रीना ने अपनी सील तुड़वाई

हैलो दोस्तो,
मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी वासना की संतुष्टि की कहानी ‘रीना की मस्ती’ पढ़ कर आप सभी मुझे इतना प्यार देंगे। आपके ई मेल्स के लिए मैं तहे-चूत से आपका धन्यवाद करती हूँ। मैं अपनी उन सहेलियों का भी शुक्रिया अदा करती हूं जिन्हें मेरी कहानी पसंद आई और उनका भी जिन्होंने अपना वैसा ही अनुभव मुझे बताया।

कहाँ तो मैं एक अदद लँड के लिये तरस रही थी और आज तो करीब-करीब आप सभी ने मेरी लेने की इच्छा जतलाई है। और सबसे ज्यादा खुशी तो मुझे इस बात की है कि आप सभी बड़े-बड़े लँडों के मालिक हैं और सभी को चोदने में महारत हासिल है। आपके ईमेल पढ़ कर मेरी चूत में जबर्दस्त खुजली मचने लगती है।

सीमा के जाने के बाद तो अब फिर उंगली मारने के सिवा कोई चारा नहीं बचा था। मेरे लिये तो यह फैसला करना मुश्किल हो गया है कि मैं आप में से किसका लँड लूँ और किसका छोड़ूं।

फिर भी, लँड लेने की चाहत में आप में से जिसे भी मैंने मेल किया है, प्लीज मुझे और ज्यादा लँड का लालच मत दीजिये क्योंकि मैं एक छोटे शहर में रहती हूं और मेरे लिये आप में से किसी से भी मिलना सम्भव नहीं हो पायेगा।

चुदवाने के चक्कर में अगर बदनामी हो गई तो मैं कहीं की नहीं रहूंगी। काश मैं किसी महानगर में होती तो रोजाना ही आप में से किसी न किसी से मरवाने जरूर पहुँचती।

वैसे मुझे लगता है कि हम छोटे शहरों वालियों को ही यह समस्या है, नहीं तो गांव की लड़कियाँ तो खेत खलिहानों में जा जा के अपनी चूत की जबर्दस्त रगड़ाई करवाती हैं। और बड़े शहरों की बातें तो आप जानते ही हैं।

इसके अलावा, मेरी जिंदगी में एक और घटना पिछ्ले हफ्ते घट गई है जो मैं आपके साथ बाँटना चाहती हूँ।

कहते हैं भगवान के घर देर है पर अँधेर नहीं है। मेरी प्यासी चूत के लिये सामान खुद-ब-खुद चल कर मेरे घर पहुँच गया। मेरे पति किसी काम के सिलसिले में चंडीगढ़ गये हुए थे और अभी तक नहीं लौटे हैं।

पीछे उनके मामे का लड़का पवन अचानक टूर पर आ गया, जो करीब 24 साल का है और एक इंश्योरेंस कंपनी में काम करता है। हालांकि वो हमारे घर पहली बार ही आया था क्योंकि उसकी नई नई नौकरी लगी थी और उसे हमारे वाला क्षेत्र मिला था।

अगले दिन सुबह वह अपने स्थानीय दफ़्तर चला गया और रात करीब आठ बजे लौटा।

मैंने खाना बना रखा था और हम दोनों खाना खाकर सिटिंग रूम में आ गए।

मैंने टीवी चला दिया और पवन अपने पेपर वगैरह देखने लगा।

मैं नीचे कालीन पर बैठी हुई थी और पवन ऊपर सोफे पर।
मैं टीवी देखने में मशगूल हो गई और कुछ देर बाद मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि कमरे में मेरे अलावा कोई और भी है।

मैं यूँ ही चैनल बदल रही थी और तभी एक इंग्लिश पिक्चर का सीन दिखाई दिया जिसमें हीरो-हीरोइन चुम्बन कर रहे थे।

मैं उसी चैनल पर रुक गई और देखने लगी।
कुछ देर बाद हीरो ने हीरोइन के कपड़े उतार डाले और उसके ऊपर आ गया।

सीन में हीरो-हीरोइन के ऊपरी हिस्से को ही दिखाया था पर दोनो के हिलने डुलने से साफ पता चल रहा था कि नीचे क्या खिचड़ी पक रही है।

हीरोइन आँखे बंद कर के आँ ऊँ करे जा रही थी और कुछ ‘फक मी हार्ड’ या ऐसा ही कुछ बोल रही थी और हीरो महाशय लगातार धक्का-पेली में लगे हुए थे।
कुल मिला के काफी गर्मागरम चुदाई चल रही थी। सीन देख कर मेरी चूत पनियाने लगी और मैंने अपनी टांगे चौड़ी करके गाउन ऊपर कर लिया.

पैन्टी तो मैंने शाम को ही उतार के बाथरूम में टांग दी थी क्योंकि रोज रात को मुठ मारे बिना तो मुझे नींद ही नहीं आती है, जिसके लिए चूत को मैं पहले ही आज़ाद कर लेती थी ।

पवन का तो मुझे ध्यान ही नहीं था, इसलिए बड़े आराम से अपनी गोरी टांगों को सहलाते हुए मैंने एक हाथ से अपनी चूत को मसलना शुरू कर दिया।

चूत के रस में गीली कर के मैंने एक उंगली धीरे से अँदर कर ली और हौले हौले आगे पीछे करने लगी।

मुझे लगता है कि मेरी हरकत देखकर पवन का लँड तो तुरंत ही टन्ना गया होगा। थोड़ी देर बाद पवन ने एक गहरी साँस ली और इससे मुझे उसकी उपस्थिति का एहसास हो आया।

लेकिन मेरे दिमाग में एकदम से पवन के लौड़े की शक्ल कौंध गई, और मैंने बेशर्मी से उसकी तरफ कनखियों से देखा और उंगली चलाती रही। वह थोड़ा शरमा गया।

मैं उसे छेड़ते हुए बोली- क्या हाल है, सब ठीक तो है?

पवन बोला- क्या मतलब है आपका?

मैंने कहा- भोले मत बनो ! मुझे सब नज़र आ रहा है तुम्हारे पैंट के तंबू के नीचे ! जिससे लगता है कि तेरा लँड काफी बड़ा है। तुझे पता है, तेरे भैया ने तो आज तक मुझे छुआ तक नहीं है। मेरी कुंवारी चूत तो बरसों से लौड़े की प्यासी है। मैं जैसे तैसे मुठ मार मार के अपना काम चला रही हूँ। तुम चाहो तो आज मेरी जी भरके ले डालो, मैं भी कुछ मज़े कर लूंगी। मेरी सभी सहेलियाँ अपनी चुदाई के किस्से सुनाती रहती हैं। उनके पति उन्हें रात-रात भर कई कई बार चोदते हैं और वह भी अच्छी तरह रगड़ कर। और एक मैं हूँ जिसे आज तक सही लँड तक नहीं मिला। प्लीज़, आज तो मुझे तुम्हारा लौड़ा चाहिए और सच कह रही हूँ अब तो मैं इसे अँदर लेकर ही रहूँगी।

पवन के कोई जवाब देने से पहले ही मैंने पलट कर अपना हाथ पवन के तने हुए लँड पर रख दिया।

पवन के लौड़े को तो जैसे करेंट लग गया और वह एकदम फनफना गया।
मैंने जल्दी से उसके पैंट का हुक और ज़िप खोल दिया और फिर अँडरवियर नीचे कर के लँड को बाहर निकाल लिया। लँड क्या था, पूरा 8 इंच का बेलन था बिल्कुल टन्नाया हुआ।

उसका लाल सुपाड़ा देख कर मेरी आँखों में नशा छा गया और पूरा बदन थरथरा उठा। जिस चीज़ की मैं कल्पना ही करती रहती थी वह आज मेरे इतने पास थी। पवन के लँड की खुशबू मुझे मदहोश करने लगी थी।

मैंने उसके लँड को चूमा और फिर अपनी जीभ से उसे चाटने लगी।

लँड की जड़ से शुरू कर के मैं जीभ उसके टोपे तक ले जाती और फिर सुपाड़े को चारों तरफ से चाट चाट कर मैंने लँड को पूरा गीला कर डाला। इसके बाद मैं लँड को पूरा मुँह में ले कर उसे आम की तरह चूसने लगी और साथ साथ एक हाथ से उसे मुठ भी लगा रही थी।

पवन तो जैसे स्वर्ग में था बोला- भाभी, बहुत अच्छा लग रहा है, चूस डालो … मेरे लौड़े को, निकाल डालो इसका पानी।

पर मैंने लँड मुँह से निकाल कर कहा- बस बस अभी रहने दे और अब इसे अँदर डालकर मेरी चूत की प्यास बुझा दे।

पवन बोला- भाभी, पर मैंने तो आज तक किसी को नहीं चोदा है, ये कैसे होगा।

मैं बोली- यह तो और भी अच्छी बात है, आज तो समझो हमारी सुहागरात है, कुंवारी चूत को कुंवारा लँड जो मिल रहा है। तुम्हें तो बस ऊपर आकर लँड मेरे हाथ में देना है, बाकी काम तो मेरा है।

इतना कहकर मैंने अपना गाउन खोल दिया। काली ब्रा के ऊपर से मेरे गोरे और सुडौल मम्मे झाँक रहे थे।
पवन ने हल्के से मेरे उभारों को छूकर सहलाना शुरू कर दिया। मेरी तो आँखें बंद हो गईं और दिल भी धकधक होने लगा।

पवन की हिम्मत बढ़ गई और उसने ब्रा के स्ट्रेप मेरे कंधे से हटा कर मेरी गोल और दूधिया छातियों को नंगा कर डाला। मेरे मम्मों के बीचोंबीच मेरी हल्के बादामी रंग की चूचियां तन कर खड़ी हो गईं थीं।

पवन ने अब मुझे गोद में बिठा लिया और मेरे मम्मे सहलाने लगा। फिर उसने मेरी एक चूची को दो उंगलियों के बीच लेकर हल्के से दबा दिया। मैंने एक सिसकारी भरी और पवन से लिपट गई।

पवन ने भी अपने गरम होंठ मेरे होंठों से सटा दिए और हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे। साथ ही पवन मेरे मम्मे दबाने और चूचियाँ मसलने में लगा हुआ था।

सच बता रही हूँ, मैं तो लगा कि हवा में उड़ने लगी थी। चूमते चूमते मैंने अपनी जीभ पवन की जीभ से सटा दी और उसका लँड जोर से पकड़ कर आगे पीछे करने लगी।

कुछ देर बाद पवन मेरे सामने आ गया और मेरी चूची पर जीभ लगा कर चाटने लगा, फिर एक एक कर के उसने दोनों चूचियों को चूस चूस के सुजा डाला।

पवन के हाथ अब मेरी जाँघों पर थे और उन्हें सहलाते हुए वह मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगा था। मैंने भी अपनी टाँगें फैला कर के उसका रास्ता साफ कर दिया और बोली- हाँऽऽऽ… करो न ।

पवन मेरा इशारा समझ कर तुरंत मेरी चूत के होंठ फैला कर अपनी उंगली मेरी गीली चूत पर फिराने लगा। पवन की उंगली मेरे बटन पर लगते ही मेरे मुँह से आह निकल गई और मैं चिल्लाई- डालो न प्लीज़ ।

पवन ने अपनी उंगली मेरी चूत में धीरे से घुसा दी और अँदर-बाहर करने लगा।

मेरी चूत की खुजली कुछ कम होने लगी, पर चुदाई की इच्छा तेज होने लगी इसलिए जल्दी ही मैं पवन का लँड पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगी और अपनी टाँगें फैला कर बोली- अब देर मत करो, लँड अँदर दे दो।

पवन को लगता है विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैं सचमुच उससे चुदवाना चाहती हूं और वह अब मुझे चोदने वाला है, वो बोला- भाभी, क्या आप सच में मेरा लँड लेना चाहती हैं?

मैं पवन से बोली- प्लीज़ पवन, अब तंग मत करो, मुझसे अब और नहीं रुका जाता, जल्दी से डाल दो ना ऽऽऽ…

इतना सुनते ही पवन ने मुझे गोद में उठा कर दीवान पर लेटा दिया और अपना पैंट और टीशर्ट उतार फैंके, अपना टनटनाया हुआ लँड मेरी चूत की तरफ कर के वो घुटनों के बल मेरी टाँगों के बीच आ गया।

मैंने लँड पकड़ के अपनी चूत के मुँह पर रख लिया और फिर अपनी गाँड ऊपर कर के पवन की कमर को दोनों हाथों से अपनी ओर खींचा ।
लँड थोड़ा रुक कर मेरी चूत के अँदर सटाक से जा घुसा।
मेरे मुँह से एक आह निकल गई पर तसल्ली भी हो गई कि चलो जिंदगी के 28वें साल में आखिरकार मेरी सील तो टूटी।

मेरी चूत अब भट्टी की तरह धधक रही थी और पवन का लँड भी अँदर जाते ही लाल लोहे की तरह तपने लगा था।

कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद पवन ने अपना लँड धीरे-धीरे आगे पीछे करना शुरू कर दिया और मुझे चोदने लगा।
मैं भी नीचे से ताल मिला के अपनी चूत ऊपर नीचे कर रही थी।
हम दोनों इस खेल में अनाड़ी थे पर मुझे नहीं लगता है कि चुदाई सीखने सिखाने कि ज़रूरत पड़ती है। हमारा कार्यक्रम तो मस्त चलने लगा था।

पवन ने पूछा- क्यों भाभी, मज़ा आ रहा है या नहीं?

मैंने कहा- बोऽऽऽहोऽऽऽत अच्छा लग रहा है, ऐसे ही करते जाओ। काश तुम्हारे जैसा बड़ा और मोटा लँड मुझे पहले मिल जाता तो मैं अपनी चूत का सही उपयोग कर लेती।

पवन ने हिलते हिलते पूछा- भाभी, क्या हर औरत मोटा लँड चाहती है?

मैंने कहा- यार, जहाँ तक मुझे लगता है, कि अगर किसी को पता न चले तो हर औरत मन ही मन किसी बड़े और मोटे लँड वाले से ज़रूर चुदवाना चाहती है, बस मौका मिलना चाहिए। ये सब छोड़ो और अब तो तुम बस मुझे जी भर के ज़ोर ज़ोर से चोदो।

यह सुन कर पवन अपना लँड मेरी रसदार चूत में अँदर-बाहर करने लगा।
मैं भी अपने चूतड़ उठा-उठा कर चुदाई का मज़ा लेने में लग गई।
पवन ने मेरे होंठ अपने होंठों में दबा लिए और चूसने लगा। साथ ही अपने एक हाथ से वह मेरे मम्मों और चूचियों को मसले जा रहा था। मेरे मुँह से तो ईऽऽस्स ईऽऽस्स की आवाजें निकलने लगी थीं।

मैं बोली- पवन, प्लीज़ ऐसे ही चोदो और चोदते जाओ, रुकना मत, बोऽऽऽहोऽऽऽत अच्छा लग रहा है, ओह माँ … मम्मी … ये क्या हो रहा है।

पवन मस्त होकर अपना लँड मेरी चूत में कड़छी की तरह हिलाने लगा। मैं भी नीचे से अपनी कमर हिला हिला के दनादन शॉट मारने लगी। दीवान तो झूले की तरह हिल रहा था।

मैंने अपनी टाँगें उठाकर पवन की कमर पर लपेट लीं और अपनी चूत ऊपर कर के किसी कुतिया की तरह उसके लँड को अँदर दबोच लिया। फिर मैंने मुँह की तरह ही अपनी चूत से उसके लँड को चूसना शुरू कर दिया।

पवन भी बड़बड़ाता हुआ गचागच अपना लँड मेरी चूत में पेल रहा था- ‘ले रीना ले, आज तो तेरी फाड़ डालूंगा’।

मेरे सिर पर तो चुदाई का भूत सवार हो चुका था और अब मैं सारी लाज शरम छोड़ कर किसी रंडी के जैसे चोदने-चुदवाने में लगी हुई थी। पूरा कमरा हमारी चुदाई के संगीत से गूंजने लगा था।

काफी देर तक ऐसी ठुकाई के बाद मेरे बदन में बिजलियाँ दौड़ने लगीं और मैंने पवन को जोर से जकड़ लिया अपनी चूत जोर-जोर से ऊपर-नीचे करने लगी। पवन भांप गया कि मैं अब झड़ने वाली हूँ और उसने फटाफट मेरी एक चूची अपने मुँह में ले ली और उसे चूसने लगा।

मैं बोली- पवन, लगता है तुम तो आज मुझे मार ही डालोगे। इतना सुख मुझे कभी नहीं मिला, लग रहा है कि चूत में आग लगी हुई है।

पवन बोला- भाभी, मेरे लँड में भी झुनझुनी हो रही है, और बदन में तो लगता है चींटियाँ रेंग रही हैं।

पवन ने चुदाई की स्पीड बहुत तेज़ कर दी।
मेरी चूत और सारा बदन उत्तेजना से अकड़ने लगा और अचानक मैं चिल्ला उठी- हाय, मैं मरी … … प्लीज़ … मेरी फाड़ दो न… अपना लँड मेरे पेट तक घुसेड़ दो। हो सके तो मेरी गाँड़ भी फाड़ दो। हे रामऽऽऽऽ, आऽऽह, मैं तो ये गईऽऽऽ मम्मी … … पवनऽऽऽ तुम भी आ जाओ नऽऽ … …

और मैं टाँगे फैला के झटके मार मार के झड़ने लगी।
पवन का बदन भी अकड़ गया था और उसने अपना लँड मेरी चूत में जड़ तक घुसा कर पिचकारियाँ मारनी शुरू कर दीं और सारा माल मेरे अँदर उड़ेल दिया।
मैंने एक हाथ से उसके टट्टे पकड़ के निचोड़ डाले।
मेरी चूत तो लबालब भर गई थी और दोनों का रस मिल कर बहने लगा।
हम दोनों पसीने से तर हो चुके थे और काफी देर इसी तरह लँड-चूत का संगम किए लेटे रहे।
इतनी ज़बर्दस्त चुदाई से दोनों निढाल हो गए थे, पर ऐसा लग रहा था कि हम स्वर्ग में हैं।

मैंने पवन को प्यार से चूमा और बोली- आज मैं पूरी औरत हो गई हूँ। तुम्हारी खटियातोड़ रगड़ाई ने मेरी चूत को सही में चुदाई का मतलब सिखा दिया है। थैन्क्स ए लॉट यार ।

पवन भी प्यार से मेरे मम्मे और सारा बदन सहलाने लगा और उस रात हम यूँ ही बाहों में बाहें डाले नंगे ही सो गए।

पवन यहाँ दो दिन के लिए आया था पर मैंने उसे अभी तक रोक रखा है और हम दोनों अपनी जवानी का भरपूर मज़ा ले रहे हैं।
कामसूत्र के करीब करीब सारे आसन भी आज़मा डाले हैं।
पवन के ऊपर चढ़ कर चोदने में तो सच इतना मज़ा आया कि क्या बताऊँ।
पर कल मेरे पति आने वाले हैं और पवन उनसे मिल कर निकल जाएगा। तब क्या होगा? मैं सोचना भी नहीं चाहती … … ये तो पक्का है कि आज की रात कयामत की रात होगी … …
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