चचेरा देवर
प्रेषिका : संजू
प्रिय पाठको,
मैं 29 साल की एक स्वस्थ और मस्त औरत हूँ। मेरी शादी 1998 में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुई।
बात उन दिनों की है जब शादी के कुछ दिनों बाद मेरे पति जालंधर अपनी नौकरी पर चले गए जो किसी प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। उनके जाने के कुछ दिन तो ठीक-ठाक रहा लेकिन फिर मेरी कामेच्छा बढ़ने लगी और मेरा चुदवाने का मन होने लगा।
मेरी ससुराल में सास-ससुर, जेठ-जेठानी और उनके तीन बच्चे थे, कोई और नहीं था।
तभी दो दिन बाद मेरा चचेरा देवर अपने घर आया जो कहीं बाहर नौकरी करता था। उसकी शादी अभी नहीं हुई थी। चचेरा देवर बहुत ही मिलन सार है। वह जब भी घर आता तो सभी लोगों से जरूर मिलता है। चूँकि मेरी शादी में वह नहीं आ पाया था इसलिए मुझसे भी मिलने चला आया।
जब मैंने पहली बार उसे देखा तो मैं खुश हो गई मेरी नीयत उसी समय बिगड़ गई। लेकिन मैं उससे अनजान थी और वो भी मुझसे पहली ही बार मिला था। थोड़ी देर तक हम दोनों बातचीत करते रहे और थोड़ी देर बाद उसने मजाक किया- भाभी अगर आपकी कोई बहन और हो तो मेरा भी नंबर है।
और कुछ देर के बाद वह चला गया। मैं उसके बारे में रात भर सोचती रही।
अगले दिन दोपहर में वह फिर मिलने आया, मेरी सास कहीं बाहर गई थी। घर में जेठानी अपने बच्चों को सुला रही थी। वह मेरे पास आया और बैठ कर बातें करने लगा। मैंने देखा कि उसका ध्यान मेरे ब्लाउज पर है। जहाँ से वह मेरी चूचियों को देख रहा था।
मैंने पूछा- क्या देख रहे हो राजीव ?
वह चौंक गया और बोला कुछ नहीं। मेरा मन तो पहले से चुदवाने को था, मैंने अपनी साड़ी थोड़ी खिसकाई, उसे मजा आ गया और वह बदमाश हो गया।
उसने तुरंत मेरी चूचियाँ पकड़ ली और मैं राजीव से लिपट गई। उसने मेरे होठों को चूमना शुरु कर दिया। मैं गर्म होने लगी। मेरे पति का लंड मोटा तो था लेकिन वह जल्द ही झड़ जाते थे। मैं चुदवा कर भी प्यासी थी। अब मेरा हाथ राजीव की पैन्ट की जिप की तरफ बढ़ा। उसका लंड बाहर आने को बेताब हो रहा था। उसने मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए और ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियाँ मसलने लगा। मुझे मजा आ रहा था, मैं जोर जोर से उसका लंड मसल रही थी।
उसने धीरे से मेरा ब्लाउज और साड़ी दोनों ही उतार दिए और मैंने उसकी पैंट और टी-शर्ट।
अब राजीव केवल अंडरवियर में था और मैं पेटीकोट और ब्रा में। मैंने अपने पेटीकोट को खुद ही उतार दिया। राजीव ने मेरी चूचियाँ दबाते-दबाते मेरी चूत में हाथ लगाया, मेरी चूत गीली थी। राजीव की सांसें तेज हो गई। वो मेरी ब्रा और पैंटी उतार कर मुझसे जोर से लिपट गया।
मैंने उसका अंडरवियर उतार दिया और बोली- देवर जी, जल्दी करो मेरा धैर्य जवाब दे रहा है।
उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और खुद मेरे ऊपर लेट कर अपने लंड का गुलाबी सुपाड़ा मेरी चूत की फांकों में डालने की कोशिश करने लगा लेकिन बिना अनुभव के उसका लंड मेरी चूत में नहीं जा सका। तब मैंने उसकी मदद की और उसका लंड पकड़ कर मैंने सही रास्ता दिखाया।
रास्ता पाते ही राजीव तो बड़ा ही ताकतवर निकला और मुझे धकाधक चोदने लगा। मुझे मजा आने लगा राजीव ने 40 मिनट तक मेरी चुदाई की, मेरी चूत का उसने पूरा मजा लिया। इस दौरान मैं दो बार झड़ चुकी थी।
मैंने इसके बाद राजीव से कई बार चुदवाया जो मैं अगली कहानी में बताउंगी कि मेरे देवर ने मेरी प्यास कैसे बुझाई।
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