बेकरार चुदासी सेक्सी भाभी की गर्म चूत

(Bekarar Chudasi Indian Sexy Bhabhi)

कमल पाठक 2016-10-13 Comments

नमस्कार दोस्तो.. आपके लिए एक मस्त सेक्सी कहानी लेकर आया हूँ।
अन्तर्वासना का मैं आभारी हूँ कि मुझे यहाँ अपनी कहानी लिखने का मौका मिला। मैं अन्तर्वासना पर कामुकता भरी हिन्दी सेक्स स्टोरी का पिछले 3 सालों से नियमित पाठक हूँ।
आज मैं अन्तर्वासना पर अपनी दूसरी हिंदी सेक्स कहानी पोस्ट कर रहा हूँ!

मेरा नाम कमल राज है.. उम्र 26 साल, कद 5 फुट 11 इंच, रंग गोरा और बदन कसरती है.. क्योंकि मुझे जिम जाने का शौक है। मैं पटियाला से MBA करने के बाद चंडीगढ़ में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी कर रहा हूँ।
घटना उस समय की है जब मैं 22 साल का था और पटियाला में MBA कर रहा था।

मैं अपने मामा के घर पर रहता था, घर बहुत बड़ा था। घर में हम पाँच लोग थे, मामा मामी, उनका लड़का अमित उसकी वाइफ नेहा, और मैं!

मामा मामी नीचे के कमरे में रहते थे अमित और नेहा भाभी और मैं ऊपर के कमरों में रहते थे।

मामा का बहुत बड़ा कपड़े का बिज़नेस था और वो बहुत बिजी रहते थे।
अमित और नेहा दोनों नौकरी करते थे, अमित सेल्स में था इसलिए उसको अक्सर बाहर जाना पड़ता था।
तो ज्यादातर शाम को घर पर मैं नेहा भाभी और मामी ही होते थे और टाइम पास करने के लिए हम तीनों ताश खेलते थे।

अमित की शादी अभी एक साल पहले हुई थी। अमित और नेहा के प्यार की सिसकारियाँ और मस्ती की आवाजें मैं अपने कमरे में सुन कर बहुत उत्तजित हो जाता था और मुठ मार कर काम चलाता था।

नेहा, उम्र 26 साल.. हाइट 5 फुट 4 इंच, साँवला सा बदन.. पर तीखे नयन-नक्स, फिगर 36-30-36 की!
नेहा भाभी बहुत मस्त बिदास औरत थी, उसकी मुस्कान बहुत सुंदर थी, मेरा मन करता था कि बस उनको देखता ही रहूँ।

वो भी मुझको बहुत प्यार करती थी और बहुत खयाल रखती थी।
घर में सभी लोग काफी खुले विचारों के थे। इसलिए हर तरह का हँसी मज़ाक, छेड़छाड़ चलता रहता था।

नेहा भाभी अक्सर मुझको छेड़ती थी- क्यों कमल, अभी कोई गर्लफ्रेंड बनी या नहीं?
और जब मैं ‘नहीं’ कहता तो वो खिलखिला कर हँस कर बोलती- इतने हैंडसम होने का क्या फायदा… एक लड़की को नहीं फंसा सकते?

और मैं उनकी हँसी को ही देखता रहता।

‘ऐसे क्या देख रहा है कमल?’ भाभी अपनी बड़ी-बड़ी काली काली सेक्सी आँखों से मेरी तरफ देख कर बोली।
मैं- यह आप की वजह से ही है भाभी… कोई लड़की आपकी जैसी सुंदर मिलती ही नहीं… हर कोई अमित भाई की तरह किस्मत वाला तो नहीं हो सकता!
भाभी- देखा मम्मी… यह कमल अब मक्खन लगा रहा है… कोई फायदा नहीं देवर जी, अब कुछ नहीं मिलने वाला है।

मैं- हाय भाभी, जब सब कुछ बिना मांगे ही मिल जाता है तो फिर मक्खन लगाने की क्या जरूरत है। आप ऐसे ही मेरा इतना ख्याल रखती हैं… ऊपर से आप की यह हँसी.. सुंदर सी मुस्कान… बस और क्या चाहिए! क्यों मामी? है या नहीं!

मामी- हां, यह बात तो है… पर एक बात और भी है कमल… जबसे तू इस घर में आया है, एक रौनक सी हो गई है… नहीं तो रोज़ शाम को मैं और नेहा चुपचाप एक दूसरे की शक्ल देखते रहते थे… अमित आता है तो थका हुआ अपने कमरे में जाकर लेट जाता है।

नेहा- हां मम्मी जी, यह बात तो अपने सही कही है… रोज़ इंतज़ार रहता है इस तरह बैठ कर हँसी मज़ाक करने का ताश खेलने का चाय पीने का!

यह सब सुन कर मैं कहना चाहता था कि ‘भाभी मुझे भी इंतजार रहता है… आपकी शर्ट में तनी हुई चूची और खड़े निप्पल देखने का.. स्कर्ट में चिकनी चिकनी जांघें देखने का और फिर अपने कमरे में जा कर मुठ मारने का।’

पर मुझे लगता है कि भाभी यह सब जानबूझ कर करती हैं, उसे मालूम है कि मैं क्या देख रहा हूँ और उसका क्या असर हो रहा है।
क्योंकि मैंने उनको बहुत बार अपने पाजामे में बने टेन्ट को देखते हुए देखा है और अब भी कनखियों से देख रही थी और मेरी हालत पर मुस्करा रही थी।

जैसे उसने मेरे दिमाग में क्या चल रहा है पढ़ लिया था- क्या भाभी, आपको भी बस मैं ही मिलता हूँ अपनी मस्ती दिखाने के लिये? मैंने फुसफुसा कर कहा।

नेहा भाभी मुस्करा कर मेरी तरफ देखने लगी।

तभी मामी को कुछ याद आया और वो उठ कर दो मिनट के लिये अपने कमरे में चली गई, बस मस्ती से भरी नेहा भाभी को तो मौका मिल गया… उसने झट से अपनी स्कर्ट थोड़ी सी खिसका कर मेरा हाथ अपनी ज़ांघ पर रख दिया और बोली- जब तुझे मेरी जैसी गर्लफ्रेंड नहीं मिल रही तो चल मुझे ही अपनी गर्लफ्रेंड समझ ले!

और अपना हाथ बढ़ा कर पाजामे के ऊपर से मेरे खड़े लंड पर रख दिया।
‘हाय भाभी, यह क्या कर… मामी आ जाएगी!’ मैंने भी अपना दूसरा हाथ उसकी कमीज़ के ऊपर चूची पर रख कर जोर से मसल दिया।

नेहा मिमिया उठी- …हाई सी…ई… ई इतनी जोर से दबाते हैं क्या? बिलकुल अनाड़ी हो देवर जी! अभी ऊपर अपने कमरे में चलो, सिखाती हूँ कि गर्लफ्रेंड को कैसे प्यार करते हैं।

मेरा हाथ भाभी की रेशम सी ज़ांघ पर फिसल रहा था और उसके गर्म गदराई चुदासी जवानी में उठते उबाल की कम्पन महसूस कर रहा था।

मेरा हाथ भाभी की पैंटी तक पंहुचा… पैंटी गीली थी।
भाभी उचक गई- हाय… सी… यह क्या देवर जी, आप तो एकदम अंदर ही घुस गए?

‘मैं क्या करू भाभी आपने ही अपना बॉयफ्रेंड बना कर यह सब शुरू किया है…’ मैंने अंगूठे से उसकी पैंटी के ऊपर से चूत के दाने को रगड़ दिया।

भाभी की जोर से सिसकारी निकल गई…

तभी मामी आ गई।
मैंने अपना हाथ खींच लिया और भाभी ने अपनी स्कर्ट ठीक कर ली।

‘क्या हुआ?’ वो बोली।
‘नहीं कुछ नहीं मम्मी जी, बस ऐसे ही!’ भाभी बोली।

मैंने अपना खड़ा लंड टांगों के बीच दबा लिया और उठकर बोला- मामी, अब मैं अपने कमरे में चलता हूँ, मुझे पढ़ाई करनी है…
और अपने कमरे में आ गया।

दिल भाभी की मस्त चुदासी जवानी को छूकर उछल रहा था, धड़कन बहुत तेज़ चल रही थी, लन्ड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
मैं कुर्सी पर बैठ कर उसे हाथ से थामे हुए दबा रहा था और किताब खोल कर पढ़ाई करने की कोशिश कर रहा था।

थोड़ी देर में भाभी मुस्कराती मेरे कमरे में आ गई, दरवाजा बंद कर दिया, मेरे बराबर आकर खड़ी हो हँस कर बोली- क्या हुआ देवर जी? बड़ी जल्दी मैदान छोड़ कर भाग गए, क्या गर्लफ्रेंड पसंद नहीं आई?

‘हाय भाभी, कैसी बात करती हो गर्लफ्रेंड तो बहुत मस्त सेक्सी और गर्म है पर आज तो अपने जान निकाल डाली। अगर मामी देख लेती तो अपनी तो छुट्टी हो जाती और आपकी भी!’

‘अरे जाओ देवर जी, आपके बस की लड़की फ़ंसाना नहीं है, उसके लिए बहुत दम चाहिए!’
भाभी मुझे चिढ़ा रही थी… वो मेरी गर्दन में अपनी बांह डालकर चिपक कर खड़ी थी।

‘ऐसी बात नहीं भाभी… बस का तो बहुत कुछ है और दम भी बहुत है!’ मैंने अपना एक हाथ उसके 36 साइज के चूतड़ पर लपेट लिया और कमीज़ के ऊपर से कमर पर काट लिया।

‘हाय राजा… सी… सी… ई… .उई… काट मत, प्यार से चूम ले चाट ले राजा…’ भाभी ने मेरी तरफ घूम कर मेरा सर अपने चपटे पेट पर दबा लिया।

मैंने उसकी कमीज़ खोल दी… उसने अपनी हाथ पीछे करके शर्ट निकाल दी… अब भाभी ऊपर सिर्फ ब्रा थी… मैं उसकी गहरी नाभि पर चूमने लगा और एक हाथ स्कर्ट के नीचे उसके नंगे रुई जैसे मुलायम चूतड़ पर रख कर सहलाने लगा।
पैंटी चूतड़ के बीच में थी और दूसरे हाथ से उसकी चूची दबा रहा था।

‘भाभी, यह बता, तू यह सब क्यों करती है? तेरे पास तो इतना प्यार करने वाला सुंदर अमित भाई है!’

‘अरे यह तू नहीं समझेगा… अमित बहुत प्यार करता है और जोर भी बहुत लगाता है मुझे खुश करने के लिए… पर उसके साथ खास मज़ा नहीं आता यार, वो उतेजना, वो जोश नहीं चढ़ता जैसा मैं चाहती हूँ… वो सब तेरे साथ छेड़छाड़… चुम्मा चाटी… हंसी मज़ाक में ज्यादा आता है। और अब तो तू मेरा बॉयफ्रेंड भी बन गया है, अब तो मैं सब कुछ कर के रहूँगी…’ नेहा सिसकार कर अपनी चुदास भरी मस्ती का मज़ा ले रही थी।

‘हाय राम, भाभी आज क्या करने का इरादा है?’
‘देख राजू, आज तेरे साथ यह सब प्यार में बहुत मज़ा आ रहा है आज मत रोक… मौका भी है.. अमित बाहर गया है… और दस्तूर भी है देवर भाभी और बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड का प्यार और मस्ती… आज तो सब कुछ करके रहूँगी।’

उसने मुझे हाथ पकड़ कर कुर्सी से खड़ा कर दिया और अपने होंठ मेरे होटों से चिपका दिए, एक हाथ से मेरा पजामा नीचे खिसका दिया और मोटा तगड़ा खड़ा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया।

‘अरे बाप रे… उह्ह राजू… तेरा उस्ताद तो बहुत मोटा तगड़ा मस्त गर्म-गर्म हो रहा है। पर बाल बहुत हैं, इन्हें साफ नहीं करता?’

‘क्या फर्क पड़ता है भाभी बालों से…’ मैंने अपने हाथ पीठ पर सहलाते हुए उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और चूची पर मुँह लगा दिया, निप्पल पर जीभ घुमाने लगा।

नेहा भाभी मस्ती में चिल्ला उठी- हाय…सी… चूस डाल राजा उफ़… बहुत मज़ा आ रहा है… ई… सीई… सीई… इशहहह… श… ई… बस आज तो… ऐसे ही झड़ जाऊँगी… अब तो सच में कुछ करना ही पड़ेगा… चूत तो पानी-पानी हो रही है।

उसने झट से अपनी पैंटी खींच कर निकाल दी, स्कर्ट ऊपर करके टेबल पर बैठ गई और मुझे अपनी टांगों के बीच खड़ा करके अपनी टाँगें मेरी कमर में लपेट ली।

अब मेरे सामने भाभी की सांवली सी मोटे-मोटे होटों वाली बिना बाल की चूत थी जिस पर भाभी अपने हाथ में पकड़ा मेरा लौड़ा रगड़ कर मस्ती में अपने चूतड़ हिला रही थी और सिसकार कर मचल रही थी- हाय राजा… उफ़ तेरा उस्ताद तो बहुत जालिम है। मेरी मुनिया की तो…. जान निचोड़ रहा है… उफ़… राजा सारे बदन में आग लगी है राजा… अब और सहन नहीं होता! अब तो बस घुसा कर चोद डाल!

मेरा लंड अकड़ कर लोहे की रॉड की तरह हो गया था और उसमें तेज दर्द होने लगा था।
मेरे लंड को भाभी सुलगती चूत की गर्माहट महसूस हो रही थी।

‘मैं कैसे घुसा सकता हूँ भाभी… उस्ताद भी आपके हाथ में है और मुनिया भी!’
मैंने चूत के रस में भीगे अपने लन्ड के टोपे को उसकी गीली गीली रस से भरी चूत के होटों के बीच में जोर से दबा दिया।

टोपा होंठ खोल कर अंदर घुस गया और भाभी मस्ती में लहरा उठी- अहह… हा राजा… हाँ…हां.. घुसा दे पूरा अंदर तक… उफ़ बहुत मचल रही है यार…
उसने अपनी जांघों को पूरी खोल लिया और अपने चूतड़ धकेल कर अंदर घुसने की कोशिश करने लगी।
भाभी की चूत इतनी गीली थी कि चूत से रस बह रहा था और टॉप अंदर घुसते मैंने चूत के दाने को अंगूठे से रगड़ दिया।

‘…हाय… सी.. …यूएई… ई.. मार डाला राजा… उफ़्फ़ पूरा तो घुसा दे..’ भाभी मचल रही थी, उछल रही थी।

अब मैं भी पूरे जोश में आ गया था मैंने भाभी के चूतड़ पकड़ कर आगे खींच कर टेबल के किनारे तक ले आया और एक हाथ से चूची और दूसरे से चूतड़ पकड़ कर अपना मोटा गर्म फ़ूला टॉप धीरे धीरे गीली गीली रस से भरी चूत में अंदर बाहर करने लगा।

चूत का दाना लंड से रगड़ खा रहा था… इससे भाभी को बहुत मज़ा आ रहा था और वो आँख बंद किए आनन्द के सागर में गोते लगा रही थी अपने चूतड़ हिला कर मेरा साथ दे रही थी- …हाय राजा… यह क्या साले चोदू ऐसे ही निचोड़ देगा… पूरा अंदर कर न साले चोदू… उह्ह… शई… स… ..ई… जल्दी करना राजा.. मेरा निकलने वाला है… उई.. उई..

भाभी की चूत का रस झाग बन कर लंड पर और चूत के होटों पर आ रहा था।
उसका बदन अकड़ने लगा था.. मुझे लगा कि वो झड़ने वाली है… बस मैंने पूरे जोर से एक जोरदार झटका मार दिया।

पत्थर जैसा कड़क लन्ड गीली रस से भरी चूत में सट से पूरा अंदर तक घुस गया और ठोकर मार दी।

नेहा भाभी तड़फ उठी- हाय… हाय मार दे मेरे चोदू राजा… निकाल दे जान… उफ़ क्या क़िल्ला ठोक दिया राजा… उफ़… हां… गई… राजा… मैं तो.. गई… और जैसे ही मैंने दूसरा झटका मारा, भाभी अकड़ कर अपनी जांघें कसने लगी- ईईइशशश.. अहह.. ईईशश.. अआहहह..

और चूतड़ हिला हिला कर झड़ रही थी… मेरी गर्दन में अपनी बाहें लपेट कर होंट चूम रही थी- उफ़… यह… क्या कर.. डाला राजा… बहुत जोर से निकाल दिया मेरे चोदू राजा!

‘यह क्या भाभी? बस इतना ही जोश चढ़ा था… दो ही झटको में ठंडी हो गई… अब मेरा क्या होगा.. अपना तो अभी असली चुदाई के लिए मस्ती में है।’

‘हां… हां मेरे देवर राजा… हां उड़ा लो मज़ाक… क्या जोरदार मस्त चुदाई कर डाली राजा! आज तो असली जवानी की चुदाई का मज़ा आ गया! कितनी जोर से कितना सारा रस निचोड़ डाला! राजा सच में आज तक इतना ज्यादा रस इस चुदासी चूत से नहीं निकला.. देखो अब अपना लौड़ा बाहर नहीं निकलना… बस ऐसे ही चोद डालो और निकालो अपने इस मस्त घोड़े जैसे लंड का रस मेरी चूत में!’

‘क्या भाभी… मैं तो घोड़ी चुदाई की सोच रहा था… तेरे चूतड़ बहुत मस्त हैं चप चप.. धप धप चुदाई में बहुत मज़ा आयेगा।’

‘ठीक है, जैसे तेरी मर्जी!’

मैंने भाभी के होंट चूम कर एक हाथ से चूची पकड़कर और दूसरे से उसका टना रगड़ते हुए पहले धीरे-धीरे चोदना शुरू किया और जब झड़ी हुई चूत में खूब पानी भर गया और भाभी चिल्लाने लगी- हाय…फाड़ दे… रगड़ दे.. मसल डाल… निचोड़ दे..
और दुबारा झड़ने वाली थी।

मैंने धक्कों की रफ्तार तेज़ कर दी और अगले दस मिनट तक चोदता रहा और फिर हम दोनों साथ में झड़ कर लिपट गए और एक दूसरे के होंटों का रसपान करते रहे।

भाभी बहुत सन्तुष्ट थी उनकी आँखें चमक रही थी, होटों पर प्यारी सी मुस्कान थी- सच राजा, आज तो तूने बहुत खुश कर दिया.. अब हमें नीचे चलना चाहिए… अब बाकी प्यार और चूत चुदाई का खेल रात को मेरे कमरे में होगा।

इसके बाद भी मैंने अपनी भाभी की खूब चुदाई की।
मेरी कहानी पर अपने कमेन्ट नीचे लिखें और मुझे भी मेल से भेजें!
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