रिश्तों में चुदाई स्टोरी-13

(Rishton Me Chudai Story- Part 13)

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इस कामुकता भरी कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि जब नीलम के पीरियड्स शुरू हो गये तो महेश की वासना ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया. अब वो अपनी बेटी की चुदाई करने उसके कमरे में जा पहुंचा जहां उसने ज्योति को गर्म करके उसको अपने पिता का लंड लेने के लिए मजबूर कर दिया और अपने लंड को ज्योति की चूत पर लगा कर उसको तड़पाने लगा.
अब आगे:

महेश ने अपने लंड को अपनी बेटी की चूत से निकलते हुए पानी से गीला किया और उसे पकड़ कर अपनी बेटी की चूत के छेद पर रख दिया।
“आह्ह्ह्ह पिता जी! डालिये ना!” ज्योति ने अपने पिता के लंड को अपनी चूत के छेद पर महसूस करके सिसकते हुए कहा।
“क्या डालूं बेटी?” महेश ने अपनी बेटी की तड़प को भांप कर उसके साथ मजे लेना शुरू कर दिया. वो जानता था कि उसकी बेटी कामुकता वश अब लंड लेने के लिए मचल रही है.

“पिता जी अपना ‘वो’ डाल दो ना!” ज्योति ने फिर से तड़पते हुए कहा।
“वो क्या बेटी? मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है?” महेश ने फिर से अपनी बेटी की चूत पर अपना लंड घिसते हुए कहा। ज्योति अपने पिता के मोटे लंड को अपनी चूत में लेने के तप रही थी और महेश उसको तड़पाने में लगा था.

“उईई आह्ह्ह्ह पिता जी … अपना लंड डाल दो ना … अपनी बेटी की चूत में!” ज्योति ने इस बार अपने चूतडों को उछाल कर ज़ोर से सिसकारी भरते हुए सारी शर्म को त्याग दिया.
“ओहहह बेटी … तुम अपने पिता के लंड से चुदना चाहती हो? तो कहो कि पिता जी अपना मोटा और लम्बा लंड मेरी चूत में घुसेड़ो और मेरी चूत को जमकर चोदो।”

“आह … पिता जी, आप क्यों मुझसे गन्दी बातें बुलवा रहे हो?” ज्योति ने फिर से मिन्नत करते हुए कहा.
“बेटी जितना तुम खुल कर गन्दी बातें करोगी तुम्हें चुदवाने में उतना ही मजा आयेगा.” महेश ने अपनी बेटी को समझाया।
“ओह्ह्हह पिता जी, डाल दो अपना मोटा मूसल लंड मेरी चूत में और खूब जमकर मेरी चूत का कचूमर बनाओ. अब बर्दाश्त नहीं होता.” ज्योति ने इस बार पूरी बेशर्मी से अपने पिता को देख कर सिसकते हुए कहा।

” लो आआह … अपने पिता के मोटे लंड को अपनी चूत में महसूस करो!” महेश ने एक ज़ोर का धक्का मार कर अपने लंड को आधे से ज्यादा अपनी बेटी की चूत में घुसा दिया।
“उईई माँ… बहुत मोटा है आपका पिताजी, आह … दर्द हो रहा है.” एक ही धक्के में अपने पिता का आधा लंड अपनी चूत में घुसते ही ज्योति ने ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा।

“आह्ह्ह बेटी, कितनी गर्म चूत है तुम्हारी, बस थोड़ा दर्द ही होगा फिर तो मज़े ही मज़े होंगे.” महेश ने अपने लंड को बाहर खींच कर फिर से अंदर ड़ालते हुए कहा।
“उम्म्ह… अहह… हय… याह… पिता जी, ऐसे ही करते रहो … मजा आ रहा है.” ज्योति ने अपने पिता के मोटे लम्बे लंड को अपनी चूत में अंदर बाहर होता हुआ महसूस करके ज़ोर से सिसकारते हुए अपने चूतड़ों को उछालते हुए कहा।

अब ज्योति को दर्द से ज्यादा मजा आ रहा था और वो अपने चूतड़ उछाल उछालकर अपने पिता से चुदवाने लगी। 

“आह्ह्ह … पिता जी बहुत टाइट और मोटा है आपका लंड. मैं झड़ने वाली हूँ. ज़ोर से चोदो, फाड़ दो मेरी चूत को!” ज्योति ने अचानक अपने पिता से ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा।

महेश को भी इसी मौके की तलाश थी. वह अपनी बेटी को तूफ़ानी रफ़्तार से चोदते हुए उसकी चूत में ज़ोर के धक्के मारने लगा।

“ओह्ह्हह पिता जी, उईईई आह्ह मैं गई!” ज्योति का जिस्म अचानक अकड़ने लगा और वह ज़ोर से चिल्लाते हुए अपनी आँखें बंद करके झड़ने लगी।
महेश ने ज्योति को झड़ते हुए देख कर उसकी चूत में ज़ोरदार धक्के मारते हुए अपने लंड को जड़ तक उसकी चूत में घुसा दिया।

ज्योति की चूत से पानी निकल रहा था जिस वजह से उसे ज्यादा तकलीफ नहीं हुई. जब तक ज्योति झड़ती रही महेश उसकी चूत में वैसे ही धक्के मारता रहा।
पूरी तरह से झड़ने के बाद ज्योति ने अपनी आंखें खोल दीं और हांफते हुए अपने पिता के चेहरे को देख कर बोली- पिता जी, इतना मजा तो मुझे समीर के लंड से चुद कर झड़ते हुए भी नहीं मिला.
“बेटी अभी तो तुम मेरे आधे लंड से चुदी हो. अब मैं तुम्हें अपने पूरे लंड का मजा दूंगा.” महेश ने अपनी बेटी के ऊपर झुकते हुए कहा और अपनी बेटी की चूचियों को अपने हाथों से सहलाते हुए उसके होंठों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।

ज्योति भी अपने पिता की हरक़तों से फिर से गर्म होते हुए उसका साथ देने लगी. उसने अपनी जीभ को अपने पिता के मुँह में डाल दिया और अपनी जीभ को अपने पिता के होंठों से चुसवाते हुए अपने चूतड़ों को भी उछालने लगी.

महेश ने भी अपनी बेटी के चूतड़ों को हिलता देख कर अपने लंड को उसकी चूत में आगे पीछे करना शुरू कर दिया। वह अपने लंड को ज्योति की चूत में अंदर बाहर करते हुए उसकी जीभ को भी चूस रहा था। ज्योति का उस वक्त मज़े के मारे हवा में उड़ रही थी।
“बेटी अब बताओ, कैसा महसूस हो रहा है तुझे?” महेश ने अपनी बेटी की जीभ को अपने मुंह से निकाल कर सीधा होकर अपनी बेटी की चूत में ज़ोर के धक्के मारते हुए कहा।
“पिता जी, बहुत मजा आ रहा है. आपका लंड मुझे अपने पेट तक घुसता महसूस हो रहा है, आह्ह … मेरे प्यारे बापू … चोदो मुझे … आह्ह!” ज्योति ने अपने पिता की बात का जवाब सिसकारियां लेते हुए दिया।

“मेरी बेटी, मैं तो कब से तुझे मजा देने के लिए तैयार था मगर तुम ही नखरे कर रही थी.” महेश ने अपने लंड को पूरा बाहर खींच कर एक ज़ोरदार धक्के के साथ उसे फिर से अपनी बेटी की चूत में जड़ तक घुसाते हुए कहा।
“उईई पिता जी … आपके लंड ने तो मेरी चूत को पूरी तरह फ़ैला रखा है.” ज्योति अपने चूतड़ों को उछालते हुए अपने पिता के लंड को अपनी चूत में जड़ तक अंदर घुसवाते हुए बोली।

“हाँ बेटी मेरा लंड बहुत मोटा है और इसी वजह से तुम्हें इतना मजा आ रहा है क्योंकि लंड जितना ज्यादा लम्बा और मोटा होता है वह औरत की चूत को उतना ही ज्यादा मजा देता है.” महेश ने अब अपने लंड को पूरी तेज़ी के साथ अपनी बेटी की चूत में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया था।

ज्योति अपने पिता के लंड को तेज़ी के साथ अपनी चूत में अंदर बाहर होता हुआ महसूस करके आनंद में डूबी जा रही थी। उसकी आंखें मजे के मारे बंद होने लगी थीं. महेश अपने लंड को इतनी तेज़ी के साथ अपनी बेटी की चूत में अंदर बाहर कर रहा था कि उसके धक्कों के साथ पूरा कमरा फच-फच की आवाज़ से गूँज रहा था।

“आह्ह पिता जी, मैं झड़ने वाली हूं!” अचानक एक बार फिर ज्योति की आंखें खुलीं और उसका पूरा जिस्म अकड़ने लगा और वह ज़ोर से चीखते हुए बोली।
“ओह्हह्ह बेटी, बस मैं भी आने वाला हूं!” महेश अपनी बेटी की बात सुनकर ज़ोर से सिसकारियां भरते हुए कहने लगा और वह अपनी बेटी की दोनों टांगों को अपने हाथों से पकड़ कर उसकी चूत में बहुत ज़ोर के धक्के मारने लगा।
“उईई आह्ह्ह … पिता जी ओह्ह्ह्ह …” ज्योति का पूरा जिस्म अचानक कांपने लगा और वह तेजी से आनंद लेते हुए सिसकारियों के साथ अपनी आंखों को बंद करके झड़ने लगी.

“बेटी मैं भी आया … आह्ह … ओहह् …” महेश भी अपनी बेटी के झड़ने की वजह से उसकी चूत के सिकुड़ने से अपने आप को रोक न सका और वह अपने लंड को अपनी बेटी की चूत में जड़ तक घुसाकर झड़ने लगा।

ज्योति अपने पिता के गर्म वीर्य को अपनी चूत की गहराइयों में महसूस करते हुए अपने पिता से लिपट गयी और मज़े से सिसकारियां लेते हुए अपने पिता के गर्म वीर्य को अपनी चूत में पिचकारियां मारते हुए उस अहसास का मजा लेने लगी.

महेश पूरी तरह से झड़ने के बाद अपनी बेटी के ऊपर ही ढ़ेर हो गया। उसका लंड अभी तक ज्योति की चूत में ही पड़ा हुआ था जो अब ढीला पड़ चुका था।

“बेटी देखा तुमने … तुम्हें मुझसे से चुदवाते हुए कितना मजा आया .. अब हर रोज़ मैं तुम्हें ऐसे ही मजा दूंगा.” ज्योति ने जैसे ही कुछ देर तक हाँफने के बाद अपनी आँखें खोलीं महेश ने उसे देखते हुए कहा।
ज्योति ने भी प्यार से अपने पिता को एक चुम्बन दिया और अपने ऊपर से उनको हटाने लगी।

महेश अपनी बेटी के ऊपर से हट गया। उसका ढीला लंड जैसे ही ज्योति की चूत से निकला ढ़ेर सारा वीर्य ज्योति की चूत से नीचे गिरने लगा, अपने पिता के मोटे और लम्बे लंड से चुदवाने की वजह से ज्योति की चूत का छेद उस वक्त पूरी तरह से खुला हुआ था और ज्योति की पूरी चूत सूजकर लाल हो गई थी।

ज्योति बेड से उठ कर बाथरूम में चली गयी और थोड़ी देर के बाद वह जैसे ही वापस आई महेश ने उसे फिर से अपनी बांहों में दबोच लिया।
“पिता जी छोड़िये न अब!” ज्योति अपने पिता की चुदाई से थक चुकी थी और वह अब उसको दूर रहने के लिए कह रही थी.

“क्या करूं बेटी … तुम्हारे जिस्म को देखकर यह कम्बख्त फिर से खड़ा हो गया है.” महेश ने ज्योति का हाथ अपने लंड पर रखते हुए कहा जो फिर कामुकता से खड़ा होने लगा था।
“नहीं पिता जी, मैं दूसरी बार यह मूसल नहीं झेल पाऊँगी!” ज्योति ने अपने हाथ को महेश के लंड से हटाते हुए कहा।

“क्यों बेटी क्या हुआ?” महेश ने हैरान होते हुए कहा।
“पिता जी एक बार में ही आपके इस मूसल ने मेरी चूत की हालत ख़राब कर दी है इसलिए कह रही हूं.” ज्योति ने झिझकते हुए कहा।

“अरे बेटी क्या कह रही हो? ज़रा दिखाओ अपनी चूत?” महेश ने अपनी बेटी की टांगों को फ़ैलाते हुए उसकी चूत को देखते हुए पूछा।
“अरे नहीं पिता जी, छोड़िये ना!” ज्योति ने अपनी टांगों को सिकोड़ते हुए अपने पिता को पीछे कर दिया।

“बेटी ज़िद छोड़ो, ज़रा देखने दो कहीं ज़ख़्म तो नहीं हो गया है?” महेश ने अपनी बेटी की टांगों को फिर से फ़ैलाते हुए उसे अपने पास कर लिया। इस बार ज्योति ने भी अपनी टांगों को फिर से नहीं सिकोड़ा और महेश अपनी बेटी की फूली हुई चूत को गौर से देखते हुए उसे अपने हाथों से सहलाने लगा।
“बेटी तुम्हारी चूत की हालत तो सच में ख़राब हो चुकी है. लगता है मुझे ही कुछ करना होगा.” कहते हुए महेश ने अपने मुंह को अपनी बेटी की चूत की तरफ ले जाना शुरू कर दिया था।

“आहहह कितनी अच्छी गंध आ रही है.” महेश ने अपनी नाक को ठीक अपनी बेटी की चूत के क़रीब करते हुए कहा।
“आहहह पिता जी, आप यह क्या कर रहे हैं …” ज्योति भी अपने पिता के मुंह से निकलती हुई गर्म साँसों को अपनी चूत पर महसूस करके आराम सा पाने लगी।
“कुछ नहीं बेटी, मैं तुम्हारी चूत को अपनी जीभ से चाट कर साफ़ कर देता हूँ ताकि अगर कोई ज़ख़्म वगैरह हो तो वह ज्यादा न बढ़े.” महेश ने यह कहते हुए अपनी जीभ को निकाल कर अपनी बेटी की चूत पर रख दिया और उसे अपनी बेटी की पूरी चूत पर फिराने लगा।

ज्योति भी अपने पिता की जीभ अपनी चूत पर लगते ही फिर से गर्म होना शुरू हो गई और वह अपने हाथों से महेश के बालों को पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी। महेश ने कुछ देर तक वैसे ही अपनी बेटी की चूत को चाटने के बाद उसे कुतिया की तरह कर दिया और खुद उसके पीछे आकर फिर से उसकी चूत को चाटने लगा।

महेश अब अपनी बेटी की चूत को चाटते हुए अपनी जीभ को उसकी गांड के छेद तक ले जाकर चाट रहा था। जिस वजह से ज्योति के मुंह से कामुक सिसकारियाँ निकल रही थीं।

महेश ने कुछ देर तक ऐसा करने के बाद अपने लंड को फिर से अपनी बेटी की चूत में घुसा दिया और उसे चूतड़ों से पकड़ कर ज़ोर के धक्के मारने लगा, ज्योति भी पीछे से अपनी चूत में इतना बड़ा लंड घुसने से ज़ोर से चिल्ला उठी. मगर महेश बिना रुके उसे चोदता रहा।

कुछ ही समय बाद ज्योति का दर्द ख़त्म हो गया और वह भी मज़े से अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ धकेलते हुए अपने पिता के लंड को अपनी चूत की गहराइयों में महसूस करने लगी।

ज्योति और उसके पिता के बीच का यह खेल 30 मिनट तक चला जिसमें ज्योति फिर से दो दफ़ा झड़ी। अब ज्योति की हालत वाकई में ही काफी ख़राब हो चुकी थी। वह ठीक तरीके से चल भी नहीं पा रही थी और उसकी चूत तो सूज कर डबल रोटी की तरह मोटी हो चुकी थी।

महेश वहां से निकल कर चला गया और ज्योति अपने पिता के जाने के बाद दरवाज़ा अंदर से बंद करके अपनी चूत को देखने लगी.

अपनी चूत को देखते ही ज्योति के मुंह से हंसी निकल गयी क्योंकि उसकी चूत उस वक्त सूजकर बिल्कुल लाल हो चुकी थी और उसकी चूत का छेद बिल्कुल खुला का खुला रह गया था। महेश का मोटा और तगड़ा लंड लेने के बाद ज्योति की चूत को अलग ही आनंद का अनुभव हो रहा था क्योंकि अभी तक तो उसने अपने भाई के लंड को ही अपनी चूत में लिया था.

मगर बाप का लंड भाई के लंड से कहीं ज्यादा दमदार और शक्तिशाली साबित हुआ. 8 सालों की उसकी चूत की प्यास उसके बाप और भाई ने ऐसी बुझाई कि वो मन ही मन फूली नहीं समा रही थी.
कुछ देर तक वह अपनी सूजी हुई चूत को देखती रही और उसके आकार परिवर्तन के बारे में विचार करती रही. उसके बाद वो उठ कर बाथरूम में घुस गयी और फ्रेश होकर वापस बेड पर आकर लेट गई।

कामुकता कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. कहानी पर अपने विचार नीचे दी गई मेल आई डी पर मैसेज करें और नीचे दिये गये कमेंट बॉक्स में कमेंट भी करें.
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