मैं, मेरी बीवी और भाभी-1
प्रेषक : गोरिया कुमार
मेरे तायाजी के लड़के यानि सुमित भैया कनाडा में दो साल के ट्रेनिंग के लिए गए तो विशाखा भाभी हमारे यहाँ रहने के लिए आ गई। कारण कि तायाजी चाहते थे कि भाभी को अकेलापन ना लगे, तायाजी अकेले ही हैं इसलिए।
सुमित और विशाखा की शादी भी कुछ एक महीने पहले हुई थी। भाभी मुझसे दो साल बड़ी है। मेरी शादी केवल दस दिन पहले ही हुई थी। सयाली और मैं नई-नई शादी का पूरा मजा ले रहे थे, जब भी समय मिलता, हम दोनों कमरे में बंद हो जाते।
भाभी हमें खूब चिढ़ाती।
लेकिन सयाली चिढ़ती नहीं, बल्कि भाभी को उलटा चिढ़ाती और कहती- भाभी कभी अचानक हमारे कमरे में मत आ जाना ! नहीं तो आपकी और साथ ही मेरी भी हालत खराब हो जायेगी।
दोनों खूब मजाक करती।
धीरे-धीरे भाभी की तड़प हम दोनों के सामने भी दिखाई देने लगी।
एक दिन सयाली ने मुझसे कहा- जानू, भाभी की हालत देखी नहीं जाती ! कल रात को मैंने उन्हें तकिया दबाते हुए और सिसकी भरते हुए देखा तो मुझे उन पर बहुत तरस आया ! भैया तो अभी दो साल के बाद आयेंगे। उन्होंने तो भाभी के साथ केवल थोड़ी रातें बिताई हैं।
हम दोनों अब जब भी भाभी को अकेला कमरे में जाता देखते तो पीछे चले जाते।
एक बार हम दोनों ने देखा कि भाभी ने अपने सभी कपड़े उतार दिए और पलंग पर लेट गई। वो तड़पने लगी और तकिये को पकड़ कर बिस्तर पर उलटने-पलटने लगी। फिर हमने देखा कि भाभी ने अपनी ऊँगली अपने जननांग में डाली और सिसकी भरते हुए ऊँगली अन्दर-बाहर करने लगी। हम दोनों को ही भाभी पर बहुत दया आई, दोनों भरे मन से अपने कमरे में लौट आये।
रात को सयाली जब भाभी के कमरे में गई तो सयाली ने देखा भाभी फिर वो ही दोहरा रही थी। सयाली ने धीरे से दरवाजा बंद किया और भाभी के पास पलंग पर बैठ गई।
उसने भाभी का हाथ पकड़ा और बोली- भाभी आप ऐसा मत करो।
भाभी बोली- तो फिर मैं क्या करूँ? दो साल कैसे गुजारुंगी मैं?
सयाली कुछ ना बोली।
भाभी ने सयाली का हाथ पकड़ लिया। भाभी का हाथ गर्म हो रहा था। भाभी ने सयाली का हाथ पकड़ा और अपने गुप्तांग और जननांग से छुआ दिया। सयाली काँप गई। वो जैसे ही उठने को हुई, भाभी ने उसे अपनी बाहों में भर लिया।
भाभी निर्वस्त्र थी। सयाली को लगातार भाभी पर आती दया ने उठने नहीं दिया। वो कुछ देर बैठी रही।
जब भाभी शांत हुई तो वो लौट आई। सयाली ने मुझे यह सब बताया तो मैंने कहा- इसमें कुछ गलत नहीं है, तुम उससे लिपट जाया करो, भाभी की आग थोड़ी तो शांत हो जायेगी।
अब दोनों इस तरह से कई बार आपस में मिलने लगी।
एक बार मुझे किसी जरूरी काम से रात की गाड़ी पकड़कर दिल्ली जाना था। मैं स्टेशन चला गया। पहले कहा गया कि ट्रेन एक घंटा लेट है, फिर कहा गया कि दो घंटा लेट है, कोई अक्सिडेंट हुआ है इसलिए।
रात के बारह बज गए और घोषणा हुई कि कल दोपहर तक कोई ट्रेन नहीं चलेगी। मैं घर के लिए वापस रवाना हो गया। करीब एक बजे मैं घर पहुँचा। मैं जैसे ही अपने कमरे में दाखिल हुआ तो मैंने देखा कि भाभी सयाली के साथ मेरे पलंग पर लेटी हुई है, सयाली विशाखा भाभी को चूम रही है।
सयाली और भाभी दोनों ही निर्वस्त्र हैं।
मुझे ना जाने क्यूँ यह अच्छा लगा। मैंने सामान रखा और पलंग के पास आ गया।
दोनों ने जैसे ही मुझे देखा तो सयाली ने भाभी के ऊपर एक चादर ओढ़ा दी।
मैंने सयाली से कहा- मेरी ट्रेन कल दोपहर के बाद ही जायेगी। सयाली, यह तुमने बहुत अच्छा किया जो भाभी की मदद कर रही हो। दो साल तक भाभी कब तक तड़पेगी।
सयाली ने मुस्कुराकर मेरी तरफ देखा और बोली- जानू, मुझे भी ख़ुशी हुई कि आपने इस बात का बुरा नहीं माना.. भाभी आज मेरे साथ यहीं सो जाएँगी, आप पास वाले सोफे पर लेट जाइए।
मैं स्याली की बात मान कर सोफ़े पर सोने के लिए चल दिया।
तभी भाभी ने कहा- प्रभात सोफे पर कैसे सोयेगा? डबलबेड है, तुम हम दोनों के बीच आ जाओ और प्रभात को भी यहीं सोने दो।
अब हम तीनों उसी पलंग पर सो गए। सयाली के एक तरफ मैं था तो दूसरी तरफ भाभी।
मैं बाथरूम गया, जब वापस लौटा तो सयाली भाभी के स्तनों की मालिश कर रही थी। मैं पलंग पर बैठ कर दोनों को देखने लगा।
सयाली ने मेरी तरफ देखा, भाभी हम दोनों को देख रही थी।
मैंने सयाली के होंठों को चूम लिया, सयाली ने भी मेरे होंठों को चूम लिया। इस दौरान सयाली भाभी के स्तनों की मालिश जारी रखे हुए थी।
भाभी हम दोनों को इस तरह से चूमता देख बेकाबू होने लगी, उनके जिस्म में बढती हलचलों को काबू में रखने के लिए मैं भी उसके स्तनों पर मालिश करने लगा।
भाभी अब तड़पने लगी। सयाली को और मुझे दोनों को भाभी को लेकर चिंता होने लगी।
सयाली ने मेरे कान में कहा- जानू, अगर आप बुरा ना मानें तो मेरा यह सोचना है कि जब तक भाभी अकेली है हम इन्हें सबसे छुपाकर अपने साथ ही सुला लिया करेंगे।
मैंने हाँ कह दिया।
सयाली ने मुझे कहा- जानू, यह बात हम तीनों के बीच में ही रहेगी।
भाभी की हालत लगातार बिगड़ने लगी, उनके मुँह से अजीब-अजीब आवाजें आने लगी।
मैंने सयाली से कहा- इस तरह से हम भाभी को किस तरह से संभालेंगे?
सयाली ने कुछ सोचा और बोली- जानू, तुम हमेशा मेरे ही रहोगे लेकिन मेरा कहा मानो, जब तक भैया नहीं आ जाते, आप भाभी को मेरे साथ साथ संभाल लो। भाभी के लिए तुम सुमित बन जाओ।
मैंने सयाली की तरफ हैरानी से देखा, सयाली ने कहा- जब मुझे कोई आपत्ति नहीं तो ! भाभी को देखो, कैसे तड़प रही हैं। आओ मेरे साथ आ जाओ।
सयाली के बार बार कहने पर मैं दोनों के बीच भाभी के साथ सटकर लेट गया।
मैंने भाभी के गाल पर एक हल्का सा चुम्बन लिया। भाभी ने एक आह भारी और मुझसे लिपट गई। सयाली ने मुझे इशारा किया और मैंने भाभी को लगातार चूमना शुरू कर दिया।
सयाली भी अब मुझे भाभी को संभालने में मदद करने लगी। उसने भी भाभी को गालों पर चूमा. अब भाभी मुझसे एकदम खुलकर चुम्बन लेने और देने लगी। सयाली भी अब शामिल हो गई और हमारा सामूहिक सेक्स शुरु हो गया था।
अब धीरे धीरे मैं भाभी को अपनी गिरफ्त में लेने लगा। सयाली ने मेरे लिंग को चूमकर एकदम खड़ा कड़क और लंबा कर दिया और उस पर कोंडोम चढ़ा दिया। सयाली ने भाभी को मुझसे अलग किया और उनकी टांगें फैला दी। मैंने तुरंत भाभी की टांगों के बीच में लेटकर अपना लिंग उसके जननांग के तरफ बढ़ा दिया। सयाली ने मेरे लिंग को भाभी के जननांग में थोड़े से जोर से अन्दर डाल दिया और फिर मैंने जोर लगाकर उसे और अन्दर पहुँचा दिया।
भाभी के मुँह से ख़ुशी की आवाजें निकलने लगी। अब सयाली से रहा नहीं गया। उसने मुझे इशारा किया, मैंने अपना लिंग भाभी के अन्दर से निकाला और सयाली के जननांग में घुसा दिया।
भाभी हमारे करीब आ गई और हम दोनों को चूमने लगी।
शेष कहानी दूसरे भाग में !
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