसके बाद 12 दिन बाद भाभी को चोदने का फिर से मौका मिला. आज उनके गर्भ में 2 महीने का बच्चा है, वो मेरा ही है.
कैसी लगी मेरी ओरिजिनल चुदाई की कहानी.. मेल जरूर कीजिये, आभार!
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