देवर भाभी की चुदाई-9
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प्रेषक : नामालूम
सम्पादक : जूजा जी
भाभी अब बिल्कुल नंगी थी। चूतड़ उठाए उनके चौड़े नितंब और बीच में से मुँह खोले निमंत्रण देती, काली लम्बी झाँटों से भरी चूत बहुत ही सुन्दर लग रही थी।
भारी-भारी चूतड़ों के बीच गुलाबी गाण्ड के छेद को देख कर तो मैंने निश्चय कर लिया कि एक दिन भाभी की गाण्ड ज़रूर मारूँगा।
बिल्कुल नंगी करने के बाद मैंने फिर अपना लवड़ा भाभी की चूत में जड़ तक पेलना शुरू कर दिया।
भाभी की चूत के रस से मेरा लंड सना हुआ था।
मैंने चूत के रस में ऊँगली गीली करके भाभी की गाण्ड में सरका दी।
‘उई मा… आह …क्या कर रहा है राजू?’
‘कुछ नहीं भाभी आपका यह वाला छेद दुखी था कि उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा, मैंने सोचा इसकी भी सेवा कर दूँ।’
यह कह कर मैंने पूरी ऊँगली भाभी की गाण्ड में घुसा दी।
‘आआहह…उई…अघ… धीरे देवर जी, एक छेद से तेरा दिल नहीं भरा जो दूसरे के पीछे पड़ा है।’ भाभी को गाण्ड में ऊँगली डलवाने में मज़ा आ रहा था।
मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए।
भाभी शायद दो-तीन बार झड़ चुकी थीं क्योंकि उनकी चूत का रस बह कर मेरे अमरूदों को भी गीला कर रहा था।
15-20 धक्कों के बाद मैं भी झड़ गया और ढेर सारा माल भाभी की चूत में उड़ेल दिया।
भाभी भी इस भयंकर चुदाई के बाद पसीने से तर हो गई थीं। वीर्य उनकी चूत में से बाहर निकल कर टाँगों पर बहने लगा, भाभी निढाल होकर चटाई पर लेट गईं।
‘राजू आज तीन महीने तड़पाने के बाद तूने मेरी चूत की आग को ठंडा किया है। एक दिन मैं ग़लती से तेरा ये मूसल देख बैठी थी बस उसी दिन से तेरे लंड के लिए तड़प रही थी… काश मुझे पता होता कि खड़ा होकर तो ये 10 इंच लम्बा हो जाता है।’
‘तो भाभी आपने पहले क्यों नहीं कहा। आपको तो अच्छी तरह मालूम था कि मैं आपकी चूत का दीवाना हूँ। औरत तो ऐसी बातें बहुत जल्दी भाँप जाती हैं।’
‘लेकिन मेरे राजा.. औरत ये तो नहीं कह सकती कि आओ मुझे चोदो। पहल तो मर्द को ही करनी पड़ती है और फिर मैं तो तेरी भाभी हूँ।’
‘ठीक है भाभी अब तो मैं आपको रोज़ चोदूँगा।’
‘मैं कब मना कर रही हूँ? एक बार तो तूने चोद ही दिया है, अब क्या शरमाना? इतना मोटा लम्बा लंड तो बहुत ही किस्मत से नसीब होता है। जब तक तेरी शादी नहीं हो जाती तेरे लंड का मैं ख्याल करूँगी। इसको मोटा-ताज़ा बनाए रखने के लिए मैं तेरे लंड की रोज़ मालिश कर दूँगी। अच्छा अब मुझे जाने दे मेरे राजा, तूने तो मेरी चूत का बाजा ही बजा दिया है।’
उसके बाद भाभी उठ कर नंगी ही अपने कमरे में चली गईं।
जाते समय उनके चौड़े भारी नितंब मस्ती में बल खा रहे थे। उनके मटकते हुए चूतड़ देख कर दिल किया कि भाभी को वहीं लिटा कर उनकी गाण्ड में अपना लवड़ा पेल दूँ।
अगले दिन बॉडी-बिल्डिंग की प्रतियोगिता थी। मैंने ये प्रतियोगिता इस साल फिर से जीत ली, अब मैं दूसरी बार कॉलेज का बॉडी-बिल्डिंग चैम्पियन हो गया।
मैं बहुत खुश था, घर आ कर मैंने जब भाभी को यह खबर सुनाई तो उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा।
‘आज तो जश्न मनाने का दिन है, आज मैं तेरे लिए बहुत अच्छी-अच्छी चीज़ें बनाऊँगी। बोल तुझे क्या इनाम चाहिए?’
‘भाभी आप जानती हैं.. मैं तो सिर्फ़ इसका दीवाना हूँ, ये ही दे दीजिए।’ मैं भाभी की चूत पर हाथ रखता हुआ बोला।
‘अरे वो तो तेरी ही है… जब मर्ज़ी आए ले लेना, आज तू जो कहेगा वही करूँगी।’
‘सच भाभी.. आप कितनी अच्छी हो।’ यह कह कर मैंने भाभी को अपनी बांहों में भर लिया और अपने होंठ भाभी के रसीले होंठों पर रख दिए।
मैं दोनों हाथों से भाभी के मोटे-मोटे चूतड़ सहलाने लगा और उनके मुँह में अपनी जीभ डाल कर उनके होठों का रस पीने लगा।
ज़िंदगी में पहली बार किसी औरत को इस तरह चूमा था।
भाभी की साँसें तेज़ हो गईं।
अब मैंने धीरे से भाभी की सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार सरक कर नीचे गिर गई।
‘राजू, तू इतना उतावला क्यों हो रहा है ? मैं कहीं भागी तो नहीं जा रही। पहले खाना तो खा ले, फिर जो चाहे कर लेना। चल अब छोड़ मुझे।’
यह कह कर भाभी ने अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की।
मैंने उनके कुर्ते के नीचे से हाथ डाल कर भाभी के चूतड़ों को उनकी सॉटिन की कच्छी के ऊपर से दबाते हुए कहा- ठीक है भाभी जान, छोड़ देता हूँ.. मगर एक शर्त आपको माननी पड़ेगी।’
‘बोल क्या शर्त है ?’
‘शर्त यह है कि आप अपने सारे कपड़े उतार दीजिए, फिर हम खाना खा लेंगे।’ मैं भाभी के होंठ चूमता हुआ बोला।
‘क्यों तू किसी ज़माने में कौरव था.. जो अपनी भाभी को द्रौपदी की तरह नंगी करना चाहता है?’ भाभी मुस्कुराते हुए बोलीं।
मैं भाभी की कच्छी में हाथ डाल कर उनके चूतड़ों को मसलते हुए बोला- नहीं भाभी.. आप तो द्रौपदी से कहीं ज़्यादा खूबसूरत हैं और मैंने अपनी प्यारी भाभी को आज तक जी भर के नंगी नहीं देखा।’
‘झूट बोलना तो कोई तुझसे सीखे, कल तूने क्या किया था मेरे साथ? बाप रे.. साण्ड की तरह… भूल गया?’
‘कैसे भूल सकता हूँ मेरी जान… अब उतार भी दो ना।’ यह कहते हुए मैंने भाभी का कुर्ता भी ऊपर करके उठा दिया। अब वो सिर्फ़ ब्रा और छोटी सी कच्छी में थीं।
‘अच्छा तेरी शर्त मान लेती हूँ, लेकिन तुझे भी अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे।’
और भाभी ने मेरी शर्ट के बटन खोल कर उतार दिया।
इसके बाद उन्होंने मेरी पैन्ट भी नीचे खींच दी।
मेरा लौड़ा अंडरवियर को फाड़ने की कोशिश कर रहा था। भाभी मेरे लौड़े को अंडरवियर के ऊपर से सहलाते हुए कहा- राजू, ये महाशय क्यों नाराज़ हो रहे हैं?
‘भाभी नाराज़ नहीं हो रहे, बल्कि आपको इज़्ज़त देने के लिए खड़े हो रहे हैं।’
‘सच.. बहुत समझदार है।’ यह कहते हुए भाभी ने मेरा अंडरवियर भी नीचे खींच दिया।
मेरा लौड़ा फनफना कर खड़ा हो गया। भाभी के मुँह से सिसकारी निकल गई और वो बड़े प्यार से लौड़े को सहलाने लगीं।
मैंने भी भाभी की ब्रा का हुक खोल कर भाभी की चूचियों को आज़ाद कर दिया।
फिर मैंने दोनों चूचकों को बारी-बारी से चूसा और भाभी की कच्छी को नीचे सरका दिया।
गोरी-गोरी जांघों के बीच में झांटों से भरी भाभी की चूत बहुत ही सुन्दर लग रही थी।
‘अब तो मैंने तेरी शर्त मान ली, अब मुझे खाना बनाने दे।’ ये कह कर वो रसोई की ओर चल पड़ीं।
ऊफ़.. क्या नज़ारा था.. गोरा बदन, चूतड़ों तक लटकते घने बाल, पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए भारी नितंब, सुडौल जांघें और उन मांसल जांघों के बीच घनी लम्बी झांटों से भरी फूली हुई चूत।
चलते वक़्त मटकते हुए चूतड़ और झूलती हुई चूचियाँ बिल्कुल जान लेवा हो रही थीं।
भाभी रसोई में खाना बनाने लगीं।
मैं भी रसोई में जा कर भाभी के चूतड़ों से चिपक कर खड़ा हो गया।
मेरा लौड़ा भाभी के चूतड़ों की दरार में फँसने की कोशिश करने लगा।
मैं भाभी की चूचियों को पीछे से हाथ डाल कर मसलने लगा।
‘छोड़ ना मुझे, खाना तो बनाने दे।’ भाभी झूटमूट का गुस्सा करते हुए बोलीं और साथ ही में अपने चूतड़ों को इस प्रकार पीछे की ओर उचकाया कि मेरा लौड़ा उनके चूतड़ों की दरार में अच्छी तरह समा गया और चूत को भी छूने लगा।
भाभी की चूत इतनी गीली थी कि मेरा लौड़े के आगे का भाग भी भाभी की चूत के रस में सन गया।
इतने में भाभी कुछ उठाने के लिए नीचे झुकी तो मेरे होश ही उड़ गए।
भाभी के भारी चूतड़ों के बीच से भाभी की फूली हुई चूत मुँह खोले निहार रही थी।
मैंने झट से अपने मोटे लौड़े का सुपारा चूत के मुँह पर रख कर एक ज़ोर का धक्का लगा दिया, मेरा लौड़ा चूत को चीरता हुआ 3 इंच अन्दर घुस गया।
कहानी जारी रहेगी।
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